हफ्ते की बात के नये अंक में चार प्रमुख खबरों की समीक्षा: आखिर देश के प्रमुख विपक्षी दल किसान आंदोलन, रेल के किराये और तेल के दाम में आकाशचुंबी बढ़ोत्तरी जैसे बड़े मुद्दों पर उतने सक्रिय क्यों नहीं? इन दिनों भारत में एक तरफ अरबपति-खरबपति बढ़ रहे हैं तो दूसरी तरफ देशविरोधी बताये जा रहे राजद्रोह के आरोपियों की संख्या भी बेतहाशा बढाई रही है. चुनाव से पहले तमिलनाडु सरकार विभिन्न धाराओं में दर्ज दस लाख मामले वापस ले रही है. फिर मामले ठोके ही क्यों गये? वेबिनार पर सरकारी बंदिश के विरूद्ध साइंस अकादमियों ने आवाज क्यों उठाई? वरिष्ठ पत्रकार Urmilesh का विश्लेषण: