NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
पश्चिम बंगाल: ‘नेताजी की राजनीति’ से किसको चुनावी फ़ायदा मिलेगा?
इसी साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी यहां हर हाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को मात देना चाहती है। ऐसे में बंगाल की राजनीति में ‘नेताजी किसके हैं’ एक दिलचस्प विवाद आगे बढ़ता दिखाई दे रहा है।
सोनिया यादव
20 Jan 2021
नेताजी सुभाषचंद्र बोस

“…भारत सरकार ने देशवासियों, विशेष रूप से युवाओं को प्रेरित करने के लिए 23 जनवरी को नेताजी के जन्मदिवस को हर साल पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है।”

महान स्वतंत्रता सेनानी और आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती से ठीक पहले केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने ये अधिसूचना जारी की है। इसके मुताबिक सरकार अब हर साल 23 जनवरी यानी नेताजी के जन्मदिन को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाएगी।

मंगलवार, 19 जनवरी को नेताजी के जन्मदिन को बाकायदा गजट में पराक्रम दिवस के तौर पर दर्ज भी कर दिया गया। हालांकि इसके बाद इसकी टाइमिंग को लेकर जरूर सवाल उठने लगे। बंगाल में बीजेपी इसे सुभाष चंद्र बोस के प्रेम से जोड़ती दिखी तो वहीं सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इसे आगामी पश्चिम बंगाल इलेक्शन का कनेक्शन बता दिया।

विधानसभा चुनाव से पहले पक्ष-विपक्ष की राजनीति

दरअसल, इसी साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी के बड़े नेता राज्य का लगातार दौरा कर रहे हैं, टीएमसी के कई बड़े नेता भी पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। ऐसे में नेताजी से जुड़ा केंद्र सरकार का यह फैसला बंगाल की राजनीति में ‘नेताजी किसके हैं’ एक दिलचस्प विवाद को आगे बढ़ाता दिखाई दे रहा है।

पश्चिम बंगाल में बीजेपी के नेता और नेताजी के परिवार के सदस्य सीके बोस ने सरकार की इस पहल का स्वागत करते हुए मीडिया से कहा, “नेताजी ने देश को आजादी दिलाई। हम इस अनाउंसमेंट का स्वागत करते हैं लेकिन 23 जनवरी को लोग पहले से ही ‘देशप्रेम दिवस’ मना रहा हैं। अच्छा होता कि सरकार इसे देशप्रेम दिवस के रूप में घोषित करती, लेकिन हम फिर भी खुश हैं।”

वहीं तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा कि बीजेपी बंगाली ऑइकन को अपने लिये उपयुक्त बनाने का प्रयास कर रही है। बीजेपी के पास खुद के ऑइकन नहीं हैं। यही कारण है कि चुनाव से ठीक पहले नेताजी का सहारा लेने की कोशिश की जा रही है।

उन्होंने कहा कि जब बंगाल सरकार ने 23 जनवरी को देशप्रेम दिवस और राष्ट्रीय अवकाश के रूप में घोषित करने के लिए बार-बार प्रस्ताव भेजा, तो उन्होंने कभी ध्यान नहीं दिया। अब चुनाव से पहले वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती दिवस को पराक्रम दिवस के रूप में घोषित कर रहे हैं। ये सब राजनीति है, लेकिन नेताजी राजनीति से ऊपर हैं।

पश्चिम बंगाल की सियासत

पश्चिम बंगाल में फिलहाल तृणमूल कांग्रेस की सरकार है, जिसकी कमान ममता बनर्जी के हाथों में है। विधानसभा में विपक्ष की मुख्य भूमिका में कांग्रेस और लेफ्ट हैं। हालांकि आने वाले विधानसभा चुनाव में अब मुक़ाबला त्रिकोणीय होने जा रहा है। लेफ़्ट और कांग्रेस पहले ही गठबंधन का ऐलान कर चुके हैं तो वहीं लोकसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित बीजेपी यहां हर हाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को मात देना चाहती है।

अगर साल 2016 के विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखें, तो राज्य की कुल 293 सीटों में से तृणमूल कांग्रेस 211 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। कांग्रेस को 44 सीटें, लेफ़्ट को 32 सीटें और बीजेपी को 3 सीटों पर जीत मिली थी।

वोट शेयर की बात करें तो तृणमूल कांग्रेस को तकरीबन 45 फीसद वोट शेयर मिला था। लेफ़्ट के पास वोट शेयर 25 फीसद था, लेकिन सीटें कांग्रेस से कम थीं। कांग्रेस के पास 12 फीसद के आसपास वोट शेयर था लेकिन उसे लेफ़्ट से ज़्यादा सीटें मिली थीं। बीजेपी का वोट शेयर तकरीबन 10 फीसद था।

हालांकि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में ये सारे समीकरण फेल हो गए। कुल 40 सीटों में से तृणमूल ने 22 सीटें जीतीं, बीजेपी ने 18 और कांग्रेस 2 पर सिमट गई। लेफ़्ट का खाता भी नहीं खुल पाया।

वोट शेयर तृणमूल कांग्रेस का 43 प्रतिशत था तो वहीं बीजेपी का 40 प्रतिशत। यानी दोनों के बीच मात्र तीन फीसद वोट शेयर का अंतर रह गया था। कांग्रेस और लेफ्ट पार्टी का वोट शेयर 10 फीसद से नीचे आ गया। यही वजह है कि इस बार के बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजपी के हौसले बुलंद हैं और अमित शाह 200+ सीट जीतने का नारा दे रहे हैं।

आख़िर कांग्रेस-लेफ़्ट गठबंधन ने टीएमसी से हाथ क्यों नहीं मिलाया?  

गौरतलब है कि 2011 से पहले तक पश्चिम बंगाल को लेफ़्ट पार्टी का गढ़ माना जाता था। लेकिन साल 2011 में तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद धीरे-धीरे लेफ्ट की साख़ घटती गई। ऐसे में कई जानकारों का मानना है कि कांग्रेस और लेफ़्ट के पास ये चुनाव अपने राजनैतिक अस्तित्व को बचाने का सही समय है क्योंकि फिलहाल ममता बनर्जी सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही हैं।

बंगाल की राजनीति पर नज़र रखने वाली पत्रकार नेहा घोष बताती हैं कि आने वाले चुनाव में बीजेपी निश्चित ही दूसरी पार्टियों को कड़ी टक्कर देगी। तो वहीं असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एएमआईएम और शिवसेना भी वोट में सेंध का कुछ खेल जरूर दिखाएगी।

नेहा घोष के मुताबिक आगामी चुनाव में बंगाल के समीकरण को समझने के लिए राजनीतिक पार्टियों के वोट बैंक को समझना भी जरूरी है। राज्य में अगर हिंदू वोट की बात करे तो वो बीजेपी का भी है और कांग्रेस का भी। उसी तरह से तृणमूल कांग्रेस और लेफ़्ट दोनों के पास मुस्लिम वोटर हैं। शिवसेना बांग्ला भाषा, संस्कृति और अस्मिता की रक्षा के लिए चुनाव मैदान में उतर रही है, जिसे बीजेपी के राष्ट्रवाद के काट के तौर पर देखा जा रहा है, तो वहीं असदुद्दीन ओवैसी को टीएमसी के लिए घातक माना जा रहा है।

Netaji Subhash Chandra Bose
Parakram Diwas
Union Ministry of Culture
125th Birth anniversary of Netaji
West Bengal
West Bengal Elections
BJP
Trinamool Congress
mamta

Related Stories

राज्यपाल की जगह ममता होंगी राज्य संचालित विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति, पश्चिम बंगाल कैबिनेट ने पारित किया प्रस्ताव

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License