NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विज्ञान
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
प्राचीन मानव के जीनोम पर हुए नए अध्ययनों से पूर्वी एशिया के इतिहास के बारे में क्या पता लगता है?
पूर्वी एशिया के मानव आनुवांशिकी पर किये गए इन गहन ऐतिहासिक अध्ययनों से कितनी नई उम्मीदें जगती हैं, इसका सटीक आकलन नहीं कर सकते।
संदीपन तालुकदार
20 May 2020
What New Studies on Ancient Human Genomes Reveal About East Asia’s History
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : विज्ञान समाचार

जहाँ तक पूर्वी एशियाई आबादी के मानव आनुवंशिक इतिहास का प्रश्न है तो इसके बारे में जितनी जानकारी उपलब्ध है वह वास्तव में पर्याप्त नहीं है। इस बारे में प्राथमिक कारण निश्चित तौर पर प्राचीन जनसंख्या के डीएनए के आंकड़े की कमी और इस पहलू पर बड़े पैमाने पर अध्ययन की कमी में देख सकते हैं। इस विषय पर नई रोशनी डालते हुए दो शोधकर्ताओं ने पूर्वी एशियाई क्षेत्र के प्राचीन मानव जीनोम पर व्यापक पैमाने पर अध्ययन संचालित किए हैं।

उनका सुझाव है कि वर्तमान में मौजूद वंशजों में से कई लोग प्राचीन काल की दो अलग-अलग आबादी की आनुवंशिक जानकारी अपने साथ लिए हुए हैं। करीब 10,000 साल पहले जब खेतीबाड़ी का काम विकसित होना शुरू हो गया था तो उसके बाद से इन पृथक आबादी के बीच अंतर-प्रजनन की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी थी। अध्ययनों से ये भी संकेत मिलते हैं कि किस प्रकार से इंसानों ने इस क्षेत्र में बसना शुरू कर दिया था। उन्होंने पाया कि समुद्र तटीय निवासियों और दक्षिणी चीन के विस्तार से लेकर दक्षिणी प्रशांत में निवास करने वाले लोगों के बीच एक कड़ी थी।

शुरुआत करने के लिए आइए देखते हैं कि 14 मई को साइंस में प्रकाशित शोध का क्या कहना है। इस शोध ने 26 प्राचीनतम व्यक्तियों में जीनोम का विश्लेषण किया जो 9,500-300 साल पहले उत्तरी और दक्षिणी पूर्व एशिया में निवास करते थे। ये प्राचीन जीनोम ज्यादातर पूर्वोत्तर चीन की येलो रिवर बेसिन से निकाले गए थे। चीन में यह क्षेत्र दक्षिण पूर्व चीन के फ़ुज़ियान प्रांत से एक हजार किलोमीटर से अधिक की दूरी पर स्थित है।

दल का नेतृत्व कर रहे जनसंख्या आनुवंशिकीविद, क्यूओमी फू, जो कि बीजिंग के इंस्टीट्यूट ऑफ वर्टेब्रेट पेलियोन्टोलॉजी एंड पैलियोएन्थ्रोपोलॉजी से सम्बद्ध हैं, की टीम ने अपने विश्लेषण में पाया है कि शुरुआती नवपाषाण काल में जो लगभग 10,000-6,000 साल पहले की बात है, उस दौर में उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों के लोग आनुवंशिक रूप से भिन्न थे। उस दौरान उनका एक दूसरे से कोई लिंक नहीं था। लेकिन समय बीतने के साथ-साथ ये दोनों आनुवंशिक रूप से भिन्न समूहों का आपस में सम्मिश्रण होना आरंभ हो गया था, और उनमें अंतर प्रजनन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। फू की टीम इस मिश्रण के शुरू होने की ठीक-ठीक अवधि का आकलन नहीं कर सकी है। हालांकि उनके विश्लेषण से इस बात के संकेत मिलते हैं कि यह मिश्रण करीब 5,000-4,000 साल पहले शुरू हुआ होगा, जो कि नवपाषाण काल के समय की अवधि है। चीन के लोगों की वर्तमान आबादी में उनके आनुवंशिक वंश का अधिकांश हिस्सा उत्तर की ओर के समूहों से सम्बद्ध है, लेकिन उनका आनुवंशिक संबंध प्राचीन फुजियन लोगों से भी है।

बीजिंग के पेकिंग विश्वविद्यालय के पुरातत्वविद लिंग किन के अनुसार  "इससे पता चलता है कि पूर्वी एशिया में खेतीबाड़ी के काम का विस्तार किसानों और शिकारियों के सम्मिश्रण से संभव हुआ होगा।"

वहीं दूसरी ओर पश्चिमी यूरेशिया के प्राचीन जीनोम के अध्ययनों से हमें पता चलता है कि वे किसान जिनके पूर्वज मध्य-पूर्व से थे, उन्होंने यूरोप की शिकारी प्रजाति को स्थानापन्न किया था।

विख्यात जनसंख्या आनुवंशिकीविद डेविड रीच के नेतृत्व में संचालित एक अन्य अध्ययन में, जिसे प्रीप्रिंट सर्वर bioArxiv में प्रकाशित किया गया था, इस अध्ययन में समूचे पूर्वी एशिया के 200 प्राचीनतम जीनोम का विश्लेषण किया गया था। इस अध्ययन में 5,000 वर्ष पुराने व्यक्तियों के 20 प्राचीन जीनोम को शामिल किया गया था, जो कि फू की टीम द्वारा अध्ययन किए गए क्षेत्रों में संचालित किये गए थे। उनके अनुसार इन पुरातन इंसानों का सम्बंध आज के तिब्बतियों के साथ पाया गया है।

दोनों टीमों के अध्ययन में एक दिलचस्प कड़ी जुडती नजर आती है। फू की टीम ने पाया कि नवपाषाण काल के दौरान चीन के तट (उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम) के आसपास रहने वाले लोगों का दक्षिण पूर्वी एशियाई तटीय स्थलों और जापान के लोगों के साथ पूर्वजों का साझाकरण देखने को मिलता है। फू कहते हैं "इसका मतलब यह है कि पूर्वी एशिया का समूचा तटीय इलाका ही वास्तव में लोगों के प्रवासन के लिए महत्वपूर्ण स्थान रहा है।" रीच की टीम को भी इसी से मिलते जुलते सूत्र मिले हैं। दोनों टीमों के निष्कर्षों से इस बात के संकेत मिलते हैं कि पूर्वी एशिया में वर्तमान में इंसानों के बसने की शुरुआत समुद्र तट के मार्ग के साथ-साथ हुई थी।

अभी ठीक-ठीक नहीं पता कि पूर्वी एशिया के मानव आनुवंशिकी के गहरे इतिहास के इन अध्ययनों से एक नई उम्मीद किरण जग सकती है या नहीं। उम्मीद करते हैं कि इस क्षेत्र के प्राचीन जीनोमिक अध्ययनों से जो कि अपने-आप में बेहद जटिल है, इस क्षेत्र में मौजूद विभिन्न आबादी के बीच में हुए इंसानों के प्रवासन, उनके स्थायी तौर पर बसने की प्रक्रिया और आपस में सम्मिश्रण के बारे में ये जानकारियां हासिल हो रही हैं, वे एक नए प्रतिमानों को खोल पाने में सहायक सिद्ध हो सकेंगे।

अंग्रेजी में लिखी गई इस मूल स्टोरी को आप नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं-  

What New Studies on Ancient Human Genomes Reveal About East Asia’s History

East Asian Early Genomic History
David Reich
Qiaomei Fu

Related Stories


बाकी खबरें

  • भाषा
    अदालत ने कहा जहांगीरपुरी हिंसा रोकने में दिल्ली पुलिस ‘पूरी तरह विफल’
    09 May 2022
    अदालत ने कहा कि 16 अप्रैल को हनुमान जयंती पर हुए घटनाक्रम और दंगे रोकने तथा कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने में स्थानीय प्रशासन की भूमिका की जांच किए जाने की आवश्यकता है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 3,207 नए मामले, 29 मरीज़ों की मौत 
    09 May 2022
    राज्यों में कोरोना जगह-जगह पर विस्पोट की तरह सामने आ रहा है | कोरोना ज़्यादातर शैक्षणिक संस्थानों में बच्चो को अपनी चपेट में ले रहा है |
  • Wheat
    सुबोध वर्मा
    क्या मोदी सरकार गेहूं संकट से निपट सकती है?
    09 May 2022
    मोदी युग में पहली बार गेहूं के उत्पादन में गिरावट आई है और ख़रीद घट गई है, जिससे गेहूं का स्टॉक कम हो गया है और खाद्यान्न आधारित योजनाओं पर इसका असर पड़ रहा है।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: एक निशान, अलग-अलग विधान, फिर भी नया इंडिया महान!
    09 May 2022
    क्या मोदी जी के राज में बग्गाओं की आज़ादी ही आज़ादी है, मेवाणियों की आज़ादी अपराध है? क्या देश में बग्गाओं के लिए अलग का़ानून है और मेवाणियों के लिए अलग क़ानून?
  • एम. के. भद्रकुमार
    सऊदी अरब के साथ अमेरिका की ज़ोर-ज़बरदस्ती की कूटनीति
    09 May 2022
    सीआईए प्रमुख का फ़ोन कॉल प्रिंस मोहम्मद के साथ मैत्रीपूर्ण बातचीत के लिए तो नहीं ही होगी, क्योंकि सऊदी चीन के बीआरआई का अहम साथी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License