NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
पश्चिम बंगाल चुनाव: मिलिए वाम मोर्चा उम्मीदवारों के कुछ युवा चेहरों से
पहले दो चरणों के लिए घोषित लेफ्ट फ्रंट की सूची में ऐसे कई एसएफआई और डीवाईएफआई के नेताओं को उम्मीदवार के तौर पर शामिल किया गया है, जिन्होंने कई संघर्षों की अगुवाई करने का काम किया है।
संदीप चक्रवर्ती
15 Mar 2021
पश्चिम बंगाल चुनाव: मिलिए वाम मोर्चा उम्मीदवारों के कुछ युवा चेहरों से

कोलकाता: हाल ही में नौकरियों की माँग करते हुए कोलकाता में आयोजित युवा मार्च के दौरान लाठी-चार्ज का सामना करने से लेकर जनवरी 2020 में दिल्ली के जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में आरएसएस-समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों द्वारा बर्बर हमलों का सामना करते हुए - डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (डीवाईएफआई) और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (एसएफआई) के सदस्य विभिन्न संघर्षों के दौरान सबसे अग्रिम पंक्ति में रहे हैं।

इनमें से कुछ युवा नेता, जिनमें से कई महिलाएं हैं, अब आगामी पश्चिम बंगाल चुनावों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के उम्मीदवारों के बतौर मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश कर रहे हैं। इनमें से कई अन्य के साथ आईशी घोष, दिप्शिता धर, सृजन भट्टाचार्य, देब्जोती दास, मीनाक्षी मुखर्जी, प्रतिकुर रहमान, सतरूप घोष शामिल हैं, जो संजुक्त मोर्चा (लेफ्ट फ्रंट-कांग्रेस-इंडियन सेक्युलर फ्रंट) के  समर्थित उम्मीदवारों के बतौर चुनाव लड़ रहे हैं।

राज्य में आठ-चरण में होने जा रहे मतदान के पहले दो चरणों में वाम मोर्चे ने जिन युवा चेहरों को आगे किया है, उनमें से कुछ का परिचय यहाँ दिया जा रहा है।

सृजन भट्टाचार्य 

एसएफआई की पश्चिम बंगाल कमेटी के राज्य सचिव सृजन भट्टाचार्य (28), सिंगुर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। मूल रूप से सिलचर के रहने वाले सृजन खुद का परिचय, एबोंग कोयेकजोन नामक म्यूजिक बैंड में एक गीतकार और कीबोर्ड प्लेयर के तौर पर पेश करते हैं। अतीत में इस युवा नेता ने सिंगुर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। पूर्व में टाटा नैनो कार फैक्ट्री के लिए निर्धारित भूमि के विशाल क्षेत्र के टुकड़े को अब उद्योग के साथ-साथ कृषि के लिए भी बंजर भूमि के तौर पर देखा जाता है।

एक सोशल मीडिया पोस्ट में सृजन ने अपने आदर्श-वाक्य को “कृषि आमादेर भित्ति, शिल्पो आमादेर भोबिस्योत (खेती-बाड़ी हमारी बुनियाद है, जबकि उद्योग हमारा भविष्य है) के तौर पर रेखांकित किया है। 

शतरूप घोष 

एसएफआई के पूर्व संयुक्त सचिव, 35 वर्षीय शतरूप घोष, क़स्बा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं। उन्होंने अपनी स्कूली पढाई-लिखाई साउथ पॉइंट से पूरी की और अर्थशास्त्र से स्नातक की पढ़ाई कोलकाता में आशुतोष कॉलेज से की है। वे तीसरी बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं और 2011 चुनावों में 25 वर्ष की उम्र में चुनाव लड़ने वालों में वे सबसे कम उम्र के थे।

मीनाक्षी मुखर्जी 

डीवाईएफआई की राज्य अध्यक्ष, 35 वर्षीया मीनाक्षी मुखर्जी, चुनावों के सबसे हॉटस्पॉट जगह- नंदीग्राम से उम्मीदवार हैं - जहाँ उन्हें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके कभी सहयोगी-से धुर विरोधी बन चुके भाजपा के सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ संयुक्त मोर्चा के उम्मीदवार के तौर पर खड़ा किया गया है। अपनी धारदार भाषण देने की कला के लिए जानी जाने वाली मुखर्जी ने अपनी स्कूली शिक्षा-दीक्षा चाबलपुर के कुल्टी में जलाधी कुमारी देवी उच्च बालिका विद्यालय से, और स्नातक की उपाधि बी.बी. कॉलेज, आसनसोल से हासिल की है।

सयानदीप मित्रा 

डीवाईएफआई के राज्य सचिव सयनदीप मित्रा, हाल ही में नाबन्ना (राज्य सचिवालय) तक रोजगार की मांग करते हुए निकाले गए ‘यूथ मार्च’ के प्रमुख आयोजकों में से थे, जिसपर कोलकाता पुलिस द्वारा बड़े पैमाने पर लाठीचार्ज करते देखा गया था, जिसके चलते 100 से अधिक लोग घायल और एक डीवाईएफआई नेता की मौत हो गई थी। मित्रा भी घायल हुए थे। वे कमारहाटी विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में हैं, जहाँ पर बड़ी संख्या में जूट मजदूरों की मौजूदगी है।

देबाज्योति दास 

पूर्व एसएफआई राज्य सचिव देबज्योती दास नार्थ 24 परगना में खरदहा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं, जहाँ से वर्तमान विधायक के तौर पर तृणमूल कांग्रेस से वित्त मंत्री अमित मित्रा हैं। दास जिन्हें एक अच्छे वक्ता के तौर पर जाना जाता है, ने एसएफआई के सचिव के तौर पर कई आंदोलनों का नेतृत्व किया है।

पृथा ताह 

पूर्व युवा नेता और बर्दवान से सीपीआई(एम) विधायक रहे प्रदीप ताह की बेटी 28 वर्षीया पृथा ताह, जिनकी टीएमसी सदस्यों द्वारा कथित तौर पर निर्मम हत्या कर दी गई थी, इस बार बर्दवान दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में हैं, जहाँ से सीपीआई(एम) के दिग्गज नेता निरुपम सेन विधायक के रूप में निर्वाचित होते थे। ताह एसएफआई की राज्य कमेटी की सदस्य हैं।

दिपसिता धर 

पूर्व जेएनयूएसयू नेता, जो एसएफआई की आल इंडिया संयुक्त सचिव हैं, इस बार हावड़ा जिले के बल्ली से चुनावी मुकाबले में खड़ी हैं। 27 वर्षीया दिपसिता, जेएनयू में सेंटर फॉर स्टडीज इन रीजनल डेवलपमेंट में पीएचडी स्कॉलर हैं, इन्होनें कोलकाता के आशुतोष कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की है।

आईशे घोष 

26 वर्षीया आईशे घोष पहली आसन पर विराजमान जेएनयूएसयू अध्यक्ष हैं जो विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं। घोष बर्दवान पश्चिम जिले की जमुरिया से चुनावी मैदान में खड़ी हैं, जहाँ पर बड़ी संख्या में कोयला मजदूरों की मौजूदगी है। घोष पिछले साल जनवरी में सुर्ख़ियों में थीं, जब एबीवीपी के सदस्यों ने रात में जेएनयू पर लाठियों और रॉड से हमला किया था। घोष सर पर चोट लगने से बुरी तरह से घायल हो गई थीं लेकिन उनकी जुझारू भावना ने खूब सुर्खियाँ बटोरी थी।

वाम मोर्चे की सूची में शामिल अन्य युवा नामों में, जिनमें करीब 28 लोग हैं में सोनारपुर उत्तर से मोनालिसा सिन्हा, सोनारपुर दक्षिण से एआईएसएफ नेता शुवम बनर्जी, राजारहाट न्यूटाउन से सप्तर्षि देब (पूर्व मंत्री गौतम देब के पुत्र) और डायमंड हार्बर से प्रतिकुर रहमान सहित कई अन्य चुनावी मैदान में हैं।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

West Bengal Elections: Meet Some Young Faces Among Left Front Candidates

West Bengal Elections
Bengal Elections
Left Front
LF Young Faces
Left Candidates

Related Stories

केवल आर्थिक अधिकारों की लड़ाई से दलित समुदाय का उत्थान नहीं होगा : रामचंद्र डोम

पश्चिम बंगाल : सिलीगुड़ी में उठी किसान आंदोलन के समर्थन की आवाज़

कोलकाता: बाबरी मस्जिद विध्वंस की 29वीं बरसी पर वाम का प्रदर्शन

कोलकाता नगर निकाय चुनाव: वाम मोर्चा ने कई महिलाओं, युवा ‘रेड वॉलंटियर' को बनाया उम्मीदवार

भाजपा-आईपीएफ़टी चुनावी वादों को पूरा करने में रही नाकामयाब : माणिक सरकार

आगामी जीटीए चुनावों पर टिकी है दार्जिलिंग हिल्स की राजनीति

त्रिपुरा; यदि मतदान निष्पक्ष रहा तो बीजेपी हारेगी : जितेंद्र चौधरी 

बंगाल में प्रस्तावित वित्तीय केंद्र को राजनीति ने ख़त्म कर दिया

पश्चिम बंगाल: आलू की कीमत में भारी गिरावट, किसानों ने मांगा समर्थन मूल्य

त्रिपुरा में भाजपा द्वारा वाम मोर्चे और मीडिया संस्थानों पर बर्बर हिंसा के ख़िलाफ़ दिल्ली में माकपा का रोष प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • Ukraine
    स्टुअर्ट ब्राउन
    यूक्रेन: एक परमाणु संपन्न राज्य में युद्ध के खतरे
    03 Mar 2022
    यूक्रेन के ऊपर रूस के आक्रमण से परमाणु युद्ध का खतरा वास्तविक बन गया है। लेकिन क्या होगा यदि देश के 15 परमाणु उर्जा रिएक्टरों में से एक भी यदि गोलीबारी की चपेट में आ जाए?
  • banaras
    विजय विनीत
    यूपी का रणः मोदी के खिलाफ बगावत पर उतरे बनारस के अधिवक्ता, किसानों ने भी खोल दिया मोर्चा
    03 Mar 2022
    बनारस में ऐन चुनाव के वक्त पर मोदी के खिलाफ आंदोलन खड़ा होना भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं है। इसके तात्कालिक और दीर्घकालिक नतीजे देखने को मिल सकते हैं। तात्कालिक तो यह कि भाजपा के खिलाफ मतदान को बल…
  • Varanasi District
    तारिक़ अनवर
    यूपी चुनाव : बनारस की मशहूर और अनोखी पीतल पिचकारी का कारोबार पड़ रहा है फीका
    03 Mar 2022
    बढ़ती लागत और कारीगरों की घटती संख्या के कारण पिचकारी बनाने की पारंपरिक कला मर रही है, जिसके चलते यह छोटा उद्योग ज़िंदा रहने के लिए संघर्ष रहा है।
  • migrants
    एपी
    एक सप्ताह में 10 लाख लोगों ने किया यूक्रेन से पलायन: संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी
    03 Mar 2022
    संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग (यूएनएचसीआर) के आंकड़ों के अनुसार, पलायन करने वाले लोगों की संख्या यूक्रेन की आबादी के दो प्रतिशत से अधिक है। विश्व बैंक के अनुसार 2020 के अंत में यूक्रेन की आबादी…
  • medical student
    एम.ओबैद
    सीटों की कमी और मोटी फीस के कारण मेडिकल की पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं छात्र !
    03 Mar 2022
    विशेषज्ञों की मानें तो विदेशों में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए जाने की दो मुख्य वजहें हैं। पहली वजह है यहां के सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों में सीटों की संख्या में कमी और दूसरी वजह है प्राइवेट कॉलेजों…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License