NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विज्ञान
भारत
राजनीति
#विज्ञानकांग्रेस : हम तो विमान उड़ाते थे, अरब तो कालीन भी उड़ा लिया करते थे
आपकी कृपा से पिछले चार साल आठ महीने में मेरी वैज्ञानिक जानकारी में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
20 Jan 2019
सांकेतिक तस्वीर
Image Courtesy : Down To Earth

अभी हाल ही में भारतीय विज्ञान कांग्रेस संपन्न हुई है। इसलिए कुछ बात विज्ञान पर भी।

पिछले चार साल आठ महीने में मेरी वैज्ञानिक जानकारी में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। ज्ञात हुआ है कि हमारे देश में हज़ारो साल पहले से ही विमान उड़ा करते थे। बताया गया कि रावण के पास आठ प्रकार के विमान थे। वे विमान दूसरे देशों में तो जाते ही थे, दूसरे ग्रहों पर भी जाते रहे होंगे। संभव है राकेट भी रहे हों उस जमाने में हमारे पास। 

Teerchi-nazar 2 (1).jpg

चिकित्सा विज्ञान तो इतना उन्नत था कि जितना अभी तक नहीं हुआ है। हेड ट्रांसप्लांटेशन तक संभव था। वो भी इतना उन्नत कि आदमी के धड़ पर हाथी या सिंह का सिर लगा दिया जाता था। पहले से कोई तैयारी नहीं, न कोई खून टेस्ट या न रक्त समूह (ब्लड ग्रुप) का मिलान। किसी मानव का सिर कटा नहीं कि आस-पास जो भी जानवर खड़ा हो उसका सिर काट कर लगा दिया। जानवर आदमी से दूर-दूर भागते थे कि क्या पता किस आदमी का सिर कट जाये और नौबत उस जानवर की आ जाये। अनुवांशिकी इतनी उन्नत थी कि घड़े में टेस्ट-ट्यूब बेबी पैदा कर दिया जाये और वो भी एक ही डिम्ब से सौ-सौ। यह बात मुझे आदरणीय श्री मोदी जी और उनके अन्य मंत्रीगणों ने समझाई।

संचार क्रांति आज से अधिक हो चुकी थी। रेडियो टीवी तो क्या, महाभारत के काल में हमारे देश में इंटरनेट भी उपलब्ध था। हां वो किस किस को उपलब्ध था यह अभी ज्ञात नहीं है। राजाओं, मंत्रियों और ऋषियों को ही उपलब्ध था अथवा आम जनता को भी उपलब्ध था? यह भी नहीं पता है कि जियो से कम रेट में उपलब्ध था या उससे महंगा था।

आयुद्ध विज्ञान के क्षेत्र में देश की उन्नति हमारी सोच से भी आगे थी। ऐसी ऐसी मिसाइल थी जो अपना लक्ष्य भेद वापिस आ जाती थी। मिसाइल को छोडऩे के लिए मिसाइल लांचर जैसे कठिन उपकरण की बजाय उंगली से भी काम चल जाता था। कृष्ण जी का सुदर्शन चक्र एक ऐसी ही मिसाइल थी। कृष्ण जी अपनी सुदर्शन चक्र नामक मिसाइल को बार बार इस्तेमाल कर सकते थे और हर बार वह वार कर कृष्ण जी की उंगली में वापस आ जाती थी। शब्द भेदी मिसाइल, नेपाम बम (अग्नि बाण), और न जाने क्या क्या। महाभारत में वर्णन मिलता है कि उस समय ऐसी मिसाइलें (बाण) भी मौजूद थीं कि चाहे तो आंधी या बारिश तूफान ला सकती थीं। ऐसी मिसाइल या बम अभी कल्पना ही हैं। ऐंटी मिसाइल भी थीं। कर्ण का कवच कुंडल और दुर्योधन का जंघाओं के अतिरिक्त सारे शरीर पर विशेष कवच व्यक्तिगत एंटी मिसाइल के उदाहरण हैं।

मुझे लगा कि जब भारत में इतनी उन्नति थी तो कुछ न कुछ उन्नति तो और जगह भी रही होगी या फिर दूसरे देशों में अनपढ़, जाहिल, गंवार ही रहते थे। मैंने सोचा, समझा और जाना कि और जगह भी विज्ञान काफी उन्नति कर चुका था। अंग प्रत्यारोपण के मामले में मिस्र और यूनान तो हमारे से भी आगे थे। हम तो स्तनधारी धड़ से स्तनधारी सिर ही जोड़ा करते थे जैसे आदमी के धड़ पर हाथी का या फिर सिंह का सिर पर उनके यहाँ तो मत्सय के धड़ (पूँछ) से मनुष्य (आम तौर पर नारी) का सिर भी जोड़ देते थे। इतना उन्नत था मिस्र और यूनान वासियों का चिकित्साशास्त्र। हमारे यहाँ तो विमान ही आकाश में उड़ा करते थे पर मुझे ज्ञात हुआ है कि अरबों ने वैमानिकी में इतनी उन्नति कर ली थी कि उनके यहाँ कालीन भी आकाश में उड़ा करते थे। और तो और कालीन आकाश में इतनी कुशलता से उड़ते थे कि कभी-कभी उन पर योद्धा तलवारबाजी भी करते रहते थे। अरबों का रसायन/चिकित्सा ज्ञान तो अद्भुत था। उनके पास तो इस तरह के रसायन तक मौजूद थे कि अगर उन्हें किसी मनुष्य पर छिड़क दिया जाये तो वह गधा या बकरी कुछ भी बन सकता था और फिर उस पर कोई दूसरा रसायन छिड़क कर वापस मनुष्य भी बनाया जा सकता था।

भारत, मिस्र-यूनान और अरबों के प्राचीन कल के उन्नत विज्ञान के बारे में पता करने के बाद मैं हैरी पॉटर सीरीज की कालावधि के बारे में पता कर रहा हूँ ताकि मैं प्राचीन यूरोप में भी वैज्ञानिक उन्नति के बारे में निष्कर्ष निकल सकूँ।

प्रसंगवश : क्या यहाँ यह उल्लेख करना उचित हो सकता है कि ईसाई धर्म का जन्म मिस्र यूनान के इलाके में तथा इस्लाम का जन्म अरब इलाके में हुआ था।

(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

Indian Science Congress 2019
Satire
Political satire
Religion and science
Truth and confusion
Narendra modi
BJP
true lie
विज्ञान कांग्रेस
विज्ञान का मज़ाक

Related Stories

…सब कुछ ठीक-ठाक है

कोविड: मोदी सरकार के दो पर्याय—आपराधिक लापरवाही और बदइंतज़ामी

आख़िर कोवैक्सीन को लेकर सवाल क्यों उठ रहे हैं?

सबसे पहले टीका बनाने की होड़ हो सकती है ख़तरनाक, वैज्ञानिकों ने चेताया, सतर्क रहने को कहा

रोमिला थापर: "ऐसी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को अमल में लाया जाना चाहिए,जिसके तहत सभी लोग आते हों"

कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई वैज्ञानिक चेतना के बिना नहीं जीती जा सकती

देश भर में एनआरसी, कोलंबिया की हड़ताल और अन्य

झारखंड : 5 चरणों में चुनाव को लेकर उठ रहे सवाल?

ग़लत जानकारी देना भी एक अपराध है : देवेंद्र मेवाड़ी

डेली राउंड अप : INX मीडिया मामला, अयोध्या विवाद और अन्य ख़बरें


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License