NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
आंदोलन
उत्पीड़न
कानून
भारत
राजनीति
हालिया गठित स्पेशल टास्क फ़ोर्स द्वारा संदिग्ध ‘राष्ट्र-विरोधी’ कर्मचारियों को एकांगी तौर पर निष्काषित करना क्यों समस्याग्रस्त है
जम्मू कश्मीर सामान्य प्रशासन के हालिया आदेश की पड़ताल करने पर देखने में आया है कि उसके तहत राज्य के तीन सरकारी कर्मचारियों को बिना किसी जांच के “राज्य की सुरक्षा के हित को ध्यान में रखते हुए’ निष्काषित कर दिया गया।
तन्वी रैना
12 May 2021
Jammu and Kashmir

 

जम्मू-कश्मीर सामान्य प्रशासन के हालिया आदेश की पड़ताल करने पर देखने में आया है कि उसके तहत तीन राज्य सरकार के कर्मचारियों को बिना किसी जाँच के “राज्य की सुरक्षा के हित के में” निष्काषित कर दिया गया था। इस बारे में तन्वी रैना बता रही हैं कि क्यों यह आदेश भाषण और अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने और कानून के राज को नकारने का काम करता है।

——

इस महीने की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर की सरकार ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए तीन सरकारी कर्मचारियों की सेवाओं को समाप्त कर दिया था, जिसमें उनकी बर्खास्तगी के लिए राज्य सुरक्षा के हितों का हवाला दिया गया था। 

15 वर्षों से एक सरकारी स्कूल में अध्यापन कार्य करने वाले माध्यमिक-स्कूल के शिक्षक इदरीस जान को एक दो सौ-शब्द वाले आदेश के जरिये बर्खास्त कर दिया गया था। बर्खास्तगी आदेश में कहा गया है कि “उप-राज्यपाल इस बात से संतुष्ट हैं कि राज्य की सुरक्षा के दृष्टिगत इस बारे में जांच बिठाना उचित नहीं होगा।” इसी प्रकार से, दो अन्य कर्मचारियों को भी ऐसे ही आदेश प्राप्त हुए।

इन बर्खास्तगी की घटनाओं को जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा संविधान के अनुच्छेद 311(2)(c) के तहत गठित एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) द्वारा जारी आदेश की रोशनी में देखे जाने की जरूरत है। निश्चित रूप से एसटीएफ की भूमिका यह है कि वह राज्य की सुरक्षा के खिलाफ संदेहास्पद गतिविधियों में लिप्त सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ “जांच करना” और कार्यवाही आरंभ करना है। 

आमतौर पर अनुच्छेद 311 अच्छी तरह से जांच और सुनवाई के लिए पर्याप्त अवसर दिए जाने के बाद “संघ या राज्य के तहत विभिन्न नागरिक क्षमताओं में सेवारत व्यक्तियों को अपदस्थ, बर्खास्त करने या पदों में घटोत्तरी करने” से संबंधित है। हालाँकि ये बर्खास्तगी के आदेश अनुच्छेद 311(2)(c) के अनुसार  हैं, जिसमें यह अधिकार दिए गए हैं कि ऐसे मामलों में जहाँ आरोप के खुलासे मात्र से राज्य की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है, तो ऐसी स्थिति में राज्यपाल या राष्ट्रपति के लिए किसी प्रकार की जांच  बिठाना आवश्यक नहीं रह जाता है।

एसटीएफ के गठन का आदेश क्या कहता है?

इन बर्खास्तगी के आदेशों से सम्बद्ध स्पष्ट मुद्दों को हल करने से पहले कोई भी व्यक्ति एसटीएफ के गठन के पीछे के उद्येश्य को समझना चाहेगा।

दिनांक 21 अप्रैल के आदेश के तहत जिन सरकारी कर्मचारियों की “गतिविधियाँ” संविधान के अनुच्छेद 311(2)(c) के तहत कार्यवाही की मांग करती हैं, की पहचान की जायेगी और एसटीएफ के द्वारा उनकी जांच की जायेगी। एसटीएफ ऐसे मामलों से निपटने के लिए पिछले आदेश के माध्यम से जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा गठित एक अन्य समिति के जरिये “जहाँ कहीं आवश्यक होगा, कर्मचारियों के रिकार्ड्स को संकलित करेगी और उद्धृत करेगी”। ऐसे कर्मचारियों की पहचान करने के लिए यह टेरर मॉनिटरिंग ग्रुप (टीएमजी) के सदस्यों को भी इसमें शामिल करेगा।

अपने पिछले साल के एक आदेश में उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा था कि किसी कर्मचारी की बर्खास्तगी का आधार “पूछताछ रिपोर्ट एवं अन्य आनुषंगिक सबूतों के जरिये समर्थित होगा... जिसे राज्य की सुरक्षा के हितों को ध्यान में रखते हुए जांच बिठाने से विरत रहने को सही ठहराया जाएगा।”

केन्द्रीय गृह मंत्रालय के मामलों के अधिकारियों के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा गया है कि “समूह (टीएमजी) जम्मू-कश्मीर में आतंक-संबंधित गतिविधियों को परोक्ष या सीधा समर्थन देने वाले शिक्षकों सहित सरकारी कर्मचारियों के बीच में मौजूद कट्टर समर्थकों के खिलाफ कार्यवाही करेगा।” राज्य द्वारा पूर्व में जिस प्रकार के पुलिस और निगरानी तंत्र को खड़ा किया गया है, उसे देखते हुए यह विकास आश्चर्यजनक नहीं लगता, जैसे कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन के एक आदेश में सरकारी कर्मचारियों के सोशल मीडिया के सत्यापन की जरूरत के लिए आदेश दिए गए थे।

अतार्किक बर्खास्तगी के साथ जुडी समस्याएं 

यहाँ तक कि उपरी तौर पर भी इन घटनाओं से जुड़े कई मुद्दे चिंता का विषय बने हुए हैं। इन आदेशों में बर्खास्तगी के अन्तर्निहित वजहों को निर्दिष्ट नहीं किया गया है; ऐसे में संभावित “संदिग्ध” गतिविधियों और राज्य सुरक्षा के लिए स्पष्ट खतरे के बीच में तार्किक सांठ-गाँठ को तय कर पाना असंभव हो जाता है। 

ए.के. कौल बनाम भारत सरकार (एआईआर 1995 एससीसी 1403), मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि अनुच्छेद 311 के खंड 2(सी) को लागू करते समय भी, सरकार को कर्मचारी की गतिविधियों की प्रकृति का खुलासा करना आवश्यक है, जो राष्ट्रपति या राज्यपाल की संतुष्टि का आधार बनेगी, चाहे जैसा भी मामला हो, ताकि अदालत या ट्रिब्यूनल आदेश की वैधता का फैसला करने में सक्षम हो सके।

ठोस और विशिष्ट कारणों की अनिश्चितता के अलावा बर्खास्त करने वाले आदेश अस्पष्ट शब्दों के साथ लिखे गए हैं, और सरकारी कर्मचारी किन परिस्थितियों के तहत अपनी बर्खास्तगी की उम्मीद कर सकते हैं के बारे में बेहद कम या कोई समझ प्रदान नहीं करते हैं।

‘आतंकवाद से सहानुभूति रखने वाले’ और ‘राष्ट्र विरोधी’ जैसे शब्द व्यापक और अस्पष्ट लेबल हैं। मीडिया-संचालित ‘राष्ट्र-विरोधी’ उन्मादी छवि के माध्यम से इस बात की पूरी-पूरी संभावना है कि सोशल मीडिया पर अपनी राय को बढ़चढ़कर प्रकट करने या राज्य के खिलाफ किसी सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने के कारण नौकरी से हाथ धोने का तार्किक खतरा उत्पन्न हो गया है। इसके अलावा प्रशासन को यह सुनिश्चित करने के लिए तमाम विशेषाधिकारी शक्तियाँ दे दी गई हैं जिसके तहत वह बिना किसी जांच के यह तय करने के लिए स्वतंत्र है कि किसे वह ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के खिलाफ काम करने के नाम पर बर्खास्त कर दे। एसटीएफ को जो शक्तियाँ दी गई हैं उनमें कोई सुरक्षा उपाय नहीं हैं, और मात्र संदेह के आधार पर आरोप लगाये जा सकते हैं।

कानून के शासन पर शासित एक लोकतांत्रिक समाज एक मजबूत संस्थागत अवरोध एवं संतुलन की मांग करता है। ठोस सुरक्षा उपायों के अभाव में इस प्रकार की व्यापक प्रशासनिक शक्तियों से इसके अंधाधुंध तरीके से दुरूपयोग एवं मनमाने शासन को मजबूत करने का आधार मिल जाता है। एसटीएफ के गठन और इसके परिणामस्वरूप नौकरी से हाथ धोने का खतरा और दुश्चिंता कानून के राज के क्षरण की सीमा को दर्शाती है।

अतीत के विभिन्न उदाहरणों की तरह ही राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर राज्य की संकुचित धारणा और इसके द्वारा आतंकवाद पर अंकुश लगाने को लेकर ‘सक्रिय’ रुख में लोकतान्त्रिक मानकों के कमजोर पड़ते जाने की विलक्षण क्षमता है जो आमतौर पर प्राकृतिक न्याय और कानून के राज के सिद्धांतों को अक्षुण्ण बनाए रखती है। ‘राज्य सुरक्षा’ के तत्वों का इस्तेमाल कर, राज्य द्वारा नागरिकों की मौलिक आजादी का गला घोंटने के लिए अत्याचारपूर्ण एवं असंतुलित कानूनों को लाता है। ये प्रशासनिक आदेश चुपके से लेकिन निश्चित तौर पर आत्म-प्रतिबंध के शासन को लागू करने के लिए वांछित बनाते हैं, और इसकी वजह से अन्य संवैधानिक तौर पर संरक्षित मौलिक अधिकारों के साथ-साथ भाषण और अभिव्यक्ति की आजादी और साहचर्य का गला घोंट दिया जा सकता है।  

(तन्वी रैना नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली की छात्रा हैं। व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं।)

यह लेख मूलतः द लीफलेट में प्रकाशित हुआ था।

Jammu and Kashmir
J&K Special Task Force
Illegal Termination of Workers

Related Stories

धारा 370, अर्थव्यस्था या उन्नाव रेप केस, सवाल क्यों न करें 

23 साल जेल में बिताने के बाद निर्दोष साबित : क्या न्याय हुआ?

कठुआ बलात्कार मामला:  जम्मू-कश्मीर सरकार और दोषियों को अदालत ने जारी किया नोटिस  

कठुआ की मासूम को इंसाफ, तीन दोषियों को उम्र कैद, तीन पुलिसवालों को 5 साल की सज़ा

जम्मू-कश्मीर: नागरिक की हत्या के बाद कर्फ्यू लागू, सेना बुलाई गई 


बाकी खबरें

  • Ambedkar Jayanti
    न्यूज़क्लिक टीम
    डॉ.अंबेडकर जयंती: सामाजिक न्याय के हजारों पैरोकार पहुंचे संसद मार्ग !
    14 Apr 2022
    दो साल के कोरोनाकाल अंतराल के बाद एक बार फिर 14 अप्रैल2022 को डॉ. बीआर अंबेडकर की 131वीं जयंती के मौके पर दिल्ली में संसद मार्ग पर हज़ारों लोग इकट्ठे हुए और उनको याद किया। जनवाद और संविधान पर बढ़ते…
  • Ambedkar Jayanti
    न्यूज़क्लिक टीम
    ग्राउंड रिपोर्ट: अंबेडकर जयंती पर जय भीम और संविधान की गूंज
    14 Apr 2022
    ग्राउंड रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह पहुंची दिल्ली के संसद मार्ग में अंबेडकर जयंती पर होने वाले उत्सव में, जहां लोग अपने पूरे घर-परिवार के साथ पहुंचे थे। उन्होंने दशकों से अंबेडकरवादी…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बनारस: आग लगने से साड़ी फिनिशिंग का काम करने वाले 4 लोगों की मौत
    14 Apr 2022
    साड़ी फिनिशिंग के 12 फुट गुणा 10 फुट के कमरे में साड़ी, फोम, फिनिशिंग सामग्री रखी थी जो सिंथेटिक थी और जिससे आग कमरे में तेजी से फैल गयी। बिजली के तारों में भी आग लग गई और आग रोकने के प्रयास में चारों…
  • आज का कार्टून
    सावधान!, वे लोग इस तरफ़ ही आ रहे हैं
    14 Apr 2022
    आज हम और हमारा देश एक अहम मोड़ पर खड़ा है। यहाँ से ही तय होगा कि देश किस तरफ़ जाएगा। आज वास्तव में अगर किसी को ख़तरा है तो वो हैं हमारे लोकतांत्रिक मूल्य, हमारा संविधान।
  • indian economy
    न्यूज़क्लिक टीम
    महंगाई के कुचक्र में पिसती आम जनता
    14 Apr 2022
    मार्च महीने के खुदरा महंगाई के सरकारी आंकड़े आए हैं। सरकारी आंकड़े बता रहे है कि खुदरा महंगाई दर 17 महीने के ऊपर पहुंच चुका है। पिछले तीन महीने से महंगाई की दर लगातार 6 फीसदी से ऊपर रही है। मार्च…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License