NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अमेरिका
साल के अंत तक इराक़ छोड़ देंगे सभी अमेरिकी सैनिक
इराक़ में विपक्ष ने इस फ़ैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह देश से सभी विदेशी सैनिकों, लड़ाकू या ग़ैर-लड़ाकू की पूरी तरह से वापसी की दिशा में पहला क़दम है।
पीपल्स डिस्पैच
27 Jul 2021
साल के अंत तक इराक़ छोड़ देंगे सभी अमेरिकी सैनिक

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और इराकी प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कदीमी ने सोमवार 26 जुलाई को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसके अनुसार देश में सभी अमेरिकी लड़ाकू सैनिकों को मौजूदा वर्ष के अंत तक इराक से वापस ले लिया जाएगा।

इस साल अप्रैल में शुरू की गई दोनों देशों के बीच रणनीतिक वार्ता के चौथे दौर में व्हाइट हाउस में कदीमी और बाइडेन के बीच पहली आमने-सामने की बैठक के बाद इस निर्णय की घोषणा की गई थी।

इस बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में बाइडेन ने कहा कि अमेरिकी सैनिक इराक में युद्ध की स्थिति में नहीं होंगे। हालांकि, उन्होंने कहा कि अमेरिकी सेना "प्रशिक्षण जारी रखने के लिए, सहायता करने के लिए, मदद करने के लिए और आईएसआईएस (आईएस) से निपटने के लिए उपलब्ध है।"

हालांकि यह इस देश में अमेरिकी सेना की उपस्थिति के 18 साल की समाप्ति को दर्शाता है। उधर विपक्ष और साम्राज्यवाद-विरोधी एक्टिविस्टों ने कहा कि यह समझौता देश से पूरी सेना की वापसी की सर्वव्यापी मांग के साथ धोखा है।

इराक में एक प्रमुख शिया नेता मुक्तदा अल-सदर ने सोमवार को एक बयान में कहा कि, "हम देश से अमेरिकी सैनिकों की पूरी तरह से वापसी की प्रतीक्षा कर रहे हैं"। उन्होंने कहा कि सोमवार का समझौता प्रक्रिया की एकमात्र शुरुआत है। ईरानी प्रेस टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, इराकी संसद के अध्यक्ष मोहम्मद अल-हलबूसी ने भी इसी तरह का बयान दिया है।

2003 के आक्रमण के दौरान अमेरिकी सैनिक पहली बार इराक गए थे। उन्हें 2011 में वापस ले लिया गया था लेकिन बाद में आईएसआईएस के बढ़ते खतरे के बाद 2014 में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ने के लिए तैनात किया गया था।

इराक में तैनात अधिकांश सैनिकों को पिछले साल इराकी मिलिशिया द्वारा उन पर हमले बढ़ने के बाद वापस ले लिया गया था। आधिकारिक अनुमान के मुताबिक देश में करीब 2,500 अमेरिकी सैनिक और हैं।

अमेरिकी ड्रोन हमले में बगदाद के पास 3 जनवरी को कासिम सुलेमानी और अबू मेहदी अल-मुहांडिस की हत्या के बाद सभी विदेशी सैनिकों को देश छोड़ने के लिए सुनिश्चित करने के लिए कदीमी पर दबाव बढ़ गया। इस हत्या के बाद इराकी संसद ने एक प्रस्ताव पारित कर सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि सभी विदेशी सैनिक देश से वापस जाएं।

America
US troops
Iraq

Related Stories

और फिर अचानक कोई साम्राज्य नहीं बचा था

क्या दुनिया डॉलर की ग़ुलाम है?

यूक्रेन में छिड़े युद्ध और रूस पर लगे प्रतिबंध का मूल्यांकन

पड़ताल दुनिया भर कीः पाक में सत्ता पलट, श्रीलंका में भीषण संकट, अमेरिका और IMF का खेल?

लखनऊ में नागरिक प्रदर्शन: रूस युद्ध रोके और नेटो-अमेरिका अपनी दख़लअंदाज़ी बंद करें

यूक्रेन पर रूस के हमले से जुड़ा अहम घटनाक्रम

यूक्रेन की बर्बादी का कारण रूस नहीं अमेरिका है!

कोविड -19 के टीके का उत्पादन, निर्यात और मुनाफ़ा

अमेरिका और चीन के राष्ट्रपति के बीच वार्ता का दांव और अफ़ग़ानिस्तान के बहाने शांति का दौर

क्या बंदूक़धारी हमारे ग्रह को साँस लेने देंगे


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    त्रिपुरा: बिप्लब देब के इस्तीफे से बीजेपी को फ़ायदा या नुक़सान?
    16 May 2022
    बिप्लब देब के प्रदर्शन से केंद्रीय नेतृत्व नाख़ुश था लेकिन नए सीएम के तौर पर डॉ. माणिक साहा के नाम के ऐलान से बीजेपी के पुराने नेता नाराज़ बताए जाते हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी अपडेटः मस्जिद परिसर में शिवलिंग मिलने का दावा, मुस्लिम पक्ष ने कहा- फव्वारे का पत्थर
    16 May 2022
    सर्वे टीम में शामिल हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन की ओर से दाखिल प्रार्थना-पत्र पर सीनियर सिविल जज ने वजुखाने की जगह को तत्काल सील करने का आदेश दिया है।
  • जेरेमी कोर्बिन
    केवल विरोध करना ही काफ़ी नहीं, हमें निर्माण भी करना होगा: कोर्बिन
    16 May 2022
    वैश्विक व्यवस्था संकट में नहीं है, जिसका कि कोई हल निकाला जा सकता है। दरअसल,यह सिस्टम ही संकट है और इसको दूर करना, उसको बदलना और उसे परिवर्तित करना होगा।
  • सोनाली कोल्हटकर
    जलवायु परिवर्तन : हम मुनाफ़े के लिए ज़िंदगी कुर्बान कर रहे हैं
    16 May 2022
    मौसम परिवर्तन एक जानलेवा ग़लत गणना का परिणाम है: वैश्विक कॉरपोरेट कंपनियों के मुनाफ़े के लिए ज़िन्दगियों को जोख़िम में डाला जा सकता है, यहां तक कि उन्हें गंवाया भी जा सकता है।
  • अजय सिंह
    मंगलेश को याद करते हुए
    16 May 2022
    मैं उसे किस रूप में याद करूं? ...मैं उसके उन इंसानी/वैचारिक पहलुओं के बारे में बात करना चाहूंगा, जो मुझे आज भी आकर्षित करते हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License