NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
लक्ष्मी जी और ईडी का छापा
जब ईडी ने लक्ष्मी जी पर मनी लॉन्डरिंग के आरोप में कर डाली छापेमारी!
राजेंद्र शर्मा
31 Oct 2021
raid
प्रतीकात्मक फोटो। साभार: द न्यू इंडियन एक्स्प्रेस

लक्ष्मी जी कुछ ज्यादा ही अच्छे मूड में नजर आ रही थीं। आखिरकार, खास उनका त्यौहार सिर पर था। वैसे कहने वाले तो कहते थे कि साल के सारे दिन उनके ही थे, पर बाकायदा उनके नाम तो पूरे साल में एक ही दिन था। खुद सज-धजकर निकलना था, सो उसकी तैयारी तो खैर थी ही. दीवाली की रात के अपने दौरे पर जहां-तहां धनवर्षा करनी थी, सो उसकी भी तैयारियां जोरों से चल रही थीं। अशर्फियों से लेकर दस रुपए के सिक्के तक, हर तरह के सिक्कों की ढेरियां लगी हुई थीं। जिनमें से भर-भरकर छोटी-बड़ी थैलियां तैयार की जा रही थीं। जिसकी जितनी बड़ी पेटी हो, उस पर उतना ही धन बरसाया जा सके। थैलियों के वजन पर भी नजर रखी जा रही थी, आखिरकार सारा बोझ तो बेचारे उलूक को ही ढोना था। उसने तो लक्ष्मी जी को समझाने की भी कोशिश की थी कि जब बाकी सब डिजिटल हो गया है, तो वह भी अपना त्यौहार डिजिटल क्यों नहीं कर लेतीं। जिसको जो-जितना देना हो, एक क्लिक में सीधे खाते में ट्रांसफर। धनवर्षा करने के लिए भटकने का झंझट भी नहीं और वितरण की पारदर्शिता ऊपर से। पर लक्ष्मी जी ठहरीं पुरानी चाल की, साफ मना कर दिया। उल्टे उलूक को ही साल में एक दिन की मेहनत से भी भागने का उलाहना सुनना पड़ा। और लक्ष्मी जी ने यह कहकर बहस की गुंजाइश ही खत्म कर दी कि मेरी वजह से न परांपरा बदलेगी न टूटेगी। देवी-देवताओं के सारे उपहास के बाद भी जब मैंने अपनी सवारी बदलना मंजूर नहीं की, तो मैं अपना दीवाली का प्रोटोकॉल कैसे बदल दूंगी! हमारी दीवाली तो फिजिकल ही रहेेगी। उलूक की क्या मजाल थी जो दोबारा यह बात चलाता। सो सब सामान्य बल्कि त्यौहार की तैयारी की व्यस्तता से भरा चल रहा था।

तभी अचानक उनके घर के दरवाजे भड़भड़ाए जाने लगे। जब तक आने वाले का स्वागत ‘क्या आफत आन पड़ी’ की लक्ष्मीजी की फटकार से होता, बिना वर्दी की फौज घर में घुस पड़ी। दर्जन भर लोग जरूर रहे होंगे। कौन है, क्या है, के जवाब में बताया गया – ईडी का छापा है। जो जहां है, वहीं रहे। जो चीज जहां है, वहीं रहने दी जाए। जब तक छापे की कार्रवाई पूरी नहीं हो जाती हैतब तक न कोई किसी को फोन करेगा और न बाहर से किसी को अंदर आने दिया जाएगा। लक्ष्मी जी ने पहले तो समझाने की कोशिश की। जरूर कुछ गलतफहमी हुई है। यहां तो मामला शुद्घ धार्मिक-सांस्कृतिक परंपरा का है; इसमें ईडी या किसी कानून-वानून का क्या काम? जब समझाने का कुछ असर नहीं हुआ, तो लक्ष्मी जी बिगड़ गयीं। हमारा इतना बड़ा त्यौहार खराब करने की तुम लोगों की हिम्मत कैसे हुई? और वह भी मोदी जी के राज में। उलूक को आदेश दिया– जरा नागपुर फोन तो लगा। अधिकारियों ने हाथ जोडक़र मना कर दिया– फोन करने की इजाजत नहीं है। हमारी नौकरी आप के हाथ में है। हम तो आपका बहुत सम्मान करते हैं। बस हम तो अपनी ड्यूटी बजा रहे हैं।

जुड़े हुए हाथों को देखकर लक्ष्मी जी नरम पड़ गयीं। फिर से समझाने लगीं। यहां ईडी के छापे के लिए है क्या? बस वही है जो हजारों साल से होता आ रहा है। यह परंपरा तो तुम्हारे कानूनों से भी बहुत पुरानी है। उससे भी दिक्कत है? छापे के इंचार्ज ने विनम्रता से कहा– हमारी दिक्कत की बात ही नहीं है। ऊपर से आदेश हैं! लक्ष्मी जी ने हैरानी से पूछा– मेरे यहां छापे के? जवाब में विनम्र स्वर में थोड़ी व्यग्रता से “जी” निकला! सीधे ऊपर तक शिकायत पहुंची है कि आप धन बांट रही हैं और वह भी बिना किसी हिसाब-किताब के! लक्ष्मी जी ने तर्क किया–मगर यह तो पुरानी परंपरा है! वैसे भी मैं धन तो नाममात्र का ही बांटती हूं। बस रस्म अदायगी समझ लीजिए। तभी तो दीवाली के बाद अमीर और अमीर हो जाते हैं, गरीब और गरीब रह जाते हैं। अधिकारी बोला–पर कानूनों का उल्लंघन तो हो रहा है। सवाल मात्रा का नहीं उल्लंघन का है? शाहरुख के बेटे के पास तो रत्तीभर गांजा नहीं था, तब भी मादक द्रव्य कानून का उल्लंघन हो गया। आप ने फिर भी सिक्कों की ढेरियां लगा रखी हैं और थैलियां भरी हुई हैं। इस धन का स्रोत देखना होगा। और किसे दिया जाने वाला है, यह भी देखना होगा। पहली नजर में मनी लॉन्डरिंग उर्फ धन-शोधन का मामला बनता है।

अब लक्ष्मी जी की समझ में मामले की गंभीरता आयी। न धन का स्रोत और न वितरण के पात्र, कुछ भी तो लिखा-पढ़ी में नहीं था। वितरण के पात्र तो तय तक नहीं थे। जिसके घर की रौशनी जंची, वहीं कुछ धन बरसा दिया! जानकारी होती, तब तो देतीं। चिढक़र उन्होंने पूछ लिया–कागज ही सब कुछ है या धर्म और परंपरा का भी कोई सम्मान है? अधिकारी ने समझाया सम्मान पूरा है, पर कागज तो दिखाने ही पड़ेंगे। मोदी और  शाह जी का स्पष्ट आदेश है इसलिए कागज तो दिखाने ही पड़ेंगे।

लक्ष्मी जी के स्वर में खिसियाहट उतर आयी–अजीब जबर्दस्ती है। क्या हम अपने धन में से जरा सी खैरात भी नहीं कर सकते? मोदी और शाह वगैरह तो जब देखो तब चुनाव के लिए खैरात के ही एलान करते रहते हैं। उनके लिए क्या अलग कानून है? अधिकारी ने कहा–वे सरकारी पैसा खैरात की तरह बांटने का एलान करते जरूर हैं, पर उसमें से कम ही खैरात में खर्च होता है। और जो खर्च होता है, उसकी एक-एक पाई का हिसाब रहता है। और जो बिना एलान किए अरबपतियों को बांटते हैं, उसका भी हिसाब जरूर रहता है। और चूंकि वे एक-एक पाई का हिसाब रखते हैं, इसलिए उन्हें यह मंजूर नहीं है कि और  कोई बिना हिसाब के एक पाई भी ले या दे। लक्ष्मी जी ने बात काटी और पूछ लिया–और उनका गुप्त दान? अधिकारी ने लापरवाही से कहा–वह हमारी प्राब्लम नहीं है; गुप्तधन का आना और जाना, अब सचमुच गुप्त ही रहता है! फिर अधिकारी ने बिना मांगे सलाह भी दे डाली–बांटने का काम मोदी जी पर छोडक़र, आप तो बस दीवाली पर अपनी पूजा कराओ!

पर लक्ष्मी जी भी अड़ गयीं–दीवाली पर मन से बांटने जाएंगे और कागज भी नहीं दिखाएंगे! अधिकारी ने भी तुर्की ब तुर्की जवाब दिया–हम गए भी तो उसके बाद आयकर वाले, एनसीबी वाले, वगैरह आएंगे, अब आप शगुन की खैरात भी नहीं कर पाएंगे। उलूक ने इस बीच नागपुर फोन कर सहायता मांगी है। देखिए, इस दीवाली पर लक्ष्मी जी का धनवर्षा टूर होता भी है या कैंसिल ही हो जाता है।

(इस व्यंग्य आलेख के लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोकलहर के संपादक हैं।)

Enforcement Directorate
ED Raids
Diwali
Political satire

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ED के निशाने पर सोनिया-राहुल, राज्यसभा चुनावों से ऐन पहले क्यों!

ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया

कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

तिरछी नज़र: 2047 की बात है

कटाक्ष: महंगाई, बेकारी भुलाओ, मस्जिद से मंदिर निकलवाओ! 

ताजमहल किसे चाहिए— ऐ नफ़रत तू ज़िंदाबाद!

तिरछी नज़र: ...ओह माई गॉड!


बाकी खबरें

  • सरोजिनी बिष्ट
    विधानसभा घेरने की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशाएं, जानिये क्या हैं इनके मुद्दे? 
    17 May 2022
    ये आशायें लखनऊ में "उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन- (AICCTU, ऐक्टू) के बैनर तले एकत्रित हुईं थीं।
  • जितेन्द्र कुमार
    बिहार में विकास की जाति क्या है? क्या ख़ास जातियों वाले ज़िलों में ही किया जा रहा विकास? 
    17 May 2022
    बिहार में एक कहावत बड़ी प्रसिद्ध है, इसे लगभग हर बार चुनाव के समय दुहराया जाता है: ‘रोम पोप का, मधेपुरा गोप का और दरभंगा ठोप का’ (मतलब रोम में पोप का वर्चस्व है, मधेपुरा में यादवों का वर्चस्व है और…
  • असद रिज़वी
    लखनऊः नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम और सद्भावना का महिलाएं दे रहीं संदेश
    17 May 2022
    एडवा से जुड़ी महिलाएं घर-घर जाकर सांप्रदायिकता और नफ़रत से दूर रहने की लोगों से अपील कर रही हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 43 फ़ीसदी से ज़्यादा नए मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए 
    17 May 2022
    देश में क़रीब एक महीने बाद कोरोना के 2 हज़ार से कम यानी 1,569 नए मामले सामने आए हैं | इसमें से 43 फीसदी से ज्यादा यानी 663 मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए हैं। 
  • एम. के. भद्रकुमार
    श्रीलंका की मौजूदा स्थिति ख़तरे से भरी
    17 May 2022
    यहां ख़तरा इस बात को लेकर है कि जिस तरह के राजनीतिक परिदृश्य सामने आ रहे हैं, उनसे आर्थिक बहाली की संभावनाएं कमज़ोर होंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License