NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
संस्कृति
समाज
भारत
राजनीति
विपक्ष के विरोध के बीच तीन तलाक से संबंधित विधेयक लोकसभा में पेश
पिछले साल दिसंबर में तीन तलाक विधेयक को लोकसभा ने मंजूरी दी थी। लेकिन यह राज्यसभा में पारित नहीं हो सका। संसद के दोनों सदनों से मंजूरी नहीं मिलने पर सरकार ने इस संबंध में अध्यादेश लेकर आई थी जो अभी प्रभावी है।
भाषा
21 Jun 2019
Ravi Shankar

नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देने की प्रथा को समाप्त करने से संबंधित विवादास्पद विधेयक को शुक्रवार को लोकसभा में अपने पहले विधेयक के रूप में पेश किया। विपक्ष के भारी विरोध के बीच सदन ने विधेयक को 74 के मुकाबले 186 मतों के समर्थन से पेश करने की अनुमति दी।

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019’ पेश करते हुए कहा कि विधेयक पिछली लोकसभा में पारित हो चुका है लेकिन सोलहवीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के कारण और राज्यसभा में लंबित रहने के कारण यह निष्प्रभावी हो गया। इसलिए सरकार इसे दोबारा इस सदन में लेकर आई है।

उन्होंने विधेयक को लेकर विपक्ष के कुछ सदस्यों की आपत्ति को सिरे से दरकिनार करते हुए संविधान के मूलभूत अधिकारों का हवाला दिया जिसमें महिलाओं और बच्चों के साथ किसी भी तरह से भेदभाव का निषेध किया गया है। विपक्षी सदस्य इसे एक समुदाय पर केंद्रित और संविधान का उल्लंघन करने वाला बता रहे हैं।

मंत्री ने कहा कि जनता ने हमें कानून बनाने भेजा है। कानून पर बहस और व्याख्या का काम अदालत में होता है। संसद को अदालत नहीं बनने देना चाहिए।

प्रसाद ने कहा कि यह ‘‘नारी के सम्मान और नारी-न्याय का सवाल है, धर्म का नहीं।’’

प्रसाद ने सवाल किया कि जब उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद भी मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के चलन से पीड़ित हैं तो क्या संसद को इस पर विचार नहीं करना चाहिए?

उन्होंने कहा कि 2017 से तीन तलाक के 543 मामले विभिन्न स्रोतों से सामने आये हैं जिनमें 229 से अधिक उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद आये। इसलिए कानून बनाना जरूरी है।

प्रसाद ने कहा कि हमें लगता था कि चुनाव के बाद विपक्ष इस विधेयक की जरूरत को समझेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

इससे पहले विपक्ष ने विधेयक पेश किये जाने का विरोध किया, जिसके बाद अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि अभी मंत्री केवल विधेयक पेश करने की अनुमति मांग रहे हैं। आपत्तियां उसके बाद दर्ज कराई जा सकती हैं।

तीन तलाक से संबंधित विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए कांग्रेस के शशि थरूर ने कहा कि हम तीन तलाक के खिलाफ हैं लेकिन इस विधेयक की विषयवस्तु से इत्तेफाक नहीं रखते। उन्होंने कहा कि यह विधेयक किसी एक समुदाय तक सीमित नहीं रहना चाहिए।

उन्होंने और आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन तथा एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने भी इसे संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन बताते हुए सरकार से सभी समुदायों के लिए समान कानून बनाने की जरूरत बताई।

प्रसाद ने इस पर कहा कि संविधान के अनुच्छेद 15 के खंड 3 में कहा गया है कि सरकार को महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष प्रावधान बनाने से नहीं रोका जा सकता। ओवैसी समेत कुछ सदस्यों ने विधेयक पेश किये जाने से पहले मत-विभाजन की मांग की। इसमें विधेयक के पक्ष में 186 और विरोध में 74 मत मिले।

इस बीच लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने विधेयक पेश किये जाने के दौरान सदस्यों की आपसी बातचीत को सदन की गरिमा के खिलाफ बताते हुए कहा कि सदन प्रक्रियाओं से चलता है। इसकी मर्यादा बनाये रखना हम सबका दायित्व है। सदस्यों को एक दूसरे के पास जाकर चर्चा नहीं करनी चाहिए।

अध्यक्ष ने जब कुछ सदस्यों का नाम लेकर यह बात कही तो कांग्रेस के सदस्यों ने विरोध जताया। 

पिछले साल दिसंबर में तीन तलाक विधेयक को लोकसभा ने मंजूरी दी थी। लेकिन यह राज्यसभा में पारित नहीं हो सका। संसद के दोनों सदनों से मंजूरी नहीं मिलने पर सरकार ने इस संबंध में अध्यादेश लेकर आई थी जो अभी प्रभावी है।

मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 को संसद के दोनों सदनों की मंजूरी मिल गयी तो यह इस संबंध में लाये गये अध्यादेश की जगह ले लेगा। 

इस विधेयक के तहत मुस्लिम महिलाओं को एक बार में तीन तलाक कहकर वैवाहिक संबंध समाप्त करना गैरकानूनी होगा। विधेयक में ऐसा करने वाले पति के लिए तीन साल के कारावास की सजा का प्रावधान प्रस्तावित है।

ravi shankar prasad
triple talaq
triple talaq ban
Asaduddin Owaisi
lok sabha
Rajya Sabha
law minister

Related Stories


बाकी खबरें

  • रवि शंकर दुबे
    ‘’मुसलमानों के लिए 1857 और 1947 से भी मुश्किल आज के हालात’’
    05 Apr 2022
    ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव रहमानी ने आज के दौर को 1857 और 1947 के दौर से ज़्यादा घातक बताया है।
  • भाषा
    ईडी ने शिवसेना सांसद संजय राउत से संबंधित संपत्ति कुर्क की
    05 Apr 2022
    यह कुर्की मुंबई में एक 'चॉल' के पुनर्विकास से संबंधित 1,034 करोड़ रुपये के कथित भूमि घोटाले से जुड़े धन शोधन की जांच से संबंधित है। 
  • सोनया एंजेलिका डिएन
    क्या वैश्वीकरण अपने चरम को पार कर चुका है?
    05 Apr 2022
    पहले कोरोना वायरस ने एक-दूसरे पर हमारी आर्थिक निर्भरता में मौजूद खामियों को उधेड़कर सामने रखा। अब यूक्रेन में जारी युद्ध ने वस्तु बाज़ार को छिन्न-भिन्न कर दिया है। यह भूमंडलीकरण/वैश्वीकरण के खात्मे…
  • भाषा
    श्रीलंका के नए वित्त मंत्री ने नियुक्ति के एक दिन बाद इस्तीफ़ा दिया
    05 Apr 2022
    श्रीलंका के नए वित्त मंत्री अली साबरी ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। एक दिन पहले राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने अपने भाई बेसिल राजपक्षे को बर्खास्त करने के बाद उन्हें नियुक्त किया था।
  • भाषा
    हरियाणा के मुख्यमंत्री ने चंडीगढ़ मामले पर विधानसभा में पेश किया प्रस्ताव
    05 Apr 2022
    हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान मनोहर लाल द्वारा पेश प्रस्ताव के अनुसार, ‘‘यह सदन पंजाब विधानसभा में एक अप्रैल 2022 को पारित प्रस्ताव पर चिंता व्यक्त करता है, जिसमें सिफारिश की गई है कि…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License