NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अंतरराष्ट्रीय
श्री लंका
यूरोप
अफ्रीका
उथल-पुथल: राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता से जूझता विश्व  
चाहे वह रूस-यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध हो या श्रीलंका में चल रहा संकट, पाकिस्तान में चल रही राजनीतिक अस्थिरता हो या फिर अफ्रीकी देशों में हो रहा सैन्य तख़्तापलट, वैश्विक स्तर पर हर ओर अस्थिरता बढ़ती देखी जा सकती है।
शारिब अहमद खान
18 May 2022
russia

21वीं सदी में विश्व राजनीतिक अस्थिरता, अशान्ति और उथल-पुथल से गुज़र रहा है, खासकर कोरोना महामारी के बाद यह समस्या और भी बढ़ती जा रही है। चाहे वह रूस-यूक्रेन युद्ध हो या वर्तमान समय में श्रीलंका के राजनीतिक और आर्थिक हालात हो या पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता हो या म्यांमार में पिछले साल हुआ सैन्य तख्तापलट। विश्व वर्तमान समय में विकट समस्या से गुज़र रहा है, जिसका आम आदमी पर खासा प्रभाव पड़ रहा है। कई देशों की हालात इतनी बदतर हो चुके हैं कि वहां के लोग खाने-पीने की चीजों को भी खरीदने में असमर्थ हो गए हैं, आइए जानते हैं वैश्विक स्तर पर कहां-क्या हो रहा है।

 श्रीलंका का संकट

भारत का पड़ोसी मुल्क श्रीलंका का संकट दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा हैं। वहां हालात बेहतर होने के बजाए बदतर होते जा रहे हैं। श्रीलंका की सरकार की अतिराष्ट्रवादी नीतियों व जनहित के मुद्दों पर ध्यान न देने के कारण यह देश एक भयावह स्थिति मे पहुँच गया है। लगभग पिछले एक साल से देश में राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता है जिस कारण जनता त्रस्त सी हो गई है। हालात इतने खराब हैं कि लोग खाने-पीने की वस्तुओं को हासिल करने के लिए भी मरने-मारने पर उतारू हो गए हैं। पूरे श्रीलंका मे सरकार के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन चल रहा है। जगह-जगह हिंसा हो रही है, जिस कारण रक्षा मंत्रालय ने थल सेना, वायुसेना और नौसेना कर्मियों को दंगा करने वालों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया है। यह देश गृह युद्ध की तरफ जा रहा है और श्रीलंका की इस हालत का जिम्मेदार, जानकार राजपक्षे परिवार को मानते हैं।

वहीं अंततः जनता के आंदोलन के कारण राजपक्षे परिवार को झुकना पड़ा है। आंदोलन की गति और जनता के आक्रोश को देखते हुए प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। लेकिन अभी भी उनकी पार्टी सत्ता में बनी हुई है और राजपक्षे परिवार के ही गोटाबाया राजपक्षे अभी भी राष्ट्रपति की कुर्सी पर विराजमान हैं। जनता पूरे राजपक्षे परिवार को सत्ता से बाहर देखना चाहती है और साथ ही विपक्षी पार्टियों को सत्ता का हस्तांतरण चाहती है। इसी बीच रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री बनाए गए हैं। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने गुरुवार को उन्हें यूनिटी गवर्नमेंट के प्रधानमंत्री के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई है। वहीं दूसरी ओर वहां की अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति व उनके आठ सहयोगियों को देश छोड़ने पर रोक लगा दी है। रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री अभी नेवल बेस में छिपे हुए हैं।

रूस-यूक्रेन युद्ध

वैश्विक स्तर पर जो घटना सबसे ज़्यादा चर्चा में है वह है रूस और यूक्रेन का युद्ध। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे इस संघर्ष को तीन महीने हो गए हैं और स्थिति अभी भी नियंत्रण मे होने के बजाय अनियंत्रित दिख रही है। रूस ने फ़रवरी माह की 24 तारीख को यूक्रेन पर हमला किया था और तब से लेकर अभी तक इन दोनों देशों के बीच यह जंग चल रही है। दोनों देशों के दरम्यान चल रहे इस संघर्ष के कारण लाखों यूक्रेनियन नागरिकों को देश छोड़कर दूसरे देशों मे शरण लेनी पड़ी है।

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार रूस के हमले से बचने के लिए 3.3 मिलियन से भी अधिक लोगों को यूक्रेन से भाग कर दूसरे देशों की शरण लेनी पड़ी है, वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसके अलावा 6.5 मिलियन लोगों को आंतरिक रूप से विस्थापित होने की संभावना है। राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अब तक की सबसे बड़ी घटना है और इस कारण सिंगल पोलर वर्ल्ड यानी एकल ध्रुवीय दुनिया थी वह अब नहीं रहेगी। अब यह दुनिया मल्टीपोलर वर्ल्ड यानी की बहुध्रुवीय दुनिया बन जाएगी।

म्यांमार का सैन्य तख़्तापलट

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट हुए एक साल से ज़्यादा हो चुका है। पिछले साल की एक फ़रवरी को वहाँ की सेना ने तख्तापलट कर आंग सान सू की को सत्ता से बाहर कर उन्हें घर-बंदी बना दिया था। वर्तमान समय मे सैन्य कमांडर-इन-चीफ मिन आंग हलिंग देश की सरकार को चला रहे हैं। बीते माह म्यांमार की एक अदालत ने आंग सान सू की को भ्रष्टाचार दोषी मानते हुए पांच साल जेल की सजा दे दी है।

म्यांमार के ऊपर सैन्य तख्तापलट के कारण विभिन्न देशों द्वारा कई तरह के प्रतिबंध (sanctions) लगा दिए गए हैं। जिस कारण देश की अर्थव्यवस्था का स्तर खराब हो रखा है और साथ ही बेरोजगारी का स्तर भी बढ़ता जा रहा है। वहीं प्रतिबंध लगने के बाद से चीन के साथ म्यांमार के रिश्ते भी बेहतर होते जा रहे हैं जो भारत देश के लिए किसी भी लिहाज से बेहतर नहीं है। सैन्य तख्तापलट के विरोध में वहां की जनता पिछले एक सालों से लगातार प्रदर्शन कर रही है, सैन्य सरकार ने इन प्रदर्शनों को दबाने के लिए अमानवीय तरीकों का पालन कर रही है। राजनीतिक कैदियों के लिए सहायता संघ (Assistance Association for Political Prisoners) की माने तो सैन्य शासन के सत्ता में आने के बाद से 1,503 लोग मारे गए हैं। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो अब वहां हालात गृहयुद्ध जैसे हो रहे हैं।

पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन

पिछले माह पाकिस्तान की राजनीति में ज़बरदस्त उथल-पुथल देखने को मिला। इमरान खान सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टियों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव देना, उसे स्पीकर द्वारा खारिज कर देना। उसके बाद इमरान खान का इस्तीफा देना, पाकिस्तान का दुबारा चुनाव में जाने की घोषणा होना। फिर वहां के उच्चतम न्यायालय द्वारा स्पीकर के अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने को अवैध बताना और दुबारा से अविश्वास प्रस्ताव करवाना, फिर नए प्रधानमंत्री का चुनाव होना इत्यादि इत्यादि। इन तमाम घटनाओं के कारण पाकिस्तान की राजनीति में काफी उथल-पुथल देखने को मिली।

न्यायालय के आदेश पर अविश्वास प्रस्ताव दुबारा कराया गया जिसमें इमरान खान की सरकार बहुमत पाने में नाकामयाब साबित हुई और विपक्षी पार्टियों की तरफ से साझा उम्मीदवार मियां मुहम्मद शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री बनाया गया। इन सब घटनाक्रम के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान हालिया सरकार को इंपोर्टेड गवर्नमेंट बोल रहे हैं और साथ ही जगह-जगह जाकर रैलियाँ भी कर रहे हैं। वह अपनी रैलियों में उनकी सरकार गिरने के पीछे अमेरिका का हाथ बात रहे हैं और साथ ही शहबाज शरीफ की सरकार को अमेरिका द्वारा स्थापित सरकार बात रहे हैं। उनकी रैलियों में बड़ी तादाद में लोग आ भी रहे हैं, जिस कारण उनकी रैलियों में अच्छी भीड़ भी देखी जा रही है। अगर इमरान खान अगले साल पाकिस्तान में होने जा रहे चुनाव मे इस भीड़ को वोटों मे तब्दील कर पाते हैं तो यह पाकिस्तान की सियासत में एक नया मोड़ साबित होगी। हालांकि पाकिस्तान अभी भी कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है, जैसे अर्थव्यवस्था में मंदी, पाकिस्तान के ऊपर बढ़ता विदेशी कर्ज, बेरोजगारी और घटते विदेशी मुद्रा भंडार। सत्ता हस्तांतरण को एक महीने हो गए हैं, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगे की राह वर्तमान सरकार के लिए आसान नहीं होने वाली है।

अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर तालिबान

पिछले साल 14 अगस्त को अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर तालिबान काबिज हो गया था। सत्ता हासिल किए हुए तालिबान को 9 महीने से ज़्यादा हो चुका है। तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफ़ग़ानिस्तान की हालत बेहतर नहीं हुए हैं। वर्तमान समय में अफ़ग़ानिस्तान बेरोजगारी, भुखमरी, आर्थिक बदहाली, और मूलभूत समस्याओं से गुज़र रहा है। समस्याएं दिन-ब-दिन विकराल होती जा रही है।

‘नये तालिबान’ के वादे के विपरीत शासन में आने के बाद तालिबान महिलाओं के प्रति कठोर रुख अपनाए हुए है। कक्षा 6 या उससे ऊपर की कक्षाओं मे पढ़ने वाली लड़कियों पर तालिबान सरकार ने स्कूल जाने से रोक लगा रखी है। अभी पिछले हफ्ते उसने महिलाओं के खिलाफ और कठोर रुख अपनाते हुए यह फैसला सुनाया कि महिलायें बिना पुरुष साथी के अपने घरों से बाहर नहीं निकल सकती हैं। साथ ही तालिबान ने पश्चिमी अफगान शहर हेरात में पुरुषों और महिलाओं के एक साथ बाहर खाने और पार्क में जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अफगान महिलाओं पर तालिबान के नए रुख के कारण गुरुवार को आपातकालीन रूप से महिलाओं के ऊपर लिए जा रहे तालिबान के फैसलों के ऊपर परामर्श किया। जी7 देशों ने भी तालिबान के इस फैसले की कड़े शब्दों में निंदा की है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक अफ़ग़ानिस्तान में लोग खाने-पीने की चीजों को लेकर मोहताज हो गए हैं, देश भुखमरी की ओर बढ़ रहा है। अगर समय रहते अफ़ग़ानिस्तान को वैश्विक राहत नहीं पहुंची तो यह समस्या और भी विकराल हो जाएगी।

फ़्रांस में राष्ट्रपति पद का चुनाव

फ़्रांस में बीते माह राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुए। चुनाव में दक्षिणपंथी विचारधारा की पार्टी को सत्ता में आने से रोकने में इमैनुएल मैक्रों कामयाब हुए। ला रिपब्लिक एन मार्चे पार्टी के नेता इमैनुएल मैक्रों ने नैशनल पार्टी की मरीन ले पेन जो धुर दक्षिणपंथी हैं को अच्छे खासे अनुपात से हरा दिया। मरीन ले पेन भी 42 प्रतिशत वोट लाने में कामयाब हो गईं। इमैनुएल मैक्रों ने लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज होने में सफलता हासिल की है।

दक्षिणपंथी और सेन्ट्रिस्ट विचारधारा के बीच की लड़ाई होने के कारण फ़्रांस में सम्पन्न हुए इस चुनाव की चर्चा वैश्विक स्तर पर जोर-शोर से रही। दरअसल वैश्विक स्तर पर दक्षिणपंथी विचारधारा अभी उभार की स्थिति में नजर आ रही है और ऐसे में अमेरिका में जो बाइडेन का जीतना और अभी फ़्रांस में इमैनुएल मैक्रों का दुबारा सत्ता में आना वर्तमान वैश्विक परिवेश के लिए बेहतर माना जा रहा है।

अफ्रीकी देशों में भी अस्थिरता बढ़ती जा रही

अफ्रीकी महाद्वीप भी राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है। सैन्य तख्तापलट से लेकर, चुनाव में धांधली, सत्ता हस्तांतरण की समस्या, और दिन-ब-दिन नए नए सशस्त्र समूहों का पैदा हो जाना, इस महाद्वीप के लिए समस्या बनी हुई है। सैन्य तख्तापलट के कारण अफ्रीकी देशों में विकराल रूप से राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो रही है। बीते कुछ समय में तख्तापलट की समस्या बढ़ सी गई है। 

2017 के बाद से वैश्विक स्तर पर कुल 13 तख्तापलट दर्ज किए गए हैं, जिनमें से एक म्यांमार को छोड़ दिया जाए तो बाकी बचे हुए सैन्य तख्तापलट अफ्रीका में ही हुए हैं। वर्तमान समय में बुर्किना फासो, चाड, माली, गिनी और सूडान में सफल और नाइजर और सूडान में असफल सैन्य तख्तापलट हुए हैं। सबसे हालिया समय में बुर्किना फासो में सैन्य तख्तापलट हुआ है। पिछले साल 2021 में अफ्रीकी देशों में छह तख्तापलट की कोशिश रिकार्ड की गई, जिसमें पांच जगह सफल रही। जो औसत संख्या से काफी अधिक है। अफ्रीकी महाद्वीप के खासकर पश्चिमी देशों में सैन्य तख्तापलट ज़्यादा देखने को मिला है। सैन्य तख्तापलट के अलावा अफ्रीका महाद्वीप आम नागरिकों के बीच संघर्ष को भी झेल रहा है। साथ ही वर्तमान समय में इस महाद्वीप के कई देशों पर सशस्त्र समूहों का क्षेत्राधिकार भी बढ़ रहा है जिस कारण भी अस्थिरता बढ़ती जा रही है।

कोरोना महामारी के बाद राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता में वैश्विक स्तर पर काफी उछाल देखने को मिला है जिसका प्रभाव आम नागरिक पर बुरी तरह पड़ रहा है। चाहे वह श्रीलंका के हालात हों या रूस-यूक्रेन युद्ध से पैदा हुए हालात हों, सब से ज़्यादा प्रभावित आम आदमी ही हुआ है। इन तमाम जगहों पर फैली अस्थिरता से सबसे पहला सवाल यहाँ यह उठता है कि क्या 21वीं सदी में राजनीतिक अस्थिरता इसी रूप में बढ़ती रहेगी या आने वाले समय में इसमें कम होने की उम्मीद की जा सकती है? 

दूसरा सवाल यहाँ यह उठता है कि आखिर वैश्विक स्तर पर जो उथल-पुथल है उसका ज़िम्मेदार कौन है- क्या कोई राजनेता है, या क्या कोई महाशक्ति है, या क्या कोई अतिराष्ट्रवादी नीति या नवउदारवाद की नीति है? या यह सब। इन तमाम सवालों के जवाब दुनिया को ढूँढने ही होंगे।

world affairs
Russia Ukraine
srilanka crisis
myanmaar
Afghanistan
France

Related Stories

भोजन की भारी क़िल्लत का सामना कर रहे दो करोड़ अफ़ग़ानी : आईपीसी

यूक्रेन-रूस युद्ध के ख़ात्मे के लिए, क्यों आह्वान नहीं करता यूरोप?

सातवें साल भी लगातार बढ़ा वैश्विक सैन्य ख़र्च: SIPRI रिपोर्ट

फ्रांस में मैक्राँ की जीत से दुनियाभर में राहत की सांस

पाकिस्तान ने फिर छेड़ा पश्तून का मसला

तालिबान को सत्ता संभाले 200 से ज़्यादा दिन लेकिन लड़कियों को नहीं मिल पा रही शिक्षा

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में स्कूल के निकट सीरियल ब्लास्ट, छात्रों समेत 6 की मौत

रूस पर बाइडेन के युद्ध की एशियाई दोष रेखाएं

काबुल में आगे बढ़ने को लेकर चीन की कूटनीति

माली से फ़्रांसीसी सैनिकों की वापसी साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ ऐतिहासिक जीत है


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License