NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
चुनाव 2022
भारत
राजनीति
ख़बरों के आगे-पीछे: भाजपा को चुनावों में भगवान और मुसलमान का ही सहारा
ख़बरों की इस भाग दौड़ में ख़बरों का मर्म छूट जाता है। इस हफ़्ते की कुछ ख़ास ख़बरें लेकर आए हैं अनिल जैन, जिसमें राम जी की जाति से लेकर केजरीवाल का मोदी मॉडल तक शामिल है। 
अनिल जैन
07 Feb 2022
yogi and amit shah

भाजपा का दावा है कि उसकी डबल इंजन की सरकार ने उत्तर प्रदेश में इतना काम कर दिया है कि उसे राज्य के लोग खुद ब खुद वोट देंगे। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के उद्घाटन के मौके पर इकट्ठा हुए सभी भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से उत्तर प्रदेश सरकार के विकास मॉडल को अपनाने के लिए कहा था। लेकिन भाजपा के चुनाव प्रचार में विकास या सरकार की उपलब्धियों का कोई जिक्र नहीं हो रहा है। पार्टी के तमाम छोटे-बड़े नेता सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कराने वाले मुद्दों पर ही वोट मांग रहे हैं। उत्तर प्रदेश से भाजपा के सबसे बड़े नेता राजनाथ सिह ने कहा कि उनको समझ में नहीं आ रहा है कि क्यों जिन्ना का मुद्दा उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिन्ना की बजाय गन्ना की बात होनी चाहिए। जिस दिन उन्होंने यह बात कही उसके अगले ही दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट करके समाजवादी पार्टी पर हमला किया और कहा कि वे जिन्ना के अनुयायी हैं और हम सरदार पटेल के उपासक हैं। सवाल है कि जब डबल इंजन की सरकार की उपलब्धियां इतनी हैं तो जिन्ना का जिक्र करने की क्या जरूरत? 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रचार के दौरान कहा कि चुनाव में सपा जीती तो जयंत चौधरी की छुट्टी हो जाएगी और आजम खान आ जाएंगे। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने तो सपा को मुस्लिमपरस्त बताने के लिए पाकिस्तान भाग गए याकूब मेमन और मुंबई हमले में फांसी पर लटका दिए गए कसाब को भी प्रचार में घसीटा और कहा कि सपा का वश चले तो वह याकूब मेमन और कसाब को भी टिकट दे दे। अयोध्या, काशी और मथुरा की बात भी पार्टी का हर नेता कर रहा है। कुलमिला कर भाजपा का पूरा प्रचार भगवान और मुसलमान के भरोसे चल रहा है। 

तो फिर राहुल को इतनी गंभीरता से क्यों लेना?

भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार के लिए सबसे महत्वपूर्ण विपक्षी नेता कौन हैं? जवाब है राहुल गांधी! भाजपा के नेता और केंद्र सरकार के मंत्री चाहें राहुल गांधी का कितना भी मजाक उड़ाएं, उन्हे रिजेक्ट नेता बताएं और कहें कि हम उन्हें गंभीरता से नहीं लेते, लेकिन राहुल की कोई बात ऐसी नहीं होती, जिसपर पूरी भाजपा और उसकी पूरी सरकार जवाब न दे। सवाल है कि जब राहुल की कोई हैसियत नहीं है, जनता ने उनको अनेक बार खारिज कर दिया है, उनकी अगुवाई में कांग्रेस 90 फीसदी चुनाव हार गई, उनको कुछ समझ में नहीं आता है तो है तो फिर उनकी बातों पर इतनी अधिक प्रतिक्रिया क्यों दी जाती है? क्यों भाजपा के तमाम नेता और मंत्री उनके पीछे छोड़ दिए जाते हैं? अभी तो वे न कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और न ही लोकसभा में कांग्रेस के नेता। वे पिछला चुनाव अमेठी से हार गए थे और बकौल भाजपा किसी तरह से मुस्लिम बहुल वायनाड सीट से जीत कर सांसद बने हैं तो भाजपा उनकी अनदेखी क्यों नहीं कर देती? राहुल ने लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर विपक्ष की ओर से चर्चा शुरु की। यह भी कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि सरकार की ओर से गीता उर्फ चंद्रप्रभा ने चर्चा की शुरुआत की। वे कितनी बड़ी नेता हैं, यह सबको पता है। फिर भी राहुल गांधी के भाषण के जवाब में कम से कम आधा दर्जन केंद्रीय मंत्रियों ने प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपनी सारी प्रतिभा यह साबित करने में लगा दी कि राहुल गांधी को इतिहास की समझ नहीं है। संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने राहुल के विवेक पर सवाल उठाया तो कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने राहुल पर हमला करते हुए कहा कि उनको न्यायपालिका और चुनाव आयोग से माफी मांगनी चाहिए। राजीव चंद्रशेखर ने भी राहुल पर हमला किया। भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने तो राहुल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने का ऐलान किया। प्रधानमंत्री के भाषण पर विपक्ष भी इतनी प्रतिक्रिया नहीं देता है, जितनी राहुल के भाषण पर भाजपा और केंद्र सरकार के मंत्रियों ने दी है।

हनुमान के बाद अब राम की जाति

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बाद में बने पहले वे गोरखनाथ पीठ के महंत बने। इस लिहाज से वे हिंदू समाज की धर्म व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण पायदान पर बैठे हैं। ऐसा आदमी जब हिंदू देवी-देवताओं की जाति बता कर वोट मांगता है तो वह बड़ा त्रासद और अश्लील होता है। योगी ने 2018 में राजस्थान में एक चुनावी सभा में हनुमान की जाति बताई थी। उन्होंने हनुमान को दलित बता कर वोट मांगा। उसके बाद तो बड़ा विवाद चला। भाजपा के एक मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण ने हनुमान को जाट बताया तो सपा के एक नेता बुक्कल नवाब ने उनको मुसलमान और दूसरे नेता रमाशंकर विद्यार्थी ने गोंड जाति का बताया और कहा कि उनका जन्म गोंडवाना में हुआ था। अब उत्तर प्रदेश में चुनाव है तो योगी आदित्यनाथ ने भगवान राम की जाति बताई है और खुद को उसी जाति का बताते हुए वोट मांगे हैं। उन पर आरोप लग रहे हैं कि पांच साल के शासन में उन्होंने सिर्फ अपनी जाति के लोगों को आगे बढ़ाया। इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि उन पर राजपूत जाति के लिए काम करने का आरोप लगाया जा रहा है लेकिन भगवान राम भी इसी जाति के थे। सवाल है कि खुद को भगवान राम की जाति का बता कर वे क्या साबित करना चाहते हैं? क्या इसलिए सारे हिंदू उनको वोट दें कि वे भगवान राम की जाति के हैं? राम के दोनों बेटों- लव और कुश के वंशज तो अपने को कुर्मी और कोईरी के रूप में दिखाते हैं, तो सारे हिंदू उनको वोट क्यों न दें? 

इन आरोपियों पर अदालत क्यों मेहरबान?

अगर मामला कांग्रेस या कांग्रेस समर्थित सरकार वाले किसी राज्य का है तो बहुत संभावना है कि मामला अदालत में पहुंचे तो आरोपी को राहत मिलेगी। हो सकता है कि यह संयोग हो लेकिन एक, दो नहीं अनेक मामलों में यह संयोग हुआ है। मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह पर कई किस्म के आरोप हैं। भ्रष्टाचार, रंगदारी वसूलने सहित कई आरोप हैं। वे आरोपों की गंभीरता को समझ रहे थे तभी कई महीनों तक लापता रहे थे, जिसे लेकर सर्वोच्च अदालत ने भी तीखी टिप्पणी की थी। लेकिन वे गिरफ्तार नहीं हुए। उनको अदालत से राहत मिली हुई है और पुलिस चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही है। महाराष्ट्र के ही दो और मामले हैं। भाजपा विधायक नीतेश राणे और अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ कई आरोप हैं लेकिन इन दोनों को भी गिरफ्तारी से राहत मिली हुई है। पंजाब में तो बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ नशे की तस्करी कराने और तस्करों को शरण देने जैसे गंभीर आरोप हैं। इसीलिए हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत खारिज कर दी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट से उनको भी राहत मिली हुई है। इनके मुकाबले देश भर से गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ताओं का मामला देखें तो हैरानी होती है। बुजुर्ग और बेहद बूढ़े हो चुके सामाजिक कार्यकर्ता जेल में बंद हैं। उन्हें नजर का चश्मा हासिल करने के लिए संघर्ष करना होता है और पार्किंसन के शिकार फादर स्टेन स्वामी पानी पीने के लिए सीपर की मांग करते हुए दुनिया से विदा हो गए। देश का सिस्टम तो जैसा है वैसा है ही लेकिन अदालतों को तो इसका ध्यान रखना चाहिए।

कॉरपोरेट को टैक्स में छूट क्यों?

दुनिया के कई देशों में बड़े कॉरपोरेट घरानों ने सरकारों को चिट्ठी लिख कर कहा है कि उनके ऊपर अतिरिक्त टैक्स लगाया जाए। कोरोना वायरस की महामारी के बीच दुनिया के हर सभ्य और लोकतांत्रिक देश ने अपने नागरिकों की आर्थिक मदद की है। भारत इसका अपवाद है। भारत में नागरिकों की कोई आर्थिक मदद नहीं की गई। भारत में पिछले साल 84 फीसदी आबादी की आमदनी घटी है और दूसरी ओर अरबपतियों की संख्या में इजाफा हुआ है। भारत में आर्थिकी की ’के शेप रिकवरी’ हो रही है यानी अमीर और अमीर हो रहे हैं और गरीब ज्यादा गरीब हो रहे हैं। फिर भी सरकार ने बजट में कॉरपोरेट को टैक्स छूट दी है। इससे पहले भी पिछले लोकसभा चुनाव यानी 2019 में केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स में एक लाख 45 हजार करोड़ रुपए की छूट दी थी। अगले साल के बजट में कॉरपोरेट टैक्स पर लगने वाले सरचार्ज को भारत सरकार ने 12 फीसदी से घटा कर सात फीसदी कर दिया है। सोचने  वाली बात है कि एक तरफ देश में आर्थिक असमानता बढ़ रही है, सरकार लगातार अप्रत्यक्ष करों में बढ़ोतरी कर रही है, जिससे आम लोगों पर बोझ पड़ रहा है और आयकर में मध्य वर्ग को कोई छूट नहीं दी गई है लेकिन कॉरपोरेट टैक्स पर सरचार्ज कम कर दिया गया है। सरकार को कॉरपोरेट टैक्स में बढ़ोतरी करनी चाहिए थी लेकिन सरकार ने उलटा किया है।

केजरीवाल का प्रचार मोदी की तर्ज पर 

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी कम से कम दो राज्यों- पंजाब और गोवा में बहुत मजबूती से लड़ रही है। इन दोनों राज्यों में पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रचार का फोकस अपने ऊपर बनवाया है। वे लगभग पूरी तरह से नरेंद्र मोदी की तर्ज पर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। जिस तरह मोदी ने गुजरात से बाहर के राज्यों को शुरुआती दिनों में गुजरात का मॉडल दिखा कर प्रचार किया था उसी तरह केजरीवाल पंजाब और गोवा में दिल्ली का मॉडल दिखा रहे हैं। साथ ही मोदी की तरह अपने नाम पर ही प्रचार कर रहे हैं। भाजपा के प्रचार की एक थीम रही है कि ‘मोदी है तो मुमकिन है।’ केजरीवाल ने भी इसी तर्ज पर अभियान शुरू कराया है कि ‘एक मौका केजरीवाल को’। उनकी पार्टी ने हाल ही में यह कैंपेन लांच किया है। केजरीवाल हर चुनावी राज्य के प्रचार में कह रहे हैं कि राज्य के लोगों ने बरसों तक भाजपा और कांग्रेस को मौका दिया, अब एक बार उनको मौका देकर देखें। याद करें कैसे शुरुआती दिनों में नरेंद्र मोदी ने हर राज्य में प्रचार किया कि लोगों ने बरसों तक कांग्रेस या क्षेत्रीय पार्टियों को मौका दिया, जिन्होंने राज्य का बेड़ा गर्क कर दिया है, गड्ढे बना दिए हैं, उन्हें भरने के लिए एक मौका उनको दिया जाए। बिल्कुल इसी तर्ज पर चुनावी राज्यों में केजरीवाल का प्रचार चल रहा है।

शराब पकड़ने का काम शिक्षक करेंगे!

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी के बेहद घिसे-पीटे आइडिया को लेकर इतने आसक्त हो गए हैं कि उन्होंने राज्य सरकार की पूरी मशीनरी को सिर्फ शराबबंदी लागू करने के काम में लगा दिया है। पूरे बिहार में कहीं भी शराबबंदी प्रभावी तरीके से लागू नहीं है। हर गली, मोहल्ले में शराब बन और बिक रही है। खुद मुख्यमंत्री के गृह जिले नालंदा में पिछले दिनों जहरीली शराब पीकर एक दर्जन लोगों की मौत हो गई। बिहार की पुलिस और प्रशासन की देख-रेख में शराब बनाने और बाहर से लाकर बेचने का काम हो रहा है। पुलिस और प्रशासन की विफलता के बीच अब राज्य सरकार ने शिक्षकों को भी शराब बेचने और पीने वालों की जानकारी प्रशासन को देने के काम में लगाया है। सरकार की ओर से इसके लिए फोन नंबर जारी किए गए हैं और शिक्षकों की पहचान गोपनीय रखने की बात कही गई है। बिहार में शिक्षा मित्र के नाम से बहाल हुए ज्यादातर शिक्षक अनपढ़ हैं और फर्जी अंकपत्र के आधार पर मुखिया को रिश्वत देकर बहाल हुए हैं। वे पहले से ही बच्चों को पढ़ाने का काम नहीं कर रहे थे। अब तो उनको एक नया काम दे दिया गया, जिसे वे पुलिस और प्रशासन के साथ मिल कर लगेंगे। अगर कोई ईमानदारी से इस बारे में खबर देता है तो उसकी जान को खतरा अलग है। पिछले दिनों छुट्टी पर अपने गांव आए सेना के एक कर्नल की शराब माफिया ने गोलीमार कर हत्या कर दी क्योंकि कर्नल साहेब उन्हें शराब बेचने से रोक रहे थे।

ये भी पढ़ें: ख़बरों के आगे-पीछे: ‘अनिवार्य’ वैक्सीन से सिद्धू-चन्नी के ‘विकल्प’ तक…

Uttar pradesh
UP Assembly Elections 2022
UP election 2022
Yogi Adityanath
Amit Shah
Religion and Politics

Related Stories

यूपी : आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की साख़ बचेगी या बीजेपी सेंध मारेगी?

उपचुनाव:  6 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में 23 जून को मतदान

सियासत: अखिलेश ने क्यों तय किया सांसद की जगह विधायक रहना!

विधानसभा चुनाव परिणाम: लोकतंत्र को गूंगा-बहरा बनाने की प्रक्रिया

पक्ष-प्रतिपक्ष: चुनाव नतीजे निराशाजनक ज़रूर हैं, पर निराशावाद का कोई कारण नहीं है

यूपी चुनाव नतीजे: कई सीटों पर 500 वोटों से भी कम रहा जीत-हार का अंतर

BJP से हार के बाद बढ़ी Akhilesh और Priyanka की चुनौती !

यूपी चुनाव : पूर्वांचल में हर दांव रहा नाकाम, न गठबंधन-न गोलबंदी आया काम !

यूपी चुनाव: प्रदेश में एक बार फिर भाजपा की वापसी

कार्टून क्लिक: महंगाई-बेरोज़गारी पर हावी रहा लाभार्थी कार्ड


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License