NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
बैंक कर्मचारी हड़ताल : मांग न माने जाने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की धमकी
यूनियन की मांग है कि वेतन सहित अन्य भत्तों में 20 % की बढ़ोतरी हो और हफ्ते में बैंकों में पांच दिन काम हो।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
24 Jan 2020
bank strike
प्रतीकात्मक तस्वीर

दिल्ली: ’बैंक कर्मचारियों के संगठनों का संयुक्त मंच , यूनाइटेड फोरम फॉर बैंक यूनियन ने वेतन सुधार को लेकर बातचीत असफल रहने के कारण 31 जनवरी और एक फरवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।

परिणामस्वरूप देश भर के बैंक कर्मचारी पहले 31 जनवरी से दो दिनों के लिए और फिर 11 मार्च से तीन दिनों के लिए हड़ताल की तैयारी में जुट गए हैं। यदि इसके बाद भी कोई हल नहीं निकला तो बैंक कर्मचारियों की यूनियनों ने 1 अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की धमकी दी है।

11 वीं  दौर की बातचीत विफल हो चुकी हैं। बातचीत का नया दौर 13 जनवरी को  शुरू हुआ था। बैंक कर्मचारियों के वेतन में बदलाव 2017 से लंबित है।

इंडियन बैंक एसोसियसन आईबीए यूएफबीयू के प्रतिनिधियों द्वारा रखी गई मांगों को स्वीकार करने में अभी तक विफल रहा। यूनियन की मांग है वेतन सहित अन्य भत्तों में 20 % की बढ़ोतरी हो और हफ्ते में बैंकों में पांच दिन काम हो। अन्य मांगों में मूल वेतन के साथ विशेष भत्ते का विलय और नई पेंशन योजना (एनपीएस) को हटना शामिल है।

बैंक कर्मचारी फेडरेशन ऑफ इंडिया (BEFI) के उपाध्यक्ष प्रदीप विश्वास ने NewsClick से बात करते हुए कहा,“बैंकिंग क्षेत्र अभी बदहाल स्थिति में  है। IBA का कहना है कि उन बाधाओं को देखते हुए हमारी मांगों को पूरा नहीं किया जा सकता है, ” इस पर आगे वो कहते है कि हालांकि, “; यह बढ़ते एनपीए है का परिणाम है न कि कर्मचरी की गलती।  

 अपनी इन्ही मांग को लेकर इस महीने की शुरुआत में बैंक के कर्मचारी ने 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा एक दिन की आम हड़ताल में भी शामिल हुए थे।

बैंक कर्मचारियों द्वारा अगली निर्धारित हड़ताल का दूसरा दिन 1 फरवरी को बजट के दिन का होगा, जबकि हड़ताल के पहले दिन 31 जनवरी को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा।

बिस्वास ने कहा, "हमने इन दो दिनों को चुना ताकि मामला वित्त मंत्रालय का भी ध्यान आकर्षित करे और यह हस्तक्षेप करने का फैसला करे।"

bank strike
Bank employee's strike
Indian Banks Association
SBI
United forum of bank unions

Related Stories

पूर्वांचल में ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के बीच सड़कों पर उतरे मज़दूर

बैंक कर्मचारियों की हड़ताल पर खामोश क्यों मीडिया?

बैंक हड़ताल: केंद्र द्वारा बैंकों के निजीकरण के ख़िलाफ़ यूनियनों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी

बैंक यूनियनों का ‘निजीकरण’ के ख़िलाफ़ दो दिन की हड़ताल का ऐलान

बैंक हड़ताल: दूसरा दिन, जंतर मंतर पहुँचे हज़ारों कर्मचारी

बैंक हड़ताल: कर्मचारियों ने कहा "शौक़ नहीं मजबूरी है, ये हड़ताल ज़रूरी है"

निजीकरण के ख़िलाफ़ बैंक कर्मचारियों की हड़ताल, किसानों और ट्रेड यूनियनों ने भी किया विरोध प्रदर्शन

ग्राउंड रिपोर्ट : निजीकरण के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन

सरकारी बैंकों के निजीकरण के विरोध में श्रमिक संगठनों ने किया दो दिन की हड़ताल का आह्वान

बैंक कर्मियों की मोदी सरकार को एक बार फिर चुनौती


बाकी खबरें

  • भाषा
    मोहाली में पुलिस मुख्यालय पर ग्रेनेड हमला
    10 May 2022
    मोहाली पुलिस ने एक बयान में कहा, ''शाम 7.45 बजे सेक्टर 77, एसएएस नगर में पंजाब पुलिस खुफिया मुख्यालय परिसर में एक मामूली विस्फोट की सूचना मिली। किसी नुकसान की सूचना नहीं है। वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल…
  • पीपल्स डिस्पैच
    अनिश्चितता के इस दौर में रौशनी दिखाता श्रमिकों का संघर्ष  
    10 May 2022
    पोटेरे अल पोपोलो के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं ने 6 से 8 मई तक इटली के रोम में आयोजित वर्ल्ड फ़ेडरेशन ऑफ़ ट्रेड यूनियन्स की 18वीं कांग्रेस को संबोधित किया।
  • शाओनी दास
    ग़ैरक़ानूनी गतिविधियां (रोकथाम) क़ानून और न्याय की एक लंबी लड़ाई
    10 May 2022
    ग़ैरक़ानूनी गतिविधियां (रोकथाम) क़ानून, 1967 [यूएपीए] को 14 सितंबर, 2020 को हुए दिल्ली दंगों में कथित साज़िशकर्ताओं के ख़िलाफ़ इस्तेमाल गया है।
  • अजय कुमार
    क्या दुनिया डॉलर की ग़ुलाम है?
    10 May 2022
    मौजूदा वक़्त की हालत यह है कि वित्तीय बाजार की पूरी दुनिया पर डॉलर का दबदबा है। लंदन, न्यूयॉर्क से वित्तीय बाजार नियंत्रित हो रहा है लेकिन दुनिया के उत्पादन श्रृंखला पर अमेरिका का दबदबा नहीं है।
  • राज वाल्मीकि
    मेरे लेखन का उद्देश्य मूलरूप से दलित और स्त्री विमर्श है: सुशीला टाकभौरे
    10 May 2022
    सुशीला टाकभौरे ने कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक आदि कई विधाओं में लेखन किया है। कई कहानियां, कविता और उपन्यास, आत्मकथा विभिन्न राज्यों के पाठ्यक्रम में लगी हुई हैं। आपको कई पुरस्कारों से सम्मानित किया…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License