NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
राजनीति
राम के नाम एक खुली चिट्ठी
जब तक आप राम थे कण कण में बसे थे। जितने हिन्दुओं के थे, उतने ही दूसरों के लेकिन जब आप राम से जय श्री राम बने तब आप केवल एक राजनीतिक पार्टी का दायरा बढ़ाने का हथियार बन गए। इस पार्टी ने आपका जमकर इस्तेमाल किया। आप आस्था का विषय नहीं रहे बल्कि शक्ति प्रदर्शन का विषय बन गए।
अजय कुमार
09 Aug 2020
राम के नाम एक खुली चिट्ठी

राम जी

आपको प्रिय लिखूं या आदरणीय या जय श्री राम। प्रिय में आदरणीय जैसा दुराव नहीं और न ही जय श्री राम जैसा विजेता का भाव है, बल्कि प्रिय में थोड़े अपनेपन का एहसास होता है इसलिए प्रिय पुकारते हुए आप तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश करूंगा।

किसी को पता नहीं आप कबके है। लेकिन सबकी साझी स्मृतियां कहती है कि आप आस्था का विषय हैं। आपके साथ तर्क वितर्क न किया जाए। जो है, उसे उसी तरह मान लिया जाए। अगर तर्क लगाया जाएगा तो किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जाएगा।

यह ठीक भी है लेकिन तब तक जब तक आप राम थे। कण कण में बसे थे। जितने हिन्दुओं के थे, उतने ही मुस्लिमों के भी थे। जितने धर्मों के थे, उतने ही इंसानों के भी थे। लेकिन जब आप राम से जय श्री राम बने तब न आप हिन्दू धर्म के रहे, न किसी दूसरों धर्म के। न इंसानों के रहे और न ही इंसानों के सनातन शाश्वत मूल्य के। आप केवल एक राजनीतिक पार्टी का दायरा बढ़ाने का हथियार बन गए। इस पार्टी ने आपका जमकर इस्तेमाल किया। आप आस्था का विषय नहीं रहे बल्कि शक्ति प्रदर्शन का विषय बन गए।

हां, यह बात सही है कि लोक प्रचलन की कई सारी कहनियां कहती हैं कि आपका जन्म अयोध्या में हुआ था।

आपका मंदिर अयोध्या में बने, इससे किसी को क्या दिक्कत हो सकती है। यह तो उत्सव की बात है। लेकिन अगर यही बात होती तो अब तक मंदिर बन भी चुका होता। लेकिन बात यह नहीं थी। आप केंद्र में नहीं थे। आपके नाम के बलबूते की जाने वाली वोट बैंक की राजनीति केंद्र में थी।

इसलिए एक ऐसी जगह को आपके जन्म स्थान के लिए चुना गया जो मस्जिद थी। मस्जिद को तोड़ा गया। नारा दिया गया की मंदिर वहीं बनाएंगे। अब इस मंदिर का भूमि पूजन हो गया है। तो आपसे सवाल है कि क्या आप एक ऐसी जगह पर निवास करेंगे जो दूसरी की आस्थाओं को तोड़ कर बनाई गई है? मुझे पता है आप भगवान हैं, आप जवाब नहीं देते, आप आस्थाओं का विषय हैं, आप पर तर्क और वितर्क नहीं लागया जाता। इसलिए आपकी भक्ति में लीन भक्तों से सवाल है कि क्या वह राम मंदिर के तौर पर एक ऐसी जगह को स्वीकार करेंगे जिसकी नागर शैली से बनी अद्भुत दीवारों पर खून के धब्बे भी मौजूद होंगे? क्या ऐसी जगह से की गई राम की पूजा अर्चना राम तक पहुंच पाएगी?

हमने केवल आपके रामराज के बारे में सुना है। लेकिन यह क्या है, कैसा होगा, किस तरह की नियमों से संचालित होगा, इसके विषय में कोई ठोस जानकारी नहीं है। लेकिन हमारे पास संविधान है। इसमें समाज को संचालित करने के नियम - कानून गढ़े गए हैं। ऐसे नियम-कानून जो सबके लिए स्वतंत्रता, समानता और न्याय की बात करते हैं। सभी धर्मो की बराबरी की बात करते हैं।

आपसी भाईचारे और सहयोग की बात करते हैं। अगर आप भी नियम कानूनों को पढ़ेंगे तो आप भी कहेंगे कि आपका रामराज भी ऐसे ही नियम कानून से संचालित हो। लेकिन दुख की बात यह है कि आपका नाम लेकर इन्हीं नियम कानूनों को छोड़ दिया गया। राजनेताओं ने राजनीति करने के बजाय आपके नाम के सहारे धार्मिक उन्माद फैलाने का काम किया। आपकी सीख फैलाने की बजाय आप के सहारे कट्टरता फैलाई। आपका नाम हिंदू संस्कृति का पुल बनने की बजाय डर बनता चला गया। त्याग और विनम्रता की प्रतिमूर्ति राम, जय श्री राम बनकर किसी के लिए दूसरों को डराने का काम करने लगे। यह सब तो आम लोग थे। जिन्होंने न्याय का चोला पहन रखा था, उन्होंने भी राम से सीखने की बजाए जय श्री राम से डरकर ऐसा फैसला दिया जो हमारे संविधान के अनुरूप नहीं था। जो सही और गलत के बीच में सही का पैरोकार नहीं था। जो न्याय और अन्याय के बीच में अन्याय को बढ़ावा देने वाला था। जो हिंदू राज और रामराज के बीच में हिंदू राज को अपना लेने जैसा था। अगर न्याय न मिला हो तो आप ही बताइए शांति की स्थापना कैसे हो सकती है। क्या अयोध्या मे बनने जा रहा आपका मंदिर सच में एक ऐसा मंदिर होगा जहां से शांति का संदेश निकलता हो।

आप सनातनी हैं। कब पैदा हुए। इसका पता नहीं। लेकिन नश्वर इंसानों की वजह से आप 20वीं सदी की पैदाइश बन गए हैं। आपको एक मंदिर में कैद कर देने की कवायद शुरू हो चुकी है। आपके इस रूप से बंटवारे का एहसास होता है। मुस्लिमों को हराकर हिंदुओं की झूठी जीत का साथ होता है। एक मिले-जुले समाज में टूटन का एहसास होता है। एक ऐसी दीवार का एहसास होता है जिसकी एक तरफ राज करने के एहसास से भरे हुए लोगों का जमावड़ा है और दूसरी तरफ दुनिया की दुनियादारी से हार चुके लोगों का जमावड़ा। जो यह समझने के लिए मजबूर है कि दुनिया में रामराज केवल कल्पना मात्र है। सच्चाई यह है कि जिसके पास ताकत है उसी का राज है। जिसके पास लाठी है वही मंदिर बनवा सकता है और मस्जिद तुड़वा सकता है। किसी को झूठे घमंड में भर सकता है तो किसी को सच्चे अंधकार में।

हम जानते हैं कि इन गलतियों की असली जिम्मेदारी भी हम जैसों की ही बनती है। जो राम और जय श्री राम में फर्क करना जानते हैं। पता है कि जब कोई इतिहासकार 5 अगस्त 2020 की तारीख लिखेगा तो यह भी लिखेगा कि इस दिन भारत के राम हार गए। और बीसवीं शताब्दी में बना जय श्री राम का नारा जीत गया। भारत के भाईचारे में एक लंबी दरार डाल दी गई और भारत के सेक्युलरिजम की मौत हो गई।

हमें एहसास है कि भारत के राम को जय श्री राम की कट्टरता से बचाने के लिए विचारों की लड़ाई में हमारी हार हुई है। सेक्युलरिज्म हारा है। क्योंकि सेक्युलरिज्म ने देसीपन छोड़कर अभिजात्यता को चुना। भारतीय भाषाओं में रचे बढ़े मानस तक अपनी बात नहीं पहुंचाई। सेक्युलरिज्म की जरूरत को अंग्रेजी में लिखा। आसपास के कुछ जानकार एक दूसरे की पीठ थपथपाते रहे। जमीनी हकीकत से दूर रहे। हमने कभी नहीं सोचा कि धर्म की भाषा के भीतर सड़ी गली चीज को को हटाकर उसे साफ सुथरा करने की जरूरत है। उसे सोचने बोलने सीखने और बरतने की जरूरत है। हमने आधुनिकता का चोला पहनकर धर्म को सीधे खारिज कर दिया। इस खारिज पन ने हिंदू धर्म का मजाक बनाया। यह नहीं सोचा कि आधुनिकता परंपरा से कटी हुई चीज नहीं होती है बल्कि परंपरा को सुधारते हुए उसी समय के अनुसार ढालने की चीज होती है।

जब ऐसा होता है तभी आधुनिकता दो-चार लोगों की झुंड से बाहर निकल कर जनता का हिस्सा बन पाती है। ऐसी बहुत सारी बातें हैं जिनका हमें एहसास है कि हम गलत कर रहे हैं लेकिन फिर भी हम इसे सुधारने की कोशिश नहीं करते। हम हार और जीत में फंसे हुए लोग हैं। हमें सत्ता चाहिए इसलिए हम राम को गंवा देते हैं, जय श्री राम हमारे मानस का हिस्सा बन जाता है। कोई टीकाधारी आदमी भीतर से घटिया होने के बावजूद भी राम का भक्त दिखाई देने लगता है। राम जिनका नाम हम अपनी पीड़ा में लेते हैं, दर्द में करहाते हुए लेते हैं, खुशी का इजहार करते हुए लेते हैं। उनके जीवन मूल्य के सबसे गहरे हिस्से से हम अब भी अछूते रहे हैं। मेरे दोस्त और बड़े भाई चंदन श्रीवास्तव लिखते हैं-

चलन चहत बन जीवननाथू। केहि सुकृती सन होइहि साथू।।

की तनु प्रान कि केवल प्राना। बिधि करतबु कछु जाइ न जाना।।

उस करुण कथा के अर्थ कभी भी वनवास में ही खुलने हैं..राज्य-स्थापना उस करुण कथा का विलोम है, विलोप भी। राम के अर्थ राज से नहीं खुलते..वे खुलते हैं, सबकुछ सबके निमित्त छोड़कर, निचाट अंधकार में अपने लिए निसर्ग के रचे विधान के भीतर पैर ठहराने भर की जमीन खोजने के लिए निकल जाने के एक अकेले के साहस और साहस से भी ज्यादा दुखसहा मानस से...  रामकथा का अर्थ अडोल रहेगा..उसमें सिर्फ करुणा है..निखालिस करुणा..!! हम सब जय श्री राम को राम समझ कर रामकथा से दूर हो चुके हैं। अगर आप वाकई कहीं हैं तो हमें सद्बुद्धि दीजिए।

आपकी दुनिया का अदना से इंसान।

Ram
jai shree ram
Ram and Politics
Religion and Politics
Hindutva
ayodhya
Faith & Law
blind faith

Related Stories

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र

यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती

बात बोलेगी: मुंह को लगा नफ़रत का ख़ून

मुस्लिम जेनोसाइड का ख़तरा और रामनवमी

नफ़रत की क्रोनोलॉजी: वो धीरे-धीरे हमारी सांसों को बैन कर देंगे

बहस: क्यों यादवों को मुसलमानों के पक्ष में डटा रहना चाहिए!

उत्तर प्रदेशः हम क्यों नहीं देख पा रहे हैं जनमत के अपहरण को!

विचार: राजनीतिक हिंदुत्व के दौर में सच्चे साधुओं की चुप्पी हिंदू धर्म को पहुंचा रही है नुक़सान

रवांडा नरसंहार की तर्ज़ पर भारत में मिलते-जुलते सांप्रदायिक हिंसा के मामले


बाकी खबरें

  • असद रिज़वी
    CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा
    06 May 2022
    न्यूज़क्लिक ने यूपी सरकार का नोटिस पाने वाले आंदोलनकारियों में से सदफ़ जाफ़र और दीपक मिश्रा उर्फ़ दीपक कबीर से बात की है।
  • नीलाम्बरन ए
    तमिलनाडु: छोटे बागानों के श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है
    06 May 2022
    रबर के गिरते दामों, केंद्र सरकार की श्रम एवं निर्यात नीतियों के चलते छोटे रबर बागानों में श्रमिक सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं।
  • दमयन्ती धर
    गुजरात: मेहसाणा कोर्ट ने विधायक जिग्नेश मेवानी और 11 अन्य लोगों को 2017 में ग़ैर-क़ानूनी सभा करने का दोषी ठहराया
    06 May 2022
    इस मामले में वह रैली शामिल है, जिसे ऊना में सरवैया परिवार के दलितों की सरेआम पिटाई की घटना के एक साल पूरा होने के मौक़े पर 2017 में बुलायी गयी थी।
  • लाल बहादुर सिंह
    यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती
    06 May 2022
    नज़रिया: ऐसा लगता है इस दौर की रणनीति के अनुरूप काम का नया बंटवारा है- नॉन-स्टेट एक्टर्स अपने नफ़रती अभियान में लगे रहेंगे, दूसरी ओर प्रशासन उन्हें एक सीमा से आगे नहीं जाने देगा ताकि योगी जी के '…
  • भाषा
    दिल्ली: केंद्र प्रशासनिक सेवा विवाद : न्यायालय ने मामला पांच सदस्यीय पीठ को सौंपा
    06 May 2022
    केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच इस बात को लेकर विवाद है कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाएं किसके नियंत्रण में रहेंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License