NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
पश्चिम बंगाल: कोविड-19 के अहम इंजेक्शन की कालाबाज़ारी, घपले की वायरल क्लिप जांच में सही साबित
वायरल ऑडियो क्लिप टोसिलिजुमैब इंजेक्शन की जमाखोरी करने में तृणमूल कांग्रेस के विधायक निर्मल माजी की भूमिका की तरफ इशारा करते हैं। प्रथम दृष्टया रिपोर्ट इस घपले के केंद्र में एक फिजिशियन के होने की तस्दीक करती है।
संदीप चक्रवर्ती
08 Jun 2021
पश्चिम बंगाल: कोविड-19 के अहम इंजेक्शन की कालाबाज़ारी, घपले की वायरल क्लिप जांच में सही साबित
तस्वीर साभार: रायटर

कोलकाता: कोविड-19 के इलाज में एक अति महत्वपूर्ण इंजेक्शन टोसिलिजुमैब (Tocilizumab) की तथाकथित जमाखोरी और कालाबाजारी को उजागर करते वायरल हुए ऑडियो की प्रामाणिकता रविवार (6 जून) को तब स्थापित हो गई जब मेडिकल कॉलेज (एमसीएच) एवं अस्पताल, कोलकाता की सात सदस्यीय टीम तथा राज्य स्वास्थ्य विभाग एवं स्वास्थ्य भवन के प्रतिनिधियों की तीन सदस्यीय टीम ने इस बारे में अपनी रिपोर्ट पेश की।

उस ऑडियो क्लिप में एमसीएच के कोविड-19 वार्ड में काम करने वाले एक फिजिशियन के विरुद्ध इंजेक्शन की जमाखोरी और कालाबाजारी के आरोप लगाए गए हैं, जो तृणमूल कांग्रेस के एक विधायक डॉ. निर्मल माजी का करीबी है। इस क्लिप में कहा गया है कि फिजिशियन ने माजी के निर्देश पर टोसिलिजुमैब इंजेक्शन के 26 वायल की जमाखोरी की थी। बाद में उस इंजेक्शन को प्राइवेट मार्केट में बेच दिया गया। यहां गौर करने वाली बात है कि एक इंजेक्शन को खुले बाजार में 1.5 लाख रुपये में बेचा गया।

रिपोर्ट कहती है कि यह वाकया आज से 45 दिनों पहले का है। लेकिन इस मामले की जांच के आदेश तभी दिए गए जब सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल हो गया और इस प्रसंग में खुद प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लेकर सवाल उठाए जाने लगे थे। कहा जाता है कि मुख्यमंत्री ने पहले तो अपने विधायक को बचाने की कोशिश की, जिससे हंगामा और बढ़ गया।

माजी तृणमूल कांग्रेस के मेडिकल डॉक्टर्स एसोसिएशन के नेता हैं। उनका स्वास्थ्य भवन में अक्सर आना-जाना होता है। वे मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की रोगी कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्ष भी रहे हैं।

रिपोर्ट कहती है कि यह भी कहा जाना चाहिए कि माजी ने इसके पहले भी उस इंजेक्शन की जमाखोरी करने का प्रयास किया है।

दो जून को जब इस घपले का खुलासा हुआ तो इस मामले में तथ्यों को जुटाने के लिए दो आदेश दिए गए-पहला, एमसीएस के अधीक्षक द्वारा और दूसरा, स्वास्थ्य भवन द्वारा। दोनों टीमों द्वारा दी गई जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मामले में संबद्ध दोनों चिकित्सकों द्वारा टोसिलिजुमैब इंजेक्शन हासिल करने की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का उल्लंघन किया गया है।

एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स (एएचएसडी) ने इस घपले की निंदा की और मामले की विधिवत जांच किए जाने की मांग की।

रिपोर्ट में इस बात पर भी गौर किया गया है कि जीवनरक्षक दवाओं की प्रदेश में धड़ल्ले से कालाबाजारी हो रही है। एमसीएच की ग्रीन बिल्डिंग के सीसीयू में 60 वायल इंजेक्शन का स्टॉक था। इनमें से कुछ इंजेक्शन को ग्रीन बिल्डिंग ने आंतरिक प्रक्रिया के तहत उधार दिया था, रिपोर्ट्स में यह बताया गया है। यह भी कि, आरोपित फिजिशियन ने तभी सीसीयू की एक नर्स से 26 वायल ले लिए थे।

हालांकि, रिपोर्ट में उस फिजिशयन और निर्मल माजी के बीच करीबी संपर्क पर कोई खुलासा नहीं किया है। जबकि वायरल वीडियो सीधे-सीधे माजी पर उंगली उठाता है। जांच रपटें प्रथमदृष्टया उस फिजिशियन को इस घपले में प्रमुख बताती है। सत्ताधारी विधायक को बचाने के प्रयास की चौतरफा आलोचना की जा रही है।

दोनों जांच टीमों द्वारा रिपोर्ट जमा करने के बाद, एएचएसडी के महासचिव डॉ. मानस गुप्ता ने कहा कि इन रिपोर्ट को सार्वजनिक समीक्षा के दायरे में लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “यह ऐसा मामला नहीं है कि इसका निपटारा एक सीमित दायरे में ही कर लिया जाए। यह खतरनाक मामला है और यह कोविड-19 के इलाज की एक बेहद अहम दवा की जमाखोरी के बारे में है। अगर जांच रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की गईं तो आम लोग प्रदेश के सभी स्वास्थ्यकर्मियों की भूमिका पर सवाल उठाने लगेंगे।”

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें।

West Bengal: Fact-finding Probes Establish Authenticity of Clip Alleging Black Marketing of Crucial COVID-19 Injection

Tocilizumab Black Marketing
TMC Leader in Medical Scam
Medical College and Hospital Kolkata
TMC MLA
mamata banerjee
COVID 19 Medicine
COVID 19 Second Wave
Nirmal Maji

Related Stories

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

बढ़ती हिंसा और सीबीआई के हस्तक्षेप के चलते मुश्किल में ममता और तृणमूल कांग्रेस

बलात्कार को लेकर राजनेताओं में संवेदनशीलता कब नज़र आएगी?

दवा के दामों में वृद्धि लोगों को बुरी तरह आहत करेगी – दवा मूल्य निर्धारण एवं उत्पादन नीति को पुनर्निर्देशित करने की आवश्यता है

केजरीवाल का पाखंड: अनुच्छेद 370 हटाए जाने का समर्थन किया, अब एमसीडी चुनाव पर हायतौबा मचा रहे हैं

बीरभूम नरसंहार ने तृणमूल की ख़ामियों को किया उजागर 

क्या यह मोदी लहर के ख़ात्मे की शुरूआत है?

पेगासस कांड: आखिर क्या है RSS से जुड़ा GVF ट्रस्ट? जिसकी अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के आयोग की जांच पर लगा दी रोक

घर वापसी से नरसंहार तक भारत का सफ़र

उत्तर बंगाल के राजबंशियों पर खेली गई गंदी राजनीति


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License