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भारत
राजनीति
विरोध की आवाज़ों को दबाने की ये साजिश !
डीयू ,जेएनयू सहित हैदराबाद विश्वविद्यालय छात्रों, शिक्षकों, पूर्व छात्रों और प्रगतिशील संगठनों ने बाबू के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
11 Sep 2019
protest

जब से दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हनी बाबू के घर पर छापेमारी हुई है, तब से अकादमिक और कई समाजिक संगठन हनी बाबू के समर्थन में और पुलिस करवाई के खिलाफ बयान दे रहे हैं। डीयू के अंग्रेजी विभाग ने छात्रों, शिक्षकों, पूर्व छात्रों और प्रगतिशील संगठनों ने इस करवाई के खिलाफ और बाबू के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया। ये प्रदर्शन डीयू के आर्ट्स फैकल्टी पर आज यानी 11 सितम्बर को हुआ। इसके आलावा हैदराबाद विश्वविद्यालय भी आज के ही शाम 6 बजे विरोध प्रदर्शन कर रहा है। जेएनयू कैंपस में में भी शाम 6 बजे विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।

प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने कहा की "प्रो ० हनी बाबू ने दिल्ली विश्वविद्यालय में आरक्षण नीति के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और 13 सूत्रीय रोस्टर प्रणाली के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया था। जिसका उद्देश्य उच्च शैक्षणिक संस्थानों में एससी / एसटी / ओबीसी को भर्ती से बाहर करना था। यह  अम्बेडकरवादी आंदोलन को अपराधी बनाने के लिए एक स्पष्ट ब्राह्मणवादी एजेंडा है।

प्रदर्शनकारियो ने यह भी सवाल उठाया की बीते दिनों जितने भी गिरफ्तार या पुलिस के दमन का सामना करने वाले सभी कार्यकर्ता बहुत पहले से जनता की लड़ाई लड़ रहे थे। चाहे वह सुधा भारद्वाज हो या फिर हनी बाबू। हनी बाबू दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर हैं और लंबे समय से मजदूरों, मेहनतकशो, दलितों और छात्रों की लड़ाई में शामिल होते रहे है। इस तरह इन झूठे केसों से सरकार उन सभी आवाजों को दबा रही है जो सरकार का विरोध कर रहे हैं।क्या सरकार लोगो की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है।

सभी ने इसकी आलोचना की और कहा की सरकार ने नया तरीका सरकार द्वारा मजदूरों, छात्रों, आदिवासियों, दलितों के आंदोलन को आगे बढ़ाने वाले कार्यकर्ताओं के साथ अपनाया है। जेएनयू में कन्हैया कुमार, उमर खालिद आदि छात्रो के ऊपर हमला हो या मारुति के मजदूरों को आजीवन कारावास की सजा या फिर भारत बंद के दौरान दलितों पर पुलिसिया दमन। यह इस बात को दिखाता है कि सरकार झूठे केस में फंसा कर जनता की आवाज़ को दबाना चाहती है। आज यह हमला हनी बाबू पर किया जा रहा है कल यह हमला हर प्रगतिशील ताकत पर किया जाएगा।

डीयू के छात्रों ने कहा की "हम मजदूरों पर किए जा रहे दमन के खिलाफ खड़े हो। हम छात्रों के आंदोलनों पर किए जा रहे दमन के खिलाफ खड़े हों। हम हनी बाबू के साथ खड़े हों।"प्रदर्शन कर रहे सभी छात्रों ने सरकार के इस दमनकारी चरित्र का विरोध किया और समाज के सभी वर्गो से सरकार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने इस तरह से तानाशाही निर्णयों के खिलाफ सड़कों पर उतरने की अपील की।

जेएनयूटीए ने बयाना जारी करते हुए इसे प्रोफेसर को ‘‘ डराने-धमकाने और प्रताड़ित करने’’ की कोशिश बताया।जेएनयूटीए ने कहा कि उनके आवास पर तलाशी लेना ‘‘देशभर के मानवाधिकार की रक्षा करने वाले लोगों, पत्रकारों, प्रोफेसरों, लेखकों तथा कार्यकर्ताओं का मुंह बंद करने, उन्हें डराने-धमकाने के लिए वर्तमान सरकार के तानाशाही वाले प्रयासों की हैरान करने वाली घटना है।’’

उसने कहा, ‘‘ उन पर की गई छापेमारी यह बताती है कि आलोचकों को लेकर पुलिस की सनक कितनी बढ़ गई है और असहमति इस हद तक है कि पढ़ने और लिखने को भी संदिग्ध गतिविधियां माना जाने लगा है।’’

दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने बाबू के आवास पर मारे गए छापों की निंदा की है।डूटा ने एक बयान में कहा, ‘‘बगैर तलाशी वारंट के इस तरह के छापे लोकतंत्र की मूल भावना, व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खिलाफ हैं।’’डूटा ने कहा, ‘‘हम असहमति की आवाज के प्रति इस तरह से खुल्लमखुल्ला धमकाने वाले रवैये को फौरन खत्म करने की मांग करते हैं।’’

क्या है पूरा मामला ?

पुणे पुलिस ने माओवादियों से कथित संपर्क रखने को लेकर 2017 के एलगार परिषद मामले में मंगलवार को डीयू के प्रोफेसर हनी बाबू के दिल्ली से लगे नोएडा स्थित घर पर छापा मारा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

पुणे के सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) शिवाजी पवार ने कहा कि दिल्ली से लगे नोएडा के सेक्टर 78 स्थित बाबू के घर में तलाशी के दौरान कोई गिरफ्तारी नहीं की गई। बाबू (45) दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में अंग्रेजी पढ़ाते हैं।

पुणे के विश्रामबाग पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120 बी (आपराधिक साजिश रचने), 121 और 121ए(सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना या इसकी कोशिश करना), 124 ए (राजद्रोह) सहित अन्य के तहत दर्ज मामले के संबंध में बाबू के आवास पर छापे मारे गए।

वहीं, बाबू ने कहा है कि पुलिस के पास तलाशी वारंट नहीं था और उसने उनकी बेटी एवं पत्नी के फोन जब्त कर लिये तथा उन्हें मित्रों से संपर्क करने से रोक दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘अधिकारी मेरे घर में घुसे और मेरे अपार्टमेंट के हर कमरे की तलाशी ली। तलाशी छह घंटे तक चली, जिसके अंत में उन्होंने कहा कि वे लोग मेरा लैपटॉप, हार्ड डिस्क, मेरा पेन ड्राइव और पुस्तकें जब्त कर रहे हैं। उन्होंने मुझसे मेरे सोशल मीडिया अकाउंटों और ईमेल अकाउंटों का पासवर्ड बदलवाया। ’’

उनकी पत्नी जेनी रोवेना ने कहा कि छापे के बाद वे भयभीत हैं लेकिन डीयू के अध्यापकों और छात्रों ने उनके साथ एकजुटता जाहिर की है।उनकी पत्नी डीयू के मिरांडा हाऊस कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाती हैं।

जेनी ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘जब सुबह साढ़े छह (6:30) बजे वे (पुलिस) आए तब हम लोग गहरी नींद में सो रहे थे। उन्होंने हमसे कहा कि इस मामले में तलाशी वारंट की जरूरत नहीं है। उन्होंने हमें कुछ केस नंबर बताए और फिर कहा कि यह रोना विल्सन मामले से जुड़ा है।’’

जेनी ने कहा, ‘‘हमारे पास तीन कमरों में पुस्तकें रखी हुई हैं और उन्होंने पुस्तकों के वीडियो बनाये। छह घंटे बाद उन्होंने कहा कि आप अब कोरेगांव भीमा मामले में संदिग्ध हैं।’’

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘उन्होंने(पुणे पुलिस ने) कहा कि हनी बाबू कोरेगांव भीमा मामले में संलिप्त हैं और इस वजह से वे बगैर तलाशी वारंट के उनके घर की तलाशी ले सकते हैं। उन्होंने छह घंटे तक तलाशी ली, वे तीन पुस्तकें, लैपटॉप, फोन, हार्ड डिस्क ले गये।’’

नोएडा (गौतम बुद्ध नगर जिला) पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है कि उनके आवास पर सिर्फ तलाशी और संदिग्ध सामग्री जब्त करने का अभियान चलाया गया। जब्त की गई सामग्रियों का ब्योरा अभी उपलब्ध नहीं कराया गया है।

कोरेगांव भीमा युद्ध की 200वीं वर्षगांठ से पहले पुणे के ऐतिहासिक शनिवार वाड़ा में 31 दिसंबर 2017 को एलगार परिषद का आयोजन किया गया था।

पुलिस के मुताबिक इस कार्यक्रम के दौरान दिये गए भाषणों की वजह से जिले के कोरेगांव-भीमा गांव के आस-पास एक जनवरी 2018 को जातीय हिंसा भड़क गई, जिसमें एक शख्स की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। पुलिस ने इस मामले में अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया है।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

professor honey babu
elagar parishad
Delhi University
Pune Police
student teacher protest

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