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स्वास्थ्य
भारत
बिहारः कोरोना टीके से मौत का आरोप लगाकर चिकित्सा पदाधिकारी को बनाया बंधक
कोरोना टीके से मौत का आरोप लगाते हुए कटिहार में वैक्सीनेशन महाअभियान के तहत टीकाकरण के लिए मनसाही के छोटी बथना गांव गए चिकित्सा पदाधिकारी को ग्रामीणों ने दो घंटे तक बंधक बनाए रखा।

न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
15 Dec 2021
बिहारः कोरोना टीके से मौत का आरोप लगाकर चिकित्सा पदाधिकारी को बनाया बंधक
प्रतीकात्मक तस्वीर

देश में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच बिहार में कोरोना के टीके से मौत की अफवाह भी फैल रही है। राज्य के कटिहार में वैक्सीनेशन महाअभियान के तहत टीकाकरण के लिए मनसाही के छोटी बथना गांव में गए चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. मनोज कुमार और उनकी टीम को ग्रामीणों ने घेर लिया और उन्हें दो घंटे तक बंधक बनाए रखा। प्रशासन की दखल के बाद डॉक्टर और उनकी टीम को छुड़ाया गया।

हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक छोटी बथना गांव के लोगों का आरोप है कि एक गर्भवती महिला को इलाज के दौरान डॉक्टरों ने कोरोना का टीका लगाया था जिससे इलाज के क्रम में उसकी मौत हो गई। इस घटना को लेकर ग्रामीण काफी नाराज थे और डॉक्टर के खिलाफ गोलबंद हो रहे थे। नाराज ग्रामीणों ने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी मनसाही डॉ. चौधरी को घेर लिया और मुआवजे की मांग करने लगे। हालांकि ग्रामीणों द्वारा बंधक बनाए जाने से इंकार किया गया।

कोरोना मामले में वृद्धि

उधर प्रदेश में कोरोना के नए मामले में वृद्धि हो रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 24 घंटे में 16 नए मामले सामने आए हैं जिससे एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 92 हो गई है। पटना में एक्टिव नए मामलों की संख्या 10 पाई गई है। बढ़ते मामलों के देखकर चिंता बढ़ गई है और इस तरह स्वास्थ्य मंत्रालय अलर्ट पर है। फिलहाल बिहार में ओमिक्रॉन का केस सामने नहीं आया है लेकिन एक्टिव मामलों की संख्या बढ़ रही है।

ज्ञात हो कि देश में ओमिक्रॉन की रफ्तार तेज होती दिख रही है। गत मंगलवार तक ओमिक्रॉन के मामलों में करीब 20 फीसद इजाफा देखने को मिला है। सोमवार तक जहां देश में 40 मामले थे वहीं मंगलवार को इनकी संख्या 49 हो गई। मंगलवार को दिल्ली और राजस्थान दोनों राज्यों में 4-4 नए मामले दर्ज किए गए। दिल्ली में अब तक ओमिक्रॉन के कुल 6 मामले सामने आ चुके हैं।

आकर्षित करने के लिए पुरस्कार

मालूम हो कि नीतीश सरकार राज्य में कोरोना वैक्सीनेशन में तेजी लाने में जुटी हुई है वहीं फर्जीवाड़ा का भी मामला सामने आ रहा है। प्रदेश में अब तक करीब 9 करोड़ टीकाकरण हो चुका है। इनमें पहली खुराक लेने वालों की संख्या करीब साढ़े पांच करोड़ पहुंच गई वहीं दूसरी खुराक लेने वालों की संख्या साढ़े तीन करोड़ से थोड़ी कम है। टीकाकरण महाअभियान के तहत नीतीश सरकार टीकाकरण के प्रति लोगों को आकर्षित करने के लिए कोरोना वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने वालों को पुरस्कार देने का फैसला किया। पुरस्कृत लोगों का चयन साप्ताहिक लकी-ड्रॉ से किया जाएगा। यह पुरस्कार योजना 21 नवम्बर से 31 दिसंबर तक मान्य होगी। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने मीडिया से बातचीत में बताया था कि यह विभाग की अनूठी पहल है। बता दें कि कोविन के अनुसार बिहार उन पांच राज्यों में शामिल है जहां 9 करोड़ लोगों का टीकाकरण हुआ।

टीकाकरण में फ़र्ज़ीवाड़ा

बता दें कि बिहार में टीकाकरण के बढ़ते आंकड़ों के बीच कई फर्जीवाड़े भी सामने आए हैं। इस महीने की शुरूआत में पीएम मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा को अरवल जिले में टीका लगाए जाने का मामला सामना आया था। इस मामले के कुछ ही दिनों के बाद गया जिले के टिकरी में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी तथा प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को टीका लगाए जाने का मामला सामने आया था।

इस फर्जीवाड़े के क्रम में बिहार कई जगहों पर तो मर चुके लोगों को टीका लगाए जाने का मामला सामने आया है। वहीं कई स्थानों पर उन लोगों का सर्टिफिकेट अपडेट कर दिया गया जिन्होंने दूसरी खुराक ली ही नहीं है। इस तरह देखा जाए तो बिहार में अधिक आंकड़ा दिखाने को लेकर बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा है। पहले भी जांच में फर्जीवाड़े को लेकर कई मामले सामने आ चुके हैं।

फ़र्ज़ी नाम और फ़ोन नंबर

बीबीसी ने इस साल फरवरी महीने में द इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से लिखा कि अख़बार की पड़ताल में बहुत सारे नाम और फ़ोन नंबर फ़र्ज़ी मिले। सूची में सैकड़ों ऐसे नाम दर्ज हैं जिनके मोबाइन नंबर की जगह 0000000000 लिखा है। किसी का नाम सही है तो फ़ोन नंबर ग़लत है और किसी का फ़ोन नंबर सही है तो नाम ग़लत।

उधर कटिहार की बात करें तो वहां जिस तरह कोरोना के टीके से मौत की खबर फैली है अगर इस पर लोग भरोसा करने लगें तो टीकाकरण में समस्या पैदा हो सकती है और इस डर से लोग टीका लगवाने से वंचित रह जाएंगे। इस तरह ये खतरनाक भी हो सकता है।

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