NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
विज्ञान और संस्कृत से तीन-तेरह का संबंध है आरएसएस का
संस्कृत भाषा को आनंद की बजाय टकराव और वर्चस्व की भाषा बना दिया संघ ने... विश्लेषण से आरएसएस भागता क्यों हैं ॽ
जगदीश्वर चतुर्वेदी
28 Apr 2018
RSS
Image Courtesy: The Financial Express

आरएसएस का विज्ञान और संस्कृत से तीन-तेरह का संबंध है। इस संगठन की न तो विज्ञान में रूचि है और न संस्कृतभाषा और साहित्य के पठन-पाठन में दिलचस्पी है। इसके विपरीत इस संगठन का समूचा आचरण विज्ञान और संस्कृत विरोधी है।

आरएसएस के लिए विज्ञान और संस्कृत अन्य पर,विरोधियों पर और ज्ञान संपदा पर हमला करने का बहाना है। वे ज्ञान को अर्जित करने के लिए विज्ञान और संस्कृत के पास नहीं जाते बल्कि ज्ञान संपदा को नष्ट करने के लिए संस्कृत का बहाने के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं।

संस्कृत भाषा को आनंद की बजाय टकराव और वर्चस्व की भाषा बना दिया संघ ने

भारत की पुरानी परंपरा में संस्कृत साहित्य और संस्कृत भाषा आनंद सृजन और आनंद प्राप्ति का स्रोत थी और आज भी है, लेकिन संघ ने संस्कृत भाषा को आनंद की बजाय टकराव और वर्चस्व की भाषा बना दिया है। बृहदारण्यक उपनिषद में वेदान्त के बारह महावाक्यों में एक ´विज्ञानमानन्दं ब्रह्म´भी है। इसमें विज्ञान को आनंद के समान माना है। यह विज्ञान और कुछ नहीं भाषा ही है। संस्कृत में इसी के आधार पर भाषा को विज्ञान मानने की परंपरा चली आ रही है। अन्यत्र तैतिरीय उपनिषद में ´विज्ञानं देवाः सर्वे ब्रह्म ज्येष्ठमुपासते´ कहा गया है। यानी विज्ञान को ही ज्येष्ठ ब्रह्म माना गया है।

कहने का आशय यह है कि प्राचीन परंपरा में ज्ञान का अर्थ था स्थूल वस्तुओं का ज्ञान, जिसे अविद्या या अपरा विद्या कहा गया, जबकि विज्ञान का अर्थ है वस्तुओं का सूक्ष्मज्ञान। इसे विद्या और परा विद्या कहा गया। लेकिन बाल गंगाधर तिलक ने इस परंपरा से विपरीत धारणा प्रतिपादित की, उन्होंने कहा ज्ञान का अर्थ है आध्यात्मिक ज्ञान और विज्ञान का अर्थ है इम्पीरिकल नॉलेज यानि भौतिक ज्ञान। सारी समस्याओं का गोमुख यहीं से आरंभ होता है।

विश्लेषण से आरएसएस भागता क्यों हैं ॽ

जब हम भाषा के साथ विज्ञान को जोड़ते हैं तो इसका अर्थ यह है कि भाषा का विशेष ज्ञान। इसके अलावा एक और पदबन्ध है ´व्याकरण´, इसे लेकर भी गड़बड़झाला है। ´व्याकरण ´यानी विश्लेषण। सवाल यह है विश्लेषण से ये आरएसएस भागता क्यों हैं ॽ हर भाषा और ज्ञान की शाखा का अपना व्याकरण है। विश्लेषण पद्धति है। उसकी स्वायत्त संरचनाएं हैं उनमें गड्डमड्ड करने से बचना चाहिए। आईआईटी में पढ़ाए जाने वाले विषयों की भाषा और व्याकरण वही नहीं है जो संस्कृत साहित्य के काव्यग्रंथों का है। इसी तरह वेद की भाषा और व्याकरण वही नहीं है जो इंजीनियरिंग की है।

भारत में संस्कृत के वैय्याकरणशास्त्रियों की सुदीर्घ परंपरा रही है। यह सच है पाणिनी इनमें सुसंगत हैं। लेकिन पाणिनी भाषा संबंधी सभी समस्याओं का समाधान नहीं करते। आरएसएस के लोग चूंकि ´भारतप्रेमी ´होने का दावा करते हैं और हिन्दूज्ञान में ही विश्वास करते हैं, अतःहम यहाँ भर्तृहरि को उद्धृत करना चाहेंगे। वाचिक रोग या भाषा के अपशब्दों के प्रयोग से बचने के लिए भाषाशास्त्र पढ़ने के लिए कहते हैं। यानी भाषा का ज्ञान आरंभिक कक्षाओं में कराया जाए। आईआईटी के छात्र आरंभिक कक्षा के छात्र नहीं हैं। वे यदि अंग्रेजी भाषा का शुद्ध प्रयोग करना नहीं जानते तो परीक्षा में पास नहीं हो सकते।

पुराने जमाने में वेदाध्ययन आरंभ करने के पहले संस्कृत व्याकरण पढ़ाने पर जोर दिया गया। इसी प्रसंग में कहना चाहते हैं कि भारत में आधुनिक शिक्षा प्रणाली में अन्य विषयों के साथ संस्कृत भाषा और उसका व्याकरण पढ़ाया जाता है। संस्कृत पाठशालाओं में कक्षा 6 यानी प्रवेशिका से उत्तरमध्यमा यानि 12वीं तक व्याकरण पढ़ाया जाता है। इसके आगे व्याकरण यदि कोई पढ़ना चाहे तो वह व्याकरण विषय लेकर शास्त्री(बीए) और आचार्य(एमए) में पढ़ सकता है। अन्य विषयों के संस्कृत के छात्रों के लिए 12वीं के बाद व्याकरण नहीं पढ़ाया जाता। मैं स्वयं इसी परंपरा से पढ़ा हूँ। यानी संस्कृत में यदि कोई स्नातक स्तर पर न्याय, वेद, धर्मशास्त्र, साहित्य आदि विषय लेता है तो उसे संस्कृत व्याकरण नहीं पढ़ाया जाता। संस्कृत में जब स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं में संस्कृत व्याकरण नहीं पढ़ाया जाता तो फिर आईआईटी में ही इसे जबर्दस्ती क्यों पढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है? इस परिप्रेक्ष्य में देखें तो पाएंगे कि संस्कृत की परंपरा 12वीं तक संस्कृत भाषा और व्याकरण पढ़ाने पर जोर देती है, उसी पैटर्न पर सारे देश में आधुनिक शिक्षा में संस्कृत को 12वीं तक सामान्य विषय के रूप में रखा गया है। इस फैसले को लागू करने के लिए सारे देश में गंभीर मंथन हो चुका है। मुश्किल यह है कि आरएसएस और उनकी मंत्री स्मृति ईरानी बिना कुछ जाने-समझे संस्कृत को आईआईटी के छात्रों पर थोप देना चाहती हैं। यह भारतीय परंपरा में संस्कृत के पठन-पाठन के रिवाज के एकदम खिलाफ है, यह भाषा पढ़ाने की विश्व परंपरा के भी खिलाफ है, अतः इसका मुखर विरोध किया जाना चाहिए।

Courtesy: Hastakshep,
Original published date:
27 Apr 2018
RSS
Science

Related Stories

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!

क्या ज्ञानवापी के बाद ख़त्म हो जाएगा मंदिर-मस्जिद का विवाद?

अलविदा शहीद ए आज़म भगतसिंह! स्वागत डॉ हेडगेवार !

कांग्रेस का संकट लोगों से जुड़ाव का नुक़सान भर नहीं, संगठनात्मक भी है

कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...

पीएम मोदी को नेहरू से इतनी दिक़्क़त क्यों है?

कर्नाटक: स्कूली किताबों में जोड़ा गया हेडगेवार का भाषण, भाजपा पर लगा शिक्षा के भगवाकरण का आरोप

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?
    25 May 2022
    मृत सिंगर के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने शुरुआत में जब पुलिस से मदद मांगी थी तो पुलिस ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिवार का ये भी कहना है कि देश की राजधानी में उनकी…
  • sibal
    रवि शंकर दुबे
    ‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल
    25 May 2022
    वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है और अब सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
  • varanasi
    विजय विनीत
    बनारस : गंगा में डूबती ज़िंदगियों का गुनहगार कौन, सिस्टम की नाकामी या डबल इंजन की सरकार?
    25 May 2022
    पिछले दो महीनों में गंगा में डूबने वाले 55 से अधिक लोगों के शव निकाले गए। सिर्फ़ एनडीआरएफ़ की टीम ने 60 दिनों में 35 शवों को गंगा से निकाला है।
  • Coal
    असद रिज़वी
    कोल संकट: राज्यों के बिजली घरों पर ‘कोयला आयात’ का दबाव डालती केंद्र सरकार
    25 May 2022
    विद्युत अभियंताओं का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 11 के अनुसार भारत सरकार राज्यों को निर्देश नहीं दे सकती है।
  • kapil sibal
    भाषा
    कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन
    25 May 2022
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License