NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
युवाओं के सामने रोज़गार संकटः एनडीए शासन में सरकारी नौकरियों की संख्या साल दर साल घट रही
सरकारी क्षेत्रों में भारी रिक्तियों के बावजूद एनडीए सरकार न केवल रोज़गार पैदा करने में अनिच्छुक है बल्कि स्वीकृत पदों को भी भरने में नाकाम रही है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
07 Aug 2018
govt job decreasing

केन्द्र तथा राज्य सरकारों के अधीन क़रीब चौबीस लाख पद ख़ाली पड़े है वहीं केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा जीर्णोद्धार, नौवहन, सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्री ने अपने एक बयान में कहा कि "नौकरी कहाँ हैं?" ख़ासतौर से सरकारी क्षेत्र में रोज़गार को लेकर मौजूदा सरकार के ट्रैक रिकॉर्ड को भारत में युवाओं के बीच बढ़ते संकट को समझना बेहद महत्वपूर्ण है।

इस साल संसद में विभिन्न प्रश्नों के उत्तर के लिए इकठ्ठा किए गए आंकड़ों के मुताबिक़ शिक्षा क्षेत्र में 10 लाख से ज़्यादा पद ख़ाली हैं। देश भर में प्राथमिक स्तर के सरकारी स्कूलों में 9 लाख और माध्यमिक विद्यालयों में 1.1 लाख पद ख़ाली हैं। इसी तरह पुलिस विभाग में कुल 5.4 लाख रिक्तियाँ हैं, रेलवे में 2.5 लाख, रक्षा सेवाओं में 1.2 लाख, अर्धसैनिक बलों में 61,000, अदालतों में 5,800 और स्वास्थ्य क्षेत्र में 1.5 लाख स्वीकृत पद ख़ाली हैं।

सरकारी क्षेत्रों में अपने विशेष समुदायों को आरक्षण देने की माँग तेज़ करने के लिए विभिन्न जातियों के युवाओं के लिए बेरोज़गारी मुख्य कारण रहा है। गुजरात में पटेल, आंध्र प्रदेश में कापू और महाराष्ट्र में मराठा ने बार-बार आरक्षण की माँग को उठाया है। मराठा आरक्षण के मुद्दे पर मीडिया को संबोधित करते हुए नितिन गडकरी ने कहा "मान लें कि आरक्षण दे दिया जाता है। लेकिन नौकरी नहीं है, क्योंकि बैंकों में आईटी की वजह से नौकरियाँ घट गई हैं। सरकारी भर्ती रुकी है। नौकरी कहाँ हैं?"

रोज़गार देने की बात करें तो हाल के वर्षों में सरकारी संस्थानों द्वारा की जाने वाली भर्ती प्रक्रिया में वर्तमान एनडीए सरकार का रिकॉर्ड काफी ख़राब है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) विभिन्न मंत्रालयों के अधीन प्रमुख भर्ती एजेंसियाँ हैं। साल 2014-15 में यद्यपि इन तीन एजेंसियों द्वारा 1,13,524 उम्मीदवारों की भर्ती की गई थी, इसकी संख्या 2015-16 में घट कर 1,11,807 हो गई और वहीं 2016-17 में 1,00,933 हो गई।

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पिछले चार सालों में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) में कर्मचारियों की क्षमता काफी कम हो गई है। भारी उद्योग तथा लोक उद्यम मंत्रालय की नवीनतम सार्वजनिक उद्यम सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक़ साल 2013-14 में सीपीएसई में कर्मचारियों की क्षमता 13.49 लाख दर्ज की गई थी वहीं 2016-17 में यह संख्या11.31 लाख हो गई।

प्रमुख मंत्रालयों या विभागों में केंद्र सरकार के असैनिक नियमित कर्मचारियों की संख्या में भी कमी आई है। वित्त मंत्रालय के अधीन पे रिसर्च यूनिट (पीआरयू) की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ साल 2013-14 में ऐसे कर्मचारियों की कुल संख्या 32.90 लाख थी वहीं 2015-16 में यह आंकड़ा 32.86 लाख हो गया था।

श्रम तथा रोज़गार मंत्रालय के श्रम ब्यूरो द्वारा रोज़गार और बेरोज़गारी पर कराए गए सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक़ देश में सामान्य स्थिति के आधार पर 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए साल 2013-14 और 2015-16 में अनुमानित बेरोज़गारी दर क्रमशः 3.4% और 3.7% थी।

सरकारी क्षेत्रों में भारी रिक्तियों के बावजूद एनडीए सरकार न केवल रोज़गार पैदा करने में अनिच्छुक है बल्कि स्वीकृत पदों को भी भरने में नाकाम रही है। युवा की बढ़ती संख्या केविपरीत नौकरियों की संख्या में धीरे-धीरे कमी देखी गई है जो देश भर के युवाओं के सामने परेशानी पैदा कर रही है।

sarkari naukari
govt jobs
unemployment
modi sarkar
Narendra modi

Related Stories

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"


बाकी खबरें

  • भाषा
    ज्ञानवापी मामला : अधूरी रही मुस्लिम पक्ष की जिरह, अगली सुनवाई 4 जुलाई को
    30 May 2022
    अदालत में मामले की सुनवाई करने के औचित्य संबंधी याचिका पर मुस्लिम पक्ष की जिरह आज भी जारी रही और उसके मुकम्मल होने से पहले ही अदालत का समय समाप्त हो गया, जिसके बाद अदालत ने कहा कि वह अब इस मामले को…
  • चमन लाल
    एक किताब जो फिदेल कास्त्रो की ज़ुबानी उनकी शानदार कहानी बयां करती है
    30 May 2022
    यद्यपि यह पुस्तक धर्म के मुद्दे पर केंद्रित है, पर वास्तव में यह कास्त्रो के जीवन और क्यूबा-क्रांति की कहानी बयां करती है।
  • भाषा
    श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह प्रकरण में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल
    30 May 2022
    पेश की गईं याचिकाओं में विवादित परिसर में मौजूद कथित साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना को समाप्त करने के लिए अदालत द्वारा कमिश्नर नियुक्त किए जाने तथा जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बेंगलुरु में किसान नेता राकेश टिकैत पर काली स्याही फेंकी गयी
    30 May 2022
    टिकैत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘स्थानीय पुलिस इसके लिये जिम्मेदार है और राज्य सरकार की मिलीभगत से यह हुआ है।’’
  • समृद्धि साकुनिया
    कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 
    30 May 2022
    पिछले सात वर्षों में कश्मीरी पंडितों के लिए प्रस्तावित आवास में से केवल 17% का ही निर्माण पूरा किया जा सका है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License