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बिहार : किसानों को नहीं मिल रहा उचित दाम पर यूरिया खाद, खुदरा व्यापारी भी ऊंची कीमत पर बेचने को विवश
बिहार कृषि सचिव और निदेशक बारम्बार कालाबाजारी पर अंकुश लगाने की लगातार चेतावनी दे रहे हैं और छापेमारी करने का भी निर्देश है। इसके बावजूद 266 वाली यूरिया की बोरी 350 रुपए में बिक रही है। जानते हैं क्या है पूरा मामला।
राहुल कुमार गौरव
16 Jul 2021
सीतामढ़ी में खुदरा विक्रेता प्रदर्शन करते हुए
सीतामढ़ी में खुदरा विक्रेता प्रदर्शन करते हुए

कुछ महीने पहले खाद की कीमतें बढ़ने के बाद से लगातार आलोचना झेल रही NDA सरकार ने किसानों को तमाम तरह की सुविधाएं व सहूलियत उपलब्ध कराने के लिए उवर्रक कंपनियों को आदेश दिया कि वे यूरिया और गैर-यूरिया उवर्रक जैसे कि डीएपी के अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) में कोई बढ़ोत्तरी न करें। सरकार ने यूरिया (45 किग्रा वजन) की बोरी 266 रुपये में निर्धारित की गई है। वहीं DAP को 1,200 रुपये प्रति बोरी के मूल्य पर बेचने का निर्णय लिया गया है। इसके बावजूद बिहार के किसान, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों की तुलना में 50 से 100 रुपए तक प्रति बोरी ज्यादा देकर यूरिया खरीदने को मजबूर हैं।

सुपौल जिला के एकमा पंचायत के हरेराम यादव (72वर्ष) बताते हैं कि "हमारे गांव में यूरिया ₹320 मिलता है। वहीं  बारिश आने के बाद जब किसानों को एकाएक यूरिया की जरूरत होती है तो यह रेट 350 तक पहुंच जाता है।"

मतलब हरेराम यादव जी को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) से 54 से 84 रूपया ज्यादा देकर यूरिया खरीदना पड़ता है।

हरेराम यादव बताते हैं कि "प्रति एकड़ सिर्फ खाद और पटवन मिलाकर ₹4000 खर्च हो जाते हैं जबकि अनाज के हिसाब से देखा जाए तो प्रति एकड़ सिर्फ 12 से 13 मन यानी की 7000-8000 रूपए की ही फसल होती है।" 

फिर हमने अररिया जिले के ग्राम डाढिखाप के रहने वाले सत्यनारायण ठाकुर से बात की। उनका कहना है कि, "हमारे गांव में यूरिया(45kg) के बोरे का दाम ₹350 है। वही डीएपी (50kg) वाले बोरे का दाम ₹1300 और पोटाश (50 केजी) का दाम ₹900 है। जितनी भी खाद सामग्री है, वो प्राइवेट डीलर से खरीदते हैं।"

सरकार ने कहा शपथ पत्र दो कि MRP पर यूरिया बेचोगे, दुकानदारों ने जताया विरोध

सरकार ने खाद विक्रेताओं को निर्देश दिया है कि सरकारी दर पर खाद बेचने के लिए शपथ पत्र जमा करें, लेकिन 20-25% खुदरा विक्रेताओं ने ही शपथ पत्र जमा किया है। सरकार के द्वारा निर्धारित कीमत पर यूरिया बेचने के फैसले के विरोध में बिहार के कई हिस्सों में खुदरा और थौक खाद विक्रेताओं की सरकार और कृषि विभाग से ठन गई है। सरकार के इस फैसले के बाद मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, बेतिया, सितामढी और बिहार के कई सारे जगहों पर खुदरा विक्रेताओं के द्वारा सरकार का विरोध शुरू हो गया है।

वहीं दूसरी तरफ कृषि निदेशालय ने दुकानदार के खिलाफ शिकायत करने के लिए फोन नंबर 0612-2233555 जारी किया है। साथ ही कृषि विभाग का दावा है कि ऐसे उर्वरक विक्रेताओं के खिलाफ तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी जो सरकारी दर से ज्यादा कीमत पर खाद का विक्रय करेंगे। साथ ही खरीफ 2021 में अभी तक कुल 660 छापेमारी की गई है, जिसमें से 32 विक्रेताओं का लाइसेंस निलंबित, 24 लाइसेंस रद, पांच पर प्राथमिकी और 149 विक्रेताओं से स्पष्टीकरण की मांग की गई है।

इन सारे विवादों के बाद कई जिलों के ग्रामीण इलाकों में दुकानदारों ने दुकानें बंद कर दी हैं। हालांकि वो अपने घर या गोदामों आदि पर चोरी छिपे यूरिया बेच रहे हैं।

बिहार धान उत्पादक प्रमुख राज्यों में शामिल है, जहां की करीब 76 फीसदी आबादी कृषि कार्यों पर निर्भर है। यह निर्भरता कोरोना काल में ज्यादा बढ़ गई है। प्रदेश में करीब 79.46 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से लगभग 32 लाख हेक्टेयर में चावल की खेती होती है। वहीं खरीफ मौसम में जून माह में किसानों के द्वारा यूरिया,डीएपी, एनपीके एवं एमओपी खाद का प्रयोग किया जाता है। पूरे राज्य में 10 लाख टन यूरिया, 3.5 लाख टन डीएपी और 2 लाख टन एनपीके की जरूरत होती है।

मधेपुरा जिले के रणवीर यादव, जो पेशे से किसान हैं, वो बताते हैं कि, "अगले 10-15 दिनों में सबसे ज्यादा यूरिया की जरुरत पड़ने वाली है क्योंकि धान की रोपाई के 10-25 दिन बाद ज्यादातर किसान यूरिया का छिड़काव करते हैं। लेकिन मूल्य को लेकर हुए विवाद के बाद जिलों के ग्रामीण इलाकों में दुकानदारों ने दुकानें बंद कर दी हैं। हालांकि वो अपने घर या गोदामों आदि पर चोरी छिपे यूरिया बेच रहे हैं।"

पूर्णिया के खुदरा विक्रेता बबलू कुशवाहा बताते हैं कि,"जब थोक विक्रेता हम लोगों को यूरिया खाद  310 रुपये में बेच रहे हैं। ऐसे में हम फुटकर विक्रेता से निर्धारित मूल्य पर खाद बेचने की उम्मीद करना बैमानी है।  जबकि शासन की ओर से यूरिया 45 किग्रा वजन की बोरी 266 रुपये में निर्धारित की गई है।"

वहीं सुपौल जिला के खुदरा विक्रेता मनोज मिश्र (55वर्ष) कहते हैं कि, "दुकानदारों को एमआरपी पर खाद बेचने में दिक्कत नहीं है, लेकिन उन्हें पीछे से भी कम पैसे पर तो मिले। इसी तरह धान और गेहूं के सीजन समय कुछ अधिकारी और सरकार सक्रिय हो जाते हैं जो दुकानदारों पर दबाव बनाते है। इसमें थौक व्यापारियों और कम्पनी को ज्यादा असर नहीं पड़ता है, जबकि छोटे व्यापारियों पर दबाव बनाया जाता है। अगर कुछ बचेगा ही नहीं तो हम बेचेंगे क्यों।"

मुजफ्फरपुर जिला उर्वरक विक्रेता संघ के सदस्य डाक्टर शंकर सिंह बताते हैं कि, "रैक प्वाइंट से थोक विक्रेताओं को एनएफएल की यूरिया खाद 239 रुपए, सीएफसीएल यूरिया 243 रुपए, साथ ही प्रति बैग लाने-पहुंचाने, लोडिंग-अनलोडिंग में 32 रुपए तक खर्च आता है। ऐसे में थोक विक्रेता के गोदाम तक पहुंचने में प्रति बैग 271 से 281 रुपए का खर्च आता है। साथ ही 5% अतिरिक्त जीएसटी भी देना होता है। ऐसे परिस्थिति में सरकार के द्वारा निर्धारित मुल्य पर सामान किसानों को कैसे बेचा जा सकता हैं।"

खुदरा विक्रेता की मांग क्या हैं?

एग्रो इनपुट डीलर एसोसिएशन मधेपुरा ने सरकार से मांग की है, "किसानों के लिए निर्धारित दर 266.50 रुपए प्रति बैग यूरिया देने के लिए उर्वरक कंपनियों को खुदरा विक्रेताओं के दुकानों तक यूरिया का बोरा उपलब्ध कराना पड़ेगा। साथ ही जीएसटी एवं इनकम टैक्स इन सारे खर्चों के अतिरिक्त थोक विक्रेता को मार्जिन 5% और खुदरा विक्रेताओं को मार्जिन 8% नहीं मिलेगा तो उर्वरक का व्यापार कैसे हो पाएगा।"

मुजफ्फरपुर जिला उर्वरक विक्रेता संघ ने किसानों से भी मांग की हैं कि "उर्वरक कंपनियां उठाव व खुदरा विक्रेताओं तक पहुंचाने के खर्च के रूप में थोक विक्रेताओं को 5% और खुदरा विक्रेताओं को 8% कमीशन दे तभी किसानों को निर्धारित दर से यूरिया उपलब्ध कराया जा सकता है।"

कृषि निदेशक बिहार ने जारी आदेश में कहा है कि "सभी उर्वरक बिक्री केंद्र तक पहुंचाने की जिम्मेदारी कंपनी की है। ताकि किसानों को सरकारी दर पर यूरिया मिल सके। इस मामले में किसी तरह की शिकायत मिलने पर उक्त कंपनी के खिलाफ एफसीओ, 1985 एवं ईसी एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।"

सरकार का ये आदेश जमीन पर नजर नहीं आ रहा है। अभी भी सभी काम वैसे ही जारी हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में दुकानदार चोरी-छिपे किसानों को यूरिया बेच रहे हैं, वो भी सरकारी दर से ज्यादा मुल्य पर।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं व भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के छात्र हैं। )

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