NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
अंतरराष्ट्रीय
दुनिया की 42 फ़ीसदी आबादी पौष्टिक आहार खरीदने में असमर्थ
एफएओ के मुताबिक बच्चों के लिए पोषक आहार खरीदने में असमर्थ है विश्व के 300 करोड़ लोग।
सतीश भारतीय
02 Dec 2021
hunger crisis
'प्रतीकात्मक फ़ोटो'

खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) संयुक्त राष्ट्र संघ की एक विशिष्ट अंतर्राष्ट्रीय संस्था है। यह कृषि उत्पादन, वानिकी और कृषि विपणन संबंधी शोधों के लिए जानी जाती है। इनसे संबंधित रिपोर्टें  भी जारी करती है।

हाल ही में खाद्य एवं कृषि संगठन  द्वारा एक ताजा रिपोर्ट "द स्टेट ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर 2021" जारी की गयी है। इसके मुताबिक दुनियां में 300 करोड़ से अधिक लोग अपने परिवार के लिए ऐसा आहार खरीदने में सक्षम नहीं है, जो उनके बच्चों को पर्याप्त पोषण दे सके।

दुनिया में अभी भी तकरीबन 42 फीसदी आबादी यानी 300 करोड़ लोग पौष्टिक आहार खरीदने में असमर्थ है। इससे भी चिंतनीय बात यह है कि एफएओ का अनुमान है कि यदि आपदा या फिर आर्थिक संकट की वजह से लोगों की आय में एक तिहाई कमी आती है तो 100 करोड़ लोग पोषण आहार खरीदने में फिर असक्षम हो जायेगें।

वहीं इसके अलावा यदि परिवहन व्यवस्था में बाधा आती है तो लगभग 84.5 करोड़ लोगों को पहले के मुकाबले अपने आहार के लिए कहीं ज्यादा कीमत चुकानी होगी।

रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 में 800 मिलियन से अधिक लोगों को भूख का सामना करना पड़ा। जो वर्ष 2019 की तुलना में लगभग 161 मिलियन ज्यादा है। 

2020 में सबसे ज्यादा एशिया में 418 मिलियन लोगों के सामने भूख का संकट था। इसके बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी अफ्रीका में 282 मिलियन थी जो भूख से जूझ रही थी।

एफएओ द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020 में 76.8 करोड़ लोग भुखमरी से जूझ रहे थे, जो कि  वैश्विक आबादी का 10 फीसदी भाग है। वर्ष 2019 की तुलना में 2020 में 11.8 करोड़ लोग और भुखमरी का शिकार हुए। जबकि 2015 की तुलना में इस आंकड़े में 15.3 करोड़ की बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है।

रिपोर्ट के अनुसार कृषि और खाद्य  व्यवस्था के लिए जलवायु परिवर्तन और महामारियां बड़ा खतरा है। इसका अंदाजा कोरोना महामारी से लगाया जा सकता है। जिसकी वजह से भुखमरी में काफी इजाफा हुआ है। रिपोर्ट की माने तो 2030 तक दुनिया भुखमरी और कुपोषण के लिए तय लक्ष्यों को हासिल कर लेगी। ऐसा अंदाजा कोरोना महामारी की वजह से हुई क्षति से लगाया जा रहा है।

कोविड-19 महामारी के आर्थिक परिणामों और जलवायु परिवर्तन ने हमें भलीभांति अवगत कराया है कि अब कृषि क्षेत्र को और अधिक मजबूत बनाने का समय आ गया है। यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो कृषि खाद्य प्रणाली सभी के लिए भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ-साथ पर्याप्त आहार प्रदान नहीं कर पायेगी।

कमजोर देशों में 60 फीसदी आबादी को कृषि जीविका देती है वैश्विक स्तर पर देखें तो कृषि हर वर्ष 1,100 करोड़ टन खाद्य का उत्पादन करती है। विश्व में करोड़ों लोग कहीं न कहीं कृषि पर निर्भर है।

आपको आगाह कर दें कि हमारा देश दुनिया में जनसंख्या कि दृष्टि से दूसरे पायदान पर है। जिसे हम कृषि प्रधान देश कहकर भी संबोधित करते हैं। मगर विश्व में जितने लोग भुखमरी का शिकार है, उनमें एक चौथाई केवल भारत में रहते हैं।

हैरान करने वाली बात यह है कि हमारे देश में 5 साल से कम आयु के 10 लाख बच्चे सालाना कुपोषण का शिकार होकर मौत के मुहं में समा जाते हैं। द हंगर वायरस मल्टीप्लाई के मुताबिक, हर मिनट भूख के कारण 11 लोग दम तोड़ रहे हैं। वहीं जीएचआई के मुताबिक भारत में रोजाना भूख से 3000 लोग मर जाते हैं। 2020 के आंकड़ों से ज्ञात होता है कि इस वर्ष भारत में 19 करोड़ लोग कुपोषण का शिकार हुए।

वहीं कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में मुख्य फसलों के उत्पादन के दूसरे अग्रिम अनुमान में खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन 303.34 मिलियन टन बताया गया। लेकिन गौर करने योग्य है कि 2016 की एक स्टडी ने कहा था कि भारत में अनाज की बर्बादी के चलते सालाना 92,651 करोड़ रुपये का नुकसान होता है।

वहीं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय से पता चला है कि वर्ष 2017 से 2020 के बीच 11,520 टन अनाज सड़ गया जिसकी कुल कीमत 15 करोड़ बतायी गयी। जिससे इस बात का स्पष्टीकरण होता है कि एक ओर देश में टनों आनाज सड़ रहा है दूसरी ओर भूख और कुपोषण से ग्रसित होकर लोग जान गंवा रहे हैं।

अनुमान लगाया जा रहा है कि 2050 तक विश्व की आबादी 9 अरब हो जायेगी। जिसमें लगभग 80 फीसदी लोग विकासशील देशों में निवासरत होगें। ऐसे में आने वाले समय में भुखमरी संकट कैसे हल हो? यह एक बहुत बड़ा प्रश्न बन जायेगा।

रिपोर्ट के मुताबिक यूएन के ह्यूमैनिटेरिअन ने कहा है कि अफगानिस्तान के किसानों और चरवाहों पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। अफगानिस्तान में 18.8 मिलियन ल़ोग गंभीर खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे हैं। यह संख्या 2021 के अंतिम दिनों तक 22.8 मिलियन तक पहुँच सकती है।

खाद्य एवं कृषि संगठन के महानिदेशक क्यू डोंग्यू ने कहा है कि  "स्वास्थ्य महामारी ने,  कृषि आधारित खाद्य प्रणालियों की सहनक्षमता और कमजोरियां, दोनों को ही उजागर किया है।"

रिपोर्ट में आगे बताया गया कि महामारी, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तौर पर खाद्य कीमतों में हो रही वृद्धि अपने आप में बहुत बड़ी समस्या है जो खाद्य पूर्ति और उत्पादन को प्रभावित करती रही है। उससे भी ज्यादा बड़ी परेशानी यह है कि इस तरह के झटकों की गंभीरता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

ऐसे खतरों से निपटने के लिए यदि अभी से तैयारी नहीं की गयी तो यह खतरे हमारे कृषि और खाद्य प्रबंधन को लगातार कमजोर करते रहेगें। इन खतरों से निपटने के लिए विविधता बहुत मायने रखती है। बात चाहे उत्पादन, बाजारों, आपूर्ति और इनपुट स्त्रोतों की हो इनके लिए विविधता बहुत मायने रखती है जो खतरों का सामना करने के लिए रास्ते बना सकती है।

एफएओ की रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया कि एक स्वस्थ आहार की वहनीयता, सुनिश्चित करने के लिए या तो भोजन की लागत कम होनी चाहिए। या कमजोर आबादी की आय में वृद्धि होनी चाहिए या फिर उन्हें समर्थन देना चाहिए। इसके लिए सामाजिक सुरक्षा जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की अपरिहार्यता है।

(सतीश भारतीय स्वतंत्र लेखन काा काम करते हैं।) 

Global Hunger
Hunger Crisis
poverty
malnutrition in children
child malnutrition
malnutrition
FAO
UNO
Food and Agriculture Organization

Related Stories

दवाई की क़ीमतों में 5 से लेकर 5 हज़ार रुपये से ज़्यादा का इज़ाफ़ा

यूपी चुनाव : माताओं-बच्चों के स्वास्थ्य की हर तरह से अनदेखी

जलसंकट की ओर बढ़ते पंजाब में, पानी क्यों नहीं है चुनावी मुद्दा?

माओवादियों के गढ़ में कुपोषण, मलेरिया से मरते आदिवासी

कोरोना संकट के बीच भूख से दम तोड़ते लोग

कोरोना से दुनिया भर में आर्थिक संकट की मार, ग़रीब भुखमरी के कगार पर

विश्व में हर एक मिनट में भुखमरी से 11 लोगों की मौत होती है: ऑक्सफैम

ग्राउंड रिपोर्ट : बेपरवाह PM-CM, भारतीय नागरिकों को भूख से मरने के लिए बेसहारा छोड़ा

कोरोना से भी तेज़ फैल रहा है भारत में अमीर और ग़रीब का फ़ासला

देश में पोषण के हालात बदतर फिर भी पोषण से जुड़ी अहम कमेटियों ने नहीं की मीटिंग!


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License