NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कानून
भारत
राजनीति
खुला पत्र: मीलॉर्ड ये तो सरासर ग़लत है, नहीं चलेगा!
ऐसा लगता है कि बलात्कार और यौन उत्पीड़न पर जो व्यापक महिला पक्षधर समझदारी निर्भया कांड के बाद जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशों से बनी थी, वह धुंधली पड़ती जा रही है।
भाषा सिंह
02 Mar 2021
SC

मीलॉर्ड ज़माना बदल गया है। अब औरतें सब कुछ यूं ही स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। शायद इसका अंदाजा अब तक आपको हो चुका होगा कि हम भारत की औरतें मध्ययुगीन बर्बरता को झेलने-सुनने के लिए कतई तैयार नहीं हैं। हम बलात्कारी को बचाने, उससे शादी करने के लिए अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाती हैं। हम न्याय चाहती हैं। हम चाहती हैं कि बलात्कारी को कानून के मुताबिक सज़ा मिले।

संभवतः पहली बार देश के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित करते हुए एक खुला पत्र देश की महिला संगठनकर्ताओं, नारीवादियों ने लिखा है—जिसमें उनसे सीधे-सीधे यह पूछा गया है कि 1 मार्च 2021 को एक बलात्कार के मामले सुनवाई करते हुए आखिरकार किस तरह से बलात्कार आरोपी के सामने यह सुझाव रखते हैं कि क्या वह पीड़िता से शादी करेगा और अगर शादी करता है तो वह उसकी मदद कर सकते हैं।

तमाम लोगों का मानना है कि यह ख्याल दिमाग में आना भी भारतीय महिला की गरिमा पर चोट है, उसका अपमान है। मामला सिर्फ यहीं तक नहीं रुका, मुख्य न्यायधीश यह भी कहते हैं कि आरोपी को किसी लड़की को आकर्षित करके उसका बलात्कार करने से पहले उसके परिणामों के बारे में सोचना चाहिए था---क्या विडंबना है कि देश में न्यायिक प्रणाली के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति को आकर्षण बलात्कार और शादी में कोई अंतर नहीं नजर आ रहा है।

यहां हम बात कर रहे हैं मोहित सुभाष चव्हाण बनाम महाराष्ट्र सरकार केस की, जिसमें बलात्कार के आरोपी ने नाबालिग बच्ची का बलात्कार किया, बार-बार करता रहा, उसे धमकाता रहा, और उसकी गरीब परिजनों को मारने की धमकी देता रहा, जिससे आजिज आकर पीड़िता ने खुदकुशी तक करने की कोशिश की। आरोपी को बोम्बे हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली तो वह देश की सबसे बड़ी अदालत में पहुंचा।

यह पत्र बहुत से गंभीर संवैधानिक सवाल उठाता है और दिमाग में बैठी पितृसत्ता की विषबेल को चिह्नित करता है। साथ ही एक औऱ अहम मामले का भी इसमें जिक्र हैं, --विनय प्रताप सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार, जिसमें प्रधान न्यायाधीश ने पूछा –यदि कोई पति-पत्नी की तरह रह रहे हों, तो पति क्रूर हो सकता है, लेकिन क्या किसी शादीशुदा जोड़े के बीच हुए संभोग को बलात्कार का नाम दिया जा सकता है?  इस बात पर भी तमाम नारीवादी महिलाओं ने गहरी आपत्ति जताई है, क्योंकि यह मामला शादी का झांसा देकर यौन शोषण, लिव-इन-रिलेशनशिप का है। इस बयान को वैवाहिक बलात्कार का समर्थन करने वाला बताया गया है।

इस खुले पत्र ने बहुत गंभीर सवाल उठाये हैं। जिन्हें मौजूदा दौर में नजरंदाज करना, भारतीय महिला की गरिमा से समझौता करना होगा। हम लोग देखते रहे हैं कि जो लोग सड़कों पर बलात्कारी को फांसी पर लटकाने या एनकाउंटर करके मार देने की बात करते हैं—उनके साथ नारीवादी और आंदोलनकारी महिलाएं नहीं खड़ी होतीं। क्योंकि यह न्याय नहीं है। ऐसा करने पर असली दोषी को सजा देने के बजाय, बदले पर खेल होने लगता है। ऐसा लगता है कि बलात्कार और यौन उत्पीड़न पर जो व्यापक महिला पक्षधर समझदारी निर्भया कांड के बाद जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशों से बनी थी, वह धुंधली पड़ती जा रही है। देश की सर्वोच्च अदालत से निकले यह स्वर निश्चित तौर पर न सिर्फ चिंताजनक हैं, बल्कि आपत्तिजनक हैं। लिहाजा, आवाज़ उठ रही हैं, जो कि उठनी चाहिए।

(भाषा सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

इसे भी पढ़े : न्याय की चौखट पर स्त्री : दो मामले, दो सवाल, जिन्हें हल किया जाना ज़रूरी है

rape
Chief justice of India
SA Bobde
rape of minor
POCSO

Related Stories

मैरिटल रेप : दिल्ली हाई कोर्ट के बंटे हुए फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, क्या अब ख़त्म होगा न्याय का इंतज़ार!

यूपी: ललितपुर बलात्कार मामले में कई गिरफ्तार, लेकिन कानून व्यवस्था पर सवाल अब भी बरकरार!


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License