NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बंगाल चुनाव: महिला विरोधी, अभद्र भाषा पर टिका भाजपा का प्रचार
बात बोलेगी: राजनीतिक मर्यादा की तमाम सीमाओं को तोड़ते हुए, जिस तरह से भाजपा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोला, उन्हें साड़ी छोड़ बरमूडा पहनने की ओछी सलाह दी, इससे उसका स्त्री विरोधी चेहरा एक बार फिर उजागर हुआ।
भाषा सिंह
25 Mar 2021

पश्चिम बंगाल में पहले चरण के लिए चुनाव प्रचार आज, गुरुवार की शाम थम जाएगा। लेकिन जिस तरह की गंदगी और अभद्र भाषा का इस्तेमाल हुआ है—उसकी धूल लंबे समय तक राजनीतिक माहौल को दूषित करती रहेगी। भारतीय जनता पार्टी के सांसद, पश्चिम बंगाल के अध्यक्ष दिलीप घोष ने जिस तरह से ममता बनर्जी पर अश्लील-अभद्र-सेक्सिट टिप्पणी की है, उससे एक बार फिर भाजपा का स्त्री विरोधी चेहरा हमारे सामने आया है। इसे लेकर तमाम हिस्सों में आक्रोश तो है ही, साथ ही बंगाल की शालीन संस्कृति पर चोट की तरह भी इसे लोग देख रहे हैं। औऱ, यह सब बिल्कुल सोची-समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है—ताकि ममता बनर्जी को एक मजाक का विषय, एक कमजोर स्त्री के रूप में बंगाली मतदाताओं के दिमाग में बैठाया जा सके।

बहुत सीधी सी बात ममता बनर्जी की राजनीति, उनके क्रियाकलापों से 100 फीसदी नाराजगी, असहमति और विरोध होने के बावजूद, इस तरह के बयान -भाषणों का ना तो समर्थन किया जा सकता है और ना ही उन्हें जगह दी जा सकती है। भाजपा के बहुत से नेता और उनके समर्थक इस बयान को चुनावी बयान, भाषणों में सब कुछ चलता है—कहकर जायज ठहरा रहे है। इसी से पता चलता है कि वे महिला की गरिमा को किस तरह से मटियामेट करने में विश्वास रखते हैं।

झूमा घोष

इस बारे में जब हमने मेदिनिपुर में एक ढाबा चलाने वाली महिला—झूमा घोष से बात की तो उन्होंने कहा यह कथन सभी औरतों पर गंदी सोच को दर्शाता है। कोई नेता कैसे किसी भी महिला को यह कह सकता है कि तुम्हें अपनी टांग दिखानी है तो तुम छोटी पैंट पहनो, साड़ी नहीं। ये गंदी बात है। मैं भी साड़ी पहनती हूं, बंगाल में हम औरतें अभी भी ज्यादा साड़ी पहनती हैं, ऐसा बोलकर दिलीप घोष हम सब औरतों को बदनाम कर रहे हैं। वे जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बारे में ऐसा बोल सकते हैं, जो इतनी ताकतवर हैं, उनका मंच से मज़ाक उड़ा सकते हैं, तो आप सोचो वे हम जैसे मेहनत करने वाली औरत को कितनी गंदी नज़र से देखते होंगे।

ऐसा पहली बार नहीं है जब दिलीप घोष ने आपत्तिजनक टिप्पणी की है। भाजपा में उनका राजनीतिक कद इस तरह के बयानबाजी, भाषणों के साथ लगातार बढ़ता गया है। दरअसल, भाजपा एक दूसरे ढंग का आक्रामक, पुरुषवादी राजनीतिक विमर्श को आधार बनाकर अपना वोट बैंक बढ़ाती रही है। इसी क्रम में सिने अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती का कोबरा वाला डायलॉग या श्मशान घाट पहुंचाने वाला भाषण याद किया जा सकता है। इसमें भी निशाने पर ममता ही थी।

हल्दिया में एक स्कूल में टीचर आइशी मुखोपाध्याय ने इसी से जुड़ा दूसरा सवाल उठाया, मुझे पहले विश्वास नहीं हुआ कि जो पार्टी बंगाल में सरकार बनाने का दावा कर रही है, वह इतनी अश्लील टिप्पणी करेगी। फिर मैंने खुद दिलीप घोष के भाषण को सुना। उनके भाषण पर जिस तरह से लोग हंस रहे थे, तालियां बजा रहे थे, वह मेरे लिए ज्यादा खौफनाक था। मैंने सोचा कि अगर इन लोगों के सामने अभी ममता बनर्जी होतीं तो ये लोग उनके साथ क्या सलूक करते। ऐसे ही लोग, ऐसे ही विचार औरतों पर हिंसक सोच को बढ़ावा देते हैं। बंगाल में सार्वजनिक तौर पर औरतों का अपमान करना बुरा माना जाता रहा है। ऐसा नहीं कि यहां के मर्द औरत पर जुल्म नहीं करते, लेकिन पब्लिक लाइफ में यह शर्म की बात रही है। स्त्री शक्ति का सम्मान करना, बंगला की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। मैं ममता बनर्जी की समर्थक नहीं हूं, तृणमूल को वोट भी नहीं देती हूं, लेकिन इस अपमान की घोर निंदा करती हूं।

चुनावी समर में इस तरह से औरत की निजता और उसके पहनावे, उसकी उम्र, उसको मायके भेज दिये जाने, उसकी चोट का माखौल उड़ाने, प्लास्टर कटने, बैंडेज लगने जैसे बयान देकर भाजपा ने निश्चित तौर पर रविंद्रनाथ टैगोर, शरतचंद्र, राजा राममोहन राय सहित अनगिनत स्त्री मुक्ति कामी स्वरों का निषेध किया है। 

(भाषा सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और विधानसभा चुनाव कवर करने के लिए न्यूज़क्लिक की टीम के साथ बंगाल के दौरे पर हैं।) 

West Bengal Elections 2021
mamta banerjee
TMC
BJP
Narendra modi
dilip ghosh
West Bengal Politics

Related Stories

राज्यपाल की जगह ममता होंगी राज्य संचालित विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति, पश्चिम बंगाल कैबिनेट ने पारित किया प्रस्ताव

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट


बाकी खबरें

  • जितेन्द्र कुमार
    बहस: क्यों यादवों को मुसलमानों के पक्ष में डटा रहना चाहिए!
    04 Apr 2022
    आरएसएस-बीजेपी की मौजूदा राजनीतिक तैयारी को देखकर के अखिलेश यादव को मुसलमानों के साथ-साथ दलितों की सुरक्षा की जिम्मेदारी यादवों के कंधे पर डालनी चाहिए।
  • एम.ओबैद
    बिहारः बड़े-बड़े दावों के बावजूद भ्रष्टाचार रोकने में नाकाम नीतीश सरकार
    04 Apr 2022
    समय-समय पर नीतीश सरकार भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलेरेंस नीति की बात करती रही है, लेकिन इसके उलट राज्य में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी होती जा रही हैं।
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक:  ‘रोज़गार अभियान’ कब शुरू होगा सरकार जी!
    04 Apr 2022
    उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को ‘स्कूल चलो अभियान’ की शुरुआत की। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा पे चर्चा की थी। लेकिन बेरोज़गारी पर कोई बात नहीं कर रहा है।…
  • जगन्नाथ कुमार यादव
    नई शिक्षा नीति, सीयूसीईटी के ख़िलाफ़ छात्र-शिक्षकों ने खोला मोर्चा 
    04 Apr 2022
    बीते शुक्रवार को नई शिक्षा नीति (एनईपी ), हायर एजुकेशन फंडिंग एजेंसी (हेफ़ा), फोर ईयर अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम (FYUP),  सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीयूसीईटी) आदि के खिलाफ दिल्ली…
  • अनिल सिन्हा
    नेहरू म्यूज़ियम का नाम बदलनाः राष्ट्र की स्मृतियों के ख़िलाफ़ संघ परिवार का युद्ध
    04 Apr 2022
    सवाल उठता है कि क्या संघ परिवार की लड़ाई सिर्फ़ नेहरू से है? गहराई से देखें तो संघ परिवार देश के इतिहास की उन तमाम स्मृतियों से लड़ रहा है जो संस्कृति या विचारधारा की विविधता तथा लोकतंत्र के पक्ष में…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License