NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी: कुलपति के इस्तीफे और छात्राओं की जीत की पूरी कहानी
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रतन लाल हांगलू समेत पांच प्रशासनिक अधिकारियों ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया जिसके बाद संस्थान के लगभग सभी हॉस्टल वार्डन ने अपने अपने त्यागपत्र की पेशकश की है।
सोनिया यादव
02 Jan 2020
allahabad university

'महिला अस्मिता पर हमला करने वाले मुंह की खाते रहे हैं। जो महिलाओं का आदर नहीं करता, वो नष्ट हो जाता है।'

ये शब्द हैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह के। ऋचा के नेतृत्व में बीते 20 दिनों से इलाहाबाद विश्वविद्यालय की छात्राएं महिला सुरक्षा के मुद्दे को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रही थीं, कुलपति के बर्खास्तगी की मांग कर रही थीं। आखिरकार उनका संघर्ष रंग लाया और कुलपति रतन लाल हांगलू ने अपने कार्यकाल पूरा होने से एक वर्ष पूर्व ही बुधवार 1 जनवरी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस संदर्भ में कई अन्य लोगों के इस्तीफे भी सामने आए हैं।

क्या है पूरा मामला?

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में महिला सुरक्षा को लेकर छात्राएं बीते 20 दिनों से महिला छात्रावास के सामने प्रदर्शन कर रही थीं। छात्राओं की मांग थी कि कुलपति बर्खास्त हो और परिसर में महिला सुरक्षा के संबंध में जरूरी कदम उठाए जाए।

प्रदर्शन में शामिल छात्राओं का कहना है कि हॉस्टल में कई समस्याएं हैं, लेकिन वॉर्डन से जब शिकायत की जाती है, तो समस्या दूर करने की बजाय उन्हें डराया, धमकाया जाता है। प्रदर्शनकारी छात्राओं का यह भी आरोप है कि हॉस्टल की मेस और कमरों की हालत भी खराब है। लेकिन अभी तक यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सुरक्षा और सुविधाओं के मुद्दे का संज्ञान नहीं लिया है।
82274048_2690140737737771_5029799388180905984_o.jpg
छात्राओं की सुरक्षा की गूंज राज्यसभा से लेकर विधानसभा में भी सुनाई दी। राज्यसभा सांसद जया बच्चन और विधानसभा सदस्य आराधना मिश्र मोना ने इस मुद्दे को सदन में उठाया। इसके बाद विश्वविद्यालय छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह ने राष्ट्रीय महिला आयोग में शिकायत दर्ज करवाई और फिर आयोग की ओर से डॉ राजुलबेन एस देसाई के नेतृत्व में जांच के लिए एक पांच सदस्यीय टीम इलाहाबाद विश्वविद्यालय गई।

महिला आयोग की रिपोर्ट

अपनी जांच में महिला आयोग से छात्राओं के सभी आरोपों को सही पाया। महिला आयोग की टीम ने कहा कि हॉस्टल में छात्राएं सुरक्षित नहीं हैं। वहां सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है। छह हॉस्टल्स के कैम्पस में एक भी महिला गार्ड नहीं है। इसके साथ ही मेस और पानी के उचित इंतजाम नहीं हैं। न तो कोई डिस्पेंसरी है और न ही काउंसलर, इसकी वजह से तमाम लड़कियों में हीमोग्लोबिन की कमी है।

हॉस्टल्स में सीसीटीवी कैमरे कम हैं और जो हैं वह भी ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। सफाई और शौचालय की भी उचित व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा रात तक बाहरी पुरुषों की आवाजाही भी वहां रहती है। इससे छात्राएं भयभीत रहती हैं। यूनिवर्सिटी में छात्राओं की समस्याएं सुनकर उसे दूर करने के लिए इंटरनल कमेटी भी हाल ही में गठित की गई है। जबकि यूजीसी के अनुसार यह साल 2013 में बननी थी।

छात्राओं को यूजीसी के मानक की सुविधाएं भी नहीं दी जा रही हैं। यहां वाइस चांसलर से लेकर कई टीचर्स पर महिलाओं द्वारा आरोप लगाए गए हैं। महिला आयोग की टीम ने इन खामियों पर सख्त नाराज़गी जताई और यूनिवर्सिटी को एक महीने के अंदर सभी सुविधाएं दुरुस्त करने की सख्त हिदायत दी।

इतना सब होने के बाद भी प्रशासन मामले पर लगातार टालमटोल करता रहा लेकिन छात्राओं का धरना प्रदर्शन जारी रहा। मामला पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) तक पहुंचा और फिर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल तक। ऋचा सिंह ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर कुलपति के खिलाफ जांच व उन पर कार्रवाई की मांग की।

इस दौरान ऋचा सिंह ने कहा, ‘ इलाहाबाद विश्वविद्यालय में महिला उत्पीड़न व छात्रों की असुरक्षा का माहौल है। कुलपति अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं। विश्वविद्यालय में हालात ऐसे हैं कि महिला आयोग कुलपति को समन करता है, लेकिन वे उनके खिलाफ आवाज उठाने वालों पर केस लिखवाते हैं। कुलपति खुद यौन उत्पीड़न के आरोपी हैं। कई प्रोफेसर जो यौन उत्पीड़न के आरोपों से घिरे हुए हैं, कईयों पर एफआईआर भी दर्ज है। उनके खिलाफ जांच न करके उन्हें प्रशासनिक पदों पर बैठा दिया गया है। इन्हीं मुद्दों को लेकर राज्यपाल से मुलाकात की है। छात्राओं ने उनसे खुलकर अपनी समस्याएं बताई हैं।'

गौरतलब है कि इस संबंध में राष्ट्रीय महिला आयोग ने पिछले सप्ताह कुलपति हांगलू को तलब किया था। कुलपति का जवाब सुनने के बाद आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने 27 दिसंबर को आंतरिक रिपोर्ट बनाकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेज दी थी।
80899337_2690946647657180_8157094732871237632_o.jpg
आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने मीडिया को बताया कि आयोग ने वीसी पर लगे आरोपों को सही पाया है और आयोग वीसी के जवाब से संतुष्ट नहीं है।

बता दें कि इससे पहले भी मानव संसाधन मंत्रालय की दो टीमें विश्वविद्यालय का दौरा कर चुकी हैं। कुलपति रतन लाल हांगलू वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं को लेकर 2016 से ही निगरानी में थे। उन पर यौन उत्पीड़न की शिकायतों को उपयुक्त ढंग से नहीं निपटाने और छात्राओं के लिए शिकायत निवारण प्रणाली की कमी को लेकर लगातार कई आरोप लगते रहे हैं।

इस पूरे मसले पर ऋचा सिंह ने न्यूज़क्लिक को बताया, ‘कुलपति का इस्तीफा दबाव में आया है। उन पर छात्राओं से नौकरी के बहाने शोषण के आरोप हैं, वे यौन उत्पीड़न में लिप्त लोगों के पनाहगार हैं। उनका इस्तीफा असत्य पर सत्य की जीत है। ये छात्राओं के संघर्ष की जीत है। स्टूडेंट्स यूनियन के लिए संघर्ष करते हुए लाठियां खाकर जेल जाने वालों की जीत है। इससे संकेत मिलता है कि उच्च पदों पर आसीन होने वालों को गलत काम में संलग्न नहीं होना चाहिये।'

इस संबंध में विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉक्टर चितरंजन कुमार ने 2 जनवरी को बताया, “लगभग सभी हॉस्टल वार्डन भी इस्तीफे की पेशकश करने जा रहे हैं। आज सुबह 8-10 हॉस्टल वार्डन से मेरी बात हुई है.. यह उनका अपना निर्णय है। इनमें गर्ल्स और ब्वॉयज हॉस्टल के वार्डन शामिल हैं। विश्वविद्यालय में बाहरी हस्तक्षेप बढ़ गया है और यह संस्थान की स्वायत्तता से भी जुड़ा मामला है।”

उन्होंने आगे बताया कि विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रोफेसर एनके शुक्ल, वित्त अधिकारी डॉक्टर सुनील कांत मिश्र और चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर राम सेवक दूबे ने भी बुधवार को ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और मैं भी आज अपना इस्तीफा सौंप दूंगा।

खबरों में आई मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा, ‘पहले भी हांगलू की कार्यशैली के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज की गई थीं। हालांकि, एक मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने उन पर लगे आरोपों को सही पाया था।’

मंत्रालय के अनुसार कुलपति हांगलू ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया है। हांगलू ने कहा, ‘यह सही है कि मैंने इस्तीफा दे दिया है। इसकी वजह मेरे खिलाफ बार-बार आधारहीन पूछताछ शुरू की गई थी। कई मौकों पर यह साबित हुआ कि शिकायतों में कोई तथ्य नहीं था। मैंने इस्तीफा इसलिए दिया क्योंकि मैं पूरी तरह से परेशान हो गया हूं।’

हांगलू ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाया है और दबाव और हस्तक्षेप के लिए खड़े हुए हैं।

उन्होंने आगे कहा, ‘1200 लोगों की नियुक्तियां की जानी हैं। अगर मैं वहां होता, तो मैं योग्यता के आधार पर करता। मैं सिफारिश के आधार पर नहीं करुंगा। मैं माफिया लोगों को नियुक्त नहीं करुंगा।’

अपने ऊपर लगे आरोपों को चुनौती देते हुए हांगलू ने कहा, ‘इसे उन्हें (एनसीडब्ल्यू) सीबीआई के सामने साबित करने दें, उन्हें उच्च न्यायालय के समक्ष साबित करने दें। उन्होंने आगे विश्वविद्यालय में माफिया की सक्रिय उपस्थिति का भी आरोप लगाया है।’

हांगलू ने कहा कि उन्होंने कानूनी सहारा लेने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति कार्यालय ने दो बार मेरे खिलाफ आरोपों के बारे में फाइल वापस कर दी क्योंकि उन्हें कोई तथ्य नहीं दिखा।’

Allahabad University
women security
Women protest
gender discrimination
exploitation of women
VC Resignation
Professor Ratan Lal Hanglu
UGC
National women commission
human resource development ministry

Related Stories

बीएचयू: लाइब्रेरी के लिए छात्राओं का संघर्ष तेज़, ‘कर्फ्यू टाइमिंग’ हटाने की मांग

बीएचयू: 21 घंटे खुलेगी साइबर लाइब्रेरी, छात्र आंदोलन की बड़ी लेकिन अधूरी जीत

अर्बन कंपनी की महिला कर्मचारी नई कार्यप्रणाली के ख़िलाफ़ कर रहीं प्रदर्शन

छत्तीसगढ़: विधवा महिलाओं ने बघेल सरकार को अनुकंपा नियुक्ति पर घेरा, याद दिलाया चुनावी वादा!

किसान संसद: अब देश चलाना चाहती हैं महिला किसान

इलाहाबाद विश्वविद्यालय: लाइब्रेरी खुलवाने के लिए धरने पर बैठे छात्रों को बल प्रयोग कर हटाया

ऑस्ट्रेलिया में महिलाओं ने यौन हिंसा के ख़िलाफ़ रैली निकाली

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: क़ाफ़िला ये चल पड़ा है, अब न रुकने पाएगा...

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: सड़क से कोर्ट तक संघर्ष करती महिलाएं सत्ता को क्या संदेश दे रही हैं?

जीविका दीदीयों ने खोला नितीश कुमार सरकार के खिलाफ़ मोर्चा: कर्ज़ माफ़ी करो वरना समूह से वापसी


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License