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राजनीति
दिवाली पर दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ हुई, लेकिन हालात पिछले साल से बेहतर
हर साल दिवाली के बाद हवा की गुणवत्ता बेहद खतरनाक हो जाने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने पटाखा छोड़ने के लिए दो घंटे की सीमा तय की थी लेकिन लोगों ने इसके अलावा भी पटाखे छोड़े।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
28 Oct 2019
pollution on diwali
Image courtesy: News18

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रविवार को दिवाली के दिन प्रदूषण की वजह से धुंध छा गई और वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ स्तर पर पहुंच गयी। सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर पटाखा छोड़ने के लिए दो घंटे की सीमा तय की थी लेकिन लोगों ने इसके अलावा भी पटाखे छोड़े।

दिल्ली की हवा में पटाखों की तेज आवाज के साथ ही जहरीला धुंआ और राख भर गया और कई स्थानों पर वायु गुणवत्ता का स्तर ‘गंभीर’ स्तर को पार गया। लोगों ने मालवीय नगर, लाजपत नगर, कैलाश हिल्स, बुराड़ी, जंगपुरा, शाहदरा, लक्ष्मी नगर, मयूर विहार, सरिता विहार, हरी नगर, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, द्वारका सहित कई इलाकों में उच्चतम न्यायालय द्वारा पटाखा छोड़ने के लिए तय दो घंटे की समयसीमा का उल्लंघन करके पटाखे छोड़ने की सूचना दी।

नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद में भी निवासियों ने निर्धारित समय के अलावा भी पटाखे छोड़े। लोग शाम आठ बजे से पहले भी पटाखे छोड़ते दिखे हालांकि इन पटाखें की आवाज कम रही। सरकारी एजेंसियों के मुताबिक रविवार रात 11 बजे दिल्ली की औसत वायु गुणवत्ता का स्तर 327 पर पहुंच गया जबकि शनिवार को यह 302 था।

सरकार की वायु गुणवत्ता निगरानी संस्था ‘सफर’ ने दिवाली की रात पटाखे जलाने, मौसम में बदलाव और पराली जलाने की वजह से दिल्ली की औसत वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ स्तर पर पहुंचने की आशंका जताई है।

आंकड़ों के मुताबिक दिन में आनंद विहार में पीएम-10 का स्तर 515 दर्ज किया गया। वहीं वजीरपुर और बवाना में पीएम-2.5 का स्तर 400 के पार चला गया। राजधानी स्थित 37 वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों में से 25 ने वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज की।

दिल्ली के नजदीक स्थित शहरों फरीदाबाद, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा और नोएडा में रविवार रात 11 बजे वायु गुणवत्ता का स्तर क्रमश: 320, 382, 312 और 344 रहा। उल्लेखनीय है कि पिछले दिवाली के मौके पर दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर सुरक्षित सीमा से 12 गुना अधिक 600 तक पहुंच गया था।

गौरतलब है कि शून्य से 50 के बीच के एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 से 100 को ‘संतोषजनक’, 101 से 200 को ‘मध्यम’, 201 से 300 को ‘खराब’, 301 से 400 को ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 को ‘गंभीर’ और 500 से ऊपर को अति गंभीर आपात स्थिति की श्रेणी में रखा जाता है।

और गहरा सकता है दिल्ली में दमघोंटू हवा का संकट

दिवाली के समय दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता खराब होने के संकट से इस साल भी निजात मिलने की राह में मौसम का बदलता रुख रोड़े अटका सकता है। दिवाली से पहले हवाओं का रुख बदलने और इनकी गति मद्धिम पड़ने के मौसम विभाग के पूर्वानुमान और दिवाली में पटाखों के कम ही सही, लेकिन वायु प्रदूषण बढ़ाने में मददगार बनने वाले संभावित असर ने दिल्ली की चिंता को बढ़ा दिया है।

मौसम विभाग की उत्तर क्षेत्रीय पूर्वानुमान इकाई के प्रमुख डा. कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया, 'दिल्ली एनसीआर क्षेत्र सहित उत्तर के मैदानी इलाकों में 24 अक्टूबर से हवा के रुख में आयी तब्दीली के चलते अब इस क्षेत्र में उत्तर पश्चिमी हवाओं के बजाय पूर्वी हवा चल रही है। इसकी गति 25 अक्टूबर से लगातार घट रही है। रविवार को दिवाली के बाद 30 अक्टूबर तक हवा की संभावित अधिकतम गति 10 किमी प्रति घंटा तक ही रहने का अनुमान है। हवा की यह गति प्रदूषणकारी पार्टिकुलेट तत्वों को बहा ले जाने में सक्षम नहीं होती है। साथ ही दिवाली पर तमाम प्रयासों के बावजूद थोड़ी बहुत आतिशबाजी से भी होने वाला प्रदूषण हवा की गुणवत्ता के संकट को बढ़ाने की आशंका के मद्देनजर मौसम का साथ नहीं मिलना प्रदूषण की चिंता को बढ़ाने वाला साबित हो सकता है।'

दिवाली के आसपास दिल्ली को वायु प्रदूषण से राहत देने में मौसम के मिजाज की क्या भूमिका होती है, इस सवाल के जवाब में कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा, 'हर साल बारिश के खत्म होने और सर्दी के चरम पर पहुंचने के दौरान अक्टूबर और मध्य नवंबर तक दिल्ली में वायु प्रदूषण का संकट गहराता है। इसकी दो मुख्य वजहें हैं। पहला, पंजाब और हरियाणा की पराली का धुंआ और दूसरा दिल्ली एनसीआर में वाहनों से एवं विकास परियोजनाओं से उड़ने वाली धूल हवा की गुणवत्ता को खराब करती है। इन दोनों कारकों को प्रभावी या निष्प्रभावी करने में मौसम का मिजाज अहम भूमिका निभाता है।'

उन्होंने आगे कहा, 'दरअसल दक्षिण पश्चिम मानसून की उत्तर भारत से अक्टूबर में वापसी के बाद समूचे मैदानी इलाकों में पूर्वी हवा की बजाय हिमालयी क्षेत्र से तेज गति की उत्तर पश्चिम हवायें चलने लगती है। हिमालयी क्षेत्र से पंजाब और हरियाणा होते हुये दिल्ली की ओर आने वाली इन हवाओं के साथ पराली का धुंआ भी दिल्ली पहुंचता है। इसी समय होने वाली दिवाली में पटाखों का प्रदूषण हवा के संकट को गहरा देता है। ऐसे में उत्तर पश्चिमी हवाओं की गति 20 किमी प्रति घंटा तक होने पर पार्टिकुलेट तत्व वायुमंडल में ठहरने के बजाय हवा के साथ दिल्ली से आगे निकल जाते हैं। इससे स्पष्ट है कि मौसम के मिजाज की दिल्ली के वायु प्रदूषण में प्रभावी भूमिका है।'

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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