इस साल सरकार हो या कोरोना दोनों की मार से ग़रीब मेहनतकश की कमर टूट गई है। आज किसान आंदोलित है तो मज़दूर भी परेशान। रोज़गार पहले से ही नहीं था और जो रोज़गार था वो कोरोना के दौरान अनियोजित लॉकडाउन ने बर्बाद कर दिया। उसकी मार से आम आदमी अभी तक नहीं उबर पाया। इसी सिलसिले में हमने उन कैब ड्राइवर की कहानी जाननी चाही जो हमें किसान आंदोलन में सिंघु बॉर्डर लेकर गए थे। उन्होंने बताया कि उन्हें किस तरह लॉकडाउन की मार झेलनी पड़ी और सरकार ने जो राहत के ऐलान किए थे, वो कैसे एक धोखा ही नहीं, बल्कि उनकी मुश्किलें और बढ़ाने वाले साबित हुए।