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भारत
राजनीति
भारत में सबसे कम जेल में रहने की दर होने के बावजूद लक्षद्वीप को पांचवीं जेल की आवश्यकता क्यों है?
पूरे देश में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तुलना में लक्षद्वीप में जेल में रह रहे कैदियों की तादाद सबसे कम 6 फीसदी है। इसकी तुलना में दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश में जेल अधिभोग दर क्रमशः 174.9 फीसदी एवं 167.9 फीसदी है। 
अयस्कांत दास
06 Nov 2021
lakshwdeep

नई दिल्ली: इस तथ्य के बावजूद कि लक्षद्वीप में पूरे देश में सबसे कम मात्र 6 फीसदी जेल अधिभोग दर है, केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन ने द्वीपसमूह के लिए एक नई जेल की स्थापना की योजना बनाई है। 

लक्षद्वीप के प्रशासन ने नई जेल बनाने के लिए 21 अक्टूबर को 25 करोड़ की लागत के टेंडर मंगाए थे। वह भी इस तथ्य के बावजूद कि केंद्र शासित प्रदेश में पूरे देश से सबसे कम अपराध दर है।

लक्षद्वीप में पहले से ही चार कारागार हैं (इनमें उप-कारागार भी हैं) जिनकी कुल क्षमता 64 कैदियों को रखने की है। इन जेलों में राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक 31 दिसम्बर 2019 तक केवल चार विचारधीन कैदी ही थे। 

केंद्र शासित प्रदेश में रहने वाली स्थानीय आबादी का एक वर्ग, जिनमें लगभग 97% (भारत की जनगणना 2011 के अनुसार) मुसलमान हैं, उनको यह डर सता रहा है कि जब राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) संकलित किया जाएगा तो इस नई बढ़ी हुई जेल क्षमता का इस्तेमाल लक्षद्वीप में रह रहे अवैध प्रवासियों को हिरासत में रखने के लिए किया जाएगा। आबादी के बाकी वर्गों, जिनमें नीति-निर्माता एवं विधिवेत्ता शामिल हैं, उन्होंने इस परियोजना को गैर-जरूरी करार दिया है, और आरोप लगाया है कि केवल ठेकेदारों और बिचौलियों के माध्यम से जनता की गाढ़ी कमाई से आए धन का दोहन करने के लिए यह परियोजना लाई गई है। वहीं दूसरी ओर, केंद्र शासित प्रदेश का स्वतंत्रता के बाद से द्वीपसमूह के लिए किसी जिला जेल के न होने और पिछले कुछ महीनों में "कानून और व्यवस्था के भंग" होने की घटनाओं में वृद्धि को देखते हुए इस परियोजना को अपरिहार्य मानता है। 

लक्षद्वीप के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मौजूदा लोकसभा सांसद मोहम्मद फैजल ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में बताया, “प्रस्तावित जेल परियोजना इसके प्रशासक प्रफुल खोडाभाई पटेल द्वारा तैयार किए गए लक्षद्वीप विकास के मॉडल का ताजा संस्करण है। इस तथ्य को देखते हुए कि लक्षद्वीप में देश में सबसे कम जेल अधिभोग दर है, इस परिमाण की एक बुनियादी ढांचा परियोजना की कल्पना केवल शासकों और उनके साथियों को जनता के धन को ठगने की प्रक्रिया में मदद करने के लिए की गई है।” 

6 फीसदी लक्षद्वीप की जेल अधिभोग दर पूरे देश में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे कम है। इसकी तुलना में दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश में जेल अधिभोग दर क्रमशः 174.9 फीसदी एवं 167.9 फीसदी है। 

एनसीआरबी के नवीनतम उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, लक्षद्वीप की चार उप-जेलों में 31 दिसंबर 2019 तक सभी चार कैदी मुस्लिम हैं, जो अनुसूचित जनजाति समुदायों से भी संबंधित हैं और उनमें से किसी को भी अभी तक दोषी नहीं ठहराया गया है।

सभी चार विचाराधीन कैदी पुरुष हैं, जिनकी आयु 18 से 50 वर्ष के बीच है और उन पर विशेष और स्थानीय कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है जबकि इन चारों विचाराधीन कैदियों में से किसी पर भी भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) के तहत मुकदमा नहीं चल रहा था, फिर भी उनमें से प्रत्येक कम से कम पांच साल से जेल में रखा गया है। 

लक्षद्वीप में जेल में रहने की दर हमेशा ही बहुत कम रही है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, चार जेलों में कैदियों की कुल संख्या 31 दिसंबर, 2018 तक सिर्फ 1 थी, जो पूरे देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे कम है। 

एक स्थानीय वकील फसीला इब्राहिम कहती हैं, “परियोजना बड़े पैमाने पर चलाई जा रही है और यह लक्षद्वीप की जनसंख्या और अपराध दर के अनुपात में नहीं है। इसके अलावा, भूमि पर कुछ रियाइशी मकान बने हैं, जिन्हें प्रशासन द्वारा जेल परियोजना के लिए अधिग्रहित किया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप, उस क्षेत्र में रहने वाली आबादी विस्थापित हो जाएगी। अंततोगत्वा, यह परियोजना कुछ ठेकेदारों और बिचौलियों की जेबें भरने के अलावा किसी भी सार्वजनिक हित में काम नहीं करेगी। ”

यह प्रस्तावित जेल केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के प्रशासनिक मुख्यालय कवरत्ती में बनेगी, जो द्वीपसमूह के 36 द्वीपों में से सबसे विकसित द्वीप है। जनगणना 2011 के अनुसार लक्षद्वीप की कुल आबादी 64,473 है, जो द्वीपसमूह के 10 बसे द्वीपों में बसी हुई है। यहां नई बनने वाली जेल में 50 से अधिक कैदी रखे जा सकेंगे जबकि एनसीआरबी-2020 के आंकड़ों के अनुसार, आइपीसी के तहत अपराध में वर्ष 2018, 2019 और 2020 में क्रमशः 48, 123 और 107 मामले दर्ज किए गए थे। इसी तरह, इन्हीं तीन वर्षों में विशेष और स्थानीय कानूनों के तहत दर्ज अपराधों की संख्या क्रमशः 29, 59 और 40 ही थी। 

अजस अकबर, जो कांग्रेस के छात्र प्रकोष्ठ नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया के एक कार्यकर्ता हैं, ने न्यूज़क्लिक को बताया, “इस परिदृश्य में, इस छोटे से केंद्र शासित प्रदेश में एक और जेल बनाने का तर्क क्या हो सकता है? यह नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के कार्यान्वयन के बाद अवैध अप्रवासियों के रूप में पहचाने गए लोगों को हिरासत में लेने के लिए हो सकता है। इसके अलावा, केंद्र की बहुसंख्यक सरकार देश के मुख्य हिस्सों से राजनीतिक कैदियों को लक्षद्वीप की खाली जेलों में रखने की एक वैकल्पिक योजना बना सकती है।”

लक्षद्वीप द्वीप समूह, जो कभी अपनी शांति के लिए जाना जाता था, उनमें हाल के दिनों में ऐसा क्या बदलाव हो गया है, जिसकी वजह से एक नई जेल बनाने की जरूरत आ पड़ी है? केंद्र शासित प्रदेश में अपराध दर कम होने के बावजूद, इसके प्रशासक, प्रफुल खोड़ा पटेल, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी निकटता के लिए जाने जाते हैं, ने इस साल अप्रैल में एक गुंडा अधिनियम (लक्षद्वीप असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम, 2021) पेश किया। दरअसल, यह अदालत में आरोप पत्र दायर किए बिना लोगों को लंबे समय तक हिरासत में रखने का अधिकार है। 

गुंडा अधिनियम पटेल द्वारा पेश किए गए कई कानूनों में से एक था, जो मुस्लिम बहुल केंद्र शासित प्रदेश में गोमांस के भंडारण, परिवहन और खपत पर सख्त नियमन के अलावा, लक्षद्वीप पर उनके प्रशासन ने अप्रैल 2021 में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान मोटे तौर पर एक 'शॉक थेरेपी' के रूप में थोपा गया था। 

पटेल द्वारा एक और अधिनियम भी पेश किया गया था, जो बड़े पैमाने पर विस्थापन की कीमत पर स्थानीय लोगों से उनकी भूमि लेने के लिए प्रशासन को प्रभावी ढंग से सशक्त बनाता था। इस अधिनियम के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन किए गए थे। इनमें से कुछ विरोध-प्रदर्शन विपक्षी राजनीतिक दलों के नेतृत्व में पटेल द्वारा केंद्र शासित प्रदेश के कई नियमों और विनियमों को लागू करने के प्रयास के खिलाफ किए गए थे।

लक्षद्वीप में तब व्यापक जनाक्रोश देखा गया था, जब पटेल ने शराब पर लगे प्रतिबंध को हटाने का फैसला किया। हालांकि शराबबंदी इस केंद्र शासित प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में पहले से ही लागू थी। पटेल पर कोरोना की दूसरी लहर के दौरान केंद्र शासित प्रदेश में कोविड-19 के संक्रमितों की तादाद बढ़ाने के लिए दोषी ठहराया गया था क्योंकि उन्होंने बाहरी लोगों के द्वीपों में प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया था। उन्होंने आरटी-पीसीआर की नकारात्मक जांच रिपोर्ट ले आने वाले किसी भी व्यक्ति को लक्षद्वीप में आने की इजाजत दे दी थी। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए इन मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) में प्रशासन द्वारा किए गए परिवर्तनों के खिलाफ द्वीपों में विरोध प्रदर्शन किया गया था। 

जाहिर है कि प्रफुल्ल पटेल के विकास के इन प्रतिमानों को लेकर जनता में तीव्र प्रतिक्रिया हो रही है। तो क्या पटेल के मॉडल से असंतुष्टों की बढ़ती संख्या पर काबू पाने के प्रयास के तहत ही केंद्र शासित प्रदेश में जेल की क्षमता बढ़ाई जा रही है? इसका कोई स्पष्ट उत्तर नहीं है। 

लक्षद्वीप के जिला कलेक्टर एस आस्कर अली ने न्यूज़क्लिक को बताया, “हाल के दिनों में ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जहां हमें कानून और व्यवस्था के भंग होने की घटनाओं के दौरान बड़ी संख्या में लोगों को हिरासत में रखने की जरूरत हुई है, इसमें कठिनाई हुई है। उदाहरण के लिए, इस साल जनवरी में हमने 30 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया था, जो केंद्र शासित प्रदेश में नए बनाए गए कोविड एसओपी का विरोध कर रहे थे। हमारे पास एक भी ऐसी जगह नहीं थी, जहां हम उन्हें एक साथ रख सकें। इसलिए, उन्हें सामुदायिक केंद्रों या स्कूलों में किसी तरह समायोजित करना पड़ा था। इसके अलावा, आज तक इस केंद्र शासित प्रदेश की अपनी कोई जिला जेल नहीं है। नया जेल परिसर उन सभी सुविधाएं और प्रणालियों से लैस होगा, जिनकी जेल में आवश्यकता होती है।” 

अली ने कहा कि लक्षद्वीप की नई जिला जेल का उपयोग देश के अन्य हिस्सों के राजनीतिक कैदियों को यहां रखने में नहीं किया जाएगा। 

उन्होंने कहा, “भारत में एक मजबूत त्रि-स्तरीय न्यायिक प्रणाली है। राजनीतिक बंदियों को लक्षद्वीप निर्वासित किए जाने की आशंका निराधार है। एक जेल भी सभी संकटमोचनों के लिए एक निवारक के रूप में काम करेगा।”

अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Why Does Lakshadweep Need a Fifth Jail Despite Having Lowest Prison Occupancy Rate in India?

Lakshadweep
Prisons
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Praful Khoda Patel Goonda Act
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