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यूरोपीय संघ प्रतिनिधिमंडल का कश्मीर दौरा : घाटी में बंद, हिंसा और विरोध प्रदर्शन
यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य हरमन टेरस्टेक ने संवाददाताओं को बताया, "हम इस तथ्य से भली भांति परिचित हैं कि हमें घाटी के लोगों से दूर रखा जा रहा है।"
अनीस ज़रगर
30 Oct 2019
Translated by महेश कुमार
यूरोपीय संघ प्रतिनिधिमंडल

कश्मीर में उस वक़्त कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन और हिंसा भड़क उठी जब यूरोपीय संघ (ईयू) के सांसदों का प्रथम अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल वहाँ का दौरा करने वाला था ताकि वहाँ का “ज़मीनी आंकलन” किया जा सके, हालांकि उनमें से अधिकतर सांसद या सदस्य दक्षिणपंथी रुझान वाली पार्टियों से संबंधित हैं, यह दौरा 5 अगस्त को केंद्र द्वारा अनुच्छेद 370 को रद्द करने बाद की पृष्ठभूमि में किया जा रहा है।

श्रीनगर पूरी तरह से बंद रहा, जबकि घाटी के कुछ हिस्सों में पथराव की घटनाएं भी सामने आई हैं, इनमें चनापोरा, रामबाग़, नटिपोरा और सिविल लाइंस के इलाक़े शामिल हैं, डाउनटाउन श्रीनगर के पुराने इलाक़ों में भी जैसे कि हब्बा कदल, नोवेट्टा, ईदगाह, से झड़पों और पथराव की ख़बरें आई हैं।

सैंकड़ों युवा पुलिस और सुरक्षा कर्मियों से भिड़ गए, बाद में पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया। सुरक्षाकर्मियों ने डाउनटाउन के हवाल इलाक़े में प्रदर्शनकारियों पर पेलेट गन का भी इस्तेमाल किया जिसमें कम से कम छह युवकों के घायल होने की ख़बर है।

प्रदर्शनकारियों ने श्रीनगर के कुछ इलाक़ों मैं कई निजी वाहनों पर भी हमला किया, कारों और उनकी खिड़कियों को नुकसान पहुँचाया और उनकी आवाजाही को अवरुद्ध कर दिया।

इस दौरान जब प्रतिनिधिमंडल श्रीनगर में मिला तो संदिग्ध आतंकवादियों द्वारा दक्षिण कश्मीर में पुलवामा के द्रबगाम गांव में सीआरपीएफ़ की एक टुकड़ी पर हमले की ख़बरें आई हैं, जिसके बाद इलाक़े में सुरक्षा बल और उनके बीच मुठभेड़ हुई बताई गई है।

मंगलवार की विरोध कार्यवाहियों को 27 यूरोपीय संघ के सांसदों के कश्मीर के दौरे के मद्देनज़र किया गया है, यह दौरा 5 अगस्त को सरकार द्वारा फैलाई गई एक गंभीर अव्यवस्था के बाद हो रहा है, जब सरकार बिना किसी से बात किए एकतरफ़ा आदेश से अनुच्छेद 370 और 35 ए को निरस्त कर उनके विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया और जम्मू और कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में तब्दील कर उन्हे आधिकारिक तौर पर 1 नवंबर से लागू करने की तैयारी कर रही है।

सांसद श्रीनगर हवाईअड्डे पर दोपहर को कथित तौर पर निजी यात्रा के तहत पहुंचे और बुलेट प्रूफ़ जीपों में सुरक्षा वाहनों के काफ़िले द्वारा उन्हे वहाँ से ले जाया गया।

प्रतिनिधिमंडल ने बाद में भारतीय सेना की 15 सैन्य-दल की बादामी बाग़ छावनी के भीतर दोपहर का भोजन किया। सांसद, जिनकी यात्रा का आयोजन और प्रबंधन एक यूरोप स्थित ग़ैर सरकारी संगठन द्वारा किया गया है, वे श्रीनगर के गुप्कर इलाक़े में एक पाँच सितारा होटल में लगभग 4:45 बजे कुछ स्थानीय प्रतिनिधिमंडलों से मिले।

प्रतिनिधिमंडल में उरई और बारामूला ज़िले के पट्टन क्षेत्र की पंचायत समितियों के पंच और सरपंच शामिल थे।

होटल में उनकी बैठक के बाद प्रतिनिधिमंडल शाम क़रीब साढ़े पांच बजे डल झील पर शिकारा की सवारी करने के लिए गया।

हालाँकि, सदस्यों ने होटल में बैठक के बाद अपनी नाराज़गी भी व्यक्त की।

प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य हरमन टेरश ने संवाददाताओं को बताया, "हम इस तथ्य के प्रति पूरी तरह से सचेत हैं कि हमें आम लोगों से दूर रखा गया है।"

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, "प्रतिनिधिमंडल जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की सांस्कृतिक और धर्म विविधता की बेहतर समझ बनाने के लिए दो दिवसीय 'निजी' कश्मीर यात्रा पर है, इसके अलावा उन्हें इस क्षेत्र के विकास और शासन की प्राथमिकताओं के बारे में भी स्पष्ट जानकारी दी गई है।” संयोग से, सांसद श्रीनगर के लिए रवाना होने से पहले दिल्ली में “ब्रीफ़िंग” के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी मिले थे।

यह यात्रा कक्षा 10 की वार्षिक परीक्षा की तारीख़ पर हुई, जिन्हें 29 अक्टूबर से ही शुरू होना था। कक्षा 12 की परीक्षा 31 अक्टूबर से शुरू होगी।

स्कूल छोड़ने के लिए बच्चों के साथ जाने वाले कई माता-पिताओं ने न्यूज़क्लिक को बताया कि घाटी में यात्रा के ख़िलाफ़ उठे प्रतिरोध से स्थिति बिगड़ने के कारण उन्हें काफ़ी असुविधा का सामना करना पड़ा।

नौशेरा के एक निवासी जिनकी बेटी 29 अक्टूबर को परीक्षा में बैठी थी, ने कहा, "यह बहुत मुश्किल था क्योंकि प्रतिनिधिमंडल के दौरे के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था और छात्र अपनी परीक्षाकेंद्र में बड़ी ही कठिनाई का सामना करने के बाद पहुंचे थे।"

इस यात्रा से श्रीनगर शहर में निजी यातायात की आवाजाही में अचानक अवरोध पैदा हो गया, जबकि यहाँ पहले से ही धारा 370 को निरस्त करने के ख़िलाफ़ लगभग तीन महीने से बंद जारी है।

प्रतिनिधिमंडल का घाटी में चुनिंदा लोगों से मिलने का कार्यक्रम था।

कश्मीर चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज़ (KCCI) के अध्यक्ष शेख़ आशिक़ ने न्यूज़क्लिक को बताया कि यह पहली बार है कि कश्मीर का दौरा करने वाला कोई भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल उनसे नहीं मिला है।

आशिक़ कहते हैं, "जब भी कश्मीर में कोई भी प्रतिनिधिमंडल आता है तो सबसे पहली बैठक उनके साथ रखी जाती है सिर्फ़ इस बार ऐसा नही किया गया, लेकिन हमने ज़मीनी हक़ीक़त के बारे में पहले से ही अपनी स्थिति को स्पष्ट कर दिया है।"

अनंतनाग सीट से सांसद हसनैन मसूदी का कहना है कि उन्होंने प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत के लिए अधिकारियों से संपर्क किया था। हालाँकि, उन्हे इसकी अनुमति नहीं दी गई।

मसुदी ने न्यूज़क्लिक को बताया की यह केवल एक निर्देशित पर्यटन का कार्यक्रम है और इससे कोई परिणाम नहीं निकलने वाला है। उन्होंने कहा, “यह धोखा है और एक व्यर्थ की गतिविधी है। ऐसे तीन निर्वाचित सांसद हैं जिन्हें प्रतिनिधिमंडल से मिलने की अनुमति नहीं दी गई है।”

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