NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विज्ञान
अंतरराष्ट्रीय
लॉन्चिंग के 40 साल बाद वॉयेजर-2 ने सौरमंडल को पार किया
सौरमंडल के पार जाकर भी नासा का यह स्पेसक्रॉफ्ट सिग्नल भेज रहा है। इन्हें पृथ्वी तक आने में घंटे से ज्यादा का समय लग रहा है।
संदीपन तालुकदार
07 Nov 2019
Voyager 2 Enters Interstellar Space
Image Courtesy: NASA website

लॉन्चिंग के 40 साल बाद वॉयेजर-2, अंतरताराकीय अंतरिक्ष (इंटरस्टेलर स्पेस) में पहुंच चुका है। वॉयेजर 1 और 2  मानव रहित स्पेसक्राफ्ट है जिसे नासा द्वारा 1977 में छोड़ा गया था। इंटरस्टेलर स्पेस में पहुँचने का  मतलब है कि यह स्पेसक्रॉफ्ट हमारे सौरमंडल के परे जा चुका है। सबसे लंबे वक्त से चल रहे इस स्पेस मिशन ने सुदूर अंतरिक्ष से एक कमजोर सा सिग्नल भेजा था। इसे वैज्ञानिकों ने डिकोड कर लिया है।

वॉयेजर-2 नासा का दूसरा स्पेस मिशन है, जो हमारे सौरमंडल से आगे जाने में कामयाब रहा है। इससे पहले वॉयेजर-1 करीब 6 साल पहले सौरमंडल के उस पार चला गया था। वॉयेजर-1 और वॉयेजर-2, दोनों को साल 1977 में लॉन्च किया गया था। बल्कि वॉयेगर-2 को वॉयेगर-1 से एक महीने पहले लॉन्च किया गया था। इसने एक शानदार रास्ता तय किया और यूरेनस, नेपच्यून की बेहद करीबी तस्वीरें भेजीं। दोनों ग्रहों की हमारे पास इन ग्रहों की करीबी तस्वीरों के नाम पर केवल यही तस्वीरें मौजूद हैं।

अब वॉयेगर-2 ने हमारे सौरमंडल सीमारेखा की कुछ विस्तृत तस्वीरें भेजी हैं। नासा के वैज्ञानिक मिशन की यात्रा शुरू होने के वक्त इस बात को लेकर चिंतित थे कि क्या यह सौरमंडल की सीमा को पार कर पाने जैसा अहम काम कर पाएगा। 1977 में मिशन के लॉन्च से इस पर काम कर रहे कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर एड स्टोन के मुताबिक़, ''हमें नहीं पता था कि सौरमंडल का बबल यानी 'बुलबुला' कितना बड़ा था। हम यह भी नहीं जानते थे कि क्या स्पेसक्रॉफ्ट इसके अंत तक पहुंचते-पहुंचते बच पाएगा और अंतरताराकीय अंतरिक्ष में प्रवेश ले पाएगा।'

दोनों स्पेसक्रफ्ट 'हेलियोस्फीयर' के पार जाने में कामयाब रहे। 'हेलियोस्फीयर'  सौरमंडल के अंतिम सिरा पर मौजूद है। जहाँ तक सूर्य से निकलने वाले सुपरसोनिक कण पहुँचते हैं। सुपरसोनिक कण मतलब सूर्य से निकलने वाले वे कण जिनकी गति ध्वनि की गति से भी तेज होती है।  'हेलियोस्फीयर' अपने आप में अनोखा है और इसकी विशेषताओं के बारे में पहली बार वॉयेगर-1 ने बताया था। यह वह क्षेत्र है जहां सूर्य से आने वाले आवेशित कण , सौरमंडल के सिरे पर मौजूद उन हवाओं से टकराते हैं जो ठंडी होती है।

इन ठंडी हवाओं को अंतरतारकीय हवा कहते है। यह हवा लाखों साल पहले हुए किसी तारे के ब्लासट से निकलती है। तकनीकि तरीके से कहा जाए तो यह हवा सुपरनोवा विस्फोट से निकलती है।  पहले यह माना जाता था  कि सौर हवाएं दूरी के साथ नष्ट हो जाती होंगी। लेकिन वॉयेगर-1 से आई जानकारी ने इस मान्यता का खंडन कर दिया है। इस जानकारी से पुष्टि हुई कि हेलिस्फीयर एक ऐसी सीमा है, जहां एकदम से तापमान गिर जाता है और  प्लाज़्मा के नाम से मशहूर आवेशित कणों की सघनता बढ़ जाती है।

वॉयेगर-2 ने हेलियोस्फीयर की सीमाओं के बारे में नई जानकारियां दी हैं। नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित हुए पांच पेपरों के मुताबिक़, वॉयेगर-2 का जिस हेलियास्फीयर की सीमा से पाला पड़ा, वह वॉयेगर-1 द्वारा पार की गई बुलबुनुमा सीमा से ज्यादा सतही और पतली सीमा थी। दूसरी डेटाशीट से हेलियोस्फीयर के आकार के बारे में भी जानकारी मिली और पता चला कि इसकी नोक ''ब्लंट बुलेट'' यानी भोथरी गोली जैसी चौड़ी है।

वॉयेगर-2, हेलियोस्फीयर के पार जाकर भी सिग्नल भेज रहा है, जिन्हें पृथ्वी तक आने में 16 घंटे से ज़्यादा का समय लग रहा है। दोनों वॉयेजर को स्पेसक्राफ्ट में राखी प्लूटोनियम के भंडार से ऊर्जा मिलती है। जो तेजी से कम हो रही है। 2020 के मध्य तक आते-आते उनकी ऊर्जा ''आवश्यक ऊर्जा स्तर'' से बेहद कम हो जाएगी। ऊर्जा के खात्मे के बाद भी वे उस दिशा में बढ़ते रहेंगे, जिसमें उन्हें दिशा दी गई है।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आपने नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Voyager 2 Enters Interstellar Space 40 Years After Launch

Voyager 2
Voyager 1
Heliosphere
Space Craft Went Beyond the Solar System

Related Stories


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    वाम दलों का महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ कल से 31 मई तक देशव्यापी आंदोलन का आह्वान
    24 May 2022
    वामदलों ने आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों और बेरज़गारी के विरोध में 25 मई यानी कल से 31 मई तक राष्ट्रव्यापी आंदोलन का आह्वान किया है।
  • सबरंग इंडिया
    UN में भारत: देश में 30 करोड़ लोग आजीविका के लिए जंगलों पर निर्भर, सरकार उनके अधिकारों की रक्षा को प्रतिबद्ध
    24 May 2022
    संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत ने दावा किया है कि देश में 10 करोड़ से ज्यादा आदिवासी और दूसरे समुदायों के मिलाकर कुल क़रीब 30 करोड़ लोग किसी ना किसी तरह से भोजन, जीविका और आय के लिए जंगलों पर आश्रित…
  • प्रबीर पुरकायस्थ
    कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक
    24 May 2022
    भारत की साख के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के 194 सदस्य देशों में अकेला ऐसा देश है, जिसने इस विश्व संगठन की रिपोर्ट को ठुकराया है।
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी मस्जिद की परछाई देश की राजनीति पर लगातार रहेगी?
    23 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ज्ञानवापी मस्जिद और उससे जुड़े मुगल साम्राज्य के छठे सम्राट औरंगज़ेब के इतिहास पर चर्चा कर रहे हैं|
  • सोनिया यादव
    तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?
    23 May 2022
    पुलिस पर एनकाउंटर के बहाने अक्सर मानवाधिकार-आरटीआई कार्यकर्ताओं को मारने के आरोप लगते रहे हैं। एनकाउंटर के विरोध करने वालों का तर्क है कि जो भी सत्ता या प्रशासन की विचारधारा से मेल नहीं खाता, उन्हें…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License