कृषि क्षेत्र से सम्बंधित तीन नये कानूनों के इतने व्यापक विरोध के बावजूद सरकार किसानों की कोई बात क्यों नहीं सुन रही है? 'जय जवान-जय किसान' के नारे का क्या औचित्य है, जब किसान अपनी बेहाली पर सरकार का ध्यान आकृष्ट करना चाहता है मगर सरकार सुनने को राजी नही! उन्हें दिल्ली में दाखिल होने तक नहीं दिया जा रहा है. महामारी के दौर में सर्दियों की परवाह किये बगैर हजारों किसान सिंधु-बार्डर पर क्यों जमा हैं?Hafte Ki Baat में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का विश्लेषण.