NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
'विदेशी’ होने का ठप्पा मुझे लगातार परेशान कर रहा है : सनाउल्लाह
तीस वर्षों तक सेना में रहकर देश की सेवा करने वाले मोहम्मद सनाउल्लाह पिछले सप्ताह असम के गोलापारा स्थिति हिरासत गृह से ज़मानत पर रिहा हो गए हैं। उन्होंने अपनी परेशानी को न्यूज़क्लिक के साथ साझा किया।
तारिक अनवर
14 Jun 2019
'विदेशी’ होने का ठप्पा मुझे लगातार परेशान कर रहा है : सनाउल्लाह

सेना से रिटायर हुए मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशी होने का कलंक अक्सर परेशान करता है। हालांकि वे गुवाहाटी उच्च न्यायालय द्वारा 8 जून को जमानत मिलने के बाद गोलपारा हिरासत गृह (detention centres) से छूट गए हैं फिर भी उनकी परेशानी बरकरार है। असम के कामरूप जिले के बोको में विदेशी ट्रिब्यूनल (एफटी) ने 25-03-1971 के अनुसार विदेशी नागरिक घोषित करते हुए उन्हें 29 मई को जेल भेज दिया गया था। 1985 के असम समझौते के अनुसार 24 मार्च 1971 नागरिकता के लिए प्रक्रिया की आखिरी तारीख मानी गई है।

सेना के इलेक्ट्रॉनिक एवं मेकैनिकल इंजीनियर (ईएमई) विभाग से रिटायर सूबेदार 52 वर्षीय सनाउल्लाह ने न्यूज़क्लिक से फोन पर कहा, “मुझे 28 मई की शाम को उत्तरी गुवाहाटी पुलिस स्टेशन में एक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) द्वारा बुलाया गया था। मुझे यह आशंका थी कि मुझे प्रक्रिया के अनुसार हिरासत में लिया जा सकता है क्योंकि मैं एफटी में अपना केस हार गया था। यह सच था। मुझे आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया। अगली सुबह मुझे हिरासत गृह ले जाया गया। असम के ज़िला जेलों के भीतर उन छह हिरासत गृहों में से यह एक है जो घोषित विदेशियों के लिए हैं।"

सनाउल्लाह 21 मई 1987 को सेना में शामिल हुए थे और 1 जून 2017 को सेवानिवृत्त हुए। 26 जनवरी 2017 को उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा मानद कप्तान के दर्जे से नवाजा गया था। गुवाहाटी के सतगांव क्षेत्र के निवासी सनाउल्लाह को हाल ही में अहर्ता जांच पास करने के बाद राज्य पुलिस की सीमा विंग में सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) के रूप में नियुक्त किया गया था। सीमा पुलिस को अवैध प्रवासियों की पहचान करने का काम सौंपा जाता है साथ ही संबंधित एफटी में उक्त व्यक्ति के खिलाफ संबंधित मामला दर्ज करते हुए एक बार विदेशी घोषित किए जाने के बाद अंत में उन्हें देश से निर्वासित करने का जिम्मा सौंपा जाता है।

उन्होंने कहा, “इन हिरासत गृहों की स्थिति भयावह है। ये बाकायदा जेल हैं जिसमें घोषित विदेशी नागरिकों के लिए एक अलग सेक्शन है। गोलपारा हिरासत गृह की कोठरी जहां मुझे रखा गया था उसमें लगभग 40 लोग थे। दूसरे क़ैदियों की तरह मुझे भी दो कंबल, एक मच्छरदानी, एक प्लेट और एक गिलास दिया गया। खाने की गुणवत्ता (Quality) भी बेहद खराब है।”

हिरासत शिविर में अन्य लोगों से हुई बातचीत के बारे में जब सनाउल्लाह से पूछा गया तो उन्होंने कहा, “उनमें से ज़्यादातर लोग अनपढ़ हैं और बहुत ग़रीब हैं। वे पिछले कई सालों से वहां बंद हैं। मैं उन लोगों से मिला जो आठ-नौ साल से इस हिरासत गृह में हैं। उन्हें राज्य में 100 से अधिक एफटी द्वारा विदेशी घोषित किया गया है। उनमें से कई लोगों ने मुझे बताया कि उन्होंने अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए जो कागजात प्रस्तुत किया था उनमें छोटी-छोटी ग़लतियों (जैसे उनके नाम और उम्र में मामूली गलतियां) के कारण उन्हें विदेशी नागरिक घोषित किया गया था।”

सनाउल्लाह ने कहा "वे इतने ग़रीब हैं कि उनके परिवार के लोग एफटी के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती नहीं दे सकते हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो वर्षों से एक बार भी अपने क़रीबी रिश्तेदारों से नहीं मिले हैं क्योंकि बाद में आने जाने का खर्च वहन करने में सक्षम न होने के कारण उनके पास जाना बंद कर दिया है। मैं 18-30 वर्ष की आयु वर्ग के युवा बंदियों से भी मिला जिन्हें विदेशी घोषित कर दिया गया है लेकिन उनके माता-पिता और भाई-बहन भारतीय नागरिक हैं।"

नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स (एनआरसी) के अपडेशन प्रक्रिया की निगरानी कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने उन बंदियों को सशर्त रिहा करने का आदेश दिया था जिन्होंने 1 लाख रुपये के दो जमानती (प्रत्येक भारतीय नागरिक) के साथ बॉन्ड प्रस्तुत करने के बाद तीन साल से अधिक का समय जेल में गुजार लिया है और साथ ही उनके ठहरने की जगह, बायोमेट्रिक, आंख की पुतली (Iris) और सभी 10 उंगलियों के निशान और तस्वीरें ले ली गई हैं।

अपने मामले के बारे में बताते हुए सनाउल्लाह ने कहा कि उन्हें दिसंबर 2017 में एनआरसी के पहले ड्राफ्ट के प्रकाशित होने के बाद उनके डी-वोटर (संदिग्ध मतदाता) की स्थिति के बारे में पता चला।

उच्च न्यायलय के समक्ष मामला होने के चलते अपने मामले के बारे में ज़्यादा बात करने से इनकार करते हुए उन्होंने कहा, "जब मैंने एनआरसी ड्राफ्ट में अपना नाम नहीं पाया तो मैंने एनआरसी सेवा केंद्र (एनएसके) में शिकायत की और आपत्ति फॉर्म भर दिया जिससे मुझे पता चला कि मेरी नागरिकता पर चुनाव आयोग द्वारा संदेह किया गया है क्योंकि मतदाता सूची में मेरे नाम के आगे "डी" लगा हुआ है। मैं एसपी कार्यालय गया और अपनी फाइलों का पता लगाया ताकि मुझे एफटी के समक्ष प्रस्तुत होने का नोटिस मिल सके। मुझे भरोसा था कि मैं केस जीत जाऊंगा क्योंकि मेरे पास अपनी नागरिकता साबित करने के लिए सभी काग़जात थे। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ और मुझे सीमा पुलिस के एक जांच अधिकारी द्वारा तैयार की गई एक मनगढ़ंत रिपोर्ट के आधार पर 'विदेशी नागरिक' घोषित कर दिया गया।"

उन्होंने कहा, “ज़मानत देने के लिए मैं माननीय उच्च न्यायालय का बहुत आभारी हूं। मैं जमानत पर बाहर हूं लेकिन मुझे यकीन है कि मेरे साथ न्याय होगा। मुझे सभी का समर्थन मिला। सेना जिसने कानूनी सहायता दी; मीडिया जिसने जोर शोर से सच्चाई पर आधारित मेरे मामले को उठाया; और वकील जिन्होंने काफी अच्छी बहस की और मेरी रिहाई को सुनिश्चित किया।” सनाउल्ला के हिरासत को लेकर मामला सुर्खियों में आने के बाद पूर्व पुलिस अधिकारी जिन्होंने पूर्व सैनिक की जांच की थी उन्होंने कहा कि यह गलत पहचान का मामला था।

सीमा पुलिस अधिकारी चंद्रमल दास जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं उन्होंने पहले एनडीटीवी को बताया था कि सनाउल्ला "वह व्यक्ति नहीं थे जिसकी उन्होंने जांच की थी"। उन्होंने कहा, लेकिन जिस व्यक्ति की उन्होंने जांच की वह सनाउल्ला नाम के व्यक्ति ही थे, यही वजह है कि प्रशासनिक स्तर पर रिपोर्ट के गड़बड़ का मामला सामने आया हो।

https://www.ndtv.com/india-news/soldier-for-30-years-assam-man-arrested-as-illegal-immigrant-2045049

हालांकि सनाउल्लाह ने कहा कि उनके गांव में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसका नाम समान हो। उन्होंने कहा, "मेरे अलावा मेरे गांव में कोई नहीं है जिसका नाम सनाउल्लाह है।"

2008 में एफटी को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में दावा किया गया कि सनाउल्ला की उम्र 50 साल थी और उसका पेशा "मज़दूरी" था। रिपोर्ट में कहा गया है कि वह बेहतर जीवन के लिए एक गुप्त मार्ग से भारत आया था। रिपोर्ट में कहा गया कि उसकी पत्नी की राष्ट्रीयता भी संदिग्ध थी। 2008 में जब सीमा पुलिस की रिपोर्ट तैयार की गई थी तो सनाउल्लाह मणिपुर में एक काउंटर-इंसर्जेंसी ऑपरेशन में सेवारत थे जो उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेज़ से पता चलता है।

हालांकि पूर्व सैनिक ने न्यायाधिकरण को बताया कि जांच अधिकारी ने न तो उनके घर का दौरा किया और न ही उन्हें कोई नोटिस जारी किया। शोहिदुल जो सनाउल्लाह की सबसे बड़ी बेटी शहनाज़ अख्तर के पति हैं, उन्होंने पहले की रिपोर्ट में कहा था कि “रिपोर्ट में कहा गया है कि आईओ (जांच अधिकारी) ने दो दिन उनसे मुलाकात की। इनमें से एक दिन के बारे में पता चलता है कि वह एक काउंटर-इंसर्जेंसी कार्रवाई के लिए मणिपुर में ऑपरेशन हिफाजत में शामिल थे। इसलिए आईओ घर पर उनसे कैसे मिल पाए हैं?”

जिन तीन लोगों ने कथित तौर पर रिकॉर्ड के लिए पूर्व सैनिक की केस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किया था उन्होंने कहा कि इस मामले में कोई जांच नहीं हुई है। वे लोग जिन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज की है वे मनगढ़ंत जांच रिपोर्ट तैयार करने का आरोप दास पर लगा रहे हैं।

अजमल अली, सुवहान अली और मोहम्मद कुरान अली तीनों ने आरोप लगाया कि दास ने उन्हें गवाह के रूप में किसी भी दस्तावेज पर कोई बयान देने या हस्ताक्षर करने के लिए कभी नहीं बुलाया। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें सोशल मीडिया से सनाउल्लाह के बयान का गवाह बनाए जाने के बारे में पता चला।

तीनों व्यक्तियों ने भी कहा कि सनाउल्लाह मूल रूप से भारतीय नागरिक था और "सीमा पुलिस द्वारा उन्हें परेशान किया जा रहा था, जिसने उन्हें संदिग्ध मतदाता घोषित करने की साजिश रची।"

उनकी शिकायतों के आधार पर दास के ख़िलाफ़ तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई हैं। सनाउल्लाह ने 30 वर्षों तक सेना की सेवा की। उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 में हुए कारगिल संघर्ष में हिस्सा लिया था। वह मणिपुर, असम, आंध्र प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में तैनात थे।

Sanaullah Detention
Goalpara Detention Centre
Ex-Armyman Declared Foreigner
Kargil War Veteran
Assam NRC
Assam Detention Centres
Sanaullah Gets Bail

Related Stories

भारत में लोकतंत्र व संविधान का भविष्य CAA विरोधी आंदोलन की सफलता पर निर्भर

भारत के नागरिकों के नाम खुला ख़त : भारत को सीएए-एनपीआर-एनआरसी नहीं चाहिए

एनपीआर-एनआरसी पर हिंदुओं को भी चिंतित होना चाहिए 

सरकार के विश्वासघात की आशंका ने उत्तर-पूर्व में अशांति को प्रेरित किया

नागरिकता विधेयक : एक विचारहीन और ख़तरनाक क़दम

एनआरसी+सीएबी : संघ परिवार का एक और विभाजनकारी हथियार

असम और एनआरसी पार्ट 2 : बेघर हुए लोगो की आवाज़

एनआरसी पर पश्चिम बंगाल में बढ़ती बेचैनी

एनआरसी पर पीपुल्स ट्रिब्यूनल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उठाए सवाल

क्यों असम में एनआरसी और कश्मीर बना सकता है?


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License