NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
डॉ. कफ़ील ख़ान पर फिर कार्रवाई, रिहाई से पहले रासुका लगाई
मथुरा की जेल में बंद बीआरडी मेडिकल कॉलेज (गोरखपुर) के डॉ कफील खान की मुश्किलें बढ़ गई हैं।  उत्तर प्रदेश सरकार ने मथुरा जेल से रिहाई से पहले इनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून ( रासुका) लगा दिया है। 
असद रिज़वी
14 Feb 2020
kafeel khan

मथुरा की जेल में बंद बीआरडी मेडिकल कॉलेज (गोरखपुर) के डॉ. कफ़ील ख़ान की मुश्किलें बढ़ गई हैं, उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून ( रासुका) लगा दिया है। स्पेशल टास्क फोर्स (उप्र ) 29 जनवरी की रात को उनको मुम्बई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू ) में भड़काऊ भाषण देने के मामले में आरोपी डॉ कफील को 10 फरवरी को जमानत मिल गई थी।

 डॉ. कफ़ील पर 12 दिसंबर, 2019 को एएमयू  में संशोधित नागरिकता के  ख़िलाफ़ हुए  प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। हालंकि उनको  भड़काऊ भाषण देने के मामले में सीजेएम कोर्ट से ज़मानत 10 फरवरी को ही मिल गई थी। लेकिन जमानत के आदेश देर से पहुंचने के कारण गुरुवार को उनकी रिहाई नहीं हो सकी। उल्लेखनीय है कि सीजेएम कोर्ट ने उन्हें 60 हज़ार रुपये के 02 जमानत बांड के साथ सशर्त जमानत दी थी। कोर्ट द्वारा डॉ कफील को हिदायत दी थी की वो भविष्य में इस तरह की घटना को नहीं दोहराएंगे।

शुक्रवार सुबह उनका परिवार जब रिहाई के लिए दोबारा जेल गया तो वहां बताया गया कि डॉ.कफील खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून ( रासुका) लगा दिया है। इस लिए उनकी रिहाई नहीं हो सकती है। अब डॉ. कफील के परिवार का कहना है कि उनको जान बुझ कर प्रताड़ित किया जा रहा है। उनके भाई अदील खान का आरोप है कि डॉ. कफील पर पुलिस ने उत्तर प्रदेश सरकार के  इशारे पर ( रासुका) लगा दिया है। बता दे की डॉ. कफील की पत्नी डॉ शाबिस्ता खान लगातार सोशल मीडिया पर अपने पति की गिरफ़्तारी का विरोध कर रही थी और लोगो से मदद मांग रही थी। आज सुबह भी डॉ शाबिस्ता खान ने ही डॉ. कफील के ट्विटर पर पोस्ट कर बताया के उनके पति पर रासुका के तहत कार्रवाई की गई है।

न्यूज़क्लिक ने डॉ. कफील के भाई अदील खान से बात की तो उन्होंने आरोप लगाया कि  मथुरा जेल के अधिकारियो ने जानबूझ कर उनके भाई की रिहाई में देरी की थी। अदील खान के अनुसार सीजेएम कोर्ट के आदेश था कि  डॉ. कफील को 24 घंटे के अंदर रिहा किया जाये। लेकिन जेल प्रशासन ने उनको चार दिन तक रिहा नहीं किया। 

उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया कि उनको रिहाई के लिए जेल प्रशासन के खिलाफ  कोर्ट में  अवमानना की अर्ज़ी  भी देना पड़ी थी। जिस पर डॉ. कफील की तुरंत रिहाई के लिए कोर्ट से एक प्रतिनिधि भी जेल भेजा था। लेकिन जमानत के आदेश देर से पहुंचने के कारण गुरुवार को रिहाई नहीं हो सकी और फिर आज शुक्रवार की सुबह 6 बजे जेल प्रशसन को डॉ. कफील की रिहाई के आदेश दे दिए गए।  जिसके बाद जेल प्रशसन ने सुबह 9 बजे बताया की  डॉ. कफील पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून ( रासुका) लगा है और इस लिए अब उनको रिहा नहीं किया जा सकता है। अदील खान ने बताया की जेल में डॉ. कफील की रासुका का नोटिस प्राप्त करा दिया गया है। उन्होंने कहा कि वह सरकार के फैसले को अदालत में चुनौती देंगे, क्योकि अदालत के अलावा उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं।

बता दें कि गोरखपुर के रहने वाले डॉ कफील को 29 जनवरी को संशोधित नागरिकता के ख़िलाफ़ "मुंबई बाग" में होने वाले प्रदर्श में हिस्सा लेने गए थे। लेकिन प्रदर्शन ने पहले ही एयरपोर्ट पर उनको स्पेशल टास्क फोर्स (उप्र) ने गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार किए जाने के बाद डॉ कफील ने कहा था, 'मुझे गोरखपुर के बच्चों की मौत के मामले में क्लीन चिट मिल चुकी है और अब मुझको दोबारा से आरोपी बनाने की कोशिश की जा कर रही हैं। डॉ कफील ने महाराष्ट्र सरकार से कहा कि उनको  महाराष्ट्र में रहने दे क्योकि उनको (उप्र ) पुलिस पर भरोसा नहीं है।

पुलिस की ओर से दर्ज मुकदमे में कहा गया कि एएमयू में अपने भाषण में डॉ. कफील खान ने कथित तौर पर कहा था कि 'मोटा भाई' सबको हिंदू और मुसलमान बनने की सीख दे रहे हैं, इंसान बनने की नहीं , इसके अलावा उन्होंने  यह भी कहा था कि संशोधित नागरिकता क़ानून  के खिलाफ संघर्ष हमारे वजूद की लड़ाई है। डॉ  कफील खान को गिरफ्तारी को लेकर यूपी एसटीएफ पर सवाल भी उठे थे, जबकि  पुलिस का कहना था कि सिर्फ़ न्यायिक प्रक्रिया के तहत डॉ कफील खान की गिरफ्तारी किया गया है।

वर्ष अगस्त 2017 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज (गोरखपुर) के प्रवक्ता एवं बाल रोग विशेषज्ञ डा.कफील उस समय मीडिया की सुर्खी बन गए थे जब वहां एक साथ बड़ी तादाद में बच्चों की ऑक्सीजन की कमी से मौत हो गई थी। इस मामले में राज्य सरकार द्वारा उन्हें दोषी मानकर निलंबित कर जेल भेज दिया था।

kafeel khan
Doctor kafeel khan
National Security Act
mathura jail
bail from mathura jail

Related Stories

गोरखपुर ऑक्सिजन कांड का खुलासा करती डॉ. कफ़ील ख़ान की किताब

गोरखपुर: बच्चों की मौत के चार साल बाद भी नहीं मिला इंसाफ़, शायद डॉक्टर कफ़ील ख़ान को मिल जाए!

गौमूत्र और गोबर पर की गई टिप्पणी राष्ट्र की सुरक्षा के लिए ख़तरा कैसे हो गई?

असम, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में किस तरह काम करता है निवारक निरोध कानून 

क्या योगी सरकार NSA जैसे क़ानून का बेज़ा इस्तेमाल कर रही है?

सुप्रीम कोर्ट से डॉ. कफ़ील ख़ान मामले में योगी सरकार को झटका क्यों लगा?

सुप्रीम कोर्ट से कफील खान को राहत, यूपी सरकार की याचिका खारिज

यूपी में गोवध संरक्षण कानून का इस्तेमाल निर्दोषों के ख़िलाफ़: इलाहाबाद हाईकोर्ट

यूपी एसटीएफ का शुक्रिया कि उसने मेरा एनकाउंटर नहीं किया : डॉ. कफ़ील

गोरखपुर में हुई मौतों पर योगी के आंकड़े मनगढ़ंत : सीएम के पूर्व सहयोगी


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License