NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
SC ST OBC
भारत
राजनीति
भीमा कोरेगांव : भुला दी गई दलित युवा की मौत
2018 में भीमा कोरगांव हिंसा के दौरान हुई हत्या के एक मामले में 21 साल के युवा चेतन को गिरफ्तार किया गया था। जमानत मिलने के 15 दिनों के बाद रहस्यमय परिस्थितियों में उसकी मौत हो गई थी।
वर्षा तोरगालकर 
03 Jan 2021
भीमा कोरेगांव : भुला दी गई दलित युवा की मौत
फूल-मालाओं में लिपटी चेतन अलहट की तस्वीर

पुणे : “मेरा 21 साल का बेटा, जो एक निर्माण स्थल पर 500 रुपये (रोज) कमाता था, उसकी जल्दी  शादी होने वाली थी, जमानत पर छूटने के 15 रोज बाद उसकी मौत हो गई”, उसकी मां प्रमिला अलहट की यह कहते हुए आंखें आंसुओं से डबडबा गई थीं। एक कमरे के घर में चेतन की यह पहली बरसी थी। उसका घर पुणे से 120 किलोमीटर दूर अहमदनगर जिले की एक दलित बस्ती परगांवसुधीर गांव में पड़ता था। वह कहती हैं, “किसी से कुछ कहने या शिकायत करने का क्या फायदा। मैं गरीब हूं और मेरा पति भी नहीं है। मेरा बेटा मर गया। अब किसी शिकायत का क्या मतलब है?” उन्होंने हताश होते हुए कहा।
 
प्रमिला का बेटा चेतन अलहट 21 साल का दलित युवा था। पिछले साल यरवदा सेंट्रल जेल से जमानत पर छूट कर आने के 15 दिनों के बाद ही 23 दिसम्बर को उसकी मौत हो गई थी। प्रमिला सुबुकती हुई कहती हैं, “मैंने उसे जमानत पर छुड़ाने के लिए हाड़-तोड़ मेहनत की और वह छूट कर आने के 15 रोज बाद ही चल बसा।” परिवार को यह नहीं मालूम की किस वजह से उसकी मौत हुई।
 
उन्होंने कहा,“जेल से रिहा होने के बाद, या तो वह उल्टी करता था या फिर दस्त करता। उसके पूरे बदन में कोई मर्ज सा हो गया लगता था। मेरे पास इतने पैसे नहीं थे कि उसका इलाज प्राइवेट अस्पताल में कराती, इसलिए मैं उसे 22 दिसम्बर 2019 को पुणे के जनरल अस्पताल ले गई। परन्तु भर्ती होने के अगले ही दिन वह मर गया।” परिवार के पास न तो उसका कोई कागजात है और न ही उसका मृत्यु प्रमाण पत्र, जिससे कि यह पता चले कि आखिर मौत किस वजह से हुई।


प्रमिला अलहट, चेतन अलहट की मां

चेतन और उसके कुछ दोस्त हर साल की तरह 2018 में भी भीमा कोरेगांव के विजय स्तम्भ पर गए थे। जो कि उनके घर से 120 किलोमीटर दूर है। प्रमिला ने बताया, “हमारे बच्चे अवश्य ही तेल लेने के लिए पेट्रोल पंप पर रुके होंगे और वहां के सीसीटीवी में उनकी तस्वीर भी होगी।  हमारे किशोर बच्चे किसी की हत्या नहीं कर सकते हैं, पुलिस के पास इसका कोई सबूत भी नहीं है। पुलिस 9 जनवरी को चेतन को उठा ले गई और अगले ही दिन उसे गिरफ्तार कर लिया।”
 
भीमा कोरेगांव का संघर्ष

हर साल पहली जनवरी को हजारों दलित युवा भीमा कोरेगांव में स्थित एक युद्ध स्मारक विजय स्तम्भ पर अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित करने के लिए जमा होते हैं। यह जगह पुणे से 40 किलोमीटर दूर है। दलित नैरेटिव के अनुसार,1 जनवरी, 1818 को भीमा कोरेगांव में ब्रिटिश फौज की पेशवा से लड़ाई हुई थी, इस फौज में बड़ी तादाद दलित जाति के महार समुदाय के सैनिकों की थी, जिन्होंने पेशवाओं के कथित जातिवाद के खिलाफ अपनी “आजादी के लिए जंग” छेड़ दिया था। इस जंग में दलितों को मिली जीत की याद में एक विजय स्मारक बना दिया गया था। तभी से पूरे सूबे के कोने-कोने से हजारों दलित जीत का जश्न मनाने के लिए शिकारपुर ताल्लुक के इस छोटे से गांव में जमा होते हैं।
 
इसी सिलसिले में पहली जनवरी 2018 को सैकड़ों लोग भीमा कोरेगांव में जुटे थे, तभी वहां दंगा भड़क उठा था। इसमें सैकड़ों दलित युवा जख्मी हुए थे और इतनी ही तादाद में वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए थे। कहते हैं कि यह उपद्रव ऊंची जातियों के लोगों ने किया था। इसी हिंसा में, मराठा समुदाय के राहुल फटांगले की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी और इसी मामले में चेतन अलहट को गिरफ्तार किया गया था।


चेतन के साथ 9 अन्य लोगों को भी भारतीय दंड संहिता की धारा 143, गैरकानूनी तरीके से एक जगह जमा होने, धारा 147 और 148 दंगा करने, और घातक हथियारों से लैस होने, सदस्यों के अवैध तरीके से जुटान के लिए, धारा 302 हत्या के लिए और धारा 37(i)(3) एवं बम्बई पुलिस एक्ट की धारा135 के तहत गिरफ्तार किया गया था।
 
“उन्हें उसे 15 दिनों के लिए पुलिस कस्टडी में रखा गया था और इसे दौरान उन्हें शारीरिक प्रताड़नाएं दीं गई थीं तथा मेरे बच्चे को आरोप कबूल करने के लिए मजबूर कर दिया।” सहेवराव जानवाल ने यह दावा किया। उनका बेटा तुषार भी 10 लोगों में गिरफ्तार था, जिसे चेतन के साथ ही जमानत पर रिहा किया गया था। पुलिस हिरासत खत्म होने के बाद पुणे के शिवाजीनगर के सेशन कोर्ट, जहां इस मामले की सुनवाई चल रही है, के आदेश पर उन लोगों को न्यायिक हिरासत में यरवदा की सेंट्रल जेल में रखा गया था।

एक कमरे का घर प्रमिला का

उस घटना और फिर बेटे की मौत ने 45 वर्षीया विधवा प्रमिला की जिंदगी को एकदम नीचे धकेल दिया। प्रमिला परगांव सुदरिक गांव के फार्म पर दिहाड़ी मजदूर थीं। चेतन की जमानत के लिए उसके वकील की फीस के पैसे इक्कट्ठा करने के फेर में प्रमिला को अपने छोटे बेटे की पढाई छुड़वा दिया और  मजदूरी के लिए मुंबई अपनी बहन के पास भेजना पड़ा, जो वहां ab मेड का काम करती है।
 
प्रमिला ने कहा,“पिछले एक साल तक मैं, मुंबई में रोजाना सात से आठ घरों में चौका-बर्तन का काम करती थी, जिससे कि वकीलों की फीस भर सकूं।” वह जेल में कैद अपने बेटे से मिलने के लिए रात में मुंबई से पुणे आती थीं।
 
“उसकी (चेतन की) एक ही रट होती,‘आई (मां) प्लीज, मुझे छुड़ा लो।’ वह जेल का खाना नहीं खा पाता था। मेरा बेटा जो हट्टा-कट्ठा था, वह जेल का खाना खा कर एकदम दुबला-पतला हो गया था। उसे चर्म रोग हो गया था। मुझे नहीं मालूम कि उन लोगों ने मेरे बेटे के साथ क्या किया। पुणे के कोर्ट ने दो बार मेरे बेटे की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।” प्रमिला याद करती हुई सुबक रही थी।
 
एक सामाजिक कार्यकर्ता संघर्ष आप्टे ने मुसीबत में परिवार की मदद की। संघर्ष ने न्यूज क्लिक को बताया कि “बम्बई हाई कोर्ट ने 26 नवम्बर को चेतन अलहट को 25,000 रुपये के बॉन्ड पर जमानत दी थी। हालांकि परिवार के पास पूरे पैसे नहीं थे और इस वजह से दिसम्बर के पहले हफ्ते में ही यह राशि जमा की जा सकी। चेतन को 8 दिसम्बर को ही रिहा कराया जा सका था।” उन्होंने आगे कहा, “प्रमिला का परिवार गरीब है और काफी डरा हुआ है। वे यह भी नहीं जानना चाहता है कि क्या चेतन जेल में ही ठीक था या वहाँ उसका इलाज भी चल रहा था।”

प्रमिला ने अपने संघर्ष के बारे में बताया कि,“केस लड़ने के लिए मैं धन कहां से लाती? मुंबई से पुणे एक बार जाने में 1000 रुपये का खर्चा आता है। अब मैं घर लौट आई हूं और पिछले 15 दिनों से मैं काम पर नहीं गई हूं। मैं अपने छोटे बेटे को आगे पढ़ाना चाहती हूं,I वह अभी नौवीं में पढ़ता है और स्कूल बंद होने पर एक जगह कैटरर का काम भी करता है। अब मैं कोई लफड़ा नहीं चाहती क्योंकि मेरा बड़ा बेटा तो अब इस दुनिया में रहा नहींI” प्रमिला ने अपने छोटे बेटे का नाम जाहिर करना नहीं चाहती।
 
जेल के एक अधिकारी ने नाम न लेने की शर्त पर बताया कि कैदियों की हेल्थ चेक अप के बाद ही उसे जमानत पर रिहा किया जाता है।
 
ससून जनरल अस्पताल के डॉ प्रभाकर तवारे ने चेतन की मौत से जुड़े कागज़ात भी देने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि यह कागज़ात चेतन के परिवार को ही दिया जा सकता है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

Bhima Koregoan: Forgotten Death of a Dalit Youth

Bhima Koregan
Yalgar parishad
Dalit atrocities
NIA
BJP
sambhaji bhide
Devendra Fadnavis

Related Stories

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार

सवर्णों के साथ मिलकर मलाई खाने की चाहत बहुजनों की राजनीति को खत्म कर देगी

जहांगीरपुरी— बुलडोज़र ने तो ज़िंदगी की पटरी ही ध्वस्त कर दी

अमित शाह का शाही दौरा और आदिवासी मुद्दे

रुड़की से ग्राउंड रिपोर्ट : डाडा जलालपुर में अभी भी तनाव, कई मुस्लिम परिवारों ने किया पलायन

न्याय के लिए दलित महिलाओं ने खटखटाया राजधानी का दरवाज़ा

उत्तर प्रदेश: योगी के "रामराज्य" में पुलिस पर थाने में दलित औरतों और बच्चियों को निर्वस्त्र कर पीटेने का आरोप

यूपी चुनाव परिणाम: क्षेत्रीय OBC नेताओं पर भारी पड़ता केंद्रीय ओबीसी नेता? 


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License