NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में फिलिस्तीन पर हुई गंभीर बहस
उस मसौदे को मंज़ूरी मिल गयी जिसमें WHO को फिलिस्तीन में स्वस्थ्य सेवाएं जारी रखने को कहा गया था इसमें 90 वोट समर्थन में मिले और 6 देशों ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया I
द डॉन न्यूज़
28 May 2018
Translated by ऋतांश आज़ाद
WHA

21 से 26 मई को जनेवा में हुई 71वीं World Health Assembly (WHA) में डायरेक्ट जनरल की फिलिस्तीनी क्षेत्र और कब्ज़ा किये गए सीरियन गोलन में स्वास्थ्य के हालात की रिपोर्ट पर बातचीत हुई I इसमें 28 देशों द्वारा एक निर्णय का मसौदा भी पेश किया गया जिसमें World Health Organization’s (WHO) के सचिव से कहा गया कि उसे फिलिस्तीन को स्वास्थ्य सम्बन्धी सुविधाएँ पहुँचाते रहनी चाहिएI ये रिपोर्ट WHO और फिलिस्तीनी के स्वास्थ्य अधिकारीयों द्वारा ज़मीनी जाँच के बाद बनायी गयी है और इसका मकसद फिलिस्तीन की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाना है I

WHA की बातचीत में एक बार फिर इज़रायल का फिलीस्तीन पर कब्ज़े का सवाल उठाI विभिन्न देशों ने इज़रायल द्वारा गाज़ा पट्टी पर हमले और कब्ज़ा किये हुए इलाके में दमन की निंदा कीI

इस अवसर पर काफी सारे देशों ने फिलिस्तीन पर कब्ज़े से वहाँ के लोगों के स्वास्थ्य पर पड़े प्रभावों के बारे में अपनी चिंता जताईI बोलीविया, क्यूबा, ईरान, दक्षिण अफ्रीका और बाकि देशों ने इस बात को रेखांकित किया कि इज़रायल की सेना का फिलिस्तीन में दमन न सिर्फ स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत ख़राब कर रहा है बल्कि आम लोगों की मानसिक स्थिति पर भी बुरा असर डाल रहा हैI इसके साथ ही उन्होंने इज़रायल की सेना द्वारा 60 निरस्त्र नागरिकों के क़त्ल की भी निंदा की जो कि PHM’s के बयान से साफ़ है I

विभिन्न देशों से आये प्रतिनिधियों ने कहा कि हिंसा की छाप बच्चों और महिलाओं को जेल में डाले जाने की घटनाओं में भी देखी जा सकती हैI फिलिस्तीनी प्रतिनिधियों ने इस बात का उदहारण देते हुए एक 3 साल की बच्ची को सेना द्वारा गिरफ्तार किये जाने की घटना के बारे में बताया और कहा कि इससे उसकी मानसिक स्तिथी पर बहुत ख़राब असर पड़ा I ये उदहारण इस आँकड़े को और स्थापित करता है कि गाज़ा पट्टी पर 300000 बच्चों को मनोवैज्ञानिक समर्थन की ज़रुरत है I

इसके आलावा मरीज़ों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की आवाजाही और सुरक्षा के बारे में भी चिंता जताई गयीI प्रतिनिधियों ने बताया कि जाँच के चौक और नाकों की वजह से मरीज़ों की  स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचने में तकलीफ होती है क्योंकि उन्हें अक्सर लम्बे रास्तों से जाने के लिए कहा जाता है और उन्हें दस्तावेजों की जाँच के लिए रोका जाता है I गाज़ा पट्टी पर रहने वाले मरीजों को इज़रायल में इलाज के लिए जाना होता है जिसके लिए उन्हें सुरक्षा जाँच से गुज़ारना पड़ता है, 12% लोगों को इज़रायल जाने नहीं दिया जाता I रिपोर्ट के अनुसार इसी साल “WHO के रेकॉर्डों में पाया कि गाज़ा पट्टी पर इज़रायल जाने के लिए सुरक्षा जाँच के दौरान 54 मरीज़ इज़रायली अधिकारीयों की मंज़ूरी के इंतज़ार में ही मर गएI इसमें से तीन मौतें 18 से कम उम्र के बच्चों की थीं I” समर्थन करने वाले देशों के अनुसार इस तरह की रोक मानवाधिकार नियमों को उल्लंघन है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिएI

फिलिस्तीन के मुद्दे का ज़्यादातर प्रतिनिधि समर्थन कर रहे थे तभी अमरीका ने WHO के काम को राजनीतिक रंग दिए जाने का आरोप लगायाI ये तब हुआ तब हुआ जब फिलिस्तीन में स्वास्थ्य के बारे में बातचीत हो रही थी I अमरीका के बयान की तरह ही इज़राइल के प्रतिनिधि ने भी गाज़ा में स्वास्थ्य की आपातकालीन स्थिति की रिपोर्ट को एकतरफा बताया I अमरीका ने प्रतिनिधियों पर आरोप लगाया कि उन्होंने सीरिया के नागरिकों पर हमले को नज़रअंदाज़ किया इसीलिए वह दोगले हैं I अमरीका ने WHA को याद दिलाया कि वह फिलिस्तीन को सबसे ज़्यादा अनुदान देते है और देशों के प्रतिनिधियों को प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने को कहा I दिलचस्प बात ये है कि अमरीका के आलावा यूरोप और उत्तरी अमरीका के लोगों ने यहाँ कुछ नहीं बोला जबकि वह हमेशा इस चर्चाओं में भाग लेते हैं I

अमरीका ने मसौदे के निर्णय पर  सार्वजनिक वोट का आह्वान किया I इस वजह से चीज़े बदली और ज़्यादातर देशों ने या तो मतदान नहीं किया या सभा को छोड़कर चले गए I

इसके बावजूद मसौदे को मंज़ूरी मिल गयी इसमें 90 वोट समर्थन में मिले और 6 इसके खिलाफ, खिलाफ वोट करने वाले देश थे ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ग्वांतेमाला, इज़राइल, यूके और यूएसएI 68 देश जिन्होंने इस मसौदे पर वोट ही नहीं लिया में भारत की स्थिति दिलचस्प हैI भारत हमेशा से ही संयुक्त राष्ट्र की बैठकों में और WHO में भी फिलिस्तीन का समर्थक रहा हैI ऐतिहासिक तौर पर और 2016 के पहले तक भारत फिलिस्तीन के समर्थन में मतदान करता थाI 2017 में पहली बार ये हुआ कि भारत ने फिलिस्तीन पर एक मसौदे पर वोट नहीं कियाI साफ़ है कि ये भारत के इज़राइल के साथ बढ़ते आर्थिक और रणनीतिक संबंधों की वजह से किया जा रहा हैI

इस पूरी बातचीत का नतीजा ये निकला कि WHO फिलिस्तीन में कब्ज़ा की हुई ज़मीन पर स्वास्थ्य सेवाओं में मदद करता रहेगा और उन्हें मज़बूत भी करेगा I लेकिन वोट करने के तरीकों से ये भी साफ़ होता है कि बहुत से देश अभी भी फिलिस्तीन की समस्या पर गौर नहीं करना चाहते I

फिलिस्तीन
इसरायल
अमरीका
संयुक्त राष्ट्र
WHO

Related Stories

कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक

WHO की कोविड-19 मृत्यु दर पर भारत की आपत्तियां, कितनी तार्किक हैं? 

दो टूक: ओमिक्रॉन का ख़तरा लेकिन प्रधानमंत्री रैलियों में व्यस्त

डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर मानवीय संकटों की अलोकप्रियता को चुनौती

बच्चों में डिप्रेशन की बात हलके में मत लीजिए!

टीका रंगभेद के बाद अब टीका नवउपनिवेशवाद?

संपत्ति अधिकार और महामारी से मौतें

बैठे-ठाले: कोविड-19 के नए वेरिएंट के डेल्टा नाम से ग्रेटर नोएडा वालों को आपत्ति हो सकती है!

कोविड-19 के भारत में पाए गए दो स्वरूप के नए नाम होंगे ‘डेल्टा’ और ‘कप्पा’

फैक्ट चेकः भाजपा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के कोरोना की दूसरी लहर के बारे में दावों की सच्चाई


बाकी खबरें

  • अजय कुमार
    शहरों की बसावट पर सोचेंगे तो बुल्डोज़र सरकार की लोककल्याण विरोधी मंशा पर चलाने का मन करेगा!
    25 Apr 2022
    दिल्ली में 1797 अवैध कॉलोनियां हैं। इसमें सैनिक फार्म, छतरपुर, वसंत कुंज, सैदुलाजब जैसे 69 ऐसे इलाके भी हैं, जो अवैध हैं, जहां अच्छी खासी रसूखदार और अमीर लोगों की आबादी रहती है। क्या सरकार इन पर…
  • रश्मि सहगल
    RTI क़ानून, हिंदू-राष्ट्र और मनरेगा पर क्या कहती हैं अरुणा रॉय? 
    25 Apr 2022
    “मौजूदा सरकार संसद के ज़रिये ज़बरदस्त संशोधन करते हुए RTI क़ानून पर सीधा हमला करने में सफल रही है। इससे यह क़ानून कमज़ोर हुआ है।”
  • मुकुंद झा
    जहांगीरपुरी: दोनों समुदायों ने निकाली तिरंगा यात्रा, दिया शांति और सौहार्द का संदेश!
    25 Apr 2022
    “आज हम यही विश्वास पुनः दिलाने निकले हैं कि हम फिर से ईद और नवरात्रे, दीवाली, होली और मोहर्रम एक साथ मनाएंगे।"
  • रवि शंकर दुबे
    कांग्रेस और प्रशांत किशोर... क्या सोचते हैं राजनीति के जानकार?
    25 Apr 2022
    कांग्रेस को उसकी पुरानी पहचान दिलाने के लिए प्रशांत किशोर को पार्टी में कोई पद दिया जा सकता है। इसको लेकर एक्सपर्ट्स क्या सोचते हैं।
  • विजय विनीत
    ब्लैक राइस की खेती से तबाह चंदौली के किसानों के ज़ख़्म पर बार-बार क्यों नमक छिड़क रहे मोदी?
    25 Apr 2022
    "चंदौली के किसान डबल इंजन की सरकार के "वोकल फॉर लोकल" के नारे में फंसकर बर्बाद हो गए। अब तो यही लगता है कि हमारे पीएम सिर्फ झूठ बोलते हैं। हम बर्बाद हो चुके हैं और वो दुनिया भर में हमारी खुशहाली का…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License