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ग्वांतानामो की विवादित जेल को हुए 20 साल
क्यूबा में इस कुख्यात बंदी शिविर को 20 साल हो गए हैं। पिछले कई वर्षों से इसे बंद किये जाने की कई योजनाओं को ख़ारिज किया जाता रहा है। बंदियों के जीवन में पिछले दो दशकों में शायद ही कुछ बदलाव देखने को मिला हो। ग्वांतानमो खाड़ी से ओलिवर सैलेट की रिपोर्ट।
ओलिवर सल्लेट
13 Jan 2022
Guantanamo Bay
ग्वांतानामो बंदी शिविर की शुरुआत जनवरी 2002 में हुई थी और इसके बाद से ही इस पर कई मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोप लगते रहे हैं। (फाइल)

मोहेम्म्दु ओल्द स्लाही ने अपने 14 साल जेल की सलाखों के पीछे काटे हैं। उसे 70 दिनों तक लगातार यातनाएं दी गईं और तीन वर्षों तक रोजाना 18 घंटे पूछताछ की गई। अपनी गिरफ्तारी से पहले वह जर्मनी में रह रहा था और 11 सितंबर के हमलों में उसके शामिल होने और अल-क़ायदा के एक उच्च पदस्थ कार्यकर्ता होने का संदेह था, हालाँकि यह बात कभी साबित नहीं हो सकी। 

अपने ग्वांतानामो में गुजारे गये 14 वर्षों के दौरान उसे कभी भी आरोपित या दोषी नहीं ठहराया गया था। इस मौरिटानियाई नागरिक, जिसकी उम्र अब 50 हो चुकी है, को अंततः रिहा कर दिया गया है – लेकिन उसकी जिंदगी से चोरी हो चुके पलों के लिए उसे कभी कोई मुआवजा नहीं चुकाया गया।

बचाव पक्ष की वकील नैंसी हॉलैंडर का सबसे हाई-प्रोफाइल मामला आज भी उन्हें रह-रहकर परेशान करता रहता है। स्लाही की कहानी ने हाल ही में चलचित्र के बतौर बड़े पर्दे पर अपना स्थान बनाया है। उसका अपराध अफगानिस्तान में एक आतंकी प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने और ओसामा बिन लादेन के सैटेलाइट फ़ोन पर एक फोन कॉल का जवाब देना पाया गया था। उसकी वकील याद करते हुए कहती हैं कि, निश्चित रूप से यह तथ्य उसे अच्छी रोशनी में नहीं दिखाता है, लेकिन सिर्फ इस बात के लिए उसे आरोपी बनाना पर्याप्त नहीं था। 

ग्वांतानामो में उसकी यह कहानी एक नमूना है। 

‘द मॉरिटानियन’, फिल्म में महामेदु औलद स्लाही के किरदार को अभिनेता ताहर रहीम के द्वारा अभिनीत किया गया है 

हॉलैंडर कहती हैं कि ग्वांतानामो इस बात को दर्शाता है कि अमेरिका एक ऐसा देश है “जो कानून के शासन का सम्मान नहीं करता है,” जिसे वे “विनाशकारी स्थिति” करार देती हैं।

यह न सिर्फ उन 13 बंदियों पर ही लागू होता है जिन्हें बिना किसी आरोपों के बंदी बनाकर रखा जा रहा है और जो वर्षों से अपनी रिहाई की प्रतीक्षा में हैं, बल्कि 11 सितंबर हमलों के उन कथित “चिरकालीक कैदी” अपराधियों पर भी यह बात लागू होती है, जो अभी भी हमलों के 20 वर्षों बाद भी मुकदमा चलाए जाने का इंतजार कर रहे हैं। 

क़ानूनी व्यवस्था को सुनियोजित तरीके से निलंबित करके रखा गया है 

एमनेस्टी इंटरनेशनल के ग्वांतानामो विशेषज्ञ डाफ्ने एवियेटर के अनुसार, कानून के शासन का अभाव कोई दुर्घटनावश नहीं था बल्कि उस दौरान के राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू. बुश के तहत अमेरिकी प्रशासन का लक्ष्य ही यही था। 

एविएटर कहती हैं, “बुश प्रशासन ने खुले समुद्र में जेल की स्थापना विशेषकर संयुक्त राज्य अमेरिका की क़ानूनी व्यवस्था के नियमों से छुटकारा पाने के मकसद से की थी।”

वे एमनेस्टी की एक रिपोर्ट में ग्वांतानामो में चल रहे व्यापक मानवाधिकार के हनन की निंदा करती हैं, जिसमें बिना किसी आरोप के बंदियों की अनिश्चितकालीन हिरासत के साथ-साथ वहां पर कैद किये गये बंदियों के साथ यातनापूर्ण व्यवहार का दस्तावेजीकरण किया गया है। हालाँकि सार्वजनिक तौर पर इसे साबित करने के लिए सबूत उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन एविएटर का कहना है कि अमेरिकी सीनेट ख़ुफ़िया समिति सहित विभिन्न जांचों ने पहले से ही ग्वांतानामो में रह रहे दर्जनों लोगों के साथ हुई क्रूर यातनाओं का दस्तावेजीकरण कर रखा है। 

अक्टूबर 2000 में यूएसएस कोल में बमबारी के पीछे संदिग्ध मास्टरमाइंड अब्द अल-रहीम अल-नशिरी

क्यूबा स्थित ग्वांतानामो खाड़ी पर अमेरिकी नौसेना का बेस 100 साल से अधिक वर्षों से अपने अस्तित्व में है। जनवरी 2002 तक यह सब यहाँ पर नहीं था, लेकिन 11 सितंबर के हमलों के कुछ महीनों बाद से इसे एक हिरासत केंद्र के तौर पर विस्तारित कर दिया गया था, जो बाद में कुख्यात होता चला गया।

एंथोनी नताले, जो अदालत में आरोपी अल-क़ायदा संचालक अब्द अल-रहीम अल-नशिरी का बचाव कर रहे हैं, ने ग्वांतानामो के साथ अपनी निराशा के बारे में बिना किसी लाग-लपेट के कहा: “हम इस बात से शर्मिंदा हैं कि हर उस चीज को जिससे यह देश निर्मित किया गया था जिसको हम आजाद देश कह सकते थे, जिसके पास सभी के लिए समान न्याय था, उसने उन सभी चीजों को ताक पर रख दिया है।”

प्रेस सेंसरशिप और कड़ी गोपनीयता  

यदि कोई भी प्रत्यक्ष रूप से ग्वांतानामो को देखना चाहता है तो इसके लिए उसे कई बाधाओं से निपटना होगा।

सबसे पहले, वाशिंगटन से साप्ताहिक चार्टर विमानों को क्यूबाई हवाई क्षेत्र से उड़ान भरने की अनुमति नहीं है। विमानों को पहले क्यूबा के पूर्वी हिस्से के आसपास उड़ान भरनी होगी और जब तक वे अंतिम पहुँच पर नहीं हैं, तब तक उन्हें सैन्य अड्डे के लिए यात्रा निर्धारित करने की अनुमति नहीं है।

डीडब्ल्यू को कई हफ़्तों की सुरक्षा जांच के बाद कहीं जाकर बेहद कम समय के नोटिस पर आने की अनुमति मिल पाई थी। प्रस्थान से पहले, “जमीनी नियमों” पर सहमति हस्ताक्षर करना अनिवार्य था। इन सब तथ्यों से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पत्रकारों को ग्वांतानामो में क्या उम्मीद करनी चाहिए: घूमने फिरने की कोई आजादी नहीं, और सबसे बढ़कर, प्रेस की स्वतंत्रता का यहाँ पर कोई अर्थ नहीं है।

यहाँ तक कि हमें बाहर से भी जेल को देखने की अनुमति नहीं थी, और अंदर से जो भी सूचनाएं बाहर आती हैं, वे सभी कठोरतम गोपनीयता के अधीन हैं, जो कि अनिवार्य तौर पर बंदियों के वकीलों के लिए बेहद निराश करने वाली हैं।

योजनायें, योजनायें, योजनायें 

11 जनवरी ग्वांतानामो हिरासत केंद्र के लिए एक निष्ठुर वर्षगाँठ का चिन्ह है। यह इस प्रश्न को खड़ा करता है कि मानवाधिकारों के स्पष्ट उल्लंघनों और कानून के शासन की जो स्थिति यहाँ पर है, उसके बावजूद आज भी शिविर के अस्तित्व बनाये रखने की अनुमति क्यों दी गई है। और सबसे बड़ी बात यह है कि, यह देखते हुए कि अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी युद्ध अब खत्म हो चुका है और इसके सैनिकों को वापस बुला लिया गया है। क्योंकि हिरासत केन्द्रों के अस्तित्व के औचित्य के लिए सबसे पहले स्थान पर इसी बात को रखा जाता था।

ग्वांतानामो को बंद करने की पहली योजना जार्ज डब्ल्यू. बुश के प्रशासन के अंत में आई थी। बराक ओबामा ने कई बार इसे बंद करने का वादा किया, लेकिन जल्द ही कांग्रेस में बहुमत रिपब्लिकन के हाथों चला गया। नैंसी हॉलैंडर बताती हैं कि इसके बदले में उनके द्वारा एक कानून पेश किया गया, जिसमें कहा गया था कि, “कोई भी व्यक्ति जो कभी भी ग्वांतानामो में रहा हो वह किसी भी उद्देश्य से अमेरिका में नहीं आ सकता है, भले ही वो चाहे मुकदमा, चिकित्सा इत्यादि कुछ भी हो।” वे कहती हैं, इसने कैदियों को अमेरिका में ले जाना कानूनन असंभव बना दिया है।”

क्या अमेरिका ग्वांतानामो को छोड़ देगा?

थोथे बयानों को कार्यवाइयों में तब्दील करने के लिए आह्वान 

बाद के दौर में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दिशा बदल दी और घोषणा की कि ग्वांतानामो खुला रहेगा। रिपब्लिकन के अनुसार, ग्वांतानामो आतंकवादी हमलों से हमारी रक्षा करता रहेगा और कैदियों को अमेरिका में स्थानांतरित करना बेहद खतरनाक होगा। हालाँकि ग्वांतानामो के विरोधियों का तर्क है कि शिविर का अस्तित्व ही नौजवान मुसलमानों को चरमपंथ की ओर आकर्षित करता है।

ग्वांतानामो नीति पर अगली उलटबांसी राष्ट्रपति जो बिडेन के तहत देखने को मिली है, जिन्होंने पदभार ग्रहण करने के बाद अपनी महिला प्रवक्ता के माध्यम से घोषणा की कि वे अपने कार्यकाल के दौरान शिविर को बंद करने की योजना रखते हैं। लेकिन जब हाल ही में अमेरिकी सीनेट ख़ुफ़िया समिति ने इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए बैठक की तो बिडेन प्रशासन के एक भी सदस्य ने इस विषय को हाथ नहीं लगाया। नैंसी हॉलैंडर का इस बारे में कहना है कि इससे पता चलता है कि, सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार की प्राथमिकताएं कहाँ पर हैं, जिसने अभी तक अपनी द्वारा कही गई बातों का पालन नहीं किया है।

अमेरिकी बचाव पक्ष की वकील नैंसी हॉलैंडर 

सुबूतों के अभाव के बावजूद कैद 

अपने विफल बुनियादी ढाँचे के कार्यक्रम और निम्न मतदान संख्या के बीच मध्यावधि चुनावों के समीप आने की वजह से, निश्चित ही बिडेन प्रशासन के पास ग्वांतानामो से कहीं बड़ी समस्याओं से निपटने का कार्यभार आन पड़ा है। ऐसे में “गिटमो” का क्या होगा यह पूरी तरह से खुला हुआ है। जैसा कि योजना थी कुछ कैदियों को रिहा किया जा सकता है। बाकियों को उनके मूल देशों में वापस भेजा जा सकता है।

एमनेस्टी इंटरनेशनल की डाफ्ने एविअटर का कहना है कि वे भविष्य को लेकर आशावादी हैं। वे कहती हैं, “लेकिन अब जबकि यह संख्या दिनों-दिन उत्तरोतर कम होती जा रही है और यह अधिकाधिक स्पष्ट होता जा रहा है कि यह सब कितना अविवेकपूर्ण है, कितना बेतुका है यह सब।”

इसके अलावा यह भी स्पष्ट है कि सर्व-विदित नैतिक कारणों के अलावा, ग्वांतानामो में कैद एक कैदी पर अमेरिकी करदाताओं को सालाना 1.3 करोड़ डॉलर कीमत चुकानी पड़ रही है।

सभी ग्वांतानामो बंदियों की तत्काल रिहाई की मांग करने वाली नैंसी हॉलैंडर कहती हैं कि उन्हें अमेरिका में बंदी बनाकर रखना काफी सस्ता पड़ता, लेकिन क़ानूनी बाधाओं को यदि किनारे भी रख दें, तो भी यह कोई जवाब नहीं है।

“हम बिना किसी आरोप के लोगों को 20 सालों तक पकडकर नहीं रख सकते क्योंकि, अमेरिका के अनुसार उन पार आरोप लगाने के लिए पर्याप्त सुबूत नहीं हैं लेकिन कहीं न कहीं हमें मालूम है कि वे खतरनाक हैं।”

ग्वांतानामो के भविष्य के प्रश्न का उत्तर अब तार्किक बहसों में दे पाना संभव नहीं रह गया है। अमेरिका में इतनी अधिक चीजों की तरह, यह भी एक राजनीतिक मोहरा बन चुका है जिसके साए में “चिरकालीक कैदी” 20 साल से मुकदमा चलाए जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

इस लेख को मूलतः जर्मन में लिखा गया था।

Courtesy : DW

अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें 

The 'Forever Prisoners' of Guantanamo

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