NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
सोशल मीडिया
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
कोरोना वायरस : राजस्थान के कोटा में घरों के अंदर थूकने वाली घटना को ग़लत सांप्रदायिक रंग दिया गया
इस तरह घटना को पहले तो मीडिया ने सनसनी के तौर पर पेश किया. जिसके बाद इसे सांप्रदायिक एंगल से सोशल मीडिया पर शेयर किया गया
प्रियंका झा
16 Apr 2020
fact check

13 अप्रैल को कई मीडिया आउटलेट्स ने ये ख़बर दी कि राजस्थान के कोटा में कुछ मकानों के सामने महिलाओं के थूकने कि घटना CCTV में कैद हुई है. मीडिया ने इसे ‘थूक वाली साजिश’ बताते हुए रिपोर्ट किया. बता दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने सावर्जनिक जगहों पर थूकने और खुले में शौच जाने पर पूर्ण रूप से पाबन्दी लगाई हुई है.

twit 3.JPG

इसके बाद मीडिया रिपोर्ट्स का वीडियो कुछ प्रॉमिनेंट सोशल मीडिया यूज़र्स अपना प्रोपेगंडा चलाने के लिए इस्तेमाल करने लगे. और एक तरह से मुस्लिम समुदाय को टार्गेट करते हुए इसे शेयर किया जाने लगा. दीपक शर्मा नाम के यूज़र ने ABP न्यूज़ का वीडियो ट्वीट किया. शर्मा को भाजपा सांसद तेजिंदर पाल सिंह बग्गा फॉलो करते हैं. उन्होंने लिखा, “#थूकलमानो का नया कारनामा सुनो पॉलिथीन में थूककर लोगों के घरों में फेंक रही बुरकेवालियाँ हद है जाहिलों – क्या ये सब देखकर तुम लोगों का ज़मीर न थूकता तुमपर कि कैसे थुकैले मज़हब में जन्म हो गया तुम्हारा” (ट्वीट का आर्काइव)

twit 2_1.JPG

काजल सुधीर मिश्रा नाम के यूज़र ने भी यही दावा किया. इन्हें तेजिंदर बग्गा सहित निर्मला सीतारमन का कार्यालय भी फ़ॉलो करता है. (ट्वीट का आर्काइव) अंकुर सिंह ने भी ‘ABP न्यूज़’ की रिपोर्ट ट्वीट की और लिखा, “राजस्थान के कोटा में लोगों के घरों में थूक फेंकने के लिए महिलाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है. कौन करवा रहा है ऐसा उनसे?”

twit 1_0.JPG

रिधिमा पांडे नाम की यूज़र ने लिखा, “यह सबूत है इस बात का कि भारत में कोरोना अपने आप नहीं आया है जान बुझ कर लाया गया है और इसको फैलाने की कोशिश लगातार जारी है और देश विरोधी ताकतें इन लोगों के पीछे खड़ी हैं.”

फ़ैक्ट-चेक

15 अप्रैल को ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया‘ की रिपोर्ट के मुताबिक गुमानपुर पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले वल्लभवाडी, कोटा से पुलिस ने 5 महिलाओं को इस मामले में गिरफ़्तार कर लिया है. उन्होंने ये कुबूल कर लिया है कि उन्होंने थूका था लेकिन कोरोना वायरस फ़ैलाने के मकसद से नहीं. उन्होंने कहा कि वो भीख मांगने उधर गयी थीं, भीख न मिलने पर उन्होंने थूका. रिपोर्ट के मुताबिक ये बावड़ी जाति की महिलाएं है. रिपोर्ट में इन सभी का नाम भी दिया गया है.

times-of-india-rajasthan.png

‘टीवी 9 भारतवर्ष’ ने इस मामले पर एसपी गौरव यादव के बयान का वीडियो रिपोर्ट किया है. जिसमें एसपी को ये कहते हुए सुना जा सकता है, “24 घंटे के अंदर हमने ये ट्रेस कर लिया कि ये लोग कौन हैं और ट्रेस करने के पश्चात उनको राउंड-अप करने की भी कार्रवाई कर ली है. ये कुनहाडी क्षेत्र की रहने वाली महिलाएं हैं बावड़ी जाति की जो उस एरिया में भीख मांगने गयी थी. भीख नहीं मिलने पर इस तरह से थूकने की घटना उन्होंने की है. किसी भी तरह से अभी तक इसका कोरोना वायरस से कोई लिंक नहीं पाया गया है. रीज़न इसका सिम्पल है कि उस एरिया में अभी तक कोई कोरोना पॉज़िटिव नहीं है और जो कोरोना पॉज़िटिव एरिया है उससे काफी दूर की घटना है ये.”

video 2.JPG

स्थानीय समाचार चैनल ‘कोटा न्यूज़’ ने 13 अप्रैल को इस मामले में वीडियो रिपोर्ट की थी. जिसमें गुमानपूरा कोटा के थानाधिकारी मनोज सिंह सीकरवार ने इन सभी महिलाओं के नाम बताते हुए कहा, 5 महिलाओं को गिरफ़्तार किया है जो सभी कुनहरी की रहने वाली बावड़ी जाति की महिलाएं हैं. इनमें श्रीमती माला, श्रीमती अनारिया, श्रीमती  दुलारी, श्रीमाती आशा और श्रीमती चंद्रा हैं. ये महिलाएं भीख मांगने का कार्य करती हैं और जहां से भीख नहीं मिलती वहां पर गंदगी वैगरह फेंक कर चली जाती हैं. जांच से ये पाया गया है कि ये कोरोना संक्रमण फ़ैलाने की घटना नहीं है.

video 1.JPG

इस तरह घटना को पहले तो मीडिया ने सनसनी के तौर पर पेश किया. जिसके बाद इसे सांप्रदायिक एंगल से सोशल मीडिया पर शेयर किया

मूल आलेख को आप दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं

साभार - ऑल्टन्यूज़ 

fact check
Coronavirus
COVID-19
Communalism
Communal Hate
Religion Politics
viral video
Media
Indian media
Politics of Hate

Related Stories

मृतक को अपमानित करने वालों का गिरोह!

सांप्रदायिक घटनाओं में हालिया उछाल के पीछे कौन?

पड़ताल: क्या टिकैत वाकई मीडिया को धमकी दे रहे हैं!

छत्तीसगढ़ की वीडियो की सच्चाई और पितृसत्ता की अश्लील हंसी

जिसे कांग्रेस की ‘COVID टूलकिट’ बताया जा रहा है, वो जाली लेटरहेड पर बनाया गया डॉक्युमेंट है

महामारी की दूसरी लहर राष्ट्रीय संकट, इंटरनेट पर मदद मांगने पर रोक न लगाई जाए : उच्चतम न्यायालय

कपूर, लौंग, अजवाइन और नीलगिरी तेल ऑक्सीजन लेवल नहीं बढ़ाते, केन्द्रीय मंत्री ने शेयर किया ग़लत दावा

झांसी: बीजेपी नेताओं का पुलिस पर हमला!, विपक्ष ने योगी सरकार पर उठाए सवाल

भाजपा आइटी सेल हेड अमित मालवीय के ट्वीट को ट्विटर ने लेबल दिया ‘मैनिपुलेटिड मीडिया’

तो क्या अब पूरा समाज खुली जेलों में बदल डाला जाएगा?


बाकी खबरें

  • मनोलो डी लॉस सैंटॉस
    क्यूबाई गुटनिरपेक्षता: शांति और समाजवाद की विदेश नीति
    03 Jun 2022
    क्यूबा में ‘गुट-निरपेक्षता’ का अर्थ कभी भी तटस्थता का नहीं रहा है और हमेशा से इसका आशय मानवता को विभाजित करने की कुचेष्टाओं के विरोध में खड़े होने को माना गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
    03 Jun 2022
    जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है।
  • सोनिया यादव
    भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल
    03 Jun 2022
    दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट भारत के संदर्भ में चिंताजनक है। इसमें देश में हाल के दिनों में त्रिपुरा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के साथ हुई…
  • बी. सिवरामन
    भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति
    03 Jun 2022
    गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक ने अटकलों को जन्म दिया है कि चावल के निर्यात पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।
  • अनीस ज़रगर
    कश्मीर: एक और लक्षित हत्या से बढ़ा पलायन, बदतर हुई स्थिति
    03 Jun 2022
    मई के बाद से कश्मीरी पंडितों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास के लिए  प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत घाटी में काम करने वाले कम से कम 165 कर्मचारी अपने परिवारों के साथ जा चुके हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License