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भारत
राजनीति
बिहारः बड़े-बड़े दावों के बावजूद भ्रष्टाचार रोकने में नाकाम नीतीश सरकार
समय-समय पर नीतीश सरकार भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलेरेंस नीति की बात करती रही है, लेकिन इसके उलट राज्य में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी होती जा रही हैं।
एम.ओबैद
04 Apr 2022
nitish kumar

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य में भ्रष्टाचार रोकने को लेकर जितनी सख्ती की बात करते रहे हैं और जो दावा करते रहे हैं, मौजूदा हालात ठीक उसके उलट हैं। प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर है। आए दिन सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के यहां छापेमारी में आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले पढ़ने और सुनने को मिलते रहते हैं। ताजा मामला मुजफ्फरपुर के मुशहरी ब्लॉक का है जहां के आपूर्ति पदाधिकारी के ठिकानों पर हुई कार्रवाई में करोड़ों की चल-अचल संपत्ति का खुलासा हुआ है।

आय से अधिक संपत्ति का नया मामला मुजफ्फरपुर जिला के मुशहरी ब्लॉक में सामने आया है, जहां प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी (बीएसओ) संतोष कुमार के यहां निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की छापेमारी करोड़ों की संपत्ति का खुलासा हुआ है। हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक बीएसओ संतोष कुमार और उनकी पत्नी के नाम पर 6 बैंक खातों में 1.41 करोड़ रुपये जमा हैं। अधिकारी ने खुद अपने नाम पर एक खाते में 64 लाख जमा कर रखा है। इसके अलावा खुद उनके या पत्नी के नाम पर खोले गए अलग-अलग बैंक अकाउंट में 19 लाख, 19 लाख, 11 लाख, 8 लाख और 20 लाख रुपये जमा हैं। वहीं दोनों ने वित्तीय संस्थानों में 10 लाख रुपए का निवेश कर रखा है।

रिपोर्ट के अनुसार संतोष कुमार ने सितंबर1991 में सरकारी नौकरी ज्वाइन की थी। नौकरी में आने के 17 साल बाद उन्होंने अंधाधुंध अचल संपत्ति खरीदनी शुरू कर दी। वर्ष 2006 में उन्होंने पत्नी के नाम फुलवारीशरीफ में दो प्लॉट खरीदे। इसके बाद वर्ष 2010 में हाजीपुर में दो जमीन, इसके अगले साल ही फिर दो प्लॉट की खरीद की गई। दिसंबर 2016 और जनवरी 2017 में उन्होंने मुजफ्फरपुर के मिठनपुरा स्थित ग्रैंड मॉल में दो दुकान खरीद ली। इसके अलावा दिल्ली, गुड़गांव और ग्रेटर नोएडा भी तीन फ्लैट उन्होंने खरीद लिए।

निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने जांच के दौरान संतोष कुमार के पास से आय से अधिक 2.42 करोड़ रुपए संपत्ति पाई थी। हालांकि, शनिवार को हाजीपुर और मुजफ्फरपुर स्थित उनके ठिकानों पर छापेमारी में भारी मात्रा में सोने-चांदी और हीरे के अलावा कई अचल संपत्तियों के दस्तावेज हाथ लगने के बाद उनकी आय से अधिक संपत्ति काफी बढ़ गई है।

बड़े अधिकारियों के यहां मिल चुकी है करोड़ों की संपत्ति

सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा घूस और रिश्वत के जरिए काली कमाई को बढ़ाकर संपत्ति अर्जित करने का ये कोई नया मामला नहीं है। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार करीब चार दिन पहले ही भवन निर्माण विभाग में मोतिहारी में तैनात एक्जीक्यूटिव इंजीनियर मधुकांत मंडल के पटना के कुम्हरार स्थित आवास, मोतिहारी में सरकारी आवास और भागलपुर जिले में दो आवासों पर की गई छापेमारी कर बड़ी संपत्ति का खुलासा हुआ था। तलाशी में विभिन्न बैंकों के 12 पासबुक मिले थे जिनमें लाखों की राशि जमा थी। वहीं इंजीनियर व उनकी पत्नी के नाम से 1 करोड़ 17 लाख की जमीन से संबंधित 13 डीड का भी पता चला था।

इस बीच बालू के अवैध खनन मामले में आर्थिक अपराध इकाई(ईओयू) द्वारा की गई एक अन्य कार्रवाई में रानीतलाब के तत्कालीन थानाध्यक्ष के पास आय से61.28% अधिक संपत्ति का पता चला था। ईओयू ने रानीतलाब के तत्कालीन थानाध्यक्ष सतीश कुमार सिंह के पटना के गोला रोड स्थित मकान और भोजपुर के कोईलवर थाना क्षेत्र के कुल्हड़िया स्थित पैतृक आवास पर छापेमारी की थी। ईओयू के अनुसार 2009 बैच के सब इंस्पेक्टर सतीश कुमार सिंह ने पद का दुरुपयोग करते हुए इन्होंने ज्ञात व वैध आय के स्रोत से काफी अधिक संपत्ति बनाई थी। रिपोर्ट के अनुसार इनके बैंक खातों में विभिन्न जगहों से राशि के ट्रांजेक्शन के साक्ष्य मिले थे। सतीश कुमार सिंह ने अपनी पत्नी के नाम से गोला रोड के सैनिक कॉलोनी में 25 लाख में 1 कट्‌ठा जमीन खरीदी और उसपर 80 लाख रुपये की लागत से जी प्लस 4 मकान बनवाया था।

एनबीटी की रिपोर्ट के मुताबिक इसी साल पिछले महीने राज्य में आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के एक पूर्व कार्यकारी अभियंता और उनके परिवार की 1.58 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की गयी है। बिहार के समस्तीपुर जिले में पदस्थ रहे पूर्व कार्यकारी अभियंता संजय कुमार सिंह, उनकी पत्नी पुष्पा सिंह और उनके बेटे अभिषेक आशीष एवं अनुनय आशीष की संपत्ति कुर्क करने संबंधी अस्थाई आदेश धन शोधन रोकथाम अधिनियम की धाराओं के तहत जारी किया गया था।

आय से अधिक संपत्ति के मामले में बिहार में जिन बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई हुई थी उनमें आईपीएस अधिकारी राकेश दुबे का नाम भी शामिल है। अवैध बालू खनन के मामले में सस्पेंड किए गए भोजपुर के एसपी राकेश दुबे के कई ठिकानों पर आर्थिक अपराध इकाई ने छापेमारी की थी। इस दौरान करीब दो करोड़ 55 लाख से ज्यादा आय से अधिक संपत्ति का पता चला था। साथ ही उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के भी सबूत मिले थे। इतना ही नहीं आधा दर्जन से अधिक कंस्ट्रक्शन कंपनियों में निवेश का भी पता चला था।

बिहार टॉपर घोटाला मामले में बिहार बोर्ड के पूर्व चेयरमैन लालकेश्वर सिंह और उनकी पत्नी उषा सिन्हा पर वर्ष 2016 में कार्रवाई हुई थी। एसआईटी की टीम ने उन्हें जून 2016 में गिरफ्तार किया था। जांच के दौरान टीम को उनके पास बेनामी संपत्ति का पता चला था। उनके करीब 50 करोड़ रुपये की संपत्ति को लेकर जांच हुई थी। इस दौरान रियल स्टेट और जमीन में भारी निवेश की जानकारी सामने आई थी।

बिहार में जिन दागी अधिकारियों पर कार्रवाई हुई उनमें बिहार कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व सचिव परमेश्वर राम का नाम भी शामिल है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीएसएससी पेपर लीक कांड में परमेश्वर राम ने करोड़ों की डीलिंग कराई थी। इसका खुलासा होने के बाद 2017 में परमेश्वर राम को गिरफ्तार किया गया था। एसआईटी की पूछताछ में परमेश्वर ने स्वीकार किया था कि एएनएम भर्ती के लिए काउंसलिंग में धांधली की थी।

बिहार के हाजीपुर नगर परिषद में कार्यपालक पदाधिकारी के पद पर तैनात रहे अनुभूति श्रीवास्तव के पास से करोड़ों की संपत्ति मिली थी। आय से अधिक संपत्ति के मामले में विशेष निगरानी की टीम ने उनके ठिकानों पर छापेमारी कर आया से अधिक संपत्ति होने का खुलासा किया था।

अप्रैल 2018 में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) विवेक कुमार के आवास पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) द्वारा छापेमारी की गई थी। तलाशी में आय से चार करोड़ रुपये अधिक की संपत्ति का पता चला था। इस मामले में मुजफ्फरपुर एसएसपी विवेक कुमार को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत आरोपी होने के बाद निलंबित कर दिया गया था। एसएसपी विवेक कुमार पर कई बार शराब माफिया से मिलीभगत का आरोप लग चुका था।

भारत में भ्रष्टाचार निवारण क़ानून

देश में सरकारी तंत्र एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में भ्रष्टाचार को कम करने के उद्देश्य से भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 बनाया गया था। वर्ष 2013 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम को संशोधन के लिए संसद में पेश किया गया था, लेकिन सहमति न बन पाने पर इसे स्थायी समिति और प्रवर समिति के पास भेजा गया था। साथ ही समीक्षा के लिये इसे विधि आयोग के पास भी भेजा गया था। समिति ने वर्ष 2016 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी जिसके बाद 2017 में इसे पुनः संसद में पेश किया गया था। पारित होने के बाद इसे भ्रष्टाचार निरोधक संशोधन विधेयक-2018 कहा गया। संशोधित विधेयक में रिश्वत देने वाले को भी इसके दायरे लाया गया है। इसमें भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और ईमानदार कर्मचारियों को संरक्षण देने का प्रावधान है। इसके तहत रिश्वत एक विशिष्ट और प्रत्यक्ष अपराध है। इसमें रिश्वत लेने वाले को 3 से 7 साल की कैद के साथ-साथ जुर्माना भी भरने का प्रावधान है वहीं रिश्वत देने वालों को 7 साल तक की कैद और जुर्माना भी लगाए जाने का प्रावधान है।

ग्लोबल करप्शन इंडेक्स में स्थिति बदतर

वैश्विक संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के करप्शन परसेप्शन इंडेक्स की बात करें तो ग्लोबल करप्शन इंडेक्स में भारत की स्थिति बदतर है। पिछले कुछ वर्षों में भ्रष्टाचार के मामले देश में बढ़े हैं। हालांकि पिछले वर्ष के इंडेक्स में इस इंडेक्स में मात्र एक अंक का सुधार देखा गया है। भारत 2021 के ग्लोबल करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में 1 पायदान ऊपर बढ़कर 180 देशों में इसका स्थान 85वां है। इस सूची में भारत वर्ष 2020 में 86वें स्थान पर था जबकि वर्ष 2019 में 80वें स्थान पर था। वहीं 2018 के इंडेक्स में भारत 180 देशों की सूची में 78वें स्थान पर था। इस तरह केवल पिछले वर्ष को छोड़कर भारत में भ्रष्टाचार के मामले बढ़ते रहे। 

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