NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
लेबनान में सरकार विरोधी प्रदर्शन फिर से शुरू
विरोध प्रदर्शनों में दो प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक समूहों के बीच टकराव हुआ साथ ही साथ सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच भी टकराव की घटना सामने आई। इस घटना में 48 प्रदर्शनकारी घायल हो गए वहीं गंभीर रूप से घायल ग्यारह लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
पीपल्स डिस्पैच
08 Jun 2020
लेबनान

रविवार 7 जून को राजधानी बेरूत में सरकार विरोधी उग्र प्रदर्शन हुआ। लेबनान में मार्च के मध्य में कोरोनावायरस को लेकर प्रतिबंधों में ढील देने के बाद से यह सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन है। इसे रोकने के लिए सुरक्षा बलों ने बर्बर्तापूर्ण कार्रवाई जिससे बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी घायल हो गए।

कुछ प्रदर्शनकारियों ने सशस्त्र शिया राजनीतिक गुट हिजबुल्लाह के ख़िलाफ़ नारेबाजी करने के बाद संप्रदायवादी तनाव को जन्म दिया। लेबनानी सेना ने इस स्थिति को रोकने के लिए दोनों विरोधी पक्षों के बीच मोरचाबंदी की।

लेबनान रेड क्रॉस ने बताया कि रविवार के हुए विरोध प्रदर्शनों में 48 प्रदर्शनकारियों को चोटें आईं, जिनमें से 11 को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे। इसकी प्रतिक्रिया में प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंके। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को ब्लॉक करते हुए इलाक़े में कचरे के डिब्बे को भी आग लगा दी।

बेरूत के कुछ हिस्सों में दो विरोधी राजनीतिक गुटों के बीच टकराव हुई। इसमें एक ईसाई-शिया पड़ोस में एक टिंडरबॉक्स जैसा क्षेत्र शामिल है जो 1975-1990 के लेबनानी गृह युद्ध की शुरुआत से जुड़ा हुआ है। इसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती हुई जिसमें दो विरोधी समूहों को अलग करने के लिए सेना द्वारा मानव श्रृंखला बनाई गई।

हिजबुल्लाह के ख़िलाफ़ प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि इस समूह को निःशस्त्र कर दिया जाए और इसका असैनिकीकरण कर दिया जाए। हिजबुल्लाह एकमात्र राजनीतिक गुट है जिसे गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद उसे हथियार रखने की अनुमति दी गई है। प्रदर्शनकारियों के अनुसार हथियार केवल लेबनानी सेना के हाथों में होने चाहिए। हिज़्बुल्लाह समर्थकों ने जवाब में "शिया, शिया" का नारा लगाया, साथ ही दोनों तरफ से एक दूसरे को नीचा दिखाने वाले नारे लगाए गए।

लेबनान गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद से लेबनान अब तक के सबसे ख़राब आर्थिक संकट में फंस गया है। देश में बेरोज़गारी और ग़रीबी चरम पर है और वर्तमान में बेरोज़गारी दर 35% है और ग़रीबी का आंकड़ा 45% है। लेबनान बड़े पैमाने पर अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय ऋण से भी परेशान है। इसका सार्वजनिक ऋण वर्तमान में इसके सकल घरेलू उत्पाद का 170 प्रतिशत के क़रीब है।

देश की मुद्रा लेबनानी पाउंड ने भी अपने मूल्य का एक बड़ा प्रतिशत खो दिया है, आधिकारिक सरकारी दर फिलहाल 1 अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 1507 पाउंड है, जबकि काले बाज़ार में 4000 पाउंड के क़रीब है। लेबनानी सरकार अर्थव्यवस्था को रफ़्तार देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कई बिलियन डॉलर सहायता पैकेज की पूरी कोशिश कर रही है। हालांकि ये भारी बजट कटौती जैसे कठोर उपायों की शर्तों पर है।

Lebanon
Lebanon Protest
Anti-government protesters
Coronavirus

Related Stories

प्रधानमंत्री जी... पक्का ये भाषण राजनीतिक नहीं था?

कोविड-19 टीकाकरण : एक साल बाद भी भ्रांतियां और भय क्यों?

लॉकडाउन-2020: यही तो दिन थे, जब राजा ने अचानक कह दिया था— स्टैचू!

कोरोना के दौरान सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं ले पा रहें है जरूरतमंद परिवार - सर्वे

हम भारत के लोग: समृद्धि ने बांटा मगर संकट ने किया एक

स्पेन : 'कंप्यूटर एरर' की वजह से पास हुआ श्रम सुधार बिल

दिल्ली: क्या कोरोना के नए मामलों में आई है कमी? या जाँच में कमी का है असर? 

कोविड पर नियंत्रण के हालिया कदम कितने वैज्ञानिक हैं?

अमीरों के लिए आपदा में अवसर बनी कोरोना महामारी – ऑक्स्फ़ाम इन्टरनेशनल की रिपोर्ट

क्या सिर्फ़ विपक्षियों के लिए हैं कोरोना गाइडलाइन? बीजेपी के जुलूस चुनाव आयोग की नज़रो से दूर क्यों?


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License