NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
फिलिस्तीन
फ़िलिस्तीनियों के खिलाफ़ नई बसाहटों वाले इज़रायलियों द्वारा 451 हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया गया
यह आंकड़े शुरूआती 2020 के बाद के हैं, मानवाधिकार समूह बी सेलेम का कहना है कि नई बसाहटों वाले इज़रायलियों द्वारा किए जाने वाले हमलों को इज़रायल द्वारा एक उपकरण के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, ताकि फ़िलिस्तीनियों को उनकी ज़मीन से हटाकर, उसके ऊपर कब्ज़ा किया जा सके।
पीपल्स डिस्पैच
18 Nov 2021
israel
'प्रतीकात्मक फ़ोटो'

इज़रायली मानवाधिकार समूह बी त्सेलेम ने रविवार को एक रिपोर्ट में कहा कि संगठन ने 2020 की शुरुआत के बाद कब्जाए गए वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनियों के साथ नई इज़रायली बसाहटों के लोगों द्वारा 451 हिंसा की घटनाओं को दर्ज किया है। संगठन का दावा है कि ज़्यादातर मामलों में इज़रायली सुरक्षाबलों ने फिलिस्तीनियों के साथ हो रही हिंसा को रोकने की कोशिश नहीं की। रिपोर्ट के मुताबिक़, इस तरह के 66 फ़ीसदी हमलों में तो इज़रायली सुरक्षाबल घटनास्थल पर ही नहीं पहुंचे। 170 हमलों में इज़रायली सुरक्षाबल घटनास्थल पर मौजूद थे, लेकिन उन्होंने हस्तक्षेप नहीं किया और ना ही सक्रिय तरीके से हमले में सहभागी बने। नतीज़तन 5 फिलिस्तीनियों की मौत हुई और 22 दूसरे लोगों को गिरफ़्तार किया गया। केवल 13 हमलों में इज़रायली सुरक्षाबलों ने "बसने वाले लोगों की हिंसा" को रोकने का प्रयास किया। 

रिपोर्ट के मुताबिक़, "राज्य इस तरह के हिंसक गतिविधियों को पूरा समर्थन और सहयोग देता है और कई बार राज्य के प्रतिनिधि ही सीधे इन गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं। कुल मिलाकर नई बसाहट के लिए आए लोगों द्वारा की जाने वाली हिंसा एक तरह की सरकारी हिंसा है, जिसमें राज्य प्रशासन के अधिकारी अपनी सक्रिय भागीदारी के साथ सहयोग करते हैं, बढ़ावा देते हैं। इज़रायल की नस्लभेदी सरकार फिलिस्तीनियों के खिलाफ़ नई बसाहट वाले लोगों की हिंसा को रणनीति की तरह उपयोग करती है, जिसके तहत ज़्यादा से ज़्यादा फिलिस्तीनियों की ज़मीन पर कब्ज़ा किया जा सके। जब इज़रायली प्रशासन की अनुमति और सहयोग से हिंसा होती है, तो यह राज्य हिंसा है। दरअसल नई बसाहट के लिए पहुंचे लोग यहां हिंसा के ज़रिए राज्य का काम ही कर रहे हैं।"    

फिलिस्तीनी लोगों को डराने की इस तरह की हिंसा, इज़रायल के उन दो तरीकों में से एक है, जिनके जरिए इज़रायल फिलिस्तीनी ज़मीन को जब्त कर हड़प रहा है। दूसरा तरीका  न्यायिक व्यवस्था के जरिए आधिकारिक तरीके से फिलिस्तीनियों की संपत्ति को जब्त करना है। 

रिपोर्ट में नई बसाहट के लोगों द्वारा हिंसा की कुछ घटनाओं का जिक्र किया गया है, जिनमें बताया गया है कि कैसे अवैध इज़रायली प्रवासी और इज़रायली राज्य आपस में एक साथ काम करतके हैं और फिलिस्तीनी ज़मीन को हड़प रहे हैं। ऐसा ही एक मामला माओन फार्म का है, जो वेस्ट बैंक के दक्षिणी क्षेत्र में एक वर्ग मील के दायरे में फैली अवैध आउटपोस्ट है। रिपोर्ट के मुताबिक नई बसाहट के लोग यहां नियमित तौर पर फिलिस्तीनियों पर हमला करते रहे हैं और उत्पीड़ित करते हैं। जबकि ऐतिहासिक तौर पर यहां फिलिस्तीनी लोग अपने मवेशियों को चराते रहे हैं। नतीज़ा यह हुआ कि इज़रायल राज्य ने आखिरकार इस ज़मीन की जब्ती कर ली। इस फार्म में फिलहाल 264 हेक्टेयर या 652 एकड़ ज़मीन है। अब यहां पर एक और सब-पोस्ट की स्थापना हो चुकी है। 

बी त्सेलेम के मुताबिक़, हाल के महीनों, खासकर अक्टूबर-नवंबर के महीने में जैतून की फ़सल कटने के समय फिलिस्तीनियों पर इस तरह के हमले बढ़े हैं। करीब़ 80 हजार से 1 लाख फिलिस्तीनी परिवारों की आजीविका जैतून की खेती पर निर्भर करती है। कृषि कार्य समिति संघ के परियोजना और कार्यक्रम अधिकारी मोय्यद बेशारत कहते हैं कि हालिया याद में इस साल जैतून की खेती सबसे ज़्यादा कठिन रही है। 

वेस्ट बैंक के उत्तरी इलाके में नई बसाहट वाले लोगों द्वारा की जाने वाली हिंसा पर नज़र रखने वाले घस्सन डगलस कहते हैं कि यह हमले योजनाबद्ध होते हैं, ना कि क्षणिक। इस तरह के हमलों का जिक्र किताबों, शोध रिपोर्टों और डॉक्यूमेंट्री में हाल में किया गया है, लेकिन इज़रायली प्रशासन ने नई बसाहटों वाले इज़रायली लोगों के खिलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की। रिपोर्ट के मुताबिक़, "नई बसाहट वाले लोगों द्वारा किए गए हमलों के बावजूद इज़रायल की निष्क्रियता जारी रही। कानूनी एजेंसियां अपनी अधिकतम कोशिश करती हैं कि वे शिकायतों पर कोई कार्रवाई ना करें। शिकायत दर्ज करवाना मुश्किल होता है, फिर जिस भी मामले में जांच बैठी भी है, तो जल्द ही न्यायिक व्यवस्था इन लोगों को बरी कर देती है। शायद ही कभी आरोपियों के खिलाफ़ अभियोग चलाया जाता हो, अगर चलाया भी जाता है, तो उसमें छोटे अपराध बताए जाते हैं। दोष सिद्धी के किसी अपवाद में दोषियों को सिर्फ़ प्रतीकात्मक जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया।"

रिपोर्ट जोर देते हुए कहती है कि नई बसाहटें परोक्ष तौर पर राज्य का प्रतिनिधित्व करती हैं और प्रशासन द्वारा इनके ऊपर कार्रवाई ना करने से इनकी हिंसा में बढ़ोत्तरी होती है। बी त्सेलेम कहता है, "राज्य की हिंसा- चाहे वह आधिकारिक हो या नहीं, वह इज़रायल की नस्लभेदी सत्ता का हिस्सा है, जो जॉर्डन नदी से भूमध्यसागर के बीच सिर्फ़ एक यहूदी राज्य बनाना चाहती है।"

Israel
Palestine
Israel Army
West Bank

Related Stories

फ़िनलैंड-स्वीडन का नेटो भर्ती का सपना हुआ फेल, फ़िलिस्तीनी पत्रकार शीरीन की शहादत के मायने

न नकबा कभी ख़त्म हुआ, न फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध

अल-जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में इज़रायली सुरक्षाबलों ने हत्या की

अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात

इज़रायली सुरक्षाबलों ने अल-अक़्सा परिसर में प्रार्थना कर रहे लोगों पर किया हमला, 150 से ज़्यादा घायल

लैंड डे पर फ़िलिस्तीनियों ने रिफ़्यूजियों के वापसी के अधिकार के संघर्ष को तेज़ किया

अमेरिका ने ईरान पर फिर लगाम लगाई

ईरान नाभिकीय सौदे में दोबारा प्राण फूंकना मुमकिन तो है पर यह आसान नहीं होगा

शता ओदेह की गिरफ़्तारी फ़िलिस्तीनी नागरिक समाज पर इस्राइली हमले का प्रतीक बन गया है

141 दिनों की भूख हड़ताल के बाद हिशाम अबू हव्वाश की रिहाई के लिए इज़रायली अधिकारी तैयार


बाकी खबरें

  • सरोजिनी बिष्ट
    विधानसभा घेरने की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशाएं, जानिये क्या हैं इनके मुद्दे? 
    17 May 2022
    ये आशायें लखनऊ में "उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन- (AICCTU, ऐक्टू) के बैनर तले एकत्रित हुईं थीं।
  • जितेन्द्र कुमार
    बिहार में विकास की जाति क्या है? क्या ख़ास जातियों वाले ज़िलों में ही किया जा रहा विकास? 
    17 May 2022
    बिहार में एक कहावत बड़ी प्रसिद्ध है, इसे लगभग हर बार चुनाव के समय दुहराया जाता है: ‘रोम पोप का, मधेपुरा गोप का और दरभंगा ठोप का’ (मतलब रोम में पोप का वर्चस्व है, मधेपुरा में यादवों का वर्चस्व है और…
  • असद रिज़वी
    लखनऊः नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम और सद्भावना का महिलाएं दे रहीं संदेश
    17 May 2022
    एडवा से जुड़ी महिलाएं घर-घर जाकर सांप्रदायिकता और नफ़रत से दूर रहने की लोगों से अपील कर रही हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 43 फ़ीसदी से ज़्यादा नए मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए 
    17 May 2022
    देश में क़रीब एक महीने बाद कोरोना के 2 हज़ार से कम यानी 1,569 नए मामले सामने आए हैं | इसमें से 43 फीसदी से ज्यादा यानी 663 मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए हैं। 
  • एम. के. भद्रकुमार
    श्रीलंका की मौजूदा स्थिति ख़तरे से भरी
    17 May 2022
    यहां ख़तरा इस बात को लेकर है कि जिस तरह के राजनीतिक परिदृश्य सामने आ रहे हैं, उनसे आर्थिक बहाली की संभावनाएं कमज़ोर होंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License