NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
सोशल मीडिया
भारत
राजनीति
फेसबुक पर नये नहीं हैं सत्ता से गठजोड़ के आरोप, सीपीएम ने भी की जेपीसी जांच की मांग
फेसबुक के संदर्भ में एक अमेरिकी अखबार में प्रकाशित खबर के बाद विपक्षी पार्टियों ने फेसबुक पर हमला बोला है। कांग्रेस के बाद सीपीएम ने इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच की मांग की है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
18 Aug 2020
fb

फेसबुक और सत्ता के गठजोड़ के आरोप नए नहीं हैं। भारत के संदर्भ में मोदी सरकार से नज़दीकी और फेवर पर भी लगातार सवाल उठे हैं। वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता और सिरिल सैम ने 2018-19 में न्यूज़क्लिक में बाकायदा हिंदी-अंग्रेज़ी में एक सीरीज़ चलाकार फेसबुक और सत्ता के गठजोड़ पर बहुत विस्तार से लिखा था। जिसे बाद में एक किताब का रूप दिया गया। हिंदी में आई इस किताब का नाम था ‘फ़ेसबुक का असली चेहरा'। न्यूज़क्लिक की हिंदी सीरीज़ आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

एक अमेरिकी अखबार में प्रकाशित खबर के बाद अब यह विवाद नये सिरे से उठा है। इसी सिलसिले में बीबीसी से बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता कहते हैं, "पिछले साल जब मैंने फेसबुक पर किताब लिखी और इसके और वॉट्सऐप से मोदी सरकार के नजदीकी रिश्तों का ब्योरा दिया तो मीडिया ने इसे नजरअंदाज किया। अब जब एक विदेशी अखबार ने यह मुद्दा उठाया है तो मीडिया में गजब की फुर्ती और दिलचस्पी दिख रही है।"

कांग्रेस ने फेसबुक से जुड़े विवाद की पृष्ठभूमि में मंगलवार को इस सोशल नेटवर्किंग कंपनी के प्रमुख मार्क जुकरबर्ग को ईमेल के माध्यम से पत्र भेजकर आग्रह किया कि इस पूरे मामले की फेसबुक मुख्यालय की तरफ से उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। पार्टी की ओर से वह पत्र जारी किया गया जो कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल द्वारा जुकरबर्ग को ईमेल के माध्यम से भेजा गया है।

वेणुगोपाल ने जुकरबर्ग को सुझाव दिया, ‘फेसबुक मुख्यालय की तरफ से उच्च स्तरीय जांच आरंभ की जाए और एक या दो महीने के भीतर इसे पूरा कर जांच रिपोर्ट कंपनी के बोर्ड को सौंपी जाए। इस रिपोर्ट को सार्वजनिक भी किया जाए।’ वेणुगोपाल ने यह आग्रह भी किया कि जांच पूरी होने और रिपोर्ट सौंपे जाने तक फेसबुक की भारतीय शाखा के संचालन की जिम्मेदारी नयी टीम को सौपीं जाए ताकि जांच की प्रक्रिया प्रभावित नहीं हो।

माकपा ने की जेपीसी जांच की मांग

इसके अलावा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) ने कहा है कि इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच होनी चाहिए। वामपंथी दल ने एक बयान में कहा, ‘माकपा पोलित ब्यूरो फेसबुक की भूमिका खासकर भारत के संदर्भ में इसके कामकाज की कड़ी निंदा करता है। फेसबुक सांप्रदायिक नफरत वाली सामग्रियों के संदर्भ में खुद की तय नीति का पालन नहीं कर रहा है।’

माकपा ने कहा कि फेसबुक-व्हाट्सऐप-इंस्टाग्राम’ तथा भाजपा के बीच ‘साठगांठ’ की विस्तृत जांच होनी चाहिए और यह जवाबदेही तय करने और इन सोशल मीडिया मंचों पर सांप्रदायिक नफरत के प्रसार को रोकने के लिए प्रभावी व्यवस्था की अनुशंसा करने की जरूरत है। उसने कहा कि इस मामले की जेपीसी जांच होनी चाहिए।

इसके अलावा शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि फेसबुक जैसे सोशल मीडिया मंच पर नफरत फैलाने वालों और देश को तोड़ने की बातें करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए

शिवसेना ने कहा कि फेसबुक जैसी कम्पनियां केवल इस लिए नफरत फैलाने वाले किसी व्यक्ति को नजरअंदाज नहीं कर सकती क्योंकि वह सत्तारूढ़ पार्टी से है।

पार्टी ने सोशल मीडिया मंच से कारोबार के नियमों और नैतिकता का पालन करने को कहा। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा, ‘फेसबुक जैसे मंचों पर चर्चा को लेकर कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन अगर कोई इसके जरिए नफरत फैलाए, देश और समुदाय को तोड़ने की बात करे तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, भेल ही वह किसी भी पार्टी से नाता रखता हो।’

उसने कहा, ‘फेसबुक जैसी कम्पनी नफरत फैलाने वाले किसी व्यक्ति को केवल इसलिए नजरअंदाज नहीं कर सकती क्योंकि वह सत्तारूढ़ पार्टी से है।’ शिवसेना ने कहा कि सोशल मीडिया पर एक दूसरे को बदनाम करना एक बड़ा धंधा बन गया है, जिसके लिए पैसे दिए जाते हैं।

उसने कहा, ‘आप (फेसबुक) हमारे देश में कारोबार करने आए हैं और व्यवसाय के न्यूनतम नैतिकता-नियमों का पालन तो करना ही होगा।’

आंखी दास को समन भेजा जाएगा

इस बीच, शांति और सौहार्द पर दिल्ली विधानसभा की एक समिति ने सोमवार को कहा कि वह सोशल मीडिया मंच फेसबुक के खिलाफ भारत में 'जानबूझकर और इरादतन द्वेषपूर्ण सामग्री को लेकर कार्रवाई नहीं करने' के आरोपों पर उसके अधिकारियों को तलब करेगी।

आधिकारिक बयान में कहा गया, 'फेसबुक के संबंधित अधिकारियों और सबसे महत्वपूर्ण आंखी दास को पेशी के लिए आने वाले समय में समन भेजा जाएगा, जिससे समिति की प्रासंगिक कार्यवाहियों में उनकी उपस्थिति सुनिश्चित हो और समिति इस हफ्ते अपनी कार्यवाही शुरू करने के लिए बैठक बुलाएगी।'

फेसबुक ने जान बूझकर हेट पोस्ट को नजरअंदाज किया

गौरतलब है कि अमेरिकी अखबार ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ ने शुक्रवार को प्रकाशित रिपोर्ट में फेसबुक के अनाम सूत्रों के साथ साक्षात्कारों का हवाला दिया है। इसमें दावा किया गया है कि उसके एक वरिष्ठ भारतीय नीति अधिकारी ने कथित तौर पर सांप्रदायिक आरोपों वाली पोस्ट डालने के मामले में तेलंगाना के एक भाजपा विधायक पर स्थायी पाबंदी को रोकने संबंधी आंतरिक पत्र में दखलंदाजी की थी।

उधर, फेसबुक ने इस तरह के आरोपों के बीच सोमवार को सफाई देते हुए कहा कि उसके मंच पर नफरत या द्वेष फैलाने वालों ऐसे भाषणों और सामग्री पर अंकुश लगाया जाता है, जिनसे हिंसा फैलने की आशंका रहती है। इसके साथ ही कंपनी ने कहा कि उसकी ये नीतियां वैश्विक स्तर पर लागू की जाती हैं और इसमें यह नहीं देखा जाता कि यह किस राजनीतिक दल से संबंधित मामला है। फेसबुक ने इसके साथ ही यह स्वीकार किया है कि वह नफरत फैलाने वाली सभी सामग्रियों पर अंकुश लगाती है, लेकिन इस दिशा में और बहुत कुछ करने की जरूरत है।

फेसबुक अधिकारी को जान से मारने की धमकी

इस विवाद के बीच भारत में फेसबुक की वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी आंखी दास ने दिल्ली पुलिस के पास एक शिकायत दर्ज कराई और आरोप लगाया कि उन्हें 'जान से मारने की धमकी' मिल रही है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

शिकायत में आंखी दास ने कहा था कि ऑनलाइन पोस्टिंग/कंटेंट के जरिये उनके जीवन और हिंसा का खतरा है। शिकायत में कुछ ट्विटर और फेसबुक हैंडल का जिक्र किया गया था, जहां से उन्हें धमकी मिली है। उन्होंने इस मामले में तत्काल एफआईआर दर्ज किए जाने की मांग की थी।

दूसरी तरफ फेसबुक पर सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने और दो समुदायों के बीच अपने लेखों के माध्यम से कड़वाहट पैदा करने के आरोप में सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक की भारत में नीति निर्देशक आंखी दास के खिलाफ रायपुर में एक एफआईआर दर्ज की गई है। यह एफआईआर सोमवार की देर रात पत्रकार आवेश तिवारी की शिकायत पर दर्ज की गई।

फेसबुक पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि भारत दुनिया में सबसे संपन्न लोकतंत्र है और कोई भी संगठन लोकतांत्रिक जड़ों को कमजोर करता है तो उससे सवाल पूछा जाएगा। उसकी जवाबदेही बनेगी। उन्होंने आरोप लगाया, 'पूरी जिम्मेदारी से मैं यह कहूंगी कि फेसबुक जो कर रहा है वो भारत की जड़ों को कमजोर कर रहा है। अक्सर कोई कार्रवाई नहीं की जाती और उससे भी बुरा यह है कि संज्ञान में लाए जाने के बावजूद वह द्वेषपूर्ण सामग्री को अपने मंच से नहीं हटाता है।'

अलग-अलग देशों के लिए फेसबुक के अलग-अलग नियम

श्रीनेत ने दावा किया कि अलग-अलग देशों के लिए फेसबुक के अलग-अलग नियम हैं जो 'स्वीकार्य नहीं हैं।' उन्होंने आरोप लगाया कि अलग-अलग देशों के लिए फेसबुक ने अपनी सहूलियत के मुताबिक भिन्न-भिन्न नियम बनाए हैं। श्रीनेत ने आरोप लगाया, 'भारत में बाहरी शिकायतों और उनके अपने न्यास और सुरक्षा दल द्वारा लाल झंडी दिखाए जाने के बावजूद द्वेषपूर्ण सामग्री को इरादतन जारी रहने दिया गया।' उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया कंपनी ने भारत में अफवाहों और द्वेषपूर्ण सामग्री को रोकने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए।

श्रीनेत ने दावा किया, ' दूसरे देशों में आपत्तिजनक पोस्ट होने पर फेसबुक के पेज हटाए जाते हैं, लेकिन भारत में ऐसा नहीं किया गया। हमारे यहां भी नफरत भरी बातें, महिलाओं, समुदाय विशेष, जाति विशेष के खिलाफ बातें की जाती हैं। लेकिन आप (फेसबुक) हाथ खड़ा कर देते हैं।' उन्होंने सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वॉल स्ट्रीट जर्नल में आई खबर पर प्रतिक्रिया देने की बजाय वह कांग्रेस पार्टी पर निशाना साध रही है।

न्यूज़क्लिक हिंदी पर 2019 में वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता और सिरिल सैम की फेसबुक और व्हाट्सऐप पर प्रकाशित यह विशेष सीरीज़ आपको ज़रूर पढ़नी चाहिए। जिससे आपको पता चलेगा कि किस तरह सत्ताधारी दलों के साथ मिलकर राष्ट्रभक्ति के नाम पर विरोधियों को कुचलने के खेल में फेसबुक कई देशों के नेताओं का साथ दे रही है।

#सोशल_मीडिया : सत्ताधारियों से पूरी दुनिया में है फेसबुक की नजदीकी

जब मोदी का समर्थन करने वाले सुषमा स्वराज को देने लगे गालियां!

फेसबुक पर फर्जी खबरें देने वालों को फॉलो करते हैं प्रधानमंत्री मोदी!

फर्जी सूचनाओं को रोकने के लिए फेसबुक कुछ नहीं करना चाहता!

#सोशल_मीडिया : क्या सुरक्षा उपायों को लेकर व्हाट्सऐप ने अपना पल्ला झाड़ लिया है?

#सोशल_मीडिया : क्या व्हाट्सऐप राजनीतिक लाभ के लिए अफवाह फैलाने का माध्यम बन रहा है?

#सोशल_मीडिया : क्या फेसबुक सत्ताधारियों के साथ है?

#सोशल_मीडिया : क्या नरेंद्र मोदी की आलोचना से फेसबुक को डर लगता है?

#सोशल_मीडिया : कई देशों की सरकारें फेसबुक से क्यों खफा हैं?

सोशल मीडिया की अफवाह से बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

Facebook
Mark Zuckerberg
Narendra modi
BJP
CPM
Joint Parliamentary Committee
jpc
Shiv sena
Congress

Related Stories

बीजेपी के चुनावी अभियान में नियमों को अनदेखा कर जमकर हुआ फेसबुक का इस्तेमाल

फ़ेसबुक पर 23 अज्ञात विज्ञापनदाताओं ने बीजेपी को प्रोत्साहित करने के लिए जमा किये 5 करोड़ रुपये

चुनाव के रंग: कहीं विधायक ने दी धमकी तो कहीं लगाई उठक-बैठक, कई जगह मतदान का बहिष्कार

पंजाब विधानसभा चुनाव: प्रचार का नया हथियार बना सोशल मीडिया, अख़बार हुए पीछे

अफ़्रीका : तानाशाह सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए कर रहे हैं

‘बुल्ली बाई’: महिलाओं ने ‘ट्रोल’ करने के ख़िलाफ़ खोला मोर्चा

मुख्यमंत्री पर टिप्पणी पड़ी शहीद ब्रिगेडियर की बेटी को भारी, भक्तों ने किया ट्रोल

सांप्रदायिक घटनाओं में हालिया उछाल के पीछे कौन?

हेट स्पीच और भ्रामक सूचनाओं पर फेसबुक कार्रवाई क्यों नहीं करता?

वे कौन लोग हैं जो गोडसे की ज़िंदाबाद करते हैं?


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License