NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बीजेपी बिहार की सत्ता हासिल करना चाहती है या नीतीश सौंपना चाहते हैं!
"नीतीश कुमार को लेकर जो अटकलें सरेआम हैं, वे कोई नई नहीं हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से ये चर्चा तेज है। उसी समय से इसकी सुगबुगाहट थी कि कम सीट मिलने पर भी नीतीश कुमार को सीएम बनाया गया है।"
एम.ओबैद
02 Apr 2022
nitish kumar

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राज्यसभा भेजे जाने और उपराष्ट्रपति बनाए जाने को लेकर चर्चा तेज है। कुमार ने हाल ही में मीडिया से बात करते हुए कहा था कि वे तीन सदनों का सदस्य रह चुके हैं, सिर्फ राज्यसभा बाकी है। सीएम नीतीश कुमार के इस बयान के बाद कयास लगाए जाने लगे कि उनको राज्यसभा भेजा जा सकता है। इस मामले के सामने आने के बाद बीजेपी विधायक हरि भूषण ठाकुर ने भी यहां तक कह दिया कि अगर नीतीश कुमार राज्य सभा में जाना चाहते हैं तो बीजेपी उनकी इच्छा को पूरा करेगी। इन सब बयानों के बाद अटकलें और तेज हो गई कि कुमार को राज्यसभा भेजा जा सकता है और उनको उपराष्ट्रपति बनाया जा सकता है। हालांकि बाद में जदयू ने इसका खंडन करते हुए इसे अफवाह बताया है। 

राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो उनका कहना है कि नीतीश कुमार पिछले कुछ समय से इस तरह के बयान देते रहे हैं जिससे ऐसा लगता है कि वे कोई बड़ा संवैधानिक पद लेना चाहते हैं। उनकी पार्टी जदयू का बीजेपी के साथ वर्षों से गठबंधन रहा है और केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार है। ऐसे में वे अपने राजनीतिक सफर के आखिरी समय में इसका लाभ उठाना चाहते हैं। ज्ञात हो कि पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान पूर्णिया में नीतीश कुमार ने चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि, "आज चुनाव का आखिरी दिन है और परसों चुनाव है, ये मेरा आखिरी चुनाव है। अंत भला तो सब भला। अब आप बताएये इनको वोट दीजिएगा या नहीं। हाथ उठाकर बताइए।" 

विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी भी कहीं न कहीं चाहती है कि बिहार की कमान पूरी तरह उसके हाथों में आ जाए। इसके लिए नीतीश उसकी राह में बड़ी रूकावट हैं। ऐसे में वह नीतीश कुमार को कोई बड़ा पद देकर बिहार की सत्ता पर काबिज होना चाहती है।  

ज्ञात हो कि जिस जदयू के सहारे बीजेपी ने बिहार में अपनी पैठ जमाई वह अब मजबूत हो गई है जबकि जदयू कमजोर पड़ती नजर आ रही है। पिछले चार चुनावों में दोनों पार्टियों के आंकड़ों को देखें तो यह स्पष्ट हो जाता है। 2005 में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम की बात करें तो जदयू को इस चुनाव में जहां 88 सीटें मिली थीं वहीं बीजेपी ने 55 सीटों पर कब्जा किया था और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनाए गए थें। वहीं 2010 के चुनाव में दोनों दलों की स्थिति और मजबूत हुई और दोनों ही दलों को सीटों में इजाफा हुआ था। इस चुनाव में जदयू को 115 सीटें मिली थी जबकि बीजेपी को 91 सीटें हासिल हुई थी। लेकिन 2015 को चुनाव में दोनों ही पार्टियों को सीटों का बड़ा नुकसान हुआ था। इस चुनाव में जदयू को 71 जबकि बीजेपी 53 सीटें ही हासिल हुई थीं। वहीं पिछले चुनाव यानी 2020 में जदयू की सीटें काफी घट गई और बीजेपी को इसमें बड़ा फायदा हुआ। इसमें जदयू जहां 43 सीटों पर सिमट गई वहीं बीजेपी के सीटों की संख्या बढ़कर 74 पहुंच गई, इसके बावजूद बीजेपी ने नीतीश कुमार को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया था। 

बिहार में बीजेपी के लिए नीतीश बड़े रोड़ा 

पटना स्थित वरिष्ठ पत्रकार अनीश अंकुर ने नीतीश कुमार को राज्यसभा भेजे जाने और उपराष्ट्रपति बनाए जाने की अटकलों पर कहा है कि, "भारतीय जनता पार्टी के लिए बिहार एक ऐसा प्रदेश है जहां आजतक अपनी बदौलत वह सत्ता में कभी नहीं आ पाई है। उसको कभी बहुमत नहीं मिला और वह बड़ी पार्टी कभी नहीं बन पाई थी जबकि हिंदी बेल्ट में वह छा चुकी है। इसमें लालू यादव उसके विरोधी हैं। उसकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा नीतीश कुमार लग रहे थे। पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कोशिश की कि लोजपा (लोक जनशक्ति पार्टी) के बहाने नीतीश कुमार को कमजोर किया जाए। उसने कमजोर किया भी लेकिन पूरी तरह राजनीतिक रुप से उसे समाप्त नहीं कर पाई। इस तरह भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि जो अंतिम किला हिंदी बेल्ट का बचा हुआ है उसमें नीतीश कुमार बड़े रोड़ा हैं।" 

उन्होंने आगे कहा कि, "बीजेपी ऐसा सोचती है कि जदयू से लड़ कर कुछ नहीं कर सकती है। वह लड़ने के बजाए समाहित कर लेना चाहती है। इस तरह उन्हें उपराष्ट्रपति बनाने की ख्वाहिश पार्टी को समाहित कर लेने की दिशा में एक कदम है। भाजपा का कैलकुलेशन है कि उसका एक हिस्सा अपनी पार्टी में मिला लिया जाए। जब तक नीतीश कुमार रहेंगे ऐसा करना मुश्किल हो जाएगा। अब नीतीश कुमार की उम्र भी हो रही है। उपराष्ट्रपति के रूप में उनको ऐसा लगे कि यह हमारी डिग्निटी के अनुकूल है। ये ऑफर हो सकता है दे लेकिन नीतीश कुमार आगे इसे स्वीकार करेंगे या नहीं इसे कहना मुश्किल है। लेकिन भाजपा का गेम प्लान यही लगता है कि नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बना कर के बिहार की सत्ता वो संभाले।"    

'नीतीश कुमार पर पद छोड़ने का अंदरूनी दबाव' 

इंडिया टुडे के विशेष संवाददाता पुष्य मित्र ने कहा कि, "नीतीश कुमार को लेकर जो अटकलें सरेआम हैं, वे कोई नई नहीं हैं। ये काफी लंबे समय से चल रही है। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से ये चर्चा तेज है। उसी समय से इसकी सुगबुगाहट थी कि कम सीट मिलने पर भी नीतीश कुमार को सीएम बनाया गया है। नीतीश कुमार को केंद्र भेजकर भाजपा चाहेगी कि वह अपना मुख्यमंत्री यहां बनाए। भाजपा ने बहुत सधे हुए तरीके से इसकी तैयारी की है। उसने नीतीश को सम्मानपूर्वक मुख्यमंत्री भी बनाया लेकिन साथ साथ उनकी पार्टी में भी सेंध लगाई। अभी हाल में देखें तो जिस तरह से बीजेपी ने मुकेश सहनी की पार्टी के विधायकों को शामिल करा लिया उसी तरह से ऐसा लोगों का मानना है कि नीतीश कुमार की पार्टी में भी ऐसे बहुत सारे विधायक हैं जो कभी भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इस तरह से अंदरूनी दबाव नीतीश कुमार पर बनाया गया है कि अब उनको पद छोड़ना ही छोड़ना है। पहली बात ये है कि इससे पहले नीतीश के पास एक विकल्प था कि वे राजद के साथ चले जाते और नीतीश या तेजस्वी की सरकार बन जाती लेकिन अब वो विकल्प नहीं रहने दिया गया। दूसरी बात ये है कि हमलोग नीतीश जी की लगातार गतिविधियां देख रहे हैं कि वे कभी पुराने साथियों से मिलने जाते हैं तो कभी वे कुछ और कह देते हैं।"

पुष्य मित्र ने कहा कि, "राज्यसभा की बात अचानक आ गई हालांकि इसका खंडन भी किया गया। अभी उनकी गतिविधियां सामान्य दिख भी नहीं रही है। इसी साल राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव भी होने वाला है। कुछ समय पहले प्रशांत किशोर के जरिए भी ये बात सामने आई थी कि विपक्ष का राष्ट्रपति उम्मीदवार वो बन सकते हैं। ये सब उनके मन में है। नीतीश कुमार अब अगला चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। ये वो कह चुके हैं। उनकी महत्वाकांक्षा पहले पीएम बनने की रही है और राष्ट्रपति बनने की भी रही है। वे चाहते भी हैं। मुमकिन है कि नीतीश कुमार इन सारी गतिविधियों के जरिए बीजेपी को संदेश देना चाहते हैं कि वे सुरक्षित बाहर निकल सकते हैं। उनकी इच्छा तो राष्ट्रपति बनने की थी लेकिन राष्ट्रपति शायद वो नहीं बन पाएं क्योंकि उनका जो अब तक का राजनीतिक सफर रहा है उस हिसाब से बीजेपी उन पर बहुत ज्यादा भरोसा नहीं कर सकती है कि राष्ट्रपति बनने के बाद वो उनके लिए रबड़ स्टाम्प की तरह काम कर पाएंगे। इस तरह उपराष्ट्रपति पद का उनके लिए विकल्प है। इन्हीं सब बातों की वजह से ये सारी सरगर्मियां हैं। कुछ न कुछ बात तो जरूर है लेकिन अब आगे देखना होगा कि क्या होता है। बीजेपी क्या फैसला लेती है और नीतीश जी कितना आगे बढ़ पाते हैं।" 

नीतीश कुमार को अगला उपराष्ट्रपति बनाने के मुद्दे पर बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने बृहस्पतिवार को कहा कि, "मुख्यमंत्री पद की कुर्सी छोड़ कर नीतीश कुमार के दिल्ली जाने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है।" उन्होंने कहा कि ‘‘जाना ही चाहिए। सभी लोग चाहेंगे कि चले जाएं।’’ 

'राजनीतिक तौर पर समझौता कर सत्ता बचाने में लगे रहे नीतीश'

नीतीश कुमार को लेकर उभरे तमाम अटकलों के बीच सीपीआइएम के केंद्रीय समिति के सदस्य अरुण कुमार ने कहा कि, "भाजपा गेम प्लान के जरिए अभी तो उसने छोटी छोटी पार्टियों को हजम कर लिया है। उसने वीआइपी जैसी पार्टियों को अपनी पार्टी में समाहित कर लिया है। अब वो जदयू पर भी काम कर रही है। इसमें आरसीपी सिंह पूरी तरह भाजपा के आदमी हैं। ये गेम प्लान जो दिखाई पड़ता है वो यही है कि उनको (नीतीश कुमार) यहां से हटा कर ऐसा हो सकता है कि तात्कालिक तौर पर उपराष्ट्रपति का पद दे दिया जाए और बिहार में नित्यानंद राय को मुख्यमंत्री बनाया जाए जिसकी कोशिश में बीजेपी है। इसका दो मकसद है। पहला ये कि वो यादव समाज से आते हैं और यादव अभी लालू प्रसाद यादव के साथ गोलबंद है तो इसमें फूट डालने की कोशिश है। उसकी योजना यही है कि इन पार्टियों को इनके जनाधार से अलग कर के खत्म किया जाए और उनके जनाधार पर कब्जा किया जाए। इस तरह देखा जाए तो नीतीश कुमार उसमें फंस चुके हैं। वहां से निकलना इनके लिए मुश्किल है क्योंकि राजनीतिक तौर पर उन्होंने सभी मोर्चों पर समझौता करके सत्ता बचाने में लगे रहे है। 

उन्होंने आगे कहा कि, "उनका जो इमेज था वह भी हाल के दिनों में खत्म हुआ है। अभी वो (नीतीश कुमार) जो बोल रहे हैं कि अब उन्होंने पंद्रह वर्षों से ज्यादा दिनों तक बिहार की सेवा की है और अब उनकी कोई इच्छा नहीं रह गई है इससे भी पता चलता है कि शायद वो भी इस बात के लिए तैयार हो रहे हैं। इस बात से यही जाहिर होता है कि वे कहीं के गवर्नर बन जाएं और कोई बड़ा पद मिल जाए। यही अभी दिखाई पड़ रहा है। एक बात तो स्पष्ट है कि भाजपा अपने गेम प्लान को लेकर काम कर रही है और वो उन तमाम पार्टियों को जिसके सहारे बिहार में आगे बढ़ी है उसको निगलना चाहती है। उसकी पार्टियों को निगलने की राजनीति है।" 

Bihar
Nitish Kumar
BJP
bjp-jdu
CPIM
RJD
Tejashwi Yadav

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License