NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
यूपी में निवेश: श्रम कानून में छूट और कर छूट के बावजूद, केवल वादे का 13 प्रतिशत निवेश हुआ
सात प्रमुख श्रम कानूनों में छूट दे दी गयी है और कई रियायतें घोषित की गई हैं, लेकिन महासमारोह के बावजूद ज़मीन पर निवेश ऩजर नहीं आ रहा हैI
सुबोध वर्मा
31 Jul 2018
Translated by महेश कुमार
modi yogi

29 जुलाई को लखनऊ में एक समारोह में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश में 60,000 करोड़ रुपये के लिए 81 निवेश परियोजनाओं के लिए 'ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह' आयोजित किया था। वह राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और देश के शीर्ष उद्योगपतियों की एक फौज़ से घिरे हुए थे।

समारोह स्वयं ही एक नई चीज़ थी। यह उन परियोजनाओं के “आधार” के लिए हुआ था जो इस साल फ़रवरी में आयोजित यूपी में निवेशकों के समिट से निकले थेI यहाँ "आधार" का मतलब क्या है किसी को नहीं पता। इन परियोजनाओं का कोई भी विवरण अब तक उपलब्ध नहीं है।

यूपी सरकार इस बीच निवेशकों के शिखर सम्मेलन (फरवरी 2018 के) को समर्पित वेबसाइट पर कहा गया है कि 4.28 लाख करोड़ रुपये के वायदे किए गए हैंI यह भी दावा किया गया है कि "शिखर सम्मेलन के दौरान प्राप्त किए गए निवेश उद्देश्यों के करीब 13 प्रतिशत को पूरा करने में सक्षम है"। यदि कोई भ्रम है तो यह स्पष्ट करता है कि "राज्य सरकार ने व्यक्तिगत रूप से सभी निवेशकों से संपर्क किया, जिन्होंने राज्य में निवेश करने के अपने इरादे दिखाए और उन्हें अपने वायदों को पूरा करने के लिए मनाया।"

दूसरे शब्दों में फ़रवरी के समिट में घोषित 4.28 लाख करोड़ रुपयों में से 13% या लगभग 55000 करोड़ रूपये हासिल किये जा चुके हैंI इसी गीली मिट्टी पर प्रधानमंत्री मोदी ने यूपी सरकार की “रिकॉर्डतोड़” सफलताओं और उनकी विकास यात्रा का पुल बाँधा हैI

जैसा कि न्यूज़क्लिक ने पहले बताया था मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद से निवेश शिखर सम्मेलन को फैशनेबल बना दिया गया, जिनसे दरअसल निकलता कुछ नहीं है। ज़ाहिर है कि यूपी कोई अपवाद नहीं है। 2003 और 2016 के बीच परियोजनाओं का हिस्सा पूरे निवेश का मात्र 35 प्रतिशत था।

यह भी पढ़ें: इन्वेस्टमेंट सम्मिट्स: बने-ठने तो ख़ूब, मगर जइयो कहाँ ए हुजूर!

मार्च 2017 में सत्ता में आने के बाद, योगी सरकार निवेश को आकर्षित करने के लिए पीछे की तरफ झुक रही  है जैसा कहीं और नहीं देखा गया है। इसने एक नई राज्यव्यापी औद्योगिक नीति और नागरिक उड्डयन, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण, आईटीईएस, इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर ऊर्जा, हैंडलूम वस्त्र और परिधान, आईटी, रक्षा और एयरोस्पेस, फिल्म्स, पर्यटन क्षेत्र,वेयरहाउस और रसद के लिए नई नीतियों का एक सेट घोषित किया है।

इन क्षेत्रीय नीतियों का क्या कहना है? दो तत्व इसके निचोड़ को चिह्नित करते हैं: 1) विभिन्न करों, कर्तव्यों, रियायतों आदि में कईं तरह की छूट, रियायतें और दरें में छूट और 2) श्रम कानूनों की एक श्रृंखला में भारी छूट।

उदाहरण के लिए, अगर आईटी और आईटीईएस नीति लें। यह 5 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी, स्टैम्प ड्यूटी पर 100 प्रतिशत की छूट, बिजली शुल्क पर 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति, प्रमाण की लागत की प्रतिपूर्ति, ईपीएफ योगदान की 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति, प्रति कर्मचारी 20,000 की भर्ती की सहायता, पेटेंट फाइलिंग लागत की प्रतिपूर्ति, राज्य एजेंसियों से भूमि खरीदने की लागत के 25 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति, प्रोत्साहन के अलावा मामले के आधार पर निर्धारित किया जा सकता है। यह निजी डेवलपर्स को आईटी उद्योगों के लिए पार्क विकसित करने की अनुमति भी देता है। इसमें बहुत रियायतें दी गई है।

यह 25 से अधिक केवीए बिजली उत्पादन सेटों के मामले में यूपी प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम से ऐसी इकाइयों को भी छूट देता है।

यह नीति आईटी और आईटीईएस कंपनियों को सात प्रमुख श्रम कानूनों के लिए आत्म-प्रमाणीकरण दर्ज करने की अनुमति देता है: कारखानों अधिनियम, मातृत्व लाभ अधिनियम, दुकानें और प्रतिष्ठान अधिनियम, अनुबंध श्रम अधिनियम, मजदूरी अधिनियम का भुगतान, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम और रोजगार एक्सचेंज अधिनियम। स्व-प्रमाणीकरण का अर्थ है कि कंपनियों को एक बयान दर्ज करना होता है कि वे इस तरह के अनुपालन के विवरण देकर इन कानूनों का पालन कर रहे हैं। एक बार ऐसा करने के बाद कोई निरीक्षण या विनियमन नहीं होगा।

श्रम कानूनों से इन छूट का मतलब है कि उद्योगपतियों को श्रमिकों को झुकाने लके लिए या उनका फायदा उठाने के लिए एक स्वतंत्र रास्ता मिलेगा। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि उत्तर प्रदेश में आधिकारिक न्यूनतम मजदूरी केवल 7600 रुपये प्रति माह है, हालांकि अधिकांश श्रमिकों को यह भी नहीं मिलती है। श्रम कानून प्रवर्तन मशीनरी कई साल पहले गड़बड़ा दी गई थी और आज वह पूरी तरह से दंतहीन और अप्रभावी है।

इसलिए, राज्य में पहले से ही अधिक शोषित मजदूर वर्ग अब निवेश बोनान्ज़ा का सामना कर रहा है जो श्रम कानूनों के तहत अपने अधिकारों को ओर खो देगा। लेकिन फिर, मजदूर कभी भी मोदी या योगी के लिए ध्यान का केंद्र नहीं रहे हैं। श्रम कानूनों में छूट संभावित निवेशकों को दिखाने के लिए है कि यूपी वह जगह है जहां आपको सबसे सस्ता और सबसे बड़ा श्रम मिलता है।

लेकिन अजीब चीज यह है: इन सभी रियायतों और प्रोत्साहनों के बावजूद, केवल 13 प्रतिशत कुल वादे का पूरा हो पाया है। अब श्री मोदी और योगी इस पर क्या कहेंगे?

modi model
yogi sarkar
investment summit
private money
corporate

Related Stories

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 

किसान आंदोलन: मुस्तैदी से करनी होगी अपनी 'जीत' की रक्षा

तिरछी नज़र: धन भाग हमारे जो हमें ऐसे सरकार-जी मिले

सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध जारी 274 भरपाई नोटिस वापस लिए गए: उप्र सरकार

यूपी चुनाव को लेकर बड़े कॉरपोरेट और गोदी मीडिया में ज़बरदस्त बेचैनी

यूपीः योगी सरकार पर अभ्यर्थियों ने लगाया शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले का आरोप

एमएसपी कृषि में कॉर्पोरेट की घुसपैठ को रोकेगी और घरेलू खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करेगी

यूपी: 69 हज़ार शिक्षक भर्ती मामले में युवाओं पर लाठीचार्ज, लेकिन घोटाले की जवाबदेही किसकी?

क्या अब देश अघोषित से घोषित आपातकाल की और बढ़ रहा है!

संवैधानिक मानववाद या कारपोरेट-हिन्दुत्ववाद और यूपी में 'अपराध-राज'!


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License