NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
उत्तर प्रदेश : बिल्कुल पूरी नहीं हुई हैं जनता की बुनियादी ज़रूरतें
लोगों की बेहतरी से जुड़े सरकारी मानकों के निगाह से देखने पर उत्तर प्रदेश में घाव ही घाव नजर आते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, ग़रीबी बेरोज़गारी के के हालात इतने बुरे हैं कि लगता है जैसे योगी सरकार ने इन घावों पर कोई मलहम ही नहीं लगाया है।



अजय कुमार
09 Feb 2022
yogi

उत्तर प्रदेश में तकरीबन 22 करोड लोग रहते हैं। 22 करोड़ लोग पाकिस्तान में भी रहते हैं। उसी पाकिस्तान में जिसका नाम लेकर के मोदी और योगी की पार्टी उत्तर भारत में नफरत की राजनीति को देती है। उस पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति आय 90 हजार सालाना के आसपास है। लेकिन उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आमदनी 44600 सलाना है। यह भारत की औसत सालाना आय 95 हजार से आधी से भी कम है। अगर औसत आमदनी के मामले में रैंकिंग की जाए तो भारत के 36 सूबे ( राज्य और केंद्र शासित प्रदेश) में उत्तर प्रदेश का 32 वा नंबर है।

उत्तर प्रदेश की इतनी कम औसत आमदनी बिना कोई आंकड़ा पेश किए हुए भी उत्तर प्रदेश की दर्दनाक तस्वीर बता सकती है। अगर साल भर में औसतन उत्तर प्रदेश का एक व्यक्ति महज ₹44 हजार कमा पा रहा है तो आप खुद सोच सकते हैं कि उत्तर प्रदेश का समाज कितना पिछड़ा हुआ होगा? उत्तर प्रदेश के अधिकतर लोग कितनी बीहड़ जीवन दशाओं में जी रहे होंगे? तो चलिए उत्तर प्रदेश की सालाना औसत आमदनी को प्रस्थान बिंदु मानते हुए उत्तर प्रदेश को देश में मौजूद दूसरे विकास के पैमाने पर देखते हैं।

अगर औसत आमदनी इतनी कम है तो स्वाभाविक है कि जिंदगी की बुनियादी जरूरतें पूरी करने के लिहाज से उत्तर प्रदेश के ढेर सारे लोग गरीब भी होंगे। नीति आयोग का मल्टी डाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स का आंकड़ा यही कहता है। मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स के तहत उत्तर प्रदेश भारत का तीसरा सबसे गरीब राज्य है। जहां की तकरीबन 37% आबादी बहुआयामी गरीबी की शिकार है।

अगर मल्टीडाइमेंशनल इंडेक्स से जुड़े 12 सूचकांकों को आधार बनाकर कहा जाए तो उत्तर प्रदेश का मानव संसाधन भारत में सबसे अधिक वंचना का शिकार है। उत्तर प्रदेश की बड़ी आबादी उन मूलभूत सुविधाओं और जरूरतों से दूर है जिनके होने पर किसी की यह क्षमता बनती है कि वह गरीबी के चक्र को तोड़ पाए। मतलब उत्तर प्रदेश के 37% लोग इतने गरीब हैं जिनकी रहनुमा अगर सरकार नहीं बनेगी तो वह अपनी गरीबी को नहीं तोड़ सकते।

इतनी गरीबी में पढ़ाना लिखाना भी कईयों के लिए मुश्किल होता है। शिक्षा का हाल बेहाल होता है। नीति आयोग के द सक्सेस ऑफ आउर स्कूल क्वालिटी इंडेक्स के रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश भारत का सबसे पिछड़ा राज्य है। सबसे निचले पायदान पर खड़ा है। साल 2019 में प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक ओवरऑल परफॉर्मेंस स्कोर केरल के लिए 76.6 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश के लिए 36.4 प्रतिशत मिले। यानी अपने शिक्षा की हालत सुधारने के लिए अब भी उत्तर प्रदेश को जमीन और आसमान के बराबर फासले को तय करना है।

शिक्षा की ऐसी बदहाली समाज की पूरी चिंतन धारा पर हमला करती है। लोगों को अस्पताल, डॉक्टरों शिक्षकों और स्कूलों से जुड़ी चिंताओं से ज्यादा मंदिर मस्जिद के बहस में उलझा कर रख दिया जाता है। मोदी और योगी की सरकार ने सांप्रदायिकता के माहौल रचने के सबसे बड़े खिलाड़ी हैं। जिसका नतीजा यह हुआ है कि नीति आयोग का स्वास्थ्य सूचकांक कहता है कि हेल्थ आउटकम, बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं और मरीजों की संख्या के मुताबिक डॉक्टरों की उपलब्धता के आधार पर देखा जाए तो उत्तर प्रदेश देश का सबसे पिछड़ा राज्य है। योगी आदित्यनाथ की सांप्रदायिकता में झुलसे उत्तर प्रदेश की बदहाली भारत में सबसे ज्यादा है। केरल को जहां स्वास्थ्य सूचकांक में 100 में से 82 का स्कोर मिला है, वहीं उत्तर प्रदेश का स्कोर केवल 30 है। देशभर के कुपोषित बच्चों में तकरीबन 40% सबसे अधिक कुपोषित बच्चे उत्तर प्रदेश में मौजूद हैं।

मानव संसाधन की क्षमता मापने से जुड़े इन सभी पैमानों का इशारों इस तरफ है कि जब महंगाई बढ़ती है तो सबसे अधिक मार उत्तर प्रदेश के लोगों पर पड़ती है।जब बेरोजगारी बढ़ती है तो सबसे अधिक मार उत्तर प्रदेश के लोगों पर पड़ती है। जब देश की अर्थव्यवस्था बद से बदतर होती चली जाती है और कोरोना जैसा संकट आता है तो सबसे अधिक मार उत्तर प्रदेश पर पड़ती है।

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव तो उत्तर प्रदेश के हाल को इस तरह से कहते हैं कि उत्तर प्रदेश गरीब बच्चों में मिड-डे मील के बजट से बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाने में नंबर वन है। यूपी भूख से मरने वालों की संख्या में नंबर वन है. कोरोना बीमारी के दौरान दवाइयों की कालाबाजारी करने में यूपी नंबर वन है। नागरिकों को बिना इलाज दिए मरने देने में नंबर वन है. उत्तर प्रदेश गंगा नदी के किनारे में दफ्न की गई लाशों के ऊपर से कफन उतारने में नंबर वन है।

अखिलेश यादव की बात विरोधियों को थोड़ी अतिरेक लग सकती है। लेकिन उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिहाज से देखा जाए तो ऐसा भी संभव है कि उत्तर प्रदेश की गहरी परेशानियों को अखिलेश यादव के व्यक्ति नहीं कर पा रहे हो। साल 2012 से लेकर 2017 के बीच उत्तर प्रदेश की आर्थिक वृद्धि दर हर साल तकरीबन 6 फ़ीसदी के आसपास थी। लेकिन साल 2017 से लेकर 2021 तक की कंपाउंड आर्थिक वृद्धि दर तकरीबन 1.95 फ़ीसदी के आसपास ही रह गई है। अगर अर्थव्यवस्था इस तरीके से चौपट हुई है तो कैसे कहा जा सकता है कि विकास के मानक पर उत्तर प्रदेश में चौतरफा प्रगति की होगी।

उत्तर प्रदेश के इस भीषण हालात में अगर बेरोजगारों को रोजगार मिल जाता तो कहा जाता कि उत्तर प्रदेश की परेशानियों पर थोड़ा बहुत मलहम लगा दिया गया है। लेकिन ऐसा भी नहीं है। अजय सिंह बिष्ट के काल में रोजगार दर 37% से घटकर के 32% पर पहुंच गया है। मतलब यह कि उत्तर प्रदेश कि सरकार में केवल रोजगार में ही कमी नहीं आई बल्कि पहले से मौजूद रोजगार में भी कटौती हो गई है। आर्थिक जानकारों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में काम करने वालों की संख्या में दो करोड़ की बढ़ोतरी हुई है। लेकिन रोजगार दो करोड़ बढ़ने के बजाय पहले से 16 लाख कम हो गया है।

अब चलते चलते उत्तर प्रदेश के अपराधिक गलियारों की भी बात कर लेते हैं।देश में 2020 में सबसे ज्यादा हत्या-अपहरण यूपी में हुए। देश में सबसे ज्यादा मर्डर की FIR (3,779) यूपी में दर्ज हुईं। यहां हर दिन औसत 10 से ज्यादा हत्या के मुकदमे दर्ज हुए हैं। यानी हर 2.20 घंटे में यहां हत्या की वारदात हुई है।महिलाओं संबंधी अपराधों में भी यूपी सबसे आगे है। 2020 में यूपी में सबसे ज्यादा 49,385 मामले दर्ज हुए। रोजाना 135 से ज्यादा महिला अपराध दर्ज हुए। इन सभी आंकड़ों का यही मतलब है कि लोगों की बेहतरीन से जुड़े मानकों से परखने पर उत्तर प्रदेश में घाव ही घाव नजर आते हैं। मलहम लगा कहीं भी नहीं दिखता।

 

Yogi Adityanath
communal speech
adityantah and poverty
uttar pradesh on development parammeter

Related Stories

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश

क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?

यूपी: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच करोड़ों की दवाएं बेकार, कौन है ज़िम्मेदार?

उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव का समीकरण

योगी 2.0 का पहला बड़ा फैसला: लाभार्थियों को नहीं मिला 3 महीने से मुफ़्त राशन 

चंदौली पहुंचे अखिलेश, बोले- निशा यादव का क़त्ल करने वाले ख़ाकी वालों पर कब चलेगा बुलडोज़र?

ग्राउंड रिपोर्ट: स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रचार में मस्त यूपी सरकार, वेंटिलेटर पर लेटे सरकारी अस्पताल


बाकी खबरें

  • Lenin
    अनीश अंकुर
    लेनिन: ‘‘कल बहुत जल्दी होता... और कल बहुत देर हो चुकी होगी... समय है आज’’
    22 Apr 2022
    लेनिन के जन्म की 152वीं सालगिरह पर पुनर्प्रकाशित: कहा जाता है कि सत्रहवी शताब्दी की अंग्रेज़ क्रांति क्रामवेल के बगैर, अठारहवीं सदी की फ्रांसीसी क्रांति रॉब्सपीयर के बगैर भी संपन्न होती लेकिन बीसवीं…
  • न्यूज़क्लिक टीम
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,451 नए मामले, 54 मरीज़ों की मौत 
    22 Apr 2022
    दिल्ली सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए, 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को बूस्टर डोज मुफ्त देने का ऐलान किया है। 
  • पीपल्स डिस्पैच
    नाटो देशों ने यूक्रेन को और हथियारों की आपूर्ति के लिए कसी कमर
    22 Apr 2022
    जर्मनी, कनाडा, यूके, नीदरलैंड और रोमानिया उन देशों में शामिल हैं, जिन्होंने यूक्रेन को और ज़्यादा हथियारों की आपूर्ति का वादा किया है। अमेरिका पहले ही एक हफ़्ते में एक अरब डॉलर क़ीमत के हथियारों की…
  • एम. के. भद्रकुमार
    सामूहिक विनाश के प्रवासी पक्षी
    22 Apr 2022
    रूसियों ने चौंकाने वाला दावा किया है कि, पेंटागन की जैव-प्रयोगशालाओं में तैयार किए गए डिजिटलीकृत प्रवासी पक्षी वास्तव में उनके क़ब्ज़े में आ गए हैं।
  • रश्मि सहगल
    उत्तराखंड समान नागरिक संहिता चाहता है, इसका क्या मतलब है?
    21 Apr 2022
    भाजपा के नेता समय-समय पर, मतदाताओं का अपने पक्ष में ध्रुवीकरण करने के लिए, यूसीसी का मुद्दा उछालते रहते हैं। फिर, यह केवल एक संहिता का मामला नहीं है, जो मुसलमानों को फिक्रमंद करता है। यह हिंदुओं पर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License