NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
बाढ़ के बाद बेमौसम बरसात ने किसानों की कमर तोड़ दी
खेतों में खड़ी फसलें चौपट हो गईं और अब इन खेतों में पानी लगा हुआ है जिससे खेती-किसानी ठप्प हो गया है। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
एम.ओबैद
21 Oct 2021
heavy rain

बिहार में इस साल बेमौसम बरसात और जरूरत से ज्यादा हुई बारिश व बाढ़ ने किसानों की कमर तोड़ दी है। पहले से ही कृषि संबंधी समस्याओं से जूझ रहे किसानों को इस बार बारिश और बाढ़ के चलते काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। इस साल मई महीने में आए समुद्री तूफान और बारिश के बाद से हालात इतने बदतर बने हुए हैं कि किसानों के लिए खेती करना मुश्किल हो गया है। इससे खेतों में खड़ी फसलें चौपट हो गईं और अब इन खेतों में पानी लगे हुए है जिससे खेती-किसानी ठप्प हो गया है। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।

तीन-तीन बार आ गई बाढ़

पूर्वी चंपारण के किसान नेता सुधीर कुमार श्रीवास्तव कहते हैं, "बाढ़ और बारिश से हमलोगों के इलाके का निचला हिस्सा तो पहले ही डूब गया और ज्यादा बारिश होने पर ऊपरी हिस्सा भी डूब गया जिससे सभी फसल चौपट हो गई। यहां तो काफी भयंकर बाढ़ आ गई। एक बार नहीं बल्कि तीन-तीन बार आ गई इससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है। धान की खड़ी फसल पानी के चलते जमीन पर गिर गई और बर्बाद हो गई। सुगौली, रक्सौल, मेहसी, मोतिहारी और अन्य तमाम इलाकों में किसानों की फसलें चौपट हो गई। इस मुद्दे पर हमने इस महीने की शुरूआत में क्लेक्टर को मेमोरेंडम दिया था लेकिन अभी तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। स्थानीय स्तर पर हमारे अन्य साथियों ने सुगौली ब्लॉक का घेराव किया था।”

मुआवज़ा दे सरकार

बिहार के मुजफ्फरपुर के किसान नेता मो. गफ्फार ने कहा कि, “यहां बड़े पैमाने पर किसानों की फसल बर्बाद हुई। इससे किसान लचर चुके हैं। अब उनके पास खेतीबारी करने के लिए पैसे की कमी है। सरकार ने किसानों के साथ बहुत बड़ा दुर्व्यवहार किया है। केवल किसान ही नहीं बल्कि किसानों के यहां काम करने वाले मजदूर भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं लेकिन सरकार की तरफ से कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। हम इन मजदूरों के लिए सरकार से बराबर मांग करते रहें है कि जब तक स्थिति सुधर नहीं जाती है तब तक सरकार इनको 7,500 रूपये प्रति महीना दे ताकि उनके बच्चों और परिवार का भरण पोषण हो सके। उनके सामने जीवन यापन का संकट पैदा हो गया है। सरकार किसानों को बीज, खाद जैसी कृषि से जुड़ी सभी सामग्री मुफ्त में मुहैया कराए जिससे की उनका बोझ कम हो और उनका जीवन पटरी पर लौट सके। सरकार किसानों को बर्बाद हुए फसल का जल्द से जल्द मुआवजा दे ताकि किसानों और उनसे जुड़े लोगों की समस्या दूर हो सके।”

खेतों में पानी लगा तो कैसे करें खेती

उधर हाजीपुर में किसानों की आवाज उठाने वाले किसान नेता संजीव कुमार कहते हैं, “बारिश और बाढ़ के चलते यहां केला, सब्जी, धान, मक्का सहित तमाम फसलें पूरी तरह तबाह हो गई। पानी अभी भी खेत में लगा हुआ। उधर मछली पालन करने वाले किसान जो तालाब वगैरह में मछली पालन कर रहे थे उनकी सारी मछली अधिक बारिश और बाढ़ के चलते इधर-उधर चली गई। इससे उनको काफी नुकसान हुआ है। इतना ही नहीं पशुधन का भी काफी नुकसान हुआ है। उनको खाने तक के लिए समय पर चारा नहीं मिल पाया जिससे बड़ी संख्या में उनके मौत के मामले सामने आए हैं। सरकार और प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया। प्रशासन की ओर से पशु के न रहने का इंतजाम किया गया और न रहने का इंतजाम किया गया इससे भी पशुओं की मौत हुई हैं। घोषणाएं तो बहुत हुई लेकिन जमीन पर कोई काम नहीं हुआ। यहां किसानों की आर्थिक स्थिति चौपट हो गई है। अब उन्हें फिर से खड़ा होने के लिए काफी मेहनत करनी होगी। सरकार जब तक उनकी मदद नहीं करती तब तक उन्हें काफी संकट का सामना करना पड़ेगा। पहले जो फसल का नुकसान हुआ है वो तो हुआ ही अब खेतों में पानी लगा है ऐसे में उनके सामने फसल बोआई की समस्या बरकरार है। इन समस्याओं को लेकर हम लोग क्लेक्टर के पास गए और प्रदर्शन भी किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। हमलोग वर्चुअल तरीके से हुई मीटिंग में प्रशासन के लोगों को भी आमंत्रित किया था लेकिन वे इसमें शामिल नहीं हुए।"

तूफ़ान ने चौपट की मक्का की फसल

मई महीने में आए ‘ताउते’ तूफान के बाद ‘यास’ तूफान और इससे हुई बारिश ने खेती किसानी को भारी नुकसान पहुंचाया था। तूफान के चलते मक्का के पौधे जमीन पर गिर गए थे और बारिश ने रही सही कसर को पूरी कर दी थी। मुश्किल से 10 फीसदी किसानों ने ही फसल कटाई की थी। बाकी किसानों की फसल खेतों में ही पड़ी हुई थी। ज्ञात हो कि बिहार प्रमुख मक्का उत्पादक राज्यों में शामिल है। यहां देश का करीब 9 फीसदी मक्का पैदा होता है। इसमें भी 80 फीसदी मक्का उत्तरी बिहार के कटिहार, किशनगंज, बेगूसराय, खगड़िया, अररिया, और सहरसा सहित 18 जिलों में होता है। इसके अलावा मधेपुरा और समस्तीपुर में भी बड़े पैमाने पर इसकी खेती होती है।

धान के उत्पादन में होगी कमी

किसानों का कहना है कि बाढ़ और बारिश के चलते एक तरफ जहां धान की बोआई नहीं हो पाई वहीं जिन किसानों थोड़ा बहुत धान लगाया था उनका फसल नष्ट हो गया है। ऐसे में धान के उत्पादन में भारी कमी आएगी ही। समस्तीपुर जिले के सरायरंजन ब्लॉक के युवा किसान मोहम्मद शम्स तबरेज कहते है पहले पांच बिगहा में हम धान की खेती करते थे लेकिन इस बार बारिश और बाढ़ के चलते नीचले तमाम इलाकों में पानी लगा हुआ है। ऐसे में धान की रोपाई नहीं हो पाई थी। ऊपरी हिस्सा में जो खेत था उसमें एक बिगहा से भी कम जमीन में धान की रोपाई की थी लेकिन वह भी फसल पहले जैसा नहीं है। इससे धान के उत्पादन में स्वभाविक रुप से कमी आएगी। 

Bihar
heavy rains
floods
farmers crises
Nitish Kumar
Nitish Kumar Government

Related Stories

मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 

बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर

ब्लैक राइस की खेती से तबाह चंदौली के किसानों के ज़ख़्म पर बार-बार क्यों नमक छिड़क रहे मोदी?

ग्राउंड रिपोर्ट: कम हो रहे पैदावार के बावजूद कैसे बढ़ रही है कतरनी चावल का बिक्री?

बिहारः खेग्रामस व मनरेगा मज़दूर सभा का मांगों को लेकर पटना में प्रदर्शन

सड़क पर अस्पताल: बिहार में शुरू हुआ अनोखा जन अभियान, स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जनता ने किया चक्का जाम

यूपीः धान ख़रीद को लेकर किसानों से घमासान के बाद हड़ताल पर गए क्रय केंद्र प्रभारी

पीएम के 'मन की बात' में शामिल जैविक ग्राम में खाद की कमी से गेहूं की बुआई न के बराबर

बिहार खाद संकटः रबी की बुआई में देरी से किसान चिंतित, सड़क जाम कर किया प्रदर्शन

पटना: त्योहार पर ग़रीबों को किया बेघर, मेट्रो के लिए झुग्गियां उजाड़ीं


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License