NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सीएए नागरिकता क़ानूनों में क्या बदलाव करता है ?
भले ही एनपीआर-एनआरसी को "घुसपैठियों" को चिह्नित किये जाने की आड़ में उचित ठहराया जा रहा हो, लेकिन सच्चाई यही है कि सीएए के ज़रिये यह संदेश दिया जा रहा है कि केवल मुसलमानों को ही घुसपैठियों के रूप में चिह्नित किया जायेगा। 
आईसीएफ़
03 Mar 2020
 CAA

भारत के बाहर पैदा हुए लोगों के लिए नागरिकता मानदंड

भारत के नागरिकता क़ानूनों में नागरिकता का मूल मानदंड का प्रावधान भारतीय नागरिक के रूप में पैदा होना है। यह अब भी 1 जुलाई 1987 से पहले पैदा हुए व्यक्तियों के लिए मापदंड बना हुआ है। 1 जुलाई 1987 और 3 दिसंबर 2004 के बीच पैदा हुए लोगों के लिए एक माता-पिता की नागरिकता की स्थिति, और 3 दिसंबर 2004 के बाद पैदा हुए लोगों के लिए दोनों माता-पिता की नागरिकता की स्थिति के आधार पर नागरिकता अधिनियम प्रतिबंधित करने के लिए शुरू किये गये संशोधनों ने अतिरिक्त मानदंड पेश किये हैं।

नागरिकता अधिनियम भारत के बाहर पैदा हुए व्यक्ति के लिए नागरिकता के अधिग्रहण के लिए अलग-अलग तरीके का भी प्रावधान करता है,और वे हैं;

  • वंश परंपरा: किसी व्यक्ति को वंश परंपरा द्वारा नागरिकता मिल सकती है, यदि जन्म के समय उनके माता-पिता में से कोई एक भारत का नागरिक रहा हो और उन अन्य ज़रूरतों को पूरा किया गया हो, जिसका उल्लेख इस अधिनियम में हों।

  • पंजीकरण: भारतीय मूल के व्यक्ति या भारतीय नागरिक से शादी करने वाले व्यक्ति या ऐसे व्यक्ति, जिनके माता-पिता भारतीय नागरिक के रूप में पंजीकृत हों, वे पंजीकरण के माध्यम से नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।

  • देशीकरण: कोई व्यक्ति देशीकरण के प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर सकता है, यदि वह कम से कम 11 वर्ष से भारत में निवास कर रहा हो या कम से कम 11 वर्ष तक भारत सरकार की सेवा में रहा हो, बशर्ते कि वह इस अधिनियम की तीसरी अनुसूची में उल्लिखित अन्य ज़रूरतों को पूरा करता हो।

अवैध प्रवासी के रूप में चिह्नित व्यक्ति को देशीकरण या पंजीकरण के माध्यम से नागरिक बनने से रोका जाता है।

इसे भी पढ़े : क्या एनपीआर और एनआरसी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं?

अवैध प्रवासी कौन है?

एनडीए सरकार द्वारा 2003 में एक संशोधन द्वारा अवैध प्रवासी की श्रेणी को जोड़ दिया गया था। यह अधिनियम उस अवैध प्रवासी को एक विदेशी के रूप में परिभाषित करता है,जो

  • जिसने बिना वैध दस्तावेज़ों के भारत में प्रवेश किया हो

  • वैध दस्तावेज़ों की समाप्ति के बाद भी भारत में रह रहा हो

अवैध प्रवासी की इस परिभाषा में 2003 में धर्म का कोई संदर्भ नहीं था। कोई भी व्यक्ति, किसी भी धर्म के होने के बावजूद, जो वैध दस्तावेज़ों के बिना भारत में प्रवेश करता था, उसे एक अवैध प्रवासी के रूप में ही वर्गीकृत किया जाता था और नागरिक बनने से रोक दिया जाता था। हालांकि, सीएए के ज़रिये धर्म के तत्व को अवैध प्रवासियों को चिह्नित करने के लिए जोड़ दिया गया है।

सीएए के तहत नागरिकता

नीचे दिया गया ग्राफ़िक नागरिकता क़ानूनों के लिए सीएए द्वारा पेश किये गये परिवर्तनों की व्याख्या करता है।

illegal migrant.png

सीएए से पहले अवैध प्रवासी के रूप में वर्गीकृत किसी भी व्यक्ति को देशीकरण या पंजीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से नागरिकता प्राप्त करने से रोक दिया जाता था। लेकिन, सीएए अवैध प्रवासियों की कुछ श्रेणियों को नागरिकता देता है।

जैसा कि हम इस ग्राफ़िक में देख सकते हैं कि अवैध प्रवासियों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है-मुस्लिम और अन्य धर्म। ग़ैर-मुस्लिम धर्म के लोग नागरिकता हासिल कर सकते हैं, अगर वे तीन पड़ोसी देशों से हैं और अगर वे तय तारीख़ से पहले आए हैं।

सीएए किसी भी ग़ैर-मुस्लिम धर्म के उस व्यक्ति को छूट देता है, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से भारत में अवैध प्रवासी के रूप में वर्गीकृत किया गया हो, भले ही उसके पास वैध दस्तावेज़ नहीं हों।

इसे भी पढ़े : नागरिकता की जांच : अधिकारों से वंचित करने के मनमाने तरीक़े

जो भी इन धर्मों में से किसी से सम्बन्धित है और इन तीन देशों में से किसी एक देश से आया है, लेकिन 31 दिसंबर 2014 के बाद भारत में प्रवेश किया हो, तो वह सीएए के तहत छूट का पात्र नहीं होगा।

भले ही एनपीआर-एनआरसी को "घुसपैठियों" को चिह्नित किये जाने की आड़ में उचित ठहराया जा रहा हो, लेकिन सच्चाई यही है कि सीएए के ज़रिये यह संदेश दिया जा रहा है कि केवल मुसलमानों को ही घुसपैठियों के रूप में चिह्नित किया जायेगा। सीएए और एनआरसी के बीच का सम्बन्ध बस इतना ही है कि जब एनआरआईसी को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान के ग़ैर-मुस्लिम प्रवासियों पर लागू किया जायेगा, तो इसका मतलब है कि उन्हें संरक्षित किया जायेगा,जबकि मुस्लिम प्रवासियों को इस संरक्षण से बाहर रखा जायेगा।

साभार : इंडियन कल्चरल फ़ोरम

इसे भी पढ़े :  एनपीआर जनगणना से किस तरह अलग है ?

Citizenship Amendment Act
CAA
NRC
NPR
illegal migrant in india
migrants

Related Stories

जम्मू-कश्मीर के भीतर आरक्षित सीटों का एक संक्षिप्त इतिहास

शाहीन बाग़ : देखने हम भी गए थे प तमाशा न हुआ!

शाहीन बाग़ ग्राउंड रिपोर्ट : जनता के पुरज़ोर विरोध के आगे झुकी एमसीडी, नहीं कर पाई 'बुलडोज़र हमला'

चुनावी वादे पूरे नहीं करने की नाकामी को छिपाने के लिए शाह सीएए का मुद्दा उठा रहे हैं: माकपा

CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा

लाल क़िले पर गुरु परब मनाने की मोदी नीति के पीछे की राजनीति क्या है? 

शाहीन बाग़ की पुकार : तेरी नफ़रत, मेरा प्यार

कोरोना लॉकडाउन के दो वर्ष, बिहार के प्रवासी मज़दूरों के बच्चे और उम्मीदों के स्कूल

दबाये जाने की तमाम कोशिशों के बावजूद भारत का बहुलतावादी लोकतंत्र बचा रहेगा: ज़ोया हसन

उत्तरप्रदेश में चुनाव पूरब की ओर बढ़ने के साथ भाजपा की मुश्किलें भी बढ़ रही हैं 


बाकी खबरें

  • समीना खान
    ज़ैन अब्बास की मौत के साथ थम गया सवालों का एक सिलसिला भी
    16 May 2022
    14 मई 2022 डाक्टर ऑफ़ क्लीनिकल न्यूट्रीशन की पढ़ाई कर रहे डॉक्टर ज़ैन अब्बास ने ख़ुदकुशी कर ली। अपनी मौत से पहले ज़ैन कमरे की दीवार पर बस इतना लिख जाते हैं- ''आज की रात राक़िम की आख़िरी रात है। " (राक़िम-…
  • लाल बहादुर सिंह
    शिक्षा को बचाने की लड़ाई हमारी युवापीढ़ी और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई का ज़रूरी मोर्चा
    16 May 2022
    इस दिशा में 27 मई को सभी वाम-लोकतांत्रिक छात्र-युवा-शिक्षक संगठनों के संयुक्त मंच AIFRTE की ओर से दिल्ली में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित कन्वेंशन स्वागत योग्य पहल है।
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: किसानों की दुर्दशा बताने को क्या अब भी फ़िल्म की ज़रूरत है!
    16 May 2022
    फ़िल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी का कहना है कि ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि किसान का बेटा भी एक फिल्म बना सके।
  • वर्षा सिंह
    उत्तराखंड: क्षमता से अधिक पर्यटक, हिमालयी पारिस्थितकीय के लिए ख़तरा!
    16 May 2022
    “किसी स्थान की वहनीय क्षमता (carrying capacity) को समझना अनिवार्य है। चाहे चार धाम हो या मसूरी-नैनीताल जैसे पर्यटन स्थल। हमें इन जगहों की वहनीय क्षमता के लिहाज से ही पर्यटन करना चाहिए”।
  • बादल सरोज
    कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी
    16 May 2022
    2 और 3 मई की दरमियानी रात मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले के गाँव सिमरिया में जो हुआ वह भयानक था। बाहर से गाड़ियों में लदकर पहुंचे बजरंग दल और राम सेना के गुंडा गिरोह ने पहले घर में सोते हुए आदिवासी धनसा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License