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भाजपा शासित एमपी सरकार ने कोविड-19 के इलाज के लिए व्यापम आरोपियों के निजी अस्पतालों को अनुबंधित किया
व्यापम घोटाले के आरोपी छह बड़े अस्पताल चला रहे हैं, जिनमें भोपाल में तीन, इंदौर में दो और देवास के एक अस्पताल हैं। इन अस्पतालों में नौकरशाहों, मंत्रियों और मुख्यमंत्री, शिवराज सिंह चौहान सहित ज़्यादतर रोगियों के इलाज हुए हैं।
काशिफ़ काकवी
26 May 2021
Vyapam

भोपाल: मध्य प्रदेश में सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचा कितना ख़स्ताहाल है, इस बात का एक बार फिर से पर्दाफ़ाश तब हो गया है, जब यह बात सामने आ गयी है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार व्यापम घोटाले के आरोपियों की तरफ़ से चलाये जा रहे अस्पतालों से कोविड-19 रोगियों के इलाज का काम ले रही है।

भोपाल, इंदौर और देवास में ज़्यादातर कोविड-19 रोगियों का इलाज करने वाले 4,250 आईसीयू और ऑक्सीज़न से सुसज्जित बेड वाले ये छह उल्लेखनीय अस्पताल व्यापम घोटाले के आरोपियों की ओर से चलाये जा रहे हैं।

यहां तक कि 1,100 बिस्तरों वाले भोपाल स्थित सबसे बड़ी कोविड-19 सुविधा से सुसज्जित चिरायु मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ने पिछले एक साल के दौरान मुख्यमंत्री, चौहान, राज्य के स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष नौकरशाहों, मंत्रियों और कई वीआईपी रोगियों का इलाज किया है, इस अस्पताल में किस तरह की सुविधायें हैं, उसे समझा जा सकता है।

राज्य ने कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान दर्जनों अस्पतालों को अपने कब्ज़े में ले लिया था, जिनमें व्यापम के आरोपियों द्वारा संचालित ये अस्पताल भी शामिल थे और 32, 000 से ज़्यादा कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए 167 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। दूसरी लहर में भी सरकार ने फिर से राज्य भर के कई अस्पतालों को नियंत्रण में ले लिया है और उन्हें भारी भरकम रक़म भुगतान कर रही है।

प्रमुख अस्पताल और मेडिकल कॉलेज चलाने वाले अजय गोयनका, विनोद भंडारी, जे.एन. चौकसे, सुरेश भदौरिया और सुरेश विजयवर्गीय के नाम मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा बोर्ड या व्यापम द्वारा आयोजित प्री-मेडिकल टेस्ट 2012 से सम्बन्धित प्रवेश अनियमितताओं के सिलसिले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच के दौरान सामने आये थे। सीबीआई ने इनके ख़िलाफ़ अलग-अलग आरोपों में आरोप पत्र दायर किये थे और लम्बे समय तक सलाखों के पीछे रहने के बाद ये लोग जमानत पर बाहर हैं।

इन छह कॉलेजों में से तीन भोपाल, दो इंदौर और एक देवास ज़िले में हैं।

एलएन मेडिकल कॉलेज और पीपुल्स मेडिकल कॉलेज के बाद भोपाल का चिरायु मेडिकल कॉलेज और अस्पताल इस राज्य के गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 रोगियों का आख़िरी पड़ाव है। ये तीनों चिकित्सा संस्थान व्यापम के आरोपियों क्रमशः अजय गोयनका, जेएन चौकसे और सुरेश विजयवर्गीय की तरफ़ से चलाये जा रहे हैं। इन अस्पतालों की कुल क्षमता 2,100 बेडों की है।

इंदौर स्थित ऑरोबिंदो मेडिकल कॉलेज और अस्पताल और इंडेक्स मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, दोनों ही का संचालन स्वतंत्र रूप से भंडारी और भदौरिया की तरफ़ से किया जा रहा है। ये चिकित्सा संस्थान इस शहर के कोविड-19 प्रभावित ज़्यादातर रोगियों का इलाज कर रहे हैं। राज्य की भाजपा सरकार ने इन दोनों अस्पतालों को अपने कब्ज़े में ले लिया है और कहा जाता है कि मालवा क्षेत्र में महामारी से निपटने के लिहाज़ से ये सबसे अच्छे अस्पताल हैं। दोनों अस्पतालों में कुल मिलाकर 1,400 मरीज़ों के इलाज की क्षमता है।

इसके अलावा, भदौरिया के स्वामित्व का 750 बिस्तरों वाला देवास स्थित अमलतास आयुर्विज्ञान संस्थान ज़िले का सबसे बड़ा कोविड-19 के मरीज़ों का इलाज कर रहा चिकित्सा संस्थान है। यह पड़ोसी ज़िलों के बीच कोविड-19 रोगियों का इलाज करने वाला एकलौता अस्पताल है।

करोड़ों रुपये के व्यापम घोटाले में एक तरफ़ जहां राज्य सरकार ने इन अस्पतालों के निदेशकों पर मेडिकल जांच में धांधली का आरोप लगाया है, वहीं दूसरी ओर सरकार ने उनके अस्पतालों को अपने अधीन कर लिया है और उन्हें मोटी रक़म चुकायी है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता, के.के. मिश्रा आरोप लगाते हुए कहते हैं कि यह मामला शुद्ध रूप से लाभ पाने का मामला है।

महामारी की पहली लहर के दौरान शिवराज सिंह चौहान सरकार ने कोविड-19 रोगियों के मुफ़्त इलाज के लिए चिरायु मेडिकल कॉलेज और अस्पताल को अपने कब्ज़े में ले लिया था। दूसरी लहर में अस्पताल ने स्वतंत्र रूप से काम करने और मरीज़ों से अपने उपचार पैकेज के मुताबिक़ पैसे लेने का विकल्प चुन लिया है।

इस अस्पताल के निदेशक, डॉ. अजय गोयनका व्यापम मामले के मुख्य आरोपियों में से एक हैं। उन्होंने 31 जनवरी, 2018 को सीबीआई के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था और 8 मार्च, 2018 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने उन्हें ज़मानत दे दी थी। वह इस समय ज़मानत पर बाहर हैं और महामारी के दौरान एक 'कोविड योद्धा' बन गये हैं।

व्यापम मामले में चौकसे और विजयवर्गीय भी महीनों जेल में बिता चुके हैं और इस समय ये दोनों ज़मानत पर बाहर हैं।

इसके अलावा, व्यापम के आरोपी, भंडारी 2015 में सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिलने से पहले 20 महीने जेल में बिता चुके हैं। डॉ भंडारी को करोड़ों रुपये के पीएमटी-2012 घोटाले में उनकी कथित भूमिका के लिए जनवरी 2014 में गिरफ़्तार किया गया था। इससे पहले वह आरोपियों की सूची में अपना नाम आने के बाद स्वास्थ्य से जुड़ी दिक़्क़तों का हवाला देकर मॉरीशस भाग गये थे।

जबकि भदौरिया दो अस्पतालों के मालिक हैं, जिनमें एक अस्पातल इंदौर में है और दूसरा देवास में है, वह भी इस समय ज़मानत पर बाहर है।

व्यापम घोटाले की गड़बड़ियों को सामने लाने वालों में से एक शख़्स आशीष चतुर्वेदी आरोप लगाते हैं, “मध्य प्रदेश का स्वास्थ्य ढांचा व्यापम के आरोपियों की तरफ़ से चलाये जा रहे अस्पतालों पर निर्भर है और कोविड-19 संकट ने इसे साबित कर दिया है।” वह आगे बताते हैं, "व्यापम के आरोपियों या झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा संचालित कम से कम 16 अस्पतालों को मेरी शिकायत के आधार पर एक महीने में बंद कर दिया गया।"

चतुर्वेदी का आरोप है कि व्यापम के आरोपी, विवेक निरंजन और डॉ. विशाल यादव के स्वामित्व वाले श्री कृष्णा अस्पताल और मानसरोवर केयर अस्पताल, ऐसे दो अन्य अस्पताल हैं, जो इस समय भी ग्वालियर में चल रहे हैं। वह बताते हैं, “दोनों ही अस्पताल कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए सरकार द्वारा अनुमोदित अस्पतालों की सूची में नहीं हैं। फिर भी, वहां इन मरीज़ों का इलाज चल रहा।"

न्यूज़क्लिक ने इस मुद्दे को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, मोहम्मद सुलेमान से बात करने की बार-बार कोशिश की, लेकिन उन्होंने हमारे मैसेज़ का कोई जवाब नहीं दिया।

व्यापम घोटाले को सामने लाने वालों में डॉ. आनंद राय भी हैं, उनका आरोप है, “मध्य प्रदेश का पूरा का पूरा स्वास्थ्य ढांचा व्यापम के आरोपियों के हाथों में है। सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं के साथ उनके गहरे रिश्ते हैं, जिन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मज़बूत करने की कभी कोई कोशिश ही नहीं की।”

वह आगे कहते हैं कि मुख्यमंत्री, चौहान, उनके मंत्रियों और स्वास्थ्य विभाग के अफ़सरों के इलाज भी व्यापम के प्रमुख आरोपी डॉ.अजय गोयनका के अस्पताल में ही चलते रहे हैं।

डॉ.राय कहते हैं, “एक ऐसा मुख्यमंत्री, जो पिछले 16 सालों से मुख्यमंत्री पद पर क़ायम है, जब कोविड-19 परीक्षण में पोज़िटिव पाये गये, तो उन्होंने ने भी अपना इलाज व्यापम के आरोपी के स्वामित्व वाले एक निजी अस्पताल (चिरायु) में ही कराया है। इससे हमें इस बात का पता चलता है कि हमारे सरकारी अस्पताल कितने भरोसेमंद हैं और उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मज़बूत करने के लिए कितना कुछ किया है।”

लेकिन, राज्य के भाजपा प्रवक्ता, रजनीश अग्रवाल सरकार का बचाव करते हुए कहते हैं, “व्यापम के आरोपियों के ख़िलाफ़ क़ानून अपना काम कर रहा है, जबकि ये अस्पताल भी स्वास्थ्य विभाग के निर्धारित क़ानूनों के अनुसार ही चल रहे हैं।”

जहां तक व्यापम के आरोपियों की तरफ़ से चलाये जा रहे इन अस्पतालों को कब्ज़े में लेने का सवाल है, तो वह कहते हैं, “हम सभी जानते हैं कि उनके पास बड़ा स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा है और चूंकि यह एक स्वास्थ्य आपात स्थिति है, इसलिए ज़्यादा से ज़्यादा लोगों की जान बचाने और महामारी को मात देने के लिए सरकार को दस से लेकर 1000 बेड वाले अस्पतालों तक की मदद लेनी होगी।” 

कांग्रेस प्रवक्ता मिश्रा का आरोप है कि व्यापम के आरोपियों के गहरे राजनीतिक सम्बन्ध हैं और ऐसी अफवाहें हैं कि कुछ राजनेता इन अस्पतालों में मूक भागीदार हैं। वह कहते हैं, "व्यापम के इन आरोपियों को राजनीतिक संरक्षण हासिल है और मौजूदा शासन के कुछ राजनेताओं की इन अस्पतालों में हिस्सेदारी है।"

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

https://www.newsclick.in/BJP-Ruled-MP-Govt-Roped-Hospitals-Owned-Vyapam-Accused-COVID-19-Treatment

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