NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन के साथ, UAPA में जेल में बंद अतीकुर्रहमान के परिवार की कहानी
हाथरस में दलित युवती के बलात्कार और उसकी हत्या के मामले की कवरेज पर निकले पत्रकार सिद्दीक कप्पन के साथ-साथ मथुरा पुलिस ने कप्पन के 3 अन्य साथी अतीकुर्रहमान, टैक्सी चालक मोहम्मद आलम और मसूद अहमद को भी गिरफ्तार कर UAPA के तहत जेल भेज दिया था।
ज़ाकिर अली त्यागी
17 Oct 2021
 Atikur Rahman

एक साल से मथुरा जेल में बंद पीएचडी के छात्र व ह्रदय रोगी अतीकुर्रहमान के परिवार पर क्या गुज़र रही है? आखिर उनका परिवार जेल में गुज़रे अतीकुर्रहमान के 365 दिनों को लेकर क्या सोचता है? अतीकुर्रहमान को ज़मानत न मिलने को लेकर कानून विशेषज्ञ क्या कहते हैं? इन सब पहलुओं के जवाब जान लेना ज़रूरी है।

हाथरस में दलित युवती के बलात्कार और उसकी हत्या के मामले की कवरेज पर निकले पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन के साथ साथ मथुरा पुलिस ने कप्पन के 3 अन्य साथी अतीकुर्रहमान, टैक्सी चालक मोहम्मद आलम और मसूद अहमद को गिरफ्तार कर UAPA के तहत जेल भेज दिया था। जेल में सभी आरोपियों को एक साल का वक़्त गुज़र चुका है, लेकिन जेल में बंद अतीकुर्रहमान के परिवार, उनकी बीमारी की वजह से क्यों हर रोज़ डर के साये में गुज़ार रहा है जानते है।

ये भी पढ़ें: पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन की गिरफ़्तारी का एक साल: आज भी इंसाफ़ के लिए भटक रही हैं पत्नी रिहाना

न्यूज़क्लिक ने इन्हीं अहम सवालों के जवाब लेने के लिए अतीकुर्रहमान की पत्नी व कानून विशेषज्ञ से टेलीफ़ोन पर बात की।

अतीकुर्रहमान को उनके साथी सिद्दीक़ कप्पन, मसूद अहमद, मोहम्मद आलम के साथ पिछले साल 5 अक्टूबर को यमुना एक्सप्रेस के रास्ते हाथरस जाते वक़्त मथुरा के मांट टोल प्लाजा पर यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था। वे हाथरस में एक दलित युवती के बलात्कार और हत्या के मामले को कवर करने जा रहे थे।

एक साल से जेल में बंद अतीकुर्रहमान की पत्नी से बातचीत!

मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में पीएचडी के छात्र अतीकुर्रहमान की पत्नी संजीदा रहमान ने हमसे कहा-
"मेरा पति पिछले एक साल से मथुरा जेल में बंद है वह पहले से ही हार्ट पेशेंट हैं, उनको जेल में भी हार्ट अटैक हो चुका है, वह जेल के अस्पताल में भर्ती हैं, आज तक हमारी मुलाकात भी नही हुई सिर्फ़ फ़ोन के ज़रिए बात होती है, मैं इस वक़्त बहुत बुरे हालातों से गुज़र रही हूँ, अतीकुर्रहमान हाथरस में दलित बच्ची को न्याय दिलाने जा रहे थे लेकिन पुलिस ने उन्हें मुस्लिम होने की वजह से UAPA लगा जेल में डाल दिया, मैं हर वक़्त डरती हूँ क्योंकि मेरे पति गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं अगर उन्हें कुछ हो गया तो मेरे बच्चे यतीम हो जायेंगे,  यदि उनकी सर्जरी नही हुई तो मौत हो सकती है, हम जी तो रहे होंगे लेकिन मर चुके होंगे, मेरे बच्चे हर रात को अपने पापा को याद करते हुए रोते बिलखते सोते है, मेरी भी कोई सुबह और शाम ऐसी नही जाती, जिसमें मैं अपने पति के बारे में सोच-सोचकर ना रोती होऊं, मेरे पति सिर्फ़ मुस्लिम होने की वजह से फसाये गये हैं, हमें यतीम करने के लिए उन्हें जेल में डाला गया है।’’

पत्नी की समाज और सरकार से न्याय की गुहार!

"मैं समाज से गुहार लगाती हूँ कि मेरे पति के लिए हर ज़रूरी आवाज़ उठाएं, उन्हें जल्द से जल्द रिहा कराया जाये यदि उन्हें जल्द इंसाफ़ ना मिल पाया तो वे गंभीर बीमारी के कारण हमारे बीच नही होंगे, क्योंकि ओपन हार्ट सर्जरी होनी है, लेकिन अब वह जेल में हैं, मेरी सरकार से गुज़ारिश है कि मेरे पति को रिहा किया जाये ताकि मैं उनका किसी बड़े अस्पताल में इलाज करवाकर, उनका साया अपने बच्चों पर रख सकूँ"

बीमार को ज़मानत ना मिलने पर रिटायर्ड आईजी ने क्या कहा?

इस मामले में हमने रिटायर्ड आईजी एसआर दारापुरी से बात की, उन्होंने कहा "इस मामले में सरकार ने तमाम आरोपियों को उनके मुस्लिम होने की वजह से गिरफ्तार कर जेल में रखा हुआ है, वरना हाथरस कांड का दौरा करने के लिए बाकी लोग और राजनीतिक दलों के नेता भी गये थे, उन्हें गिरफ्तार नही किया गया, जब जेल में किसी आरोपी की तबीयत गंभीर होती है तो जेल के अस्पताल में वो सुविधायें नही होतीं जिनकी मरीज़ को आवश्यकता होती है, यदि इन आरोपियों में किसी की जान चली गई तो कौन जिम्मेदार होगा? इस पर सरकार को सोचना चाहिए और जो आरोपी बीमार है उनको मानवीय आधार पर जमानत दिलाने के लिए अदालत में ज़मानत याचिका का सरकार को विरोध नही करना चाहिए।

यूएपीए जैसे काले क़ानून अंसवैधानिक तऱीके से इस्तेमाल कर सरकार हर उस व्यक्ति की जान लेना चाहती है जो सरकार को बेनक़ाब करने का प्रयास करते हैं, मेरी सरकार से अपील है कि अतीकुर्रहमान की जमानत का विरोध ना करने, और जमानत दिलाने में उसके परिवार की मानवीय आधार पर मदद की जाये। ताकि वह अपने परिवार की निगरानी में अच्छे से इलाज़ करा सकें।’’

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

UAPA
Atikur Rahman
Siddique Kappan
Hathras

Related Stories

विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी

दिल्ली दंगा : अदालत ने ख़ालिद की ज़मानत पर सुनवाई टाली, इमाम की याचिका पर पुलिस का रुख़ पूछा

RTI क़ानून, हिंदू-राष्ट्र और मनरेगा पर क्या कहती हैं अरुणा रॉय? 

कश्मीर यूनिवर्सिटी के पीएचडी स्कॉलर को 2011 में लिखे लेख के लिए ग़िरफ़्तार किया गया

डराये-धमकाये जा रहे मीडिया संगठन, लेकिन पलटकर लड़ने की ज़रूरत

4 साल से जेल में बंद पत्रकार आसिफ़ सुल्तान पर ज़मानत के बाद लगाया गया पीएसए

गाँधी पर देशद्रोह का मामला चलने के सौ साल, क़ानून का ग़लत इस्तेमाल जारी

कश्मीरः जेल में बंद पत्रकारों की रिहाई के लिए मीडिया अधिकार समूहों ने एलजी को लिखी चिट्ठी 

त्रिपुरा हिंसा के पीड़ितों ने आगज़नी में हुए नुकसान के लिए मिले मुआवज़े को बताया अपर्याप्त

सामाजिक कार्यकर्ताओं की देशभक्ति को लगातार दंडित किया जा रहा है: सुधा भारद्वाज


बाकी खबरें

  • आज का कार्टून
    आम आदमी जाए तो कहाँ जाए!
    05 May 2022
    महंगाई की मार भी गज़ब होती है। अगर महंगाई को नियंत्रित न किया जाए तो मार आम आदमी पर पड़ती है और अगर महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिश की जाए तब भी मार आम आदमी पर पड़ती है।
  • एस एन साहू 
    श्रम मुद्दों पर भारतीय इतिहास और संविधान सभा के परिप्रेक्ष्य
    05 May 2022
    प्रगतिशील तरीके से श्रम मुद्दों को उठाने का भारत का रिकॉर्ड मई दिवस 1 मई,1891 को अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाए जाने की शुरूआत से पहले का है।
  • विजय विनीत
    मिड-डे मील में व्यवस्था के बाद कैंसर से जंग लड़ने वाले पूर्वांचल के जांबाज़ पत्रकार पवन जायसवाल के साथ 'उम्मीदों की मौत'
    05 May 2022
    जांबाज़ पत्रकार पवन जायसवाल की प्राण रक्षा के लिए न मोदी-योगी सरकार आगे आई और न ही नौकरशाही। नतीजा, पत्रकार पवन जायसवाल के मौत की चीख़ बनारस के एक निजी अस्पताल में गूंजी और आंसू बहकर सामने आई।
  • सुकुमार मुरलीधरन
    भारतीय मीडिया : बेड़ियों में जकड़ा और जासूसी का शिकार
    05 May 2022
    विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय मीडिया पर लागू किए जा रहे नागवार नये नियमों और ख़ासकर डिजिटल डोमेन में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों और अवसरों की एक जांच-पड़ताल।
  • ज़ाहिद ख़ान
    नौशाद : जिनके संगीत में मिट्टी की सुगंध और ज़िंदगी की शक्ल थी
    05 May 2022
    नौशाद, हिंदी सिनेमा के ऐसे जगमगाते सितारे हैं, जो अपने संगीत से आज भी दिलों को मुनव्वर करते हैं। नौशाद की पुण्यतिथि पर पेश है उनके जीवन और काम से जुड़ी बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License