NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
बर्लिन : रोजा लक्जमबर्ग और कार्ल लिबनेच की याद में हज़ारों लोगों ने रैली निकाली
102 साल पहले जर्मन कम्युनिस्ट नेताओं लक्समबर्ग और लिबनेच की हत्या अति दक्षिणपंथी अर्धसैनिक समूहों ने की थी।
पीपल्स डिस्पैच
11 Jan 2021
बर्लिन

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ जमर्नी (केपीडी) के संस्थापक रोजा लक्जमबर्ग और कार्ल लिबनेच को याद करते हुए रविवार10 जनवरी को बर्लिन में लगभग तीन हज़ार लोगों ने रैली निकाली। 102 साल पहले वर्ष 1919 में साम्यवादी विद्रोह को कुचलने के लिए सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ जर्मनी (एसपीडी) के नेतृत्व वाली सरकार के उकसावे पर अर्धसैनिक बलों द्वारा इनकी हत्या कर दी गई थी।

रविवार को पुलिस ने रैली को बलपूर्वक रोकने का प्रयास किया जिससे इस रैली में शामिल कई लोग घायल हो गए और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। एंटिफा समूहों के युवा कम्युनिस्ट ने रविवार को इस रैली में भाग लिया।

रिपोर्टों के अनुसार रविवार को पुलिस ने COVID -19सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने के बावजूद बर्लिन में वामपंथी समूहों द्वारा आयोजित शांतिपूर्ण रैली पर हमला किया और फ्री जर्मन यूथ (एफडीजे) का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि रैली में कुछ लोग प्रतिबंधित प्रतीकों को ले जा रहे थे। यह सोशलिस्ट यूनिटी पार्टी ऑफ जर्मनी की युवा शाखा थी और जर्मन डेमोक्रेटिक रिपब्लिक (जीडीआर) का आधिकारिक युवा आंदोलन था। जर्मन कम्युनिस्ट पार्टी (डीकेपी), सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स यूथ (एसडीएजे) सहित जर्मनी भर में प्रगतिशील वर्गों ने इस रैली पर पुलिस हमले की निंदा की है।

जर्मन कमेटी ऑफ सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स यूथ (एसडीएजे) ने कहा है कि पुलिस और मीडिया यह बताकर पुलिस हमले को सही ठहराने का प्रयास कर रही है कि रैली में फ्री जर्मन यूथ (एफडीजे) के झंडे लहराए गए जो सार्वजनिक रुप से प्रतिबंधित है। एसडीएजे के अनुसार एफडीजे के प्रतीकों पर प्रतिबंध सही नहीं है क्योंकि बर्लिन की स्थानीय अदालत ने 2014 में अलग-अलग तरीके से फैसला सुनाया और इसी तरह के अपराध में आरोपी बनाए गए लोगों को बरी कर दिया।

एसडीएजे ने एक बयान में कहा, “इस प्रदर्शन पर हमले से स्पष्ट है कि एक शक्तिशाली कम्युनिस्ट आंदोलन जर्मनी में शासक वर्ग के लिए खतरा है और उनके लिए इसे एक पूंजी-विरोधी ताकत के रूप में गैर कानूनी घोषित किया जाना चाहिए। पुलिस खुद कानून का उल्लंघन करने से डरती नहीं है। हालांकि, हमने प्रदर्शन के अपने अधिकार को खत्म नहीं होने दिया और समाजवादियों के स्मारक तक फ्रेडरिकशेन, लिचेनबर्ग और फ्रेडरिक्सफेल्डे से होकर गुजरे। फ्रेडरिक्सफेल्डे सेंट्रल सिमेट्री के क्रांतिकारी स्मारक पर घोषणा अधिक स्पष्ट नहीं हो सकी।′′

berlin
Karl Liebknecht
Rosa Luxemburg
Communist Party of Germany
Socialist German Workers Youth

Related Stories

दुनिया में जहां कहीं भी, बादल, चिड़िया और लोगों के आंसू हों, वहां मुझे घर जैसा लगता है: रोज़ा लक्ज़मबर्ग

बर्लिन में श्रमिकों ने विशाल डिपार्टमेंटल स्टोर चेन में छँटनी का विरोध करते हुए रैली निकाली

क्या लीबिया में गृह युद्ध रुक जाएगा ?

संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन से पहले दिल्ली, यूरोप में सड़कों पर उतरे लाखों लोग

कश्मीर से 370 हटने के 100 दिन का हाल, आरटीआई पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला और अन्य ख़बरें

महाराष्ट्र की सियासत, बोलीविया के पूर्व राष्ट्रपति ईवा मोरालेस देश छोड़ने पर मजबूर और अन्य


बाकी खबरें

  • sedition
    भाषा
    सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह मामलों की कार्यवाही पर लगाई रोक, नई FIR दर्ज नहीं करने का आदेश
    11 May 2022
    पीठ ने कहा कि राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए। अदालतों द्वारा आरोपियों को दी गई राहत जारी रहेगी। उसने आगे कहा कि प्रावधान की वैधता को चुनौती…
  • बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    एम.ओबैद
    बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    11 May 2022
    "ख़ासकर बिहार में बड़ी संख्या में वैसे बच्चे जाते हैं जिनके घरों में खाना उपलब्ध नहीं होता है। उनके लिए कम से कम एक वक्त के खाने का स्कूल ही आसरा है। लेकिन उन्हें ये भी न मिलना बिहार सरकार की विफलता…
  • मार्को फ़र्नांडीज़
    लैटिन अमेरिका को क्यों एक नई विश्व व्यवस्था की ज़रूरत है?
    11 May 2022
    दुनिया यूक्रेन में युद्ध का अंत देखना चाहती है। हालाँकि, नाटो देश यूक्रेन को हथियारों की खेप बढ़ाकर युद्ध को लम्बा खींचना चाहते हैं और इस घोषणा के साथ कि वे "रूस को कमजोर" बनाना चाहते हैं। यूक्रेन
  • assad
    एम. के. भद्रकुमार
    असद ने फिर सीरिया के ईरान से रिश्तों की नई शुरुआत की
    11 May 2022
    राष्ट्रपति बशर अल-असद का यह तेहरान दौरा इस बात का संकेत है कि ईरान, सीरिया की भविष्य की रणनीति का मुख्य आधार बना हुआ है।
  • रवि शंकर दुबे
    इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा यूपी में: कबीर और भारतेंदु से लेकर बिस्मिल्लाह तक के आंगन से इकट्ठा की मिट्टी
    11 May 2022
    इप्टा की ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा उत्तर प्रदेश पहुंच चुकी है। प्रदेश के अलग-अलग शहरों में गीतों, नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया जा रहा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License