NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
नए कृषि कानूनों से उप-चुनाव में नुकसान के डर से शिवराज सरकार किसानों को रिझाने की कोशिश में
किसानों से सम्बंधित तीन बिलों के संसद में पारित होने के एक दिन बाद से ही किसान सड़कों पर हैं, और भोपाल सहित सारे राज्य भर में विरोध प्रदर्शन जारी हैं।
काशिफ़ काकवी
25 Sep 2020
शिवराज सरकार

भोपाल: राज्य में होने जा रहे आगामी उपचुनावों के मद्देनजर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से मंगलवार के दिन यह घोषणा की गई है कि राज्य के किसानों को मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि (एमकेएसएन) के तहत प्रतिवर्ष 4,000 रुपये दिए जायेंगे। यह घोषणा अपने आप में एक तीर से दो शिकार करने वाली प्रतीत होती है।

चौहान द्वारा उठाये गए इस कदम को हाल ही में संसद द्वारा पारित किये गए कृषि विधेयकों के खिलाफ किसानों में उपजे गुस्से को शांत करने की एक कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। दूसरा, इसके जरिये कांग्रेस की ऋण माफी योजना का जवाब देने का भी प्रयास किया जा रहा है, जिसके तहत कांग्रेस के 15 महीने के शासनकाल में तकरीबन 26.90 लाख किसानों के कर्ज माफ कर दिए गए थे। कांग्रेस इसे एक चुनावी मुद्दा बनाने के लिए पूरी तरह से तैयारी में थी।

tweet_0.png

अनुमान है कि मध्य प्रदेश की 28 सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव भी इसी दौरान होंगे, जब बिहार में इस साल अक्टूबर और नवंबर में विधानसभा चुनाव आयोजित किये जायेंगे।

मप्र सरकार द्वारा घोषित यह नवीनतम योजना दरअसल, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएमकेएसएन) की ही तर्ज पर है। इसके तहत केंद्र की ओर से किसानों को तीन किश्तों में एक वर्ष में कुल 6,000 रुपये मिलते हैं। वहीं चौहान द्वारा घोषित इस योजना के जरिये तकरीबन 77 लाख किसानों को दो किश्तों में हर साल 4,000 रुपये का लाभ होने जा रहा है।

भोपाल में मंगलवार को इस योजना का अनावरण करते हुए चौहान ने कहा था “मध्य प्रदेश के किसानों को अब कुलमिलाकर 10,000 रुपये प्रति वर्ष की वित्तीय सहायता हासिल हो सकेगी। पीएमकेएसएन के तहत 6,000 रुपये और एमकेएसएन के तहत 4,000 रुपये।” उन्होंने आगे कहा "पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर 25 सितंबर को इसकी पहली किश्त हस्तांतरित की जाएगी।"

मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने इस योजना का विवरण देते हुए कहा है: "पीएमकेएसएन के तहत पंजीकृत सभी 77 लाख किसानों को 25 सितंबर के दिन इसकी पहली किश्त मिल जायेगी, हालांकि कुल मिलाकर देखें तो राज्य में तकरीबन एक करोड़ जोतदार किसान हैं।"

बैंस के अनुसार "बाकी के किसानों को इस योजना का लाभ मुहैया कराने के लिए उन्हें एमकेएसएन पोर्टल पर अपना पंजीकरण करना होगा और एक बार अपने संबंधित क्षेत्रों के पटवारियों द्वारा सत्यापित किये जाने के बाद उन्हें भी उनके बैंक खातों में यह धनराशि मिलनी शुरू हो जाएगी।"

इसके साथ-साथ सीएम द्वारा सहकारी बैंकों के लिए 800 करोड़ रुपये के बजट के आवंटन की भी घोषणा की गई है, जहां से किसान ब्याज मुक्त कृषि ऋण हासिल कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त सीएम ने 63,000 लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड भी वितरित किए।

किसानों के गुस्से की हवा निकालने की एक कोशिश

इस बीच किसानों से सम्बंधित तीन बिलों के संसद में पारित होने के एक दिन बाद से ही किसान सड़कों पर हैं, और भोपाल सहित सारे राज्य भर में विरोध प्रदर्शन जारी हैं।

इस संबंध में दो किसान संघों - भारतीय किसान यूनियन एवं भारतीय किसान मजदूर संघ ने न सिर्फ भोपाल में ही विरोध प्रदर्शन आयोजित किये हैं, बल्कि 25 सितंबर के दिन भारी पैमाने पर राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन का भी ऐलान है। आरएसएस समर्थित भारतीय किसान संघ के नेताओं ने भी मुख्यमंत्री चौहान से इस सम्बंध में मुलाकात की है।

भारतीय किसान मजदूर संघ के नेता शिवकुमार शुक्ला ने इस सम्बंध में कहा है कि: “केंद्र सरकार जिस मॉडल को देश में लागू करने की सोच रही है, वह अमेरिका जैसे बड़े देशों तक में विफल साबित हुआ है। हम इसके पूरी तरह से खिलाफ में हैं और इसके बारे में किसानों के बीच जागरूकता पैदा करने में जुटे हैं। जल्द ही हम बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन को अंजाम देने जा रहे हैं।”

शिवकुमार की बातों पर हामी भरते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता अनिल यादव का कहना था कि राज्य सरकार द्वारा आरंभ की गई इस नई एमकेएसएन स्कीम को इस्तेमाल में लाकर इस मुद्दे से "किसानों का ध्यान भटकाने" की कोशिश की जा रही है, लेकिन “वह अपने इरादे में सफल नहीं होने वाली।”

कृषि ऋण माफ़ी एक धोखा?

इस वर्ष मार्च में कांग्रेस सरकार के पतन के बाद से ही सीएम चौहान एवं राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित तमाम बीजेपी नेता इस बात का दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस का कृषि ऋण माफी का वादा एक छलावे से अधिक कुछ नहीं था। अपने-अपने दावों के साथ दोनों दल आपस में भिड़े हुए हैं।

‘कांग्रेस सरकार द्वारा कोई भी कृषि ऋण माफ नहीं किया गया है। कर्ज माफ़ी का उनका दावा सरासर झूठा है।’ रैलियों के दौरान भाजपा नेताओं के भाषणों में ये लाइनें आजकल आमतौर पर सुनने को मिल रही हैं। यही नहीं बल्कि कृषि मंत्री कमल पटेल तो किसानों से यहाँ तक अपील कर रहे हैं कि वे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के खिलाफ उनके साथ की गई इस धोखाधड़ी और विश्वासघात पर प्राथमिकी दर्ज करायें।

इसके बावजूद 22 सितंबर को राज्य विधानसभा में बीजेपी ने इस बात को माना है कि अपने 15 महीनों के शासनकाल के दौरान कांग्रेस सरकार ने दो चरणों में कुल 26.95 लाख किसानों के 11,646 करोड़ रुपये मूल्य के कर्ज माफ करने का काम किया है।

इसके अगले ही दिन कांग्रेस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर भाजपा नेताओं पर तीखा हमला बोला और कृष ऋण माफ़ी के मुद्दे पर सार्वजनिक तौर पर झूठ बोलने पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से माफी मांगने की मांग की है।

कांग्रेस नेता नरेंद्र सलूजा का इस बारे में कहना है कि "भाजपा अपने कृषि ऋण माफी पर बोले गए झूठ को छुपाने के लिए एक और झूठ बोल रही है।" सलूजा कहते हैं, “हर साल करीब एक करोड़ किसानों को 4,000 रुपये का भुगतान एक ऐसे राज्य के लिए कर पाना करीब-करीब नामुमकिन है, जिसके सर पर 2.13 लाख करोड़ रुपयों का कर्ज चढ़ रखा हो। यह सब किसानों की आँखों में धूल झोंकने सिवाय और कुछ भी नहीं है।” 

अंग्रेजी में प्रकाशित मूल लेख पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

With By-Polls Due and Farm Bills Passed at Centre, MP Govt. Tries to Placate Farmers

Madhya Pradesh
Shivraj Chouhan
Kamal Nath
farm loan waiver
PMKSN
MKSN
Farm Bills

Related Stories

परिक्रमा वासियों की नज़र से नर्मदा

कड़ी मेहनत से तेंदूपत्ता तोड़ने के बावजूद नहीं मिलता वाजिब दाम!  

मनासा में "जागे हिन्दू" ने एक जैन हमेशा के लिए सुलाया

‘’तेरा नाम मोहम्मद है’’?... फिर पीट-पीटकर मार डाला!

कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी

एमपी ग़ज़ब है: अब दहेज ग़ैर क़ानूनी और वर्जित शब्द नहीं रह गया

मध्यप्रदेशः सागर की एग्रो प्रोडक्ट कंपनी से कई गांव प्रभावित, बीमारी और ज़मीन बंजर होने की शिकायत

सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल

मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग


बाकी खबरें

  • Ramjas
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल
    01 Jun 2022
    वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया(SFI) ने दक्षिणपंथी छात्र संगठन पर हमले का आरोप लगाया है। इस मामले में पुलिस ने भी क़ानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। परन्तु छात्र संगठनों का आरोप है कि…
  • monsoon
    मोहम्मद इमरान खान
    बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग
    01 Jun 2022
    पटना: मानसून अभी आया नहीं है लेकिन इस दौरान होने वाले नदी के कटाव की दहशत गांवों के लोगों में इस कदर है कि वे कड़ी मशक्कत से बनाए अपने घरों को तोड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं। गरीबी स
  • Gyanvapi Masjid
    भाषा
    ज्ञानवापी मामले में अधिवक्ताओं हरिशंकर जैन एवं विष्णु जैन को पैरवी करने से हटाया गया
    01 Jun 2022
    उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके पुत्र विष्णु जैन ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की पैरवी कर रहे थे। इसके साथ ही पिता और पुत्र की जोड़ी हिंदुओं से जुड़े कई मुकदमों की पैरवी कर रही है।
  • sonia gandhi
    भाषा
    ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया
    01 Jun 2022
    ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष को आठ जून को पेश होने को कहा है। यह मामला पार्टी समर्थित ‘यंग इंडियन’ में कथित वित्तीय अनियमितता की जांच के सिलसिले में हाल में दर्ज किया गया था।
  • neoliberalism
    प्रभात पटनायक
    नवउदारवाद और मुद्रास्फीति-विरोधी नीति
    01 Jun 2022
    आम तौर पर नवउदारवादी व्यवस्था को प्रदत्त मानकर चला जाता है और इसी आधार पर खड़े होकर तर्क-वितर्क किए जाते हैं कि बेरोजगारी और मुद्रास्फीति में से किस पर अंकुश लगाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना बेहतर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License