NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
ऑटोमोबाइल सेक्टर की मंदी को सरकार क्यों नकार रही है?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में सुस्ती के लिए ओला और उबर का हवाला दिया लेकिन 'सियाम' के मुताबिक, घरेलू बाज़ार में इस महीने कारों की बिक्री में 41 फीसदी से ज़्यादा गिरावट दर्ज की गई। जो बीते 21साल में सबसे ज्यादा है।
सोनिया यादव
11 Sep 2019
Indian Auto Industry Crises
Indian Auto Industry Crises

तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है,
मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है।


अदम गोंडवी की लिखी ये पंक्तियां आज भी हमारे देश की अर्थव्यवस्था की हालत बयां करती हैं। अब ये ख़बर आम है कि देश की आर्थिक स्थिति खस्ता है। अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। कंपनियां मंदी की चपेट में हैं। कॉस्ट कटिंग के नाम पर हजारों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं और कई लोगों की दांव पर लगी हुई हैं।

ऑटोमोबाइल सेक्टर की रफ्तार थम सी गई है। मांग कम होने के कारण कंपनियों ने उत्पादन में कटौती शुरू कर दी है। अगस्त में लगातार दसवें महीने गाड़ियों की बिक्री नीचे गिरी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 10 सितंबर, मंगलवार को इस संबंध में एक बयान दिया। उन्होंने कहा कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर बीएस6 और लोगों की सोच में आए परिवर्तन का असर पड़ रहा है,लोग अब गाड़ी खरीदने की बजाय ओला और उबर को तरजीह दे रहे हैं।

यह सच है कि भारत में ऑटोमोबाइल सेक्टर मंदी की चपेट में है। लेकिन सरकार इसे लगातार नकार रही है। पिछले महीने बीते 21 साल में सबसे कम कारों की बिक्री हुई। वाहन निर्माताओं के संगठन सियाम (SIAM) के मुताबिक, घरेलू बाज़ार में इस महीने कारों की बिक्री में 41 फीसदी से ज़्यादा गिरावट दर्ज की गई। सियाम के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में यात्री वाहनों की बिक्री एक साल पहले इसी माह की तुलना में 31.57 प्रतिशत घटकर 1,96,524 वाहन रह गई। एक साल पहले अगस्त में 2,87,198 वाहनों की बिक्री हुई थी।

mot ind crisi_0.jpeg
भारतीय ऑटोमोबाइल विनिर्माता सोसायटी ने 9 सितंबर, सोमवार को आंकड़ें जारी किए। इसके अनुसार अगस्त 2019 में घरेलू बाजार में कारों की बिक्री 41.09 प्रतिशत घटकर 1,15,957 कार रह गई जबकि एक साल पहले अगस्त में 1,96,847 कारें बिकी थी।

इस दौरान दुपहिया वाहनों की बिक्री 22.24 प्रतिशत घटकर 15,14,196 इकाई रह गई जबकि एक साल पहले इसी माह में देश में 19,47,304 दुपहिया वाहनों की बिक्री की गई। इसमें मोटरसाइकिलों की बिक्री 22.33 प्रतिशत घटकर 9,37,486 मोटरसाइकिल रह गई जबकि एक साल पहले इसी माह में 12,07,005 मोटरसाइकिलें बिकी थीं।

सियाम के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त माह में वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री 38.71 प्रतिशत घटकर 51,897 वाहन रही। कुल मिलाकर यदि सभी तरह के वाहनों की बात की जाये तो अगस्त 2019 में कुल वाहन बिक्री 23.55 प्रतिशत घटकर 18,21,490 वाहन रह गई जबकि एक साल पहले इसी माह में कुल 23,82,436 वाहनों की बिक्री हुई थी।

ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी के दौर का आलम ये है कि देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने पहली बार बीते हफ्ते अपने गुरुग्राम और मानेसर प्लांट को दो दिन के लिए बंद कर दिया था।

इस संबंध में मानेसर प्लांट में काम कर रहे एक कर्मचारी ने न्यूज़क्लिक को बताया कि कंपनी ने बीते महीने ही कई लोगों को नौकरी से निकाल दिया है और अभी कई लोगों को निकाले जाने की भी ख़बर चल रही है।

बता दें कि मारुति सुजुकी के बाद अब भारी वाहन बनाने वाली अग्रणी कंपनियों में एक अशोक लेलैंड ने भी मांग में कमी चलते अपने पांच संयंत्रों में सितंबर माह के दौरान पांच से लेकर 18 दिन तक 'नो वर्किंग डेज' का ऐलान किया है।
कंपनी ने एक बयान में कहा है कि सबसे अधिक पंतनगर संयंत्र में सितंबर माह के दौरान नो वर्किंग डे रहेगा। सबसे कम होशूर 1,2 और सीपीपीएस में पांच दिन नो वर्किंग डे होगा। एन्नोर संयंत्र में सितम्बर माह के दौरान 16 दिन, अलवर और भंडारा में दस-दस दिन नो वर्किंग डे रहेगा।

अशोक लेलैंड में कार्यरत एक सीनियर इंजीनियर ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा कि कंपनी फिलहाल उत्पादन कम करने के बारे में सोच रही है क्योंकि बाजार में जब मांग ही नहीं है तो उत्पादन क्षमता को कम करना ही होगा।
ये पूछे जाने पर कि क्या कंपनी ने लोगों को नौकरी से भी निकाला है, उन्होंने कहा कि कोई भी कंपनी कब तक नुकसान में व्यापार करेगी। कंपनी परोक्ष रूप से कोई न कोई रास्ता निकालती ही है जिससे लगातार हो रहे घाटे को कम किया जा सके।
एक अन्य कर्मचारी ने बताया कि अस्थाई कर्मचारियों को निकाला जा रहा है। साथ ही कई लोगों को कहा गया है कि अगर हालात नहीं सुधरे तो आगे उनकी भी छुट्टी हो सकती है।

Tata.png

देश भर में ऑटो मोबाइल सेक्टर में आयी बड़ी मंदी से लौहनगरी जमशेदपुर की ऑटो मोबाइल कंपनियों और उस पर आश्रित अनुषंगी इकाइयों पर भी खासा असर पड़ता दिख रहा है। मंदी की मार की चुनौतियों का सामना कर रहे छोटे और मंझोले औधोगिक इकाइयां में से 200 के करीब बंद हो गए हैं।

मंदी की मार में किसी ने नहीं सोचा होगा कि टाटा हिताची जमशेदपुर का प्लांट बंद हो जाएगा। एक अक्तूबर से इसके सभी कर्मचारियों को दूसरे प्लाटों में स्थांतरित किया जा रहा है। शायद आपको याद हो कि यह वही कंपनी है जिसने अपने बेहतर प्रदर्शन से 1997-98 की वैश्विक मंदी में टाटा मोटर्स को सहारा दिया था।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर का हाल बेहाल है। कई कार कंपनियों ने अपने प्लांट बंद कर दिए हैं। जबकि कुछ ने अस्थायी कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। जाहिर है सरकार को पांच  ट्रीलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के सपने से बाहर आकर जल्द ही कोई कारगार कदम उठाना होगा।

indian economy
maruti suzuki
Recession on Ashok Leyland
Finance minister Nirmala Sitharaman
Indian Automobile Industry
automobile production
Crisis in Automobile Industry

Related Stories

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

आर्थिक रिकवरी के वहम का शिकार है मोदी सरकार

जब 'ज्ञानवापी' पर हो चर्चा, तब महंगाई की किसको परवाह?

मज़बूत नेता के राज में डॉलर के मुक़ाबले रुपया अब तक के इतिहास में सबसे कमज़ोर

क्या भारत महामारी के बाद के रोज़गार संकट का सामना कर रहा है?

क्या एफटीए की मौजूदा होड़ दर्शाती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था परिपक्व हो चली है?

महंगाई के कुचक्र में पिसती आम जनता

रोहतक : मारुति सुज़ुकी के केंद्र में लगी आग, दो कर्मियों की मौत

रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंध का भारत के आम लोगों पर क्या असर पड़ेगा?


बाकी खबरें

  • रवि कौशल
    डीयूः नियमित प्राचार्य न होने की स्थिति में भर्ती पर रोक; स्टाफ, शिक्षकों में नाराज़गी
    24 May 2022
    दिल्ली विश्वविद्यालय के इस फैसले की शिक्षक समूहों ने तीखी आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि इससे विश्वविद्यालय में भर्ती का संकट और गहरा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल
    24 May 2022
    उत्तर बंगाल के ब्रू बेल्ट में लगभग 10,000 स्टाफ और सब-स्टाफ हैं। हड़ताल के निर्णय से बागान मालिकों में अफरा तफरी मच गयी है। मांग न मानने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल का संकेत दिया है।
  • कलिका मेहता
    खेल जगत की गंभीर समस्या है 'सेक्सटॉर्शन'
    24 May 2022
    एक भ्रष्टाचार रोधी अंतरराष्ट्रीय संस्थान के मुताबिक़, "संगठित खेल की प्रवृत्ति सेक्सटॉर्शन की समस्या को बढ़ावा दे सकती है।" खेल जगत में यौन दुर्व्यवहार के चर्चित मामलों ने दुनिया का ध्यान अपनी तरफ़…
  • आज का कार्टून
    राम मंदिर के बाद, मथुरा-काशी पहुँचा राष्ट्रवादी सिलेबस 
    24 May 2022
    2019 में सुप्रीम कोर्ट ने जब राम मंदिर पर फ़ैसला दिया तो लगा कि देश में अब हिंदू मुस्लिम मामलों में कुछ कमी आएगी। लेकिन राम मंदिर बहस की रेलगाड़ी अब मथुरा और काशी के टूर पर पहुँच गई है।
  • ज़ाहिद खान
    "रक़्स करना है तो फिर पांव की ज़ंजीर न देख..." : मजरूह सुल्तानपुरी पुण्यतिथि विशेष
    24 May 2022
    मजरूह सुल्तानपुरी की शायरी का शुरूआती दौर, आज़ादी के आंदोलन का दौर था। उनकी पुण्यतिथि पर पढ़िये उनके जीवन से जुड़े और शायरी से जुड़ी कुछ अहम बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License