NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
विश्व बैंक ने न्यूनतम वेतन और अन्य श्रम कानूनों को किया ध्वस्त
राज्य को आय और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने दें, नई फ्लैगशिप रिपोर्ट का मसौदे से मज़दूरों का शोषण करने के लिए पूँजी को मुक्त करना चाहता है।
सुबोध वर्मा
25 Apr 2018
Translated by महेश कुमार
World bank

विश्व बैंक की फ्लैगशिप वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट (डब्लूडीआर) जिसे हाल ही में जारी किय गया है के 'वर्किंग ड्राफ्ट' में इस साल स्पष्ट रूप कहा है कि विश्व पूँजीवादी वर्ग क्या सोच रहा है - या वह श्रम के बारे में उसे क्या सोचना चाहिए। एक नए सामाजिक अनुबंध का आह्वान करते हुए  मसौदा कहता है कि राज्य द्वारा आय और सामाजिक बीमा प्रदान किया जा सकता है लेकिन उद्योगपति को इससे मुक्त किया जाना चाहिएI साथ ही, न्यूनतम मज़दूरी, दीर्घकालिक नौकरी सुरक्षा, नौकरी पर अचानक रखने और निकालने की प्रक्रिया से सुरक्षा जैसी 'पुरानी' अवधारणाओं को त्यागने की अनुमति दी जानी चाहिए और  'औपनिवेशिक युग' के श्रम कानूनों को दरकिनार कर देना चाहिए  और उत्पादकता से मज़दूरी को जोड़ना  चाहिए। यह सारे सुझाव अध्याय छः में एक उप-अध्याय 'मज़दूर की सुरक्षा' में उल्लेखित किया गया हैं।

इनके द्वारा प्रौद्योगिकी संचालित और लचीली काम आधारित नई अर्थव्यवस्था के आधार पर इसे सार्वभौमिक मूल आय (यूबीआई) और सामाजिक बीमा (सामाजिक सुरक्षा नहीं) के कुछ स्वरूपों से बदला जाएगा। एक महत्वपूर्ण कारक जो इस प्रणाली को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करेगा वह है विस्तृत डेटा बेस, इलेक्ट्रॉनिक कैश ट्रांसफर से लक्षित आबादी की पहचान करने के लिए उपयोग किया जाएगा।

क्या आप डेजा वू का आभास कर रहे हैं? क्या हम भारतीयों ने इन चीजों के बारे में पहले नहीं सुना है? हाँ, हमने सुना है। इनमें से कुछ कारक पिछली कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार द्वारा शुरू किए गए थे, अन्य उपायों को वर्तमान मोदी सरकार द्वारा ऊर्जावान तरीके से शुरू किया गया है।

आधार इलेक्ट्रॉनिक नकद हस्तांतरण से जुड़े लोगों का एक विशाल डेटाबेस है। यह यूपीए सरकार की दिमागी उपज थी जिसे मोदी सरकार ने विस्तारित किया है। यूपीए ने श्रम कानून सुधारों को चलाया लेकिन फिर मोदी सरकार नयी श्रम संहिता (अभी भी अनुमोदन के लिए लंबित है) के साथ आईI तय अवधि के रोजगार जिसमें उद्योगपति को मनमुताबिक नौकरी पर रखने और निकालने के हथियार पहले से ही मौजूद थे और इसमें बीमा आधारित प्रणालियों और सामाजिक सुरक्षा लाभों को भी दरकिनार कर दिया गया। मोदी की पार्टी द्वारा संचालित राज्य सरकारें (राजस्थान, महाराष्ट्र, झारखंड) श्रमिकों को काम से बाहर करने के लिए कई श्रम कानूनों में संशोधन कर चुके हैं।

यद्यपि भारत अभी भी आधिकारिक तौर पर न्यूनतम मज़दूरी की अवधारणा को मानता है - और इसके पास इन कानूनों को समर्थन करने के लिए कानून हैं - व्यावहारिक रूप से, यह सब छोड़ दिया गया है। ट्रेड यूनियनें न्यूनतम मज़दूरी को 18,000 की माँग के लिए वर्षों से संघर्ष कर रही है लेकिन सरकार इस पर कोई तवज्जो नहीं दे रही। बात करने के लिए भी तैयार नहीं है। न्यूनतम मज़दूरी और अन्य कानूनों को लागू करने के लिए मशीनरी को उद्योगपति की दया पर छोड़ दिया गया है और देश भर में मज़दूरी निर्धारण भी उन्हीं पर छोड़ दिया गया है। कामकाजी घंटों और अन्य सेवा की स्थिति भी अभ्यास में किसी भी कानून द्वारा शासित नहीं होती है  हालांकि ऐसे कानून कागज़ी तौर पर मौजूद हैं।

तो असल बात यह है: विश्व बैंक सरकारों को झुका रहा है। पूरी दुनिया के, खासकर विकासशील देशों से, इस दिशा में आगे बढ़ने और अनुभवों के आधार तय करने के लिए कहता है – इसे मसौदे की रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर भारत और भारत जैसे देशों के लिए और अन्य लोगों के विचारों को मान्य करने के लिए उद्धृत किया गया है। इसका दूसरा पक्ष यह है कि श्रम और वित्त मंत्रालयों में मोदी के सलाहकार वाशिंगटन से इस नए दिशानिर्देशों का दिल से स्वागत करेंगे और उन्हें अपनी नीतियों को न्यायसंगत बनाने के लिए इस्तेमाल करेंगे।

विश्व बैंक की मसौदा रिपोर्ट से पता चलता है कि राज्य सभी व्यक्तियों को सार्वभौमिक मूल आय प्रदान करने के बारे में सोच सकता है, या अधिमानतः एक पतला मोड के साथ ताकि गरीब को ज्यादा और अमीर को कम (या कोई भी) न हो। इस संकेत के लिए वह विचित्र डेटा देता है कि इस तरह के प्रावधान देश के सकल घरेलू उत्पाद के 2-14 प्रतिशत  के बीच किसी भी चीज की लागत को लागू कर सकता है। यह यूआईबी कौन देगा? जाहिर है, राज्य, अपने कर से देंगे।

इसलिए, जबकि राज्य लोगों को आमदनी देता है, और सामाजिक बीमा (शायद गरीबों के लिए सब्सिडी) प्रदान करता है, श्रम कानूनों से लाभ पाने के लिए लोगों की आवश्यकता कम हो जाती है, रिपोर्ट का तर्क है। यूआईबी होने पर न्यूनतम वेतन क्यों होगा? सोशल इंश्योरेंस होने पर नौकरी की सुरक्षा क्यों चाहिए?

ध्यान दें कि यूआईबी और सामाजिक बीमा की वित्तीय देयता राज्य द्वारा पैदा की जाएगी जबकि श्रम संरक्षण कानूनों को नष्ट करने का लाभ पूँजीवादी वर्ग को जाएगा। संक्षेप में यह नव उदारवाद का नया सूत्र है जिसे विश्व बैंक ला रहा है।

अंतिम रिपोर्ट इस शरद ऋतु में बाहर आ जाएगी। इस बीच, पूँजीपति और सरकारें दुनिया भर में इस स्वादिष्ट मनगढ़ंत कहानी को चबाने/पचाने का अपना पसंदीदा शेफ का मज़ा उठा सकती है जिसे विश्व बैंक द्वारा परोसा गया है।

World Bank
Modi government
GDP

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

आख़िर फ़ायदे में चल रही कंपनियां भी क्यों बेचना चाहती है सरकार?

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

'KG से लेकर PG तक फ़्री पढ़ाई' : विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं की सभा में उठी मांग

मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?

कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक


बाकी खबरें

  • असद रिज़वी
    CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा
    06 May 2022
    न्यूज़क्लिक ने यूपी सरकार का नोटिस पाने वाले आंदोलनकारियों में से सदफ़ जाफ़र और दीपक मिश्रा उर्फ़ दीपक कबीर से बात की है।
  • नीलाम्बरन ए
    तमिलनाडु: छोटे बागानों के श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है
    06 May 2022
    रबर के गिरते दामों, केंद्र सरकार की श्रम एवं निर्यात नीतियों के चलते छोटे रबर बागानों में श्रमिक सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं।
  • दमयन्ती धर
    गुजरात: मेहसाणा कोर्ट ने विधायक जिग्नेश मेवानी और 11 अन्य लोगों को 2017 में ग़ैर-क़ानूनी सभा करने का दोषी ठहराया
    06 May 2022
    इस मामले में वह रैली शामिल है, जिसे ऊना में सरवैया परिवार के दलितों की सरेआम पिटाई की घटना के एक साल पूरा होने के मौक़े पर 2017 में बुलायी गयी थी।
  • लाल बहादुर सिंह
    यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती
    06 May 2022
    नज़रिया: ऐसा लगता है इस दौर की रणनीति के अनुरूप काम का नया बंटवारा है- नॉन-स्टेट एक्टर्स अपने नफ़रती अभियान में लगे रहेंगे, दूसरी ओर प्रशासन उन्हें एक सीमा से आगे नहीं जाने देगा ताकि योगी जी के '…
  • भाषा
    दिल्ली: केंद्र प्रशासनिक सेवा विवाद : न्यायालय ने मामला पांच सदस्यीय पीठ को सौंपा
    06 May 2022
    केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच इस बात को लेकर विवाद है कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाएं किसके नियंत्रण में रहेंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License